TV Sundaram Iyengar: एक वकील से ऑटोमोबाइल दिग्गज बनने की प्रेरणादायक कहानी! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण वकील, जो कानून के पन्नों में उलझा रहता था, वह कैसे भारत के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल साम्राज्य की नींव रख सकता है? यह कोई आम कहानी नहीं है, बल्कि यह कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपनी दूरदर्शिता और अथक प्रयासों से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को एक नई दिशा दी।

यह कहानी है TV Sundaram Iyengar की, जिनकी शुरुआत एक सामान्य पेशेवर के रूप में हुई थी, लेकिन उन्होंने अपने साहस, धैर्य और व्यापारिक कुशलता से एक ऐसा साम्राज्य खड़ा किया, जिसका असर आज भी भारतीय उद्योग जगत में देखा जा सकता है। उनकी यह यात्रा न केवल एक प्रेरणा है बल्कि एक मिसाल भी है कि यदि व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे, तो असंभव भी संभव किया जा सकता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि सफलता का मार्ग कभी भी सीधा और सरल नहीं होता। इसमें संघर्ष, असफलताएँ और चुनौतियाँ शामिल होती हैं। TV Sundaram Iyengar का जीवन भी कुछ ऐसा ही रहा। उनका जन्म 22 मार्च 1877 को तमिलनाडु के थिरुक्कुरुंगुडी में हुआ था। वे एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी व्यक्ति थे।

प्रारंभ में उन्होंने अपने परिवार की परंपरा को अपनाते हुए कानून की पढ़ाई की और एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। वकालत के पेशे में उन्होंने कुछ समय काम किया, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि उनका असली जुनून व्यापार में है। वकालत से हटकर उन्होंने अपनी ऊर्जा, व्यापार के नए आयामों को तलाशने में लगा दी और भविष्य के लिए एक मजबूत नींव तैयार करने का निर्णय लिया।

साथ ही आपको बता दें कि कानून की दुनिया से हटकर उन्होंने भारतीय रेलवे और एक बैंक में भी काम किया। यहाँ काम करने के दौरान उन्होंने व्यवसाय की बारीकियों को समझा और महसूस किया कि भारत में Organized Transport System की सख्त जरूरत है। यहीं से उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने 1911 में “TV Sundaram Iyengar & Sons” की स्थापना की। यह शुरुआत एक साधारण व्यवसाय की तरह लग रही थी, लेकिन इसके पीछे उनकी सोच बहुत गहरी थी।

उन्होंने देखा कि लोग यात्रा के लिए निर्भर तो हैं, लेकिन उन्हें एक व्यवस्थित परिवहन सुविधा नहीं मिल रही। इसी कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने विचारों को execute किया और एक नई परिवहन क्रांति की नींव रखी।

इस कंपनी की शुरुआत एक साधारण बस सेवा के रूप में हुई थी, लेकिन इसके पीछे की सोच क्रांतिकारी थी। उस दौर में भारत में Public transport सुव्यवस्थित नहीं था। लोगों को सफर करने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन TV Sundaram Iyengar ने इस समस्या को एक अवसर के रूप में देखा और मद्रास प्रेसीडेंसी में पहली बस सेवा शुरू की। यह एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने दक्षिण भारत में संगठित परिवहन व्यवस्था की नींव रखी। धीरे-धीरे यह व्यवसाय बढ़ता गया और उनकी कंपनी ने खुद को एक मजबूत परिवहन सेवा के रूप में स्थापित कर लिया। उनका यह प्रयास भारतीय परिवहन प्रणाली में एक नया अध्याय जोड़ने के समान था।

व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने लगातार Innovation किए। जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मद्रास प्रेसीडेंसी में ईंधन की भारी कमी हो गई, तब उन्होंने संकट को अवसर में बदलते हुए टीवीएस गैस प्लांट की स्थापना की। यह उनकी दूरदर्शिता का एक और उदाहरण था, जिसने साबित किया कि वे न केवल एक उद्योगपति थे, बल्कि एक कुशल रणनीतिकार भी थे।

इस निर्णय ने उन्हें व्यापार जगत में एक नई पहचान दिलाई और उन्होंने यह साबित किया कि हर संकट के भीतर एक अवसर छुपा होता है, जिसे पहचानकर उस पर कार्य करने की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी समझ लिया था कि व्यवसाय केवल मुनाफे पर आधारित नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज की आवश्यकताओं को पूरा करना भी उसका एक अहम हिस्सा है।

उनका Innovation यहीं नहीं रुका। उन्होंने ऑटोमोबाइल सर्विसिंग, रबर रिट्रेडिंग और ऑटो पार्ट्स Manufacturing में भी कदम रखा। उनकी कंपनी, मद्रास ऑटो सर्विस लिमिटेड, 1950 के दशक में जनरल मोटर्स की सबसे बड़ी Distributor बन गई। उन्होंने व्यवसाय के विस्तार के लिए नए-नए उपाय अपनाए और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की। उनका लक्ष्य सिर्फ व्यवसाय को आगे बढ़ाना नहीं था, बल्कि Quality और सेवा में श्रेष्ठता बनाए रखना भी था। इसी कारण से उनकी कंपनी का नाम उद्योग जगत में भरोसे का प्रतीक बन गया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि व्यवसाय में केवल पूंजी ही नहीं, बल्कि समर्पण, मेहनत और Innovation भी सफलता की कुंजी होते हैं।

लेकिन यह सफलता केवल उनकी मेहनत का ही परिणाम नहीं थी, बल्कि इसमें उनके परिवार की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। TV Sundaram Iyengar ने एक सामूहिक पारिवारिक व्यवसाय मॉडल में विश्वास किया। उनके चार बेटे – राजम, संथानम, श्रीनिवासन और कृष्णा – ने उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके बच्चों ने विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी का विस्तार किया और इसे एक बहु-आयामी उद्योग समूह बना दिया। यह उनकी दूरदर्शिता का ही नतीजा था कि उनका परिवार एकजुट होकर उनके सपनों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर था। उनके नेतृत्व में टीवीएस समूह ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक खास पहचान बना ली।

1955 में जब TV Sundaram Iyengar का निधन हुआ, तब भी उनकी विरासत जिंदा रही। उनके परिवार ने उनके सिद्धांतों को अपनाया और उनके सपनों को साकार किया। आज टीवीएस समूह एक विशाल कारोबारी समूह बन चुका है, जिसका वार्षिक कारोबार 8.5 बिलियन डॉलर से अधिक है और जिसमें 60,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं। उनकी सोच और परिश्रम ने उनके परिवार और कंपनी को एक मजबूत आधार प्रदान किया। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर व्यक्ति अपने सपनों को पूरा करने की ठान ले, तो कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती।

TV Sundaram Iyengar न केवल एक उद्योगपति थे, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने अपनी बेटी, t s सुंदरम, का समर्थन किया, जिन्होंने पुनर्विवाह कर सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और एक समाज सुधारक के रूप में पहचानी गईं। यह दिखाता है कि वे न केवल व्यावसायिक सफलता में विश्वास रखते थे, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता में भी उनका उतना ही विश्वास था। उनके विचार आज भी समाज के लिए एक प्रेरणा हैं और यह दर्शाते हैं कि केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

उनके अपार योगदान के लिए भारत सरकार ने 1956 में मदुरै में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। उनका नाम आज भी भारत में Innovation, आत्मनिर्भरता और औद्योगिक विकास का प्रतीक माना जाता है। उनके द्वारा स्थापित टीवीएस मोटर्स और उसकी सहायक कंपनियां, आज भी व्यावसायिक नैतिकता और Excellence के High standards को बनाए रखते हुए उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि व्यक्ति के पास दृढ़ इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत और सही दृष्टिकोण हो, तो वह अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है।

Conclusion

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