Turkey में बदलता व्यापार समीकरण! भारतीय व्यापारियों ने दिखाई एकजुटता, लिया बड़ा फैसला। 2025

कल्पना कीजिए, दिल्ली के एक आलीशान कॉन्फ्रेंस हॉल में देश के कोने-कोने से आए 125 से ज़्यादा व्यापारी नेता बैठे हैं। मंच पर गूंजता है एक ऐतिहासिक ऐलान—“अब Turkey और अज़रबैजान के साथ कोई भी व्यापार नहीं होगा!” तालियों की गूंज, गुस्से का उबाल और भारत के खिलाफ खड़ी ताकतों को सीधी चेतावनी। सवाल उठता है—क्या ये सिर्फ एक व्यापारिक फैसला है, या फिर ये भारत की नई आर्थिक युद्ध नीति का पहला संकेत है? क्या अब हर वो देश जो भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाएगा, उसे व्यापार से भी हाथ धोना पड़ेगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

दिल्ली में आयोजित इस राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन में जो फैसला लिया गया, वो भारत के कारोबारी इतिहास में मील का पत्थर बन चुका है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी CAIT की इस बैठक में देश के 24 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस बार मुद्दा सिर्फ मुनाफे या मार्केटिंग का नहीं था—मुद्दा था आत्मसम्मान का, राष्ट्रीय सुरक्षा का और उस विश्वासघात का, जो भारत के विरोध में जाकर Turkey और अज़रबैजान ने किया।

सम्मेलन की शुरुआत तो एक साधारण व्यापारिक बैठक की तरह हुई थी, लेकिन जैसे-जैसे Turkey और अज़रबैजान के पाकिस्तान के समर्थन की बात सामने आई, माहौल में गुस्से और दुख का मिला-जुला स्वर उभरने लगा। Turkey जो कभी भारत की मदद का लाभ उठा चुका है, और अज़रबैजान जो भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग का लाभ लेता रहा है—आज वही देश पाकिस्तान के पक्ष में बयान दे रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है—क्या व्यापार भावना से ऊपर है? और जवाब है—नहीं।

CAIT के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये फैसला भावनाओं का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय कर्तव्य का है। उन्होंने दो टूक कहा कि जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं, भारत के खिलाफ बोलते हैं, भारत की संप्रभुता पर चोट करते हैं—उन्हें भारत से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिलना चाहिए। और यह निर्णय केवल एक व्यापारिक संगठन का नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

इस सम्मेलन में लिए गए फैसले केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहे। इसे एक व्यवस्थित रणनीति के रूप में तैयार किया गया—अब न तो तुर्की और अज़रबैजान से कोई उत्पाद मंगाए जाएंगे, न ही कोई उत्पाद वहाँ भेजे जाएंगे। कोई Export, कोई Import—सब बंद। इतना ही नहीं, भारतीय कारोबारी अब इन देशों की कंपनियों या संस्थानों से किसी भी प्रकार की साझेदारी नहीं करेंगे। ये एक स्पष्ट और मजबूत संदेश है—जो भारत के खिलाफ खड़ा होगा, भारत उसे बाज़ार में भी खड़ा नहीं रहने देगा।

यह निर्णय सिर्फ कारोबारी ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक क्षेत्र में भी प्रभाव डालेगा। CAIT ने फिल्म इंडस्ट्री से अपील की कि अब कोई भी फिल्म Turkey या अज़रबैजान में शूट न की जाए। साथ ही यह चेतावनी भी दी कि यदि किसी फिल्म की शूटिंग इन देशों में होती है, तो व्यापारिक समुदाय और जनता उसका बहिष्कार करेगी। यह एक बड़ी बात है—क्योंकि इससे सीधे-सीधे बॉलीवुड के प्रोजेक्ट्स, शूटिंग लोकेशन्स और फिल्म प्रमोशन के फैसलों पर असर पड़ेगा।

कॉरपोरेट हाउसों को भी इस निर्णय के दायरे में लाया गया है। कंपनियों को साफ संदेश दिया गया कि वे अपने विज्ञापन, प्रोडक्ट लॉन्च या किसी भी प्रकार की शूटिंग इन देशों में न करें। यह बात स्पष्ट कर दी गई कि कोई भी व्यवसाय, चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो, राष्ट्रीय सम्मान और सुरक्षा से ऊपर नहीं हो सकता।

पर्यटन उद्योग भी इस निर्णय से अछूता नहीं रहा। सम्मेलन में यह तय किया गया कि भारत की यात्रा एजेंसियां और इवेंट प्लानर्स अब Turkey और अज़रबैजान को किसी भी प्रकार के, टूरिस्ट या बिज़नेस डेस्टिनेशन के रूप में प्रचारित नहीं करेंगी। यानी न कोई हनीमून पैकेज, न कोई बिजनेस कॉन्फ्रेंस इन देशों में। भारत के लोगों को इन देशों में जाने से हतोत्साहित किया जाएगा। यह निर्णय भारत के नागरिकों को यह सोचने पर मजबूर करेगा कि उनका पैसा किन देशों की अर्थव्यवस्था में जा रहा है।

ये निर्णय केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक नीति है। व्यापार और उद्योग मंत्रालय के साथ-साथ विदेश मंत्रालय को भी एक ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें यह मांग की जाएगी कि इन दोनों देशों के साथ भारत के सभी व्यावसायिक संबंधों की नीति स्तर पर समीक्षा की जाए। यानी यह आंदोलन अब सरकार तक पहुंच चुका है, और इसका उद्देश्य है एक बड़ी विदेश नीति बदलाव को दिशा देना।

सम्मेलन में भारत की व्यापारिक ताकत का प्रदर्शन भी देखा गया। 24 राज्यों से आए व्यापारिक प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ, एकजुटता जताई और भारत विरोधी ताकतों को कड़ा जवाब देने का संकल्प लिया। इस ऐलान के साथ भारत के व्यापारी एक सुर में बोले—अब व्यापार केवल लाभ का नहीं, बल्कि राष्ट्रहित का माध्यम है। और इस राष्ट्रहित के सामने कोई भी देश, चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों न हो, नहीं टिक सकता।

अज़रबैजान का Turkey के साथ खड़े होकर पाकिस्तान का समर्थन करना भारत के लिए एक और झटका था। यह वही अज़रबैजान है जिसे भारत ने तकनीकी सहयोग, व्यापार और दोस्ती की भावना से देखा था। लेकिन हालिया घटनाओं ने साबित कर दिया कि यह दोस्ती एकतरफा थी। अज़रबैजान की चुप्पी नहीं, बल्कि उसका सार्वजनिक समर्थन अब भारत के व्यापारिक जगत के लिए अस्वीकार्य बन चुका है।

CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरतिया ने यह बात साफ शब्दों में कही—यह नीतियां अकृतज्ञता की मिसाल हैं। भारत ने Turkey और अज़रबैजान दोनों के साथ सद्भावना से व्यापार किया, लेकिन बदले में मिला अपमान, पाकिस्तान का समर्थन और भारत विरोधी बयान। ऐसे देशों को अब भारत से आर्थिक लाभ नहीं मिलना चाहिए। यह सिर्फ व्यापार का अंत नहीं, बल्कि भरोसे का अंत भी है।

यह बहिष्कार केवल आज का निर्णय नहीं है। यह आने वाले समय के लिए एक चेतावनी है—हर उस देश के लिए जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और नीति पर सवाल उठाएगा। यह संदेश केवल Turkey और अज़रबैजान को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को गया है कि भारत अब केवल कूटनीतिक विरोध नहीं करेगा, बल्कि आर्थिक ताकत से जवाब देगा। और इस आर्थिक ताकत के केंद्र में हैं—भारत के व्यापारी।

सवाल अब ये है कि क्या यह बहिष्कार व्यावहारिक रूप से भी लागू होगा? इसका जवाब है—हां। क्योंकि यह निर्णय केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि धरातल पर लागू करने की योजना के साथ लिया गया है। व्यावसायिक प्रतिनिधियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने मौजूदा डील्स की समीक्षा करें, नए कॉन्ट्रैक्ट्स से दूर रहें और सरकारी मार्गदर्शन के साथ कदम बढ़ाएं।

इस बहिष्कार का असर Turkey और अज़रबैजान की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा। भारत के व्यापार का आकार और उसकी क्रय शक्ति ऐसी है कि उसका कोई भी नकारात्मक निर्णय वैश्विक बाजारों में हलचल पैदा कर सकता है। खासकर ऐसे देशों के लिए जिनकी अर्थव्यवस्था पर्यटन, Export और विदेशी निवेश पर निर्भर है।

आख़िर में, यह निर्णय एक चेतावनी है—कि भारत अब हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। चाहे बात रक्षा की हो, तकनीक की हो या व्यापार की—भारत अपने हितों को सर्वोपरि रखकर फैसले ले रहा है। और यही आत्मनिर्भर भारत की असली परिभाषा है—जहाँ सम्मान के बिना कोई सहयोग नहीं, और आत्मसम्मान के बिना कोई व्यापार नहीं।

Conclusion

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love

Leave a Comment