Turkey बना टूरिज्म से कमाई का सुपरपावर! भारत के साथ रिश्तों में क्यों आ गई दरार? 2025

एक ऐसा देश, जो दुनिया भर में हथियार बेचने वाला बन चुका है। एक ऐसा देश, जो दिखावे में रक्षा तकनीक और ड्रोन के लिए मशहूर हो चुका है। लेकिन उसके असली कमाई का ज़रिया कुछ और ही है—इतना शांत, इतना रंगीन, कि उसके पीछे की सच्चाई कोई सोच भी नहीं सकता। जब आप किसी देश के बारे में सोचते हैं, जो आतंकवादियों को हथियार दे रहा हो, तो आप यही मानते हैं कि उसका सबसे बड़ा कारोबार हथियारों का होगा।

लेकिन सच्चाई हैरान कर देने वाली है—क्योंकि Turkey की अर्थव्यवस्था हथियार नहीं, बल्कि टूरिज्म पर टिकी है। और ये वही Turkey है, जो भारत से तो ड्रोन पार्ट्स मंगवा रहा है, लेकिन भारत को खुले तौर पर हथियार देने से इनकार करता है। यही नहीं, शक अब गहराता जा रहा है कि क्या भारत से जो पुर्जे भेजे जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल भारत विरोधी ड्रोन बनाने में तो नहीं हो रहा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

जब भी Turkey का नाम लिया जाता है, सामने आता है एक ताकतवर, आधुनिक सैन्य राष्ट्र जो अपने ड्रोन और हथियारों के दम पर Global बाजार में जगह बना चुका है। लेकिन जब उसकी अर्थव्यवस्था की परतें खोलकर देखा जाए, तो सबसे ऊपर एक ही शब्द निकलता है—टूरिज्म। जी हां, तुर्की की सबसे बड़ी कमाई हथियारों से नहीं, बल्कि सैलानियों से होती है। 2023 में, करीब 5 करोड़ से ज्यादा विदेशी पर्यटकों ने Turkey की धरती पर कदम रखा और इसके बदले देश को 46 अरब डॉलर की आय हुई।

इस्तांबुल की ऐतिहासिक गलियां, कप्पाडोसिया के आसमान में उड़ते हॉट एयर बलून, एंटाल्या का नीला समंदर, पामुक्कले की दूधिया चट्टानें और एफेसस के खंडहर—इन सबने मिलकर Turkey को दुनिया के सबसे लोकप्रिय टूरिज़्म हब्स में बदल दिया है। कोविड के बाद जब दुनिया भर का टूरिज्म संघर्ष कर रहा था, तब Turkey ने इस सेक्टर को फिर से खड़ा किया, और अब यह उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है।

सरकार ने भी इस क्षेत्र को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी। वीजा ऑन अराइवल की सुविधा शुरू हुई, ऑनलाइन वीजा प्रक्रिया को आसान किया गया। तुर्की एयरलाइंस दुनिया के सबसे बड़े रूट नेटवर्क में से एक बन चुकी है। वहीं, मेडिकल टूरिज़्म ने तो एक नया बाजार खोल दिया है—किफायती इलाज और बेहतरीन सुविधाओं की वजह से यूरोप, एशिया और मिडिल ईस्ट से लाखों लोग इलाज के लिए Turkey जाते हैं। अस्पतालों से लेकर रिसॉर्ट्स तक, सब कुछ टूरिस्ट फ्रेंडली बना दिया गया है।

लेकिन अब आइए उस पक्ष पर, जो इस पूरे पर्यटन खेल के पीछे छिपी एक कड़वी हकीकत को उजागर करता है। दुनिया की नज़रों में जो देश टूरिस्ट्स का मक्का बन चुका है, वही देश अब भारत जैसे मित्र राष्ट्र के साथ व्यापारिक चालबाज़ी कर रहा है। 2021 में भारत ने Turkey की ड्रोन निर्माता कंपनी Zyrone Dynamics में Investment किया। उस समय तुर्की की मीडिया ने इसे “ऐतिहासिक साझेदारी” बताया। लेकिन 2024 आते-आते तस्वीर बदल गई। Turkey ने भारत से डिफेंस एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया।

सवाल ये है कि जब भारत Turkey के ड्रोन प्रोजेक्ट्स में पैसे और तकनीक से मदद कर रहा था, तब तुर्की को कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन जब बात भारत को डिफेंस सप्लाई देने की आई, तो उसने सीधा बैन लगा दिया। यही नहीं, अब जो खबरें सामने आ रही हैं, वो और भी चिंताजनक हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत जो इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स और एयरक्राफ्ट पार्ट्स तुर्की को भेज रहा है—उनका इस्तेमाल सीधे तौर पर ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग में हो रहा है।

भारत के जो उत्पाद Turkey पहुंच रहे हैं, उनमें शामिल हैं—बैटरियां, रिसीवर, वीडियो ट्रांसमीटर, एंटेना, इलेक्ट्रॉनिक स्पीड कंट्रोलर, फ्लाइट कंट्रोल मॉड्यूल, कैमरे, प्रोपेलर, मोटर, फ्रेम और कंट्रोलर। ये सभी पुर्जे आधुनिक ड्रोन का आधार होते हैं। यानी भारत एक ऐसा देश बन गया है, जो अनजाने में ही तुर्की की सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है। और यही ड्रोन पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के पास पहुंचते हैं।

अब सवाल उठता है—क्या भारत को Turkey के इस दोहरे रवैये का जवाब नहीं देना चाहिए? जहां एक ओर वह अपने देश के लिए भारतीय तकनीक का इस्तेमाल करता है, वहीं दूसरी ओर वह भारत को डिफेंस सप्लाई से इनकार करता है। भारत के लिए अब समय आ चुका है कि वह केवल टूरिज्म या व्यापारिक आंकड़ों से तुर्की को न देखे, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर ठोस कदम उठाए।

सच्चाई यह भी है कि भारत और Turkey के बीच करीब 12 अरब डॉलर का सालाना व्यापार होता है। यानी तुर्की के लिए भारत एक अहम बाजार है। और यदि भारत किसी रणनीतिक निर्णय के तहत डिफेंस-सप्लाई, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों और ट्रैवल सेक्टर में सख्ती करता है, तो तुर्की को सीधा आर्थिक झटका लगेगा। खासकर टूरिज्म, जो उसकी अर्थव्यवस्था का 12% हिस्सा है, भारत के बॉयकॉट से बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

भारत से हर साल लाखों लोग Turkey घूमने जाते हैं। ऐतिहासिक स्थलों की महिमा, सस्ता खाना, सुंदर दृश्य—सब कुछ उन्हें आकर्षित करता है। लेकिन अब जब देश की भावनाएं आहत हो रही हैं, तो सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड तक एक ही मांग उठ रही है—तुर्की का बॉयकॉट। फ्लाइट कैंसिलेशन बढ़े हैं, ट्रैवल एजेंसियों ने नए पैकेज बंद कर दिए हैं, और आम भारतीय अब पूछ रहा है—”क्या हम उस देश को पैसे दे रहे हैं, जो हमारे दुश्मन को हथियार दे रहा है?”

दूसरी तरफ भारत सरकार को भी अब एक बड़ी नीति स्पष्ट करनी होगी—क्या भारत अब भी Turkey को ‘दोस्त’ मानता है? अगर नहीं, तो क्या अब उन सभी ड्रोन-कंपोनेंट्स के Export पर रोक लगेगी, जिनका इस्तेमाल भारत विरोधी सैन्य उपकरणों में होता है? भारत को यह तय करना होगा कि उसके व्यापारिक फैसले अब सिर्फ प्रॉफिट नहीं, बल्कि सुरक्षा और आत्मसम्मान के आधार पर लिए जाएंगे।

तुर्की ने भले ही अपनी टूरिज्म और मेडिकल इंडस्ट्री को ग्लोबल लेवल पर बढ़ाया हो, लेकिन अगर वो भारत जैसे देशों को धोखा देगा, तो उसे global level पर विश्वसनीयता की कीमत चुकानी पड़ेगी। क्योंकि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है, जो Turkey के डिफेंस गेम से नाराज़ है—यूरोप, अमेरिका और ग्रीस जैसे देश भी लगातार तुर्की की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।

भारत के पास अब दो विकल्प हैं—या तो वह Turkey की इस चालबाज़ी को नजरअंदाज़ करे, और आगे भी डिफेंस तकनीक का सप्लायर बना रहे, या फिर एक स्पष्ट नीति बनाकर बताए कि भारत की तकनीक का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। और यह नीति सिर्फ Turkey ही नहीं, बल्कि सभी देशों के लिए चेतावनी होगी कि भारतीय तकनीक, Investment और ज्ञान का अपमान अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आख़िर में, एक बात तो साफ है—Turkey चाहे जितने भी पर्यटक आकर्षित कर ले, चाहे अपने समुद्र तटों को स्वर्ग बना दे, लेकिन अगर उसने भारत जैसे देश की भावनाओं का अपमान किया, तो यह टूरिज्म उसके लिए कभी स्थायी कमाई नहीं बन पाएगा। क्योंकि जिस देश की छवि गिरी हुई हो, वहाँ सैलानी नहीं, सवाल जाते हैं। और भारत अब सवाल पूछने लगा है।

Conclusion

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