Haier के साथ 17,000 करोड़ की डील! भारत में नई शुरुआत का बिगुल बजा रहे हैं सुनील मित्तल I

एक भारतीय टेलीकॉम दिग्गज, जो दशकों से मोबाइल नेटवर्क की दुनिया में राज करता रहा है, अब अचानक एक ऐसी दिशा में कदम बढ़ाता है जहां उसकी पहचान ही बदलने वाली है। ना ये टावर की बात है, ना इंटरनेट स्पीड की… बल्कि इस बार कहानी है Haier के फ्रिज, वॉशिंग मशीन और एयर कंडीशनर जैसी चीज़ों की।

और उस कहानी के केंद्र में हैं सुनील मित्तल—वो नाम जिसने भारत में मोबाइल क्रांति की शुरुआत की थी। लेकिन अब वो कर रहे हैं 17,000 करोड़ रुपये की एक ऐसी डील की तैयारी, जो सिर्फ बिजनेस नहीं—बल्कि भारत में चीन के दबदबे को एक नए एंगल से देखने की चुनौती बन सकती है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

ये खबर आई है ब्लूमबर्ग की एक विशेष रिपोर्ट में, जिसमें बताया गया कि सुनील मित्तल Haier की भारतीय यूनिट में करीब 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। ये वही Haier है जो चीन की सबसे बड़ी होम अप्लायंसेज निर्माता कंपनियों में से एक है और भारत में तेजी से अपने पैर जमा रही है। इस डील की कीमत करीब 2 अरब डॉलर यानी 17,000 करोड़ रुपये मानी जा रही है। लेकिन सवाल ये है—आखिर क्यों मित्तल, जो भारत में एयरटेल जैसे विशाल नेटवर्क के शिल्पकार हैं, अब फ्रिज और वॉशिंग मशीन में दिलचस्पी दिखा रहे हैं?

दरअसल भारत का कंज्यूमर ड्यूरेबल मार्केट—जिसमें फ्रिज, टीवी, एयर कंडीशनर, माइक्रोवेव जैसे प्रोडक्ट आते हैं—हर साल दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। गांवों में जैसे-जैसे बिजली और इंटरनेट पहुंच रहा है, वैसे-वैसे वहां के लोग भी इन सुविधाओं की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार अगले पांच सालों में यह मार्केट लाखों करोड़ का हो सकता है। और मित्तल जैसे अनुभवी बिजनेसमैन को ये बात अच्छे से समझ आ गई है कि, आने वाला युग डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्मार्ट घरेलू जीवन का भी है।

Haier के साथ इस साझेदारी में मित्तल अकेले नहीं हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डील को वो अपनी Private investment योजना के तहत अंजाम देंगे और इसमें उनके साथ, प्राइवेट इक्विटी फर्म Warburg Pincus भी शामिल होगी। लेकिन अभी इस सौदे पर अंतिम सहमति नहीं बनी है। बात चल रही है, कागज़ घूम रहे हैं, और नियामकीय मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। अगर सब कुछ सही रहा तो अगले कुछ हफ्तों में इसकी आधिकारिक घोषणा भी हो सकती है।

अब बात करते हैं उस असमंजस की जो इस डील के इर्द-गिर्द मंडरा रही है। Haier खुद इस बात पर विचार कर रही है कि वो भारत में अपनी कितनी हिस्सेदारी बेचे। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी 25 से 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के विकल्प पर विचार कर रही है। इसके लिए Haier ने पहले सिंगापुर की GIC, टेमासेक होल्डिंग्स और अबू धाबी की मुबाडाला इन्वेस्टमेंट कंपनी से भी बातचीत की थी। लेकिन अब मित्तल का नाम सामने आने के बाद इस डील को लेकर उत्सुकता और भी बढ़ गई है।

Haier का भारत और दक्षिण एशिया में कारोबार बेहद तेज़ी से बढ़ रहा है। कंपनी के ताज़ा फाइनेंशियल फाइलिंग के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में उसका रेवेन्यू 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। खास बात यह है कि Haier का साइड-बाय-साइड रेफ्रिजरेटर भारत में, 21% की मार्केट हिस्सेदारी के साथ इस सेगमेंट में दबदबा बनाए हुए है। यानी कंपनी पहले से ही भारतीय बाजार की नब्ज पहचान चुकी है, और अब मित्तल जैसे Investor के आने से उसके लिए गेम ही बदल सकता है।

यहां एक और दिलचस्प बात ये है कि इस डील को मित्तल अपनी एयरटेल जैसी कंपनियों के जरिए नहीं, बल्कि Private investment के तौर पर अंजाम देना चाहते हैं। ये इस बात का संकेत है कि वो अब अपने Investment पोर्टफोलियो को, टेलीकॉम के दायरे से बाहर निकालकर टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर गुड्स की ओर ले जा रहे हैं। दरअसल, मित्तल पहले भी समय-समय पर अलग-अलग सेक्टरों में Investment करते आए हैं—चाहे वह पेमेंट बैंक हो या सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस। और अब अगर ये डील पूरी होती है, तो यह Haier India के लिए भी एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है।

ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, सुनील मित्तल और उनके परिवार की कुल संपत्ति इस समय करीब 28 अरब डॉलर है। इतनी दौलत और अनुभव रखने वाले मित्तल को अगर किसी कंपनी में 49% हिस्सेदारी खरीदने की उत्सुकता है, तो इसका मतलब सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि भविष्य की एक बहुत बड़ी रणनीति है। हो सकता है कि आने वाले समय में Haier और मित्तल मिलकर भारत में स्मार्ट होम अप्लायंसेज की नई क्रांति लेकर आएं।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि मित्तल की ये चाल भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई दिशा दे सकती है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई स्कीम’ जैसे सरकारी प्रयासों के तहत अगर Haier अपने उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग भारत में ही करने लगे, तो ना सिर्फ रोजगार बढ़ेगा बल्कि भारत टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट का हब भी बन सकता है। और जब इस पूरी प्रक्रिया को लीड कर रहे हों सुनील मित्तल जैसे अनुभवी उद्यमी, तो भरोसा और बढ़ जाता है।

भारत के शहरों से लेकर कस्बों और गांवों तक—आज हर कोई स्मार्ट जीवनशैली अपनाने की कोशिश कर रहा है। पहले जो फ्रिज एक लग्ज़री मानी जाती थी, वो अब ज़रूरत बन चुकी है। जो वॉशिंग मशीन सिर्फ शहरों तक सीमित थी, वो अब छोटे शहरों के हर घर की शान बन चुकी है। और यही ट्रेंड मित्तल को इस सेक्टर की तरफ खींच लाया है।

अब एक नजर Haier की अब तक की भारत में मौजूदगी पर डालें। कंपनी ने 2004 में भारतीय बाजार में कदम रखा था और धीरे-धीरे LG, Whirlpool और Samsung जैसे दिग्गज ब्रांड्स के बीच अपनी जगह बना ली। आज Haier के प्रोडक्ट्स 30,000 से ज्यादा रिटेल आउटलेट्स पर उपलब्ध हैं और कंपनी की विनिर्माण इकाई ग्रेटर नोएडा में स्थित है। अगर इस Investment के बाद मित्तल Haier India में नई तकनीक, वितरण प्रणाली और डिजिटल रणनीति लेकर आते हैं, तो ये साझेदारी कई और कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है।

अब तक हमने सिर्फ आर्थिक पहलुओं की बात की… लेकिन क्या आपने सोचा है कि एक भारतीय कारोबारी का किसी चीनी कंपनी में इतना बड़ा Investment क्या सिर्फ बिजनेस है? या इसमें कोई रणनीतिक उद्देश्य भी छिपा है? आज जब भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, तो चीन पर निर्भरता को कम करने की बातें हर मंच पर हो रही हैं। ऐसे में अगर कोई भारतीय उद्यमी चीनी कंपनी में Investment करके उसे भारतीय रंग दे देता है—तो क्या ये एक तरह का आर्थिक पलटवार नहीं?

इस डील को लेकर राजनीतिक और कूटनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ सकती हैं। चीन और भारत के बीच पिछले कुछ वर्षों में कई तनावपूर्ण क्षण आए हैं, लेकिन व्यापार और Investment के स्तर पर संवाद जारी है। अगर मित्तल जैसे उद्योगपति Haier जैसी चीनी कंपनी में बड़ा दांव लगाते हैं, तो यह दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों के लिए एक नया अध्याय बन सकता है—जहां टकराव के बीच भी सहयोग की संभावनाएं देखी जा सकती हैं।

और अंत में बात उस संभावना की, जो इस डील के सफल होते ही खुल सकती है—वो है Haier के उत्पादों का ग्लोबल एक्सपोर्ट भारत से। अगर मित्तल इस डील के बाद Haier को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और भारत को उनका ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाते हैं, तो ये देश के लिए एक बड़ा आर्थिक वरदान होगा। इससे न सिर्फ रोजगार, तकनीक और व्यापार बढ़ेगा, बल्कि भारत का नाम वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित होगा।

Conclusion

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