Satish Sanpal: 1 साल की बेटी को दी 10 करोड़ की Rolls Royce! एक पिता की लग्ज़री मोहब्बत की कहानी I

एक गुलाबी रंग की चमचमाती रोल्स रॉयस, एक छोटी बच्ची की मुस्कान और एक ऐसा पिता जो अपनी बेटी के लिए पूरी दुनिया को गुलाबी रंग में रंग देना चाहता है—ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि हकीकत है। और यह हकीकत किसी और की नहीं, बल्कि दुबई में रहने वाले भारतीय मूल के करोड़पति बिजनेसमैन Satish Sanpal की है।

हाल ही में फादर्स डे पर उन्होंने अपनी महज़ एक साल की बेटी को जो तोहफ़ा दिया, उसने न केवल सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया, बल्कि हर किसी के दिल में एक ही सवाल पैदा कर दिया—आख़िर कौन हैं ये शख़्स जो अपनी बच्ची को पिंक रोल्स रॉयस गिफ्ट करता है, और उसकी सीटों पर बच्ची का नाम खुदवाता है? क्या ये सिर्फ शो-ऑफ है या इसके पीछे कोई गहरी कहानी छुपी है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

यह एक ऐसी कहानी है जो आधुनिक लग्ज़री की परिभाषा को पार करते हुए भावनात्मक रिश्तों की गहराई तक पहुंच जाती है। एक तरफ दुनिया आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है और दूसरी ओर एक पिता अपनी बेटी के लिए पूरी दुनिया को गुलाबी कर देता है। Satish Sanpal का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं। उन्होंने फादर्स डे के मौके पर अपनी बेटी इसाबेला को जो गिफ्ट दिया, वो सिर्फ एक कार नहीं, एक इमोशनल स्टेटमेंट था। रोल्स रॉयस जैसी सुपर लग्ज़री कार, जिसे इंग्लैंड में खासतौर पर इसाबेला के लिए तैयार किया गया और फिर दुबई लाया गया, वो अब इंटरनेट की सुर्ख़ियों में है।

कार का बाहरी रंग हो या अंदर की सजावट, सब कुछ गुलाबी—प्योर बेबी पिंक। सीटों पर इसाबेला का नाम लिखा हुआ है और कार के बोनट पर ‘Congratulations Isabella’ की चमचमाती पट्टी नजर आती है। इस विडियो को खुद Satish Sanpal ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया, और देखते ही देखते लाखों लोगों ने इसे देखा, शेयर किया और सवाल पूछना शुरू कर दिया। ये सिर्फ एक गिफ्ट नहीं था, यह एक पिता का अपनी बेटी से बेपनाह मोहब्बत का ऐलान था। और यही वजह है कि यह विडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया और लोग सतीश के बारे में जानने को उत्सुक हो गए।

पर यह पहली बार नहीं है जब Satish Sanpal ने बेटी के लिए अपनी मोहब्बत को इस तरह सबके सामने रखा हो। इसाबेला का पहला जन्मदिन भी कुछ कम चर्चा में नहीं रहा। फरवरी में अटलांटिस द रॉयल, दुबई में एक शानदार पार्टी का आयोजन हुआ, जिसमें बॉलीवुड की स्टार्स जैसे तमन्ना भाटिया और नोरा फतेही ने अपनी चमक बिखेरी। आतिफ असलम की आवाज़ ने इस जश्न को और खास बना दिया।

इसाबेला का जन्म 25 फरवरी को लंदन में हुआ था, और शायद तभी से उसके लिए पूरी दुनिया को खास बनाने की कोशिश शुरू हो चुकी थी। उस पार्टी में जिस तरह की भव्यता देखने को मिली, उससे साफ पता चलता है कि Satish Sanpal अपनी बेटी के हर पल को यादगार बनाना चाहते हैं। केवल बड़े स्टार्स ही नहीं, बल्कि दुबई की हाई सोसाइटी के कई जाने-माने लोग इस पार्टी में शामिल हुए थे।

सवाल उठता है—Satish Sanpal आखिर हैं कौन? और उनका ये अनोखा अंदाज क्यों सबका ध्यान खींच रहा है? दरअसल, Satish Sanpal कोई साधारण कारोबारी नहीं हैं। वह ANAX होल्डिंग के चेयरमैन हैं, जो दुबई की एक बहु-क्षेत्रीय इन्वेस्टमेंट कंपनी है। इस ग्रुप की कुल वैल्यू करीब 3 अरब डॉलर है। ANAX डेवलपमेंट्स जहां रियल एस्टेट से जुड़ी है, वहीं ANAX हॉस्पिटैलिटी का काम प्रीमियम रिसॉर्ट्स और रेस्टोरेंट्स में है।

यानी Satish Sanpal ने दुबई की बिजनेस दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रखी है—एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर, जो केवल Investment नहीं करता, बल्कि ट्रेंड सेट करता है। उन्होंने सिर्फ बिजनेस किया नहीं है, बल्कि नई सोच के साथ दुबई की स्काईलाइन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को आकार दिया है।

लेकिन यह सब रातों-रात नहीं हुआ। Satish Sanpal की कहानी बहुत पहले शुरू हुई थी—भारत में, जब वो महज़ 15 साल के थे। तभी से उन्होंने बिजनेस की बारीकियां सीखना शुरू किया। कभी शेयर मार्केट की उठा-पटक से खेला, कभी आईटी सेक्टर में कदम रखा, और फिर गोल्ड ट्रेडिंग तक पहुँच गए।

लेकिन असली टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्होंने दुबई में संभावनाओं को पहचाना और वहां जाकर ANAX होल्डिंग की नींव रख दी। तब से लेकर आज तक, उन्होंने दुबई के रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में जो नाम कमाया है, वो काबिले-तारीफ है। उन्होंने कई युवा उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है और साबित किया है कि भारतीय भी दुबई की जमीन पर अपनी एक पहचान बना सकते हैं।

Satish Sanpal केवल एक सफल बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक उदार समाजसेवी भी हैं। उन्होंने ‘Satish Sanpal फाउंडेशन’ के ज़रिए दुनिया के कई हिस्सों में ज़रूरतमंदों की मदद की है। युगांडा में पानी की समस्या हो या भारत में बेसहारा विधवाओं की सहायता—सतीश हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

उनके इस सामाजिक योगदान को सम्मानित करते हुए ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की पत्नी लेडी चेरी ब्लेयर ने उन्हें ‘लूंबा फाउंडेशन अवॉर्ड’ से नवाज़ा था। ये पुरस्कार सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि उनके जज़्बे की पहचान है। एक ऐसा जज़्बा जो यह बताता है कि सफलता सिर्फ खुद के लिए नहीं, दूसरों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए भी होनी चाहिए।

जहां एक ओर Satish Sanpal समाज सेवा के लिए जाने जाते हैं, वहीं उनकी पर्सनल लाइफ भी उतनी ही रंगीन और चर्चित है। उन्हें लग्ज़री कारों का बेहद शौक है। उनके पास एक 35 करोड़ रुपये की बुगाटी चिरोन है, जिसे उन्होंने खुद को अपने जन्मदिन पर गिफ्ट किया था।

सोचिए, एक व्यक्ति जो खुद को बुगाटी गिफ्ट करता है, वो अपनी बेटी को क्या देगा? शायद इसीलिए रोल्स रॉयस जैसी कार भी उनके लिए बेटी के प्रति प्रेम जताने का एक माध्यम भर थी, कोई चौंकाने वाला आश्चर्य नहीं। उनकी कार कलेक्शन सिर्फ उनकी संपन्नता नहीं, बल्कि उनकी पसंद और लाइफस्टाइल की झलक भी देती है।

साल 2023 में Satish Sanpal को ‘गोल्डन एक्सीलेंस अवॉर्ड’ भी मिला, जो दुबई में रियल एस्टेट क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया था। उनकी मौजूदगी हर बड़े इवेंट में दर्ज होती है, और ग्लोबल बिजनेस सर्कल में उनका नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। लेकिन उनकी असली पहचान सिर्फ इन अवॉर्ड्स से नहीं, बल्कि उनके उस विजन से बनती है, जिसके तहत वो परिवार, समाज और कारोबार तीनों को साथ लेकर चलते हैं। यही संतुलन उन्हें एक कम्प्लीट इंसान बनाता है, जो सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि इंसानियत भी कमाता है।

इसाबेला के लिए पिंक रोल्स रॉयस देना सिर्फ एक पिता का भावुक फैसला नहीं था, वो एक स्टेटमेंट था—कि एक पिता अपनी बेटी को क्या कुछ नहीं दे सकता। यह बात दुनिया के उन करोड़ों पिता के लिए भी एक प्रेरणा है, जो शायद इतने संसाधन तो नहीं जुटा पाते, लेकिन अपने बच्चों के लिए हर रोज़ सपनों की एक नई गाड़ी तैयार करते हैं। सतीश की ये कहानी केवल विलासिता की नहीं, बलिदान, संघर्ष और परिवार के प्रति समर्पण की कहानी भी है। यह उस भावना की कहानी है जिसमें एक पिता अपनी औलाद को सब कुछ देने के लिए पूरी दुनिया को बदल देना चाहता है।

सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस गिफ्ट को लेकर आलोचना भी कर रहे हैं, उन्हें यह दिखावा लग रहा है। लेकिन जब आप सतीश की पूरी यात्रा को देखेंगे—भारत से दुबई तक, संघर्ष से सफलता तक, और कारोबार से समाज सेवा तक—तो समझ आएगा कि ये एक ऐसे इंसान की कहानी है, जिसने हर पड़ाव पर खुद को साबित किया है। और अब जब उसके पास सब कुछ है, तो वो अपने सबसे प्यारे को सब कुछ देने में क्यों झिझकेगा? आलोचना करना आसान होता है, लेकिन किसी की पूरी यात्रा को समझना ही असली इंसानियत है।

Conclusion

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