नमस्कार दोस्तों, भारत में poverty तेजी से कम हो रही है। हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है। यह रिपोर्ट बताती है कि देश ने हाल के वर्षों में आर्थिक सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। खास बात यह है कि गरीबी में कमी सिर्फ शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी लोगों की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। गांवों में शहरी इलाकों के मुकाबले ज्यादा लोग poverty की दलदल से बाहर निकले हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, Financial Year 2024 में ग्रामीण क्षेत्रों में Poverty Ratio पहली बार 5% से नीचे गिरकर 4.86% पर आ गया है, जबकि पिछले वर्ष यह 7.2% था। इसी अवधि में शहरी गरीबी दर 4.6% से घटकर 4.09% पर आ गई है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार और प्रगति:
ऊपर दिए गए यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत में poverty का स्तर तेजी से घट रहा है। खासकर ग्रामीण भारत में यह गिरावट ज्यादा प्रभावशाली रही है, जो आर्थिक विकास और सरकारी नीतियों के सफल क्रियान्वयन को दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते बुनियादी ढांचे, सरकारी योजनाओं के प्रभावी Implementation और लोगों की बढ़ती Consumption Capacity ने गरीबी में इस कमी को संभव बनाया है।
बिहार का प्रभावशाली प्रदर्शन और अन्य राज्यों की स्थिति:
जब देश के राज्यों की बात आती है, तो बिहार का प्रदर्शन इस रिपोर्ट में सबसे प्रभावशाली रहा है। बिहार, जो ऐतिहासिक रूप से देश के सबसे गरीब राज्यों में गिना जाता था, अब गरीबी दर कम करने के मामले में शीर्ष प्रदर्शन कर रहा है। यह सुधार राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, और बुनियादी सुविधाओं के सुधार के कारण संभव हो पाया है। सरकार की Direct Benefit Transfer (DBT) योजनाओं और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों ने, गरीब तबके को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। राज्य के कुछ जिलों में poverty में कमी देखी गई है, लेकिन कई क्षेत्रों में अब भी विकास की गति धीमी है। पश्चिम बंगाल ने भी ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्र में सुधार के चलते गरीबी में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की है।
poverty घटने के मुख्य कारण:
ग्रामीण इलाकों में poverty में तेजी से आई इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण है ग्रामीण Consumption Capacity में वृद्धि। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की प्रति व्यक्ति monthly income और खर्च, दोनों में बढ़ोतरी देखी गई है। ग्रामीण भारत में अब परिवारों की Monthly average income ₹1,632 तक पहुंच गई है, जो कि 2011-12 में ₹816 थी। इस उल्लेखनीय वृद्धि के पीछे सरकारी योजनाओं की प्रभावी पहुंच और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार जैसे कारण शामिल हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, उज्ज्वला योजना, और ग्रामीण आवास योजना जैसी सरकारी पहलों ने गरीब तबके के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
बुनियादी ढांचे का विकास और सरकारी योजनाओं का प्रभाव:
ग्रामीण क्षेत्रों में poverty घटने का एक और मुख्य कारण बुनियादी ढांचे में सुधार है। सड़कों, बिजली, Clean Drinking Water और इंटरनेट जैसी सुविधाओं ने, ग्रामीण इलाकों को मुख्यधारा के आर्थिक विकास से जोड़ा है। पहले जहां ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित थी, अब हालात बेहतर हो रहे हैं। सरकारी स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों का विकास भी poverty कम करने में सहायक रहा है।
Direct Benefit Transfer (DBT) का महत्व
सरकारी योजनाओं का Direct Benefit Transfer (DBT) मॉडल भी poverty कम करने में क्रांतिकारी साबित हुआ है। सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के ज़रिए सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाना शुरू किया है। इससे भ्रष्टाचार में कमी आई है और लाभार्थियों को पूरा फायदा मिलने लगा है। राशन सब्सिडी, मनरेगा के भुगतान और पेंशन योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ी है, जिससे गरीबी दर में गिरावट देखी गई है।
शहरी और ग्रामीण poverty की तुलना:
हालांकि, शहरी क्षेत्रों में भी गरीबी दर में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन यह गिरावट अपेक्षाकृत धीमी रही है। Financial Year 2023 में शहरी गरीबी 4.6% थी, जो अब घटकर 4.09% हो गई है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हुई प्रगति के मुकाबले शहरी विकास धीमा है। इसकी वजह शहरी इलाकों में बढ़ती महंगाई, रोजगार की अस्थिरता और माइग्रेशन की चुनौतियां हो सकती हैं। खासतौर पर मेट्रो शहरों में प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक होने के कारण अस्थायी आर्थिक असुरक्षा बनी रहती है।
Income और Quality of Life में बदलाव
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की Income और Quality of life में अंतर तेजी से कम हो रहा है। एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार, 2009-10 में शहरों और गांवों की Monthly per capita income में 88.2% का अंतर था। यह अंतर अब घटकर 69.7% रह गया है। हालांकि यह सुधार सकारात्मक है, फिर भी शहरी क्षेत्रों में जीवन स्तर बेहतर बना हुआ है। शहरी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अधिक अवसरों के कारण आर्थिक असमानता अभी भी बनी हुई है।
SBI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी और ग्रामीण poverty की गणना के लिए एक Fixed monthly expense निर्धारित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्ति की monthly income ₹1,632 मानी गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह ₹1,944 निर्धारित की गई है। 2011-12 में यह आंकड़ा ₹816 और ₹1,000 था। इन आंकड़ों में लगभग दोगुनी वृद्धि poverty में कमी और जीवन स्तर में सुधार को दर्शाती है।
गरीबी में कमी के बावजूद चुनौतियाँ:
भारत में घटती poverty के ये आंकड़े निश्चित रूप से उत्साहजनक हैं। लेकिन अभी भी कुछ चुनौतियां बरकरार हैं। खासकर शहरी क्षेत्रों में महंगाई, प्रवासी मजदूरों की आर्थिक असुरक्षा और शहरी स्लम एरिया में जीवन स्तर को सुधारने की आवश्यकता बनी हुई है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक सुधारों को सतत बनाए रखने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और Skill Development पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
गरीबी मुक्त भारत की ओर अग्रसर:
भारत में poverty कम होने की यह सकारात्मक तस्वीर दिखाती है कि सही नीतियों, योजनाओं और पारदर्शिता के साथ, आर्थिक विकास को व्यापक और समावेशी बनाया जा सकता है। देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सुधार के लिए अभी भी कई प्रयासों की जरूरत है, लेकिन यह साफ है कि भारत तेजी से एक आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
Conclusion
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