कल्पना कीजिए… एक ज़मीन जो हिमालय की बर्फीली चोटियों के बीच छुपी हो, जहां बहती नदियां सिर्फ जीवन नहीं, बल्कि समृद्धि का वादा करती हों। एक इलाका जो सिर्फ अपने खूबसूरत पहाड़ों और घाटियों के लिए नहीं, बल्कि अपने पेट के नीचे छुपे खजाने के लिए भी अनमोल हो। लेकिन आज वह धरती संघर्ष, खून-खराबे और विवाद की जंजीरों में जकड़ी हुई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी POK की।
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाक तनाव को हवा दे दी। इस हमले ने न सिर्फ जिंदगियां छीनीं, बल्कि इस सवाल को भी फिर से ज़ोरदार बना दिया—आखिर वह जमीन, जो कानूनी और ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा है, उसके भीतर क्या-क्या संभावनाएं दबी पड़ी हैं? और अगर एक दिन वह वापस भारत के नक्शे में शामिल होती है, तो क्या-क्या खजाने खुल सकते हैं? यह सवाल अब केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से भी जबरदस्त महत्व रखता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
सबसे पहले बात करते हैं कि POK आखिर कितना बड़ा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर लगभग 13,297 वर्ग मील यानी 34,639 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह इलाका हिमालय पर्वतमाला के पश्चिमी हिस्से में स्थित है और इसकी सीमाएं भारत, चीन और अफगानिस्तान से मिलती हैं। राजधानी मुजफ्फराबाद है और क्षेत्र प्रशासनिक रूप से दस जिलों में बंटा हुआ है। यहां की जनसंख्या मुख्य रूप से मुस्लिम है और स्थानीय भाषाओं में उर्दू और कश्मीरी प्रमुख हैं। लेकिन इस भूभाग का महत्व केवल इसके भूगोल तक सीमित नहीं है। इसका सामरिक स्थान, इसकी जलवायु, इसकी प्राकृतिक संपदा और इसकी रणनीतिक लोकेशन इसे दक्षिण एशिया की राजनीति और भू-आर्थिक समीकरण में बेहद महत्वपूर्ण बना देती है।
अब बात करते हैं नदियों की। क्या आपको पता है कि पाकिस्तान को जो भी पानी मिलता है, वह भारत से ही बहकर जाता है? सबसे बड़ी नदी है सिंधु यानी इंडस। यह नदी मानसरोवर झील के पास से निकलती है, लद्दाख होते हुए गिलगित और बाल्टिस्तान से होकर गुजरती है और फिर पूरे पाकिस्तान को जीवन देती हुई अरब सागर में समा जाती है। इसके अलावा चिनाब और झेलम नदियां भी भारत से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं।
पंजाब से तीन अन्य नदियां—रावी, व्यास और सतलुज भी पाकिस्तान जाती हैं। यानी पानी की असली चाबी भारत के हाथ में है, और POK इस पूरे जल-परिसंचरण में एक बेहद अहम कड़ी है। अगर इन जलधाराओं पर भारत का पूर्ण नियंत्रण होता, तो न केवल अपने देश की जल जरूरतें पूरी हो सकती थीं, बल्कि पाकिस्तान पर भी एक स्थायी रणनीतिक दबाव बनाया जा सकता था। जल संसाधनों के जरिए Regional balance of power बदलने की अपार क्षमता इसी क्षेत्र में छुपी हुई है।
खासतौर पर POK में मुख्य रूप से सिंधु नदी बहती है। यह नदी तिब्बत से निकलती है और भारत के लद्दाख से होकर गिलगित-बाल्टिस्तान में प्रवेश करती है। श्योक नदी, जो सिंधु की एक प्रमुख सहायक है, भी इसी क्षेत्र से होकर बहती है। झेलम नदी, जो कश्मीर की घाटी की लाइफलाइन कही जाती है, भी इसी विवादित इलाके से बहती है।
अब सोचिए, अगर ये नदियां नियंत्रित रूप से भारत के तहत आ जाएं, तो न सिर्फ भारत की सिंचाई, पीने के पानी और ऊर्जा ज़रूरतों में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है, बल्कि पाकिस्तान पर भी एक बड़ा जल-राजनीतिक दबाव बन सकता है। साथ ही, भारत के हाइड्रोपावर सेक्टर को भी एक नई ऊंचाई मिल सकती है, जिससे न सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक बिजली पहुंचेगी, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता का सपना भी पूरा हो सकता है।
लेकिन POK की अहमियत सिर्फ पानी तक सीमित नहीं है। इस क्षेत्र के भीतर अनगिनत खजाने भी छुपे हुए हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान और आजाद कश्मीर के इलाकों में रत्न, संगमरमर और कई अन्य बहुमूल्य खनिज मिलते हैं। गिलगित के रत्न पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
रंग-बिरंगे नीलम, पुखराज और माणिक यहां की धरती से निकाले जाते हैं। संगमरमर की खानें भी इस क्षेत्र को बहुमूल्य बनाती हैं, जो न केवल स्थानीय निर्माण कार्यों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय Export के लिए भी इस्तेमाल होती हैं। इसके अलावा, सोना, चांदी और दुर्लभ धातुएं भी इस क्षेत्र की छुपी संपदा का हिस्सा हैं, जिनका उपयोग रक्षा, स्पेस रिसर्च और हाई-टेक इंडस्ट्री में हो सकता है।
इसके अलावा कोयला, चूना पत्थर और अन्य बहुमूल्य खनिज भी इस क्षेत्र की संपदा में शामिल हैं। मिट्टी के खनिजों से लेकर धात्विक खनिजों तक, POK की जमीन समृद्धि का एक विशाल भंडार है। अगर भारत को यह क्षेत्र फिर से हासिल होता है, तो न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ सकती है, बल्कि उद्योगों के लिए भी कच्चे माल का नया स्रोत मिल सकता है। इससे भारत की माइनिंग इंडस्ट्री को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार सृजित होंगे। इससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी और क्षेत्रीय असंतुलन को भी संतुलित किया जा सकेगा।
अब जरा वहां की अर्थव्यवस्था पर एक नजर डालते हैं। साल 2022 में POK की जीडीपी करीब 550 करोड़ रुपये यानी लगभग 660 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी। प्रति व्यक्ति आय लगभग 1,26,000 रुपये यानी 1,512 डॉलर थी। यह आय भारत के औसत के मुकाबले काफी कम है।
वहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः खेती पर आधारित है और विदेशों में बसे कश्मीरियों द्वारा भेजे गए पैसों पर निर्भर है। उद्योग और सेवाओं का योगदान अभी भी सीमित है। अगर यह क्षेत्र भारत में समाहित हो जाए, तो वहां बुनियादी ढांचे का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंडस्ट्रीलाइजेशन के जरिए प्रति व्यक्ति आय में कई गुना वृद्धि की जा सकती है। यह न केवल स्थानीय जीवन स्तर को सुधार सकता है, बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के आर्थिक पुनरुत्थान का भी आधार बन सकता है।
पर्यटन के लिहाज से भी POK स्वर्ग बन सकता है। गिलगित, हुंजा घाटी, स्कार्दू, और बर्फ से ढकी चोटियां अगर सुरक्षित और विकसित हों, तो भारत के भीतर एक और स्विट्जरलैंड बन सकता है।
ट्रैकिंग, एडवेंचर टूरिज्म, स्कीइंग, रिवर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों से न केवल स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि देश को अरबों डॉलर का Tourism revenue भी मिल सकता है। इन क्षेत्रों का global level पर ब्रांडिंग कर भारत अंतरराष्ट्रीय टूरिज्म मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है, जिससे foreign currency reserves भी मजबूत होगा।
इसके साथ ही सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स लगाए जा सकते हैं, जिससे ऊर्जा संकट को काफी हद तक हल किया जा सकता है। पहले से ही चिनाब और झेलम पर भारत द्वारा कई प्रोजेक्ट्स बनाए जा रहे हैं, लेकिन अगर पूरा जल स्रोत भारत के नियंत्रण में आ जाए, तो आने वाले दशकों में भारत Hydropower generation में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचेगी, बल्कि उद्योगों को सस्ती ऊर्जा मिल सकेगी, जिससे भारत की Manufacturing cost भी Global competition में काफी कम होगी।
सिर्फ खनिज, जल और पर्यटन ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी POK का भारत के पास होना बेहद महत्वपूर्ण है। गिलगित-बाल्टिस्तान चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) का अहम हिस्सा है। अगर यह इलाका भारत के नियंत्रण में आता है, तो चीन और पाकिस्तान के बीच की सीधी कनेक्टिविटी टूट सकती है। यानी भारत को रणनीतिक बढ़त भी मिल सकती है, जो उसे न सिर्फ अपने दुश्मनों पर दबाव बनाने में मदद करेगी, बल्कि मध्य एशिया तक अपने व्यापारिक मार्ग खोलने में भी सहायता करेगी। इससे भारत को यूरोप और रूस तक आसान, सस्ता और सुरक्षित भूमि मार्ग मिल सकता है, जो भू-राजनीतिक दृष्टि से भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
तो कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो POK महज एक जमीन का टुकड़ा नहीं है। यह पानी का खजाना है, खनिज का भंडार है, ऊर्जा का स्रोत है, पर्यटन का स्वर्ग है और रणनीतिक शक्ति का केंद्र है। यह वह धरती है जो अगर सही मायनों में भारत के नक्शे में शामिल होती है, तो न सिर्फ जम्मू-कश्मीर की कायापलट हो सकती है, बल्कि पूरे भारत का भविष्य एक नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है।
Conclusion
अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”