P&G Leadership Milestone: अब भारतीय शैलेश जेजुरिकर के हाथ में ऐतिहासिक बागडोर I 2025

अगर किसी ने आपसे कुछ साल पहले कहा होता कि एक भारतीय उस अमेरिकी ब्रांड का CEO बनने वाला है, जिसके उत्पाद भारत के हर घर में पाए जाते हैं, तो शायद आप मुस्कुरा कर टाल देते। लेकिन आज ये सपना नहीं, हकीकत है। वो कंपनी जिसका नाम Tide, Pampers, Ariel और Gillette जैसे भरोसेमंद Products से जुड़ा है—उसकी कमान अब एक भारतीय संभालने जा रहा है।

और यही वो पल है जिसने हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। 187 साल की विदेशी विरासत को अब भारतीय नेतृत्व का स्वाद मिलने जा रहा है। सवाल है—कैसे पहुंचा एक मध्यवर्गीय भारतीय, दुनिया की सबसे बड़ी कंज़्यूमर गुड्स कंपनियों में से एक के शीर्ष पद तक? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

यह कहानी है शैलेश जेजुरिकर की। एक साधारण शुरुआत से शुरू होकर, असाधारण मुकाम तक पहुंचने की। P&G जैसी विशाल बहुराष्ट्रीय कंपनी में, जहां हर फैसला करोड़ों उपभोक्ताओं को प्रभावित करता है, वहां CEO की कुर्सी तक पहुंचना किसी मिशन से कम नहीं। शैलेश ने 1989 में कंपनी में कदम रखा था। उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यही युवा एक दिन कंपनी का सबसे बड़ा निर्णयकर्ता बनेगा। लेकिन सपनों में भरोसा रखने वाले लोग किस्मत के भरोसे नहीं बैठते—वे उसे गढ़ते हैं।

शैलेश जेजुरिकर ने शुरुआती सालों में जमीनी कामों से शुरुआत की। वे कंपनी के फैब्रिक केयर डिवीजन में जुड़े और धीरे-धीरे अपनी समझ, Innovation और नेतृत्व कौशल के दम पर बड़े-बड़े बिज़नेस यूनिट्स को संभालने लगे। उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि अमेरिका, यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका में कंपनी की रणनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2014 से वे P&G की ग्लोबल लीडरशिप टीम का हिस्सा बने और COO के तौर पर हर फैसले में उनकी छाप देखने को मिली।

किसी भी बड़े संगठन में केवल मेहनत ही नहीं, दृष्टिकोण और समय की नब्ज पकड़ने की कला भी ज़रूरी होती है। और यही शैलेश की सबसे बड़ी ताकत थी। उन्होंने उपभोक्ताओं के बदलते व्यवहार को समझा, डेटा और इनोवेशन को अपनाया, और कंपनी को एक स्थिर, लाभकारी दिशा में ले जाने में अहम भूमिका निभाई। आज P&G की बिक्री 84 अरब डॉलर के पार है और इसकी जड़ें 70 से अधिक देशों में फैली हैं। लेकिन इस सफलता के पीछे जो कंधे हैं, उनमें से एक अब भारतीय है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि शैलेश अकेले ऐसे नहीं हैं, जिनका नाम भारतीय कॉर्पोरेट जगत में चमकता है। उनके भाई राजेश जेजुरिकर भी महिंद्रा एंड महिंद्रा में CEO हैं। एक भाई अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी का चेहरा बना, तो दूसरा भारत की प्रतिष्ठित ऑटो कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। यह केवल पारिवारिक सफलता नहीं, बल्कि उस भारत की कहानी है, जो अब नेतृत्व देने वाला देश बन रहा है—सिर्फ श्रमिक या उपभोक्ता नहीं।

शैलेश की यह नियुक्ति उस समय हुई है, जब पूरी दुनिया के लिए कारोबारी माहौल अस्थिर है। अमेरिकी टैरिफ नीतियों ने exporters की कमर तोड़ दी है, स्थानीय ब्रांड्स ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर देनी शुरू कर दी है, और उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं तेजी से बदल रही हैं। ऐसे कठिन समय में P&G के बोर्ड ने एक भारतीय पर भरोसा जताया है। यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि भारत की प्रतिभा को मिला एक वैश्विक प्रमाण पत्र है।

P&G के लीड डायरेक्टर जो जिमेनेज़ ने कहा, “जॉन मोलर ने कंपनी को बेहतरीन नेतृत्व दिया, लेकिन अब समय है कि कमान शैलेश को सौंपी जाए। उन्होंने जिस मजबूत नींव को तैयार किया है, उस पर अब कंपनी आगे बढ़ेगी।” यही नहीं, शैलेश को अक्टूबर 2025 की सालाना शेयरहोल्डर मीटिंग में Director पद के लिए भी नामांकित किया गया है। यानी अब वह सिर्फ CEO नहीं, बल्कि बोर्ड के सदस्य भी बनेंगे। यह दोहरी ज़िम्मेदारी उन्हें कंपनी की नीति और दिशा तय करने में व्यापक अधिकार देगी।

भारत में P&G एक ऐसा नाम है, जिसे हर घर पहचानता है। Whisper, Ariel, Pampers, Head & Shoulders, Gillette—हर वर्ग, हर उम्र के लोगों के लिए कुछ न कुछ है इस कंपनी के पास। और अब, जब एक भारतीय ही इस कंपनी की कमान संभालेंगे, तो भारतीय बाजार को समझने, उसकी नब्ज पकड़ने और उसकी ज़रूरतों के अनुसार Innovation करने की उम्मीद और बढ़ गई है। यह भारतीय उपभोक्ताओं के लिए भी गर्व की बात है कि अब उनका प्रतिनिधित्व उस कुर्सी पर है, जहां से फैसले लिए जाते हैं।

अगर आप भारत के विकास को देखना चाहते हैं, तो आपको सिर्फ आर्थिक ग्रोथ या इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं देखना चाहिए—बल्कि यह देखना चाहिए कि अब भारत केवल एक बाजार नहीं, बल्कि ग्लोबल नेतृत्व का स्रोत बन रहा है। Microsoft, Google, IBM, Adobe जैसी कंपनियों के बाद अब P&G जैसे उपभोक्ता साम्राज्य का नेतृत्व भी भारतीय हाथों में है। ये वो संकेत हैं जो बताते हैं कि भारत की प्रतिभा अब दुनिया को दिशा दे रही है।

शैलेश जेजुरिकर की इस सफलता की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने कभी अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा। IIM लखनऊ से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने भारत और विदेश—दोनों जगह काम किया, लेकिन भारतीय सोच, अनुशासन और मेहनत को कभी खोने नहीं दिया। उनके लिए नेतृत्व का मतलब केवल टॉप पर बैठना नहीं है, बल्कि पूरी टीम को साथ लेकर आगे बढ़ना है। यही कारण है कि वे जहां भी गए, वहां टीम की परफॉर्मेंस और इनोवेशन दोनों में सुधार दिखा।

अब सवाल यह है कि शैलेश के सामने क्या चुनौतियां होंगी? सबसे पहली चुनौती तो यह है कि P&G को एक ऐसे दौर में स्थिरता और वृद्धि दोनों के साथ आगे ले जाना है, जब उपभोक्ता तेजी से बदल रहे हैं। लोग अब सिर्फ ब्रांड नहीं, वैल्यू और ट्रस्ट देखना चाहते हैं। ऐसे में शैलेश का ध्यान प्रोडक्ट इनोवेशन, डिजिटल मार्केटिंग, और सस्टेनेबिलिटी पर रहेगा। साथ ही, उन्हें उन देशों पर भी फोकस करना होगा, जहां P&G की मौजूदगी कमज़ोर है।

इसके अलावा, उन्हें आंतरिक टीम का मनोबल ऊंचा रखना होगा। किसी भी बड़ी नियुक्ति के बाद संगठन के भीतर अस्थिरता या अनिश्चितता का माहौल बन सकता है। लेकिन शैलेश की खासियत यही है कि वे हर फैसले में टीम को साथ लेते हैं, संवाद करते हैं, और भविष्य की स्पष्ट दिशा तय करते हैं। यही कारण है कि बोर्ड और टीम—दोनों ने उन्हें सर्वसम्मति से अगला CEO चुना।

इस पूरी कहानी में एक और बात ध्यान देने वाली है—विश्वास। किसी संगठन के लिए सबसे कठिन निर्णयों में से एक होता है—लीडरशिप का ट्रांज़िशन। लेकिन जब वह जिम्मेदारी किसी ऐसे व्यक्ति को दी जाती है जिसने कंपनी के हर हिस्से को जाना, समझा और संवारा हो—तो वह निर्णय संगठन के लिए वरदान बन जाता है। P&G ने वही किया है, और अब पूरी दुनिया देखेगी कि एक भारतीय इस विरासत को कैसे नया रूप देता है।

यह केवल शैलेश की नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं की कहानी है जो हर रोज़ एक नई शुरुआत करने का सपना देखते हैं। यह उन माता-पिता के संघर्षों की गवाही है, जिन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा दी, उन्हें अवसर दिए और खुद एक कदम पीछे हट गए ताकि उनके बच्चे आगे बढ़ सकें। और यह उस भारत की जीत है, जो कभी केवल पश्चिम की तकनीक और मैनेजमेंट की नकल करता था, लेकिन आज दुनिया को लीड करने के लिए तैयार खड़ा है।

तो अगली बार जब आप अपने घर में Tide या Gillette का इस्तेमाल करें, तो एक बार उस व्यक्ति को याद कीजिएगा जो अब इस पूरी कंपनी का नेतृत्व कर रहा है—एक भारतीय, जिसने यह दिखा दिया कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और विज़न से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। क्योंकि अब Procter & Gamble की गूंज सिर्फ अमेरिका में नहीं, भारत की ज़मीन से भी सुनाई देगी।

Conclusion

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