क्या आपने कभी सोचा है कि एक हीरा आपकी पूरी अर्थव्यवस्था को तोड़ सकता है? एक चमकदार पत्थर, जो रिश्तों की मिठास का प्रतीक होता है, वो कैसे लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है? यह कहानी सिर्फ एक बैंक घोटाले की नहीं है—यह कहानी है एक पूरी व्यवस्था को ठगने की, एक साजिश की जो सालों तक चुपचाप चलती रही और एक दिन सामने आई तो पूरे देश को हिला दिया। हम बात कर रहे हैं Mehul Choksi की—एक ऐसा नाम जो कभी हीरा कारोबार की चमक में डूबा था और अब सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी के अंधेरे में फंसा है।
12 अप्रैल को बेल्जियम में गिरफ्तार किए गए Mehul Choksi की कहानी आसान नहीं है। वह सिर्फ भारत का ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धोखाधड़ी के मामलों में सबसे चर्चित नाम बन चुका है। पंजाब नेशनल बैंक को 13,500 करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले इस भगोड़े व्यापारी को आखिरकार अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया गया। भारतीय एजेंसियां—CBI और E D—अब उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में जुट चुकी हैं। लेकिन इस मोड़ तक पहुंचने के लिए जो रास्ता तय हुआ, वो बेहद पेचीदा, अंतरराष्ट्रीय साजिशों और कानूनी पेचों से भरा रहा। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
जनवरी 2018 में जब यह मामला पहली बार सामने आया, तो शुरुआत सिर्फ 280 करोड़ रुपये के एक फ्रॉड से हुई थी। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, बैंक रिकॉर्ड खंगाले गए, और लेन-देन की परतें खुलीं—तो मामला 13,500 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा। CBI ने 30 जनवरी को F I R दर्ज की और Mehul Choksi और उसके भांजे नीरव मोदी को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड घोषित किया। दोनों ने मिलकर पीएनबी की मुंबई ब्रेडी हाउस ब्रांच को करोड़ों की चपत लगाई थी, और यह सब इतनी सफाई से किया गया कि बैंक को वर्षों तक शक तक नहीं हुआ।
अब सवाल उठता है—आखिर ये स्कैम हुआ कैसे? क्या बैंक की लापरवाही थी, या ये पूरी तरह साजिश थी? दरअसल, इस घोटाले की जड़ में है “लेटर ऑफ अंडरटेकिंग” जब कोई व्यापारी विदेश से सामान मंगाना चाहता है और उसके पास उस वक्त पैसे नहीं होते, तो वह अपने देश के बैंक से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग लेकर विदेश के बैंक से लोन लेता है। लेकिन इस प्रक्रिया में बैंक को गारंटी के तौर पर सिक्योरिटी जमा करनी होती है। यहीं पर Mehul Choksi और नीरव मोदी ने खेल किया। उन्होंने बैंक के अधिकारियों को मिला लिया और बिना सिक्योरिटी के लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करवाने लगे।
ये लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी होते रहे, विदेशी बैंकों से पैसा आता रहा, और पीएनबी के पास इनका कोई रिकॉर्ड तक नहीं रखा गया। कर्मचारियों ने जानबूझकर सिस्टम में इन एंट्रीज़ को अपडेट नहीं किया, ताकि कोई जांच न हो। यह साजिश साल 2011 से चल रही थी। जब नीरव मोदी को यकीन हो गया कि सिस्टम को आसानी से झांसा दिया जा सकता है, तब उसने कई फर्जी कंपनियां बनाईं और खराब क्वालिटी के हीरों की वैल्यू बढ़ाकर उन्हें विदेशों में भेजने लगा। बदले में बैंक से लोन लिया जाता रहा। और जब तक किसी को शक होता, अरबों रुपये का खेल खेला जा चुका था।
इस घोटाले ने PNB की कमर तोड़ दी। एक वक्त देश के सबसे भरोसेमंद सरकारी बैंकों में गिने जाने वाले पंजाब नेशनल बैंक की आर्थिक सेहत बुरी तरह से चरमरा गई। बैंक को दो साल तक लगातार घाटा झेलना पड़ा। वित्त वर्ष 2019 में पीएनबी को 10,026 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। ग्राहकों का भरोसा डगमगाया, Investors ने स्टॉक बाजार में शेयर बेचे और सरकार को इस बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाने पड़े। इस घोटाले का प्रभाव पूरे बैंकिंग सिस्टम पर पड़ा, और इसने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी धक्का पहुंचाया।
लेकिन यह घोटाला सामने आने से पहले ही Mehul Choksi फरार हो चुका था। मई 2018 में वह एंटीगुआ भाग गया। वहां फर्जी दस्तावेजों के दम पर उसने नागरिकता हासिल कर ली। भारतीय एजेंसियों को जब इसकी भनक लगी, तब तक वह वहां सुरक्षित था। लेकिन 23 मई 2021 को वह अचानक अपने एंटीगुआ वाले घर से गायब हो गया। बाद में पता चला कि वह नाव के जरिए क्यूबा भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन रास्ते में डोमिनिका में पकड़ा गया।
यहां से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय स्तर का कानूनी खेल। डोमिनिका, एंटीगुआ और भारत के बीच आरोप-प्रत्यारोप और दस्तावेजों का सिलसिला शुरू हुआ। भारत उसे वापस लाना चाहता था, लेकिन Mehul Choksi ने दावा किया कि उसे अगवा किया गया है। उसकी मेडिकल रिपोर्ट्स, सुरक्षा दावे, कानूनी अपीलें—सब कुछ सामने आने लगी। अंततः कानूनी तकनीकियों के चलते वह फिर छूट गया। फिर उसने बेल्जियम में अपनी पत्नी के जरिए नागरिकता लेने की कोशिश की, और आखिरकार वहीं पर जाकर बस गया।
अब उसकी गिरफ्तारी के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या उसे भारत लाया जा सकेगा? भारत और बेल्जियम के बीच 2020 से प्रत्यर्पण संधि है, जिसमें गंभीर अपराधों के मामले में एक-दूसरे को अपराधी सौंपने का प्रावधान है। लेकिन इसमें एक बड़ी चुनौती है—अगर किसी व्यक्ति के पास उस देश की नागरिकता है, तो वह देश उसे सौंपने से इनकार कर सकता है। और Mehul Choksi की पत्नी बेल्जियम की नागरिक हैं, इसलिए उसने वहां की स्थायी नागरिकता हासिल कर ली है।
संधि में कुछ शर्तें भी हैं—जैसे अगर अपराध “राजनीतिक” हो, या अगर किसी विशेष धर्म, जाति या विचारधारा के आधार पर बदला लिया जा रहा हो, तो प्रत्यर्पण रोका जा सकता है। Mehul Choksi यही दलील देगा कि भारत में उसके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक प्रेरित है। इसके अलावा, वह यूरोप के सबसे महंगे वकीलों को हायर कर चुका है, और इस पूरी प्रक्रिया को लंबा खींचने की कोशिश करेगा, जैसा कि विजय माल्या और नीरव मोदी कर चुके हैं।
CBI और E D को अब मजबूत दस्तावेजी प्रमाण और अंतरराष्ट्रीय दबाव के साथ इस मामले को लड़ना होगा। उन्हें यह साबित करना होगा कि यह सिर्फ आर्थिक अपराध है, और इसके पीछे कोई राजनीतिक बदला नहीं है। भारत की तरफ से जबरदस्त कूटनीतिक प्रयास भी जरूरी होंगे ताकि बेल्जियम की सरकार को भरोसा दिलाया जा सके कि, Mehul Choksi को निष्पक्ष मुकदमा मिलेगा और उसके साथ कोई अन्याय नहीं होगा।
वहीं दूसरी ओर, नीरव मोदी की बात करें तो वह फिलहाल ब्रिटेन की जेल में है। वहां का गृह मंत्रालय उसके प्रत्यर्पण को पहले ही मंजूरी दे चुका है, लेकिन नीरव मोदी ने हाईकोर्ट में अपील की है। वह भी वही रणनीति अपना रहा है—कानूनी पेचों में भारत की प्रक्रिया को उलझाना और जितना संभव हो उतना समय निकालना। लेकिन अगर Mehul Choksi को भारत लाने में कामयाबी मिलती है, तो यह भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी जीत होगी, और यह उन सभी आर्थिक अपराधियों के लिए संदेश होगा जो विदेश भागकर खुद को सुरक्षित मानते हैं।
आज जब भारत तेजी से ग्लोबल इकोनॉमी में आगे बढ़ रहा है, जब देश Investors को आकर्षित करना चाहता है, तो ऐसे मामलों में न्याय का समय पर होना जरूरी है। यह न सिर्फ कानून का सम्मान है, बल्कि नागरिकों के विश्वास को बहाल करने का माध्यम भी है। जिस तरह से एक Mehul Choksi ने 13,500 करोड़ रुपये उड़ाकर बैंकिंग सिस्टम को झकझोरा, वह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस हद तक सिस्टम की कमजोरियों को नजरअंदाज करते रहे।
अब देश की नजरें इस पर हैं कि क्या यह भगोड़ा हीरा कारोबारी, जो सालों से सिस्टम की आंखों में धूल झोंकता रहा, अब वाकई कानून के सामने खड़ा होगा या फिर एक बार फिर कानूनी सुरंग में खो जाएगा।
Conclusion
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