Easy Registry से आसान हुआ प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन: पंजाब में शुरू हुआ डिजिटल क्रांति का नया दौर! 2025

सोचिए, आपने जिंदगी भर की कमाई से एक छोटा सा प्लॉट या मकान खरीदा है। आप खुश हैं कि अब रजिस्ट्री कराकर मालिकाना हक अपने नाम कर लेंगे। लेकिन असली जंग तो अब शुरू होती है—कभी तहसीलदार नहीं मिलते, कभी दस्तावेज अधूरे बताए जाते हैं, और कभी एक नाम की स्पेलिंग मिस्टेक सुधारने में सालों लग जाते हैं। दलालों के बिना तो रजिस्ट्री जैसे नामुमकिन हो जाती है।

लेकिन अब पंजाब सरकार ने इस पुरानी व्यवस्था पर सीधा वार किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक ऐसे सिस्टम की शुरुआत की है जो इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बना देगा—नाम है ‘Easy Registry’। अब यह सिर्फ एक तकनीकी पहल नहीं, बल्कि दशकों पुराने भ्रष्ट और जटिल सिस्टम के खिलाफ एक निर्णायक हमला है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि पंजाब के मोहाली से Easy Registry की शुरुआत की गई है, लेकिन सरकार की योजना है कि इसे 15 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक पूरे राज्य में लागू कर दिया जाए। मुख्यमंत्री भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल खुद इसके उद्घाटन में मौजूद थे और उन्होंने इसे पंजाब के लिए ऐतिहासिक कदम बताया। अब रजिस्ट्री का पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होगा—ड्राफ्ट तैयार करना, खसरा नंबर देखना, फीस चुकाना और ऑब्जेक्शन फाइल करना—all in one portal! अब किसी को भी तहसील के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, ना ही रिश्वत देने की नौबत आएगी। यह सिस्टम न सिर्फ समय की बचत करेगा बल्कि आम आदमी को सरकारी प्रक्रियाओं के डर और अपारदर्शिता से भी आज़ादी देगा।

Easy Registry को लेकर सबसे बड़ी राहत यह है कि यह पूरे सिस्टम को ऑटोमेटेड और ट्रांसपेरेंट बना देता है। सीएम भगवंत मान के मुताबिक, अब किसी भी रजिस्ट्री पर सिर्फ 48 घंटे के भीतर सब-रजिस्ट्रार को ऑब्जेक्शन दर्ज करना होगा—और वो भी पोर्टल पर मौजूद Standards के आधार पर। अगर 48 घंटे में कोई आपत्ति नहीं आई, तो रजिस्ट्री को स्वीकृत माना जाएगा।

यानी अब रजिस्ट्री को अनावश्यक रूप से लंबित नहीं रखा जा सकेगा, और ना ही किसी अधिकारी को मनमानी करने का अवसर मिलेगा। इससे भ्रष्टाचार की जड़ पर गहरी चोट पहुंचेगी और आम लोगों को पहली बार रजिस्ट्री प्रक्रिया में वास्तविक नियंत्रण मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि पहले एक छोटी सी गलती—जैसे नाम में एक अक्षर की गलती—सुधारने में 10 साल लग जाते थे। इस सिस्टम से यह सब खत्म हो जाएगा। साथ ही, गलत या फर्जी रजिस्ट्री की पहचान के लिए भी पोर्टल में विशेष फीचर जोड़ा गया है। अब अगर कोई रजिस्ट्री फर्जी पाई जाती है, तो संबंधित डिप्टी रजिस्ट्रार को सीधे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यानी यह सिस्टम केवल उपयोगकर्ता को नहीं, अधिकारियों को भी जवाबदेह बनाता है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ता और जनता के बीच तकनीक एक पारदर्शी पुल की तरह काम कर रही है।

अरविंद केजरीवाल ने भी इसे पूरे देश के लिए एक मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी प्रॉपर्टी रजिस्ट्री का सिस्टम अंग्रेजों के जमाने जैसा ही है। टाइपिंग से लेकर दस्तावेजों की जांच और मंजूरी तक हर चीज में समय लगता है और हर कदम पर भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है। दलाल बाकायदा पैकेज बनाकर लोगों से पैसे वसूलते हैं और बिना पैकेज के तो एक नहीं, सौ गलतियां निकाल दी जाती हैं। सिस्टम का यह बकवास ढांचा अब पहली बार एक राज्य ने हटाने की हिम्मत दिखाई है और पंजाब इस डिजिटल बदलाव का केंद्र बनकर उभरा है।

Easy Registry के ज़रिए अब इन सब पर लगाम लगेगी। अब यूज़र पोर्टल पर जाकर खसरा नंबर डालकर जमीन की जानकारी देख सकेगा, और फीस कितनी है, यह भी स्पष्ट होगा। दस्तावेज व्हाट्सएप पर भेजे जा सकेंगे, और कोई ऑब्जेक्शन सिर्फ उसी समय और उसी आधार पर दर्ज होगा, जो पहले से सिस्टम में दर्ज हैं। कोई अधिकारी मनमर्जी नहीं कर पाएगा। यानी, यह सिर्फ डिजिटलीकरण नहीं है, बल्कि पूरी प्रशासनिक मानसिकता को झकझोर देने वाला बदलाव है जिसमें आम आदमी को पूरी प्रक्रिया पर डिजिटल अधिकार मिलता है।

इतना ही नहीं, अगर तहसीलदार गलत ऑब्जेक्शन लगाता है, तो पोर्टल के माध्यम से उसकी शिकायत सीधे डीसी तक पहुंचाई जा सकती है। जांच में गलती साबित होने पर तहसीलदार को तत्काल सस्पेंड किया जाएगा। यानी अब सिर्फ आम आदमी नहीं, अधिकारी भी सिस्टम के प्रति जवाबदेह होंगे। ये एक ऐसी प्रणाली है जो न केवल जवाबदेही तय करती है बल्कि सत्ता और प्रशासन के भीतर पारदर्शिता की एक नई परिभाषा गढ़ती है। यह प्रणाली भारतीय लोकतंत्र की कार्यशैली को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है।

सीएम भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली में यह सिस्टम लागू करने की कोशिश की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार के नियंत्रण के कारण यह संभव नहीं हो पाया। पंजाब में अब इसे पूरी ताकत से लागू किया जा रहा है, और यही वजह है कि इसे करप्शन फ्री पंजाब मुहिम का हिस्सा बनाया गया है। यह सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि प्रशासनिक सोच का भी परिवर्तन है। यह दिखाता है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और तकनीक को सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए, तो जनता को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सकता है।

Easy Registry का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह न केवल भ्रष्टाचार को रोकता है, बल्कि समय की भी बचत करता है। पहले जहां एक रजिस्ट्री कराने में हफ्तों लगते थे, अब यह कार्य 48 घंटे में निपट सकता है। लोग अब अपने मोबाइल पर भी सारी प्रक्रिया ट्रैक कर सकते हैं और हर स्टेप पर अलर्ट मिलेंगे। यानी पारदर्शिता के साथ-साथ अब लोगों को अधिकार भी मिलेगा कि वे अपनी रजिस्ट्री प्रक्रिया पर नजर रख सकें। इससे न केवल नागरिक सशक्त होंगे बल्कि सरकारी सिस्टम में भी दक्षता और जवाबदेही बढ़ेगी।

इस पहल का सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को होगा जो दूर-दराज के गांवों से आते हैं, और तहसीलों में बार-बार जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकते। महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे किसान जिन्हें पहले व्यवस्था की जटिलता के कारण नुकसान उठाना पड़ता था, अब उन्हें डिजिटल रूप से सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, रियल एस्टेट क्षेत्र में भी पारदर्शिता आएगी जिससे निवेश बढ़ने की संभावना है। यह प्रणाली जमीनी स्तर पर नागरिकों के अनुभव को बेहतर बनाकर शासन के प्रति उनका भरोसा भी मजबूत करेगी।

Easy Registry पंजाब की डिजिटल क्रांति का एक बड़ा उदाहरण बन सकता है, और अगर यह प्रयोग सफल होता है तो इसे पूरे देश में अपनाया जा सकता है। आज जब हर काम स्मार्टफोन पर हो रहा है, तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्री जैसी जटिल प्रक्रिया का भी आसान और डिजिटल होना समय की मांग है। इससे ना केवल नागरिक सुविधाएं बेहतर होंगी, बल्कि प्रशासनिक बोझ और भ्रष्टाचार में भी भारी गिरावट देखने को मिलेगी।

अब देखना यह होगा कि इस योजना के लागू होने के बाद कितनी तेजी से इसके परिणाम सामने आते हैं। लेकिन फिलहाल के लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवंत मान सरकार ने एक ऐसे कदम की शुरुआत की है जिससे आम आदमी को असल मायनों में राहत मिलने वाली है—वो भी बिना दलाल, बिना रिश्वत और बिना चक्कर लगाए। यह पहल न केवल पंजाब की जनता के लिए, बल्कि भारत के अन्य राज्यों के लिए भी एक आइना है, जिसमें वे अपने सिस्टम की खामियों को साफ देख सकते हैं।

अब वक्त है कि अन्य राज्य भी इस डिजिटल पहल से सीखें और अपने-अपने राज्य में इसे लागू करें, ताकि देश की हर तहसील से यह पुरानी कहावत मिट जाए—”रजिस्ट्री करानी है? दलाल ढूंढो!” अब नहीं, अब वक्त है कहने का—”रजिस्ट्री करनी है? पोर्टल खोलो, काम फटाफट पूरा करो।”

Conclusion

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