Bangladesh ने चुना भारत का साथ! ड्रैगन से दूरी बना, बढ़ाया पड़ोसी दोस्ती का भरोसा I 2025

सब कुछ शांत लग रहा था—पाकिस्तान से युद्धविराम, चीन के कूटनीतिक बयान और Bangladesh के साथ पुराने सहयोगी रिश्ते। लेकिन 17 मई की सुबह एक ऐसा फैसला सामने आया, जिसने दक्षिण एशिया के व्यापारिक समीकरण को झकझोर कर रख दिया। भारत ने Bangladesh से आने वाले कई Products पर लैंड पोर्ट्स के जरिए Import पर प्रतिबंध लगा दिया।

यह फैसला किसी सामान्य कागजी आदेश जैसा नहीं था—बल्कि यह एक सख्त और रणनीतिक जवाब था उस चुनौती का, जो बांग्लादेश ने चीन के इशारे पर भारत को दी थी। सवाल यह नहीं है कि भारत ने यह फैसला क्यों लिया, सवाल यह है कि अब इसका असर कहां तक होगा, और क्या इससे Bangladesh की “ड्रैगन यारी” पर ब्रेक लगेगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Bangladesh और चीन की बढ़ती नजदीकियां कोई नई बात नहीं, लेकिन जब Bangladesh ने चीन में जाकर भारत की अखंडता और भौगोलिक सीमाओं को लेकर विवादास्पद बयान दिए, तब भारत ने केवल कूटनीतिक चुप्पी नहीं साधी, बल्कि व्यापारिक मोर्चे पर भी सख्त कदम उठाया। 9 अप्रैल को भारत ने 2020 में दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस ले लिया था, और अब 17 मई को भारत ने एक और कड़ा निर्णय लेते हुए Bangladesh से आने वाले रेडीमेड गारमेंट्स, प्रोसेस्ड फूड, प्लास्टिक उत्पाद, और फर्नीचर जैसे दर्जनों Products के लैंड पोर्ट्स के ज़रिए Import पर रोक लगा दी।

इसका असर सीधा-सीधा बांग्लादेश के छोटे और मझोले उद्योगों पर पड़ेगा, जिनकी निर्भरता भारत के सीमावर्ती इलाकों से होने वाले व्यापार पर थी। यह निर्णय केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह दोनों देशों के संबंधों की दिशा भी तय करेगा।

भारत ने यह आदेश DGFT यानी Directorate General of Foreign Trade के माध्यम से जारी किया, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि अब Bangladesh से Import केवल दो पोर्ट्स—न्हावा शेवा और कोलकाता तक सीमित रहेगा। इसका मतलब है कि अब असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के अधिकांश लैंड पोर्ट्स जैसे चंगराबांधा और फुलबाड़ी से बांग्लादेशी Products का भारत में प्रवेश नहीं हो सकेगा।

फलों के फ्लेवर्ड ड्रिंक्स, चिप्स, बिस्कुट, प्लास्टिक पाइप, लकड़ी का फर्नीचर—ऐसे दर्जनों Products की लिस्ट जारी की गई है जिनपर यह प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। कुछ आवश्यक वस्तुएं जैसे मछली, एलपीजी और खाद्य तेल को इससे छूट दी गई है। लेकिन कुल मिलाकर इस नीति में किया गया बदलाव न केवल बांग्लादेश के लिए आर्थिक झटका है, बल्कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक रणनीतिक सोच का भी प्रमाण है।

इस बैन की पृष्ठभूमि में जो घटनाक्रम घटा, वह और भी गंभीर है। Bangladesh की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया और वहां भारत विरोधी टिप्पणी कर डाली।

उन्होंने कहा कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य समुद्र से कटे हुए हैं और उन्हें व्यापार के लिए Bangladesh पर निर्भर रहना पड़ता है। इतना ही नहीं, उन्होंने चीन को बांग्लादेश के जरिए हिंद महासागर तक सीधी पहुंच देने का प्रस्ताव भी दिया। यह बयान चीन को लुभाने और भारत को दबाव में लाने की एक कोशिश थी, लेकिन भारत ने उसी वक्त तय कर लिया था कि इस घमंड का जवाब रणनीति से दिया जाएगा। यूनुस की इन टिप्पणियों से बांग्लादेश की विदेश नीति की दिशा भी संदेह के घेरे में आ गई है।

भारत का यह कदम केवल एक Import Policy का संशोधन नहीं है—यह बांग्लादेश के लिए एक चेतावनी है। बांग्लादेश की 93% भारत के साथ होने वाली ट्रेड वॉल्यूम लैंड पोर्ट्स के जरिए होती है। और अब जब यह रास्ता बंद हो गया है, तो Bangladesh को अपने Export के लिए समुद्री मार्ग यानी न्हावा शेवा और कोलकाता बंदरगाह पर निर्भर रहना पड़ेगा। यह न केवल लॉजिस्टिक्स को महंगा करेगा, बल्कि समय भी अधिक लगेगा। इसके कारण Bangladesh Products की प्रतिस्पर्धात्मकता पर सीधा असर पड़ेगा। यह बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, विशेषकर उसके SME सेक्टर के लिए एक झटका साबित हो सकता है। साथ ही इसके राजनीतिक नतीजे भी आने वाले महीनों में बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में देखे जा सकते हैं।

अब बात करते हैं उन वस्तुओं की जो Bangladesh से भारत आती थीं और जिन पर अब यह प्रतिबंध लगा है। सबसे ज्यादा असर रेडीमेड गारमेंट्स यानी तैयार कपड़ों के व्यापार पर पड़ेगा। Bangladesh दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेडीमेड गारमेंट एक्सपोर्टर है, जिसने 2023 में करीब 38 अरब डॉलर का Export किया था। इसमें भारत को Export किए गए Products की कीमत 700 मिलियन डॉलर के आसपास थी। अब जब उन्हें सीमित बंदरगाहों से होकर आना पड़ेगा, तो ट्रांसपोर्ट की लागत में इजाफा होगा, जिससे इन वस्तुओं की कीमत भारत में बढ़ेगी और मांग में कमी आ सकती है। इसके अलावा, Bangladesh के खाद्य उत्पाद, प्लास्टिक सामग्री और फर्नीचर उद्योग भी प्रभावित होंगे।

यह निर्णय भारत के लिए केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि geopolitical perspective से भी बेहद अहम है। इससे यह संदेश साफ है कि अगर कोई देश भारत की क्षेत्रीय अखंडता या सुरक्षा के साथ, खिलवाड़ करता है या प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से चीन जैसे शत्रु देश के साथ मिलकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता है, तो भारत अब केवल बयानबाज़ी नहीं करेगा—वह रणनीतिक चोट करेगा, और वो भी ऐसी कि सामने वाले को वर्षों तक याद रहे। यह निर्णय दक्षिण एशिया में भारत की नेतृत्व क्षमता और उसके पड़ोसियों के साथ नए समीकरणों को दर्शाता है।

Bangladesh में इस कदम को लेकर राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। कई मीडिया हाउस और व्यापारिक संगठनों ने इस पर चिंता जताई है। ढाका स्थित गारमेंट एक्सपोर्टर्स यूनियन ने कहा है कि भारत के इस कदम से उनके ऑर्डर्स में देरी होगी, और कई छोटे exporters की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। वहीं, बांग्लादेश के विपक्षी दलों ने मौजूदा सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं कि, आखिर क्यों चीन की ओर झुकाव दिखाकर उन्होंने भारत जैसे करीबी सहयोगी को नाराज़ किया। यदि भारत का यह कदम लंबे समय तक बना रहता है तो Bangladesh की अर्थव्यवस्था को उससे उबरने में काफी समय लग सकता है।

भारत का यह कदम इस बात का उदाहरण है कि आज के दौर में युद्ध केवल सेना से नहीं, व्यापार और कूटनीति के जरिये लड़े जाते हैं। जब शब्दों से हमला होता है, तो जवाब भी अब नीतियों के ज़रिए दिया जाता है। Bangladesh अगर यह सोचता था कि वह चीन की गोद में बैठकर भारत को आंखें दिखा सकता है, तो भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह न केवल आंखें मिलाना जानता है, बल्कि उसकी भाषा में जवाब भी देना जानता है। आने वाले दिनों में यदि Bangladesh की सरकार अपने व्यापारिक रणनीतियों में बदलाव नहीं लाती, तो भारत की तरफ से और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

अब सवाल ये है कि क्या यह झटका Bangladesh को चेतावनी देगा? क्या यह भविष्य में चीन से दूरी बनाकर भारत के साथ संबंध सुधारने को मजबूर करेगा? या फिर चीन के और अधिक प्रभाव में आकर वह एक नए संकट की ओर बढ़ेगा? फिलहाल, इतना तो तय है कि भारत का यह एक आर्थिक कदम, दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति को फिर से परिभाषित करने की दिशा में पहला ठोस प्रयास है। और यह एक संदेश है हर उस पड़ोसी के लिए, जो भारत की दोस्ती को उसकी कमजोरी समझता है।

Conclusion

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