नमस्कार दोस्तों, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस बदलाव के लिए लाखों युवा अपने घरों से बाहर निकले, संघर्ष किया, और तानाशाही सरकार को हटाने के लिए अपने भविष्य को दांव पर लगाया, वही बदलाव अब उनके लिए सबसे बड़ा अभिशाप बन गया है? Bangladesh में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुई क्रांति ने देशभर में नई उम्मीदें जगाई थीं। उन सड़कों पर जहां कभी क्रांति के नारे गूंजते थे, आज वही सन्नाटा पसरा हुआ है।
जो युवा इस क्रांति के सबसे बड़े नायक थे, वे आज अपनी ही बनाई परिस्थितियों के शिकार हो चुके हैं। उनके हाथ में न रोजगार है, न भविष्य की कोई स्पष्टता। सवाल यह है कि यह स्थिति कैसे आई? क्या यह क्रांति सिर्फ एक भ्रम थी, या इसके पीछे की सच्चाई कहीं और छिपी हुई है? Bangladesh का वर्तमान हालात हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्रांति का मूल्य चुकाने वाले युवाओं को आखिर क्या मिला? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
युवाओं के सपने कैसे टूटे?
ढाका विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद रिजवान चौधरी का नाम आज Bangladesh में हर कोई जानता है। वे उन युवाओं में से एक थे, जिन्होंने सरकार के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई। उनके भाषण, प्रदर्शन, और नेतृत्व क्षमता ने हजारों युवाओं को सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया। लेकिन आज वही रिजवान इस क्रांति के परिणामों से सबसे ज्यादा आहत हैं।
उनका कहना है कि मुहम्मद यूनुस की नई सरकार ने बड़े-बड़े वादे तो किए, लेकिन उनमें से एक भी वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। रिजवान और उनके साथी मानते थे कि क्रांति के बाद रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, लेकिन बेरोजगारी की समस्या पहले से और ज्यादा बढ़ गई है। यह स्थिति केवल रिजवान तक सीमित नहीं है। Bangladesh के लाखों युवाओं का मानना है कि वे अपने भविष्य को बेहतर बनाने के बजाय और ज्यादा अंधकार में फंसे हुए हैं।
आपको बता दें कि Bangladesh Bureau of Statistics, (बीबीएस) की हालिया रिपोर्ट ने देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का बेहद गंभीर चित्र प्रस्तुत किया है। सितंबर 2024 तक बांग्लादेश में बेरोजगार लोगों की संख्या 27 लाख तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा पिछले साल 25 लाख था। सिर्फ एक साल में बेरोजगारी दर में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति तब है, जब Bangladesh की कुल जनसंख्या 17 करोड़ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन मुद्दों को लेकर युवाओं ने क्रांति की थी, वे आज और भी विकराल हो गए हैं। बेरोजगारी, महंगाई, और टैक्स वसूली में गिरावट ने देश को आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया है। International Monetary Fund (IMF) ने भी चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो Bangladesh को लंबे समय तक आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ेगा।
शेख हसीना के सत्ता से जाने की खुशी या गम: क्या हैं इसके राजनीतिक और आर्थिक पहलू?
शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटाने के बाद युवाओं ने जीत की खुशी मनाई थी। उन्हें लगा था कि उनका संघर्ष रंग लाया है। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई। नई सरकार ने युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मोहम्मद रिजवान जैसे युवाओं ने सोचा था कि उनके नेता, जो अब सरकार का हिस्सा हैं, उनकी आवाज उठाएंगे।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। यूनुस सरकार ने युवा नेताओं को कैबिनेट में जगह दी, लेकिन वे भी अपने वादे पूरे करने में असफल रहे। युवाओं का मानना है कि उनकी आवाज न तो सुनी जा रही है और न ही उनकी समस्याओं का समाधान हो रहा है।
इसी तरह 31 वर्षीय शुक्कुर अली, जो साहित्य में Graduate हैं, Bangladesh के हजारों शिक्षित बेरोजगारों की कहानी का प्रतीक हैं। शुक्कुर ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सफेदपोश नौकरियों के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार असफल रहे। आज वे छोटे-मोटे काम करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं।
उनके बुजुर्ग माता-पिता बीमार हैं, और शुक्कुर को उनकी देखभाल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह कहानी केवल शुक्कुर तक सीमित नहीं है। देशभर में लाखों युवा इसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। पढ़ाई और मेहनत के बावजूद उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा। उनकी उम्मीदें टूट चुकी हैं, और वे केवल अपनी न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शिक्षित लेकिन बेरोजगार: क्यों बढ़ रही है यह समस्या और क्या हैं इसके समाधान?
Bangladesh में शिक्षित बेरोजगारी अपने चरम पर है। बीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार, देश में बेरोजगारों का 87 प्रतिशत हिस्सा शिक्षित लोगों का है। इसका मतलब है कि अधिकांश बेरोजगार लोग वे हैं, जिन्होंने Higher education प्राप्त की है। यह स्थिति बांग्लादेश के शिक्षा और रोजगार प्रणाली की विफलता को उजागर करती है।
मुहम्मद यूनुस की सरकार का कहना है कि वे Tax Collection बढ़ाने, और Public Sector में Investment के जरिए रोजगार के अवसर पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ये वादे केवल कागजों पर दिख रहे हैं। शिक्षित युवा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
Bangladesh की अर्थव्यवस्था एक खतरनाक गिरावट का सामना कर रही है। foreign investment, जो शेख हसीना के शासनकाल में 61 करोड़ डॉलर था, वह अब घटकर 18 करोड़ डॉलर रह गया है। इस गिरावट ने न केवल रोजगार के अवसरों को प्रभावित किया है, बल्कि उद्योग और व्यवसायों को भी बड़ा झटका दिया है।
हर साल लगभग 7 लाख Graduate कॉलेज से निकलते हैं, लेकिन उनके लिए रोजगार के अवसर नहीं हैं। Experts का मानना है कि जब तक सरकार foreign investment को बढ़ावा देने और आर्थिक सुधारों पर ध्यान नहीं देगी, तब तक यह समस्या और गहराती जाएगी।
Private Sector पर निर्भरता के फायदे और सीमाएं क्या हैं?
Bangladesh में रोजगार के लिए Private Sector पर भारी निर्भरता है। लगभग 85 प्रतिशत नौकरियां Private Sectors से आती हैं। लेकिन हालिया आर्थिक संकट के कारण Private कंपनियां भी कर्मचारियों की भर्ती करने में असमर्थ हैं।
स्वतंत्र अर्थशास्त्री जाहिद हुसैन का कहना है कि सरकार को रोजगार सृजन के लिए नई नीतियां बनानी चाहिए। लेकिन सरकार के पास ऐसा कोई ठोस प्लान नहीं है, जिससे युवा पीढ़ी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
हालांकि, मुहम्मद यूनुस की सरकार का दावा है कि उन्हें शेख हसीना से एक कमजोर और अराजक अर्थव्यवस्था विरासत में मिली है। लेकिन यह बात जनता के लिए मायने नहीं रखती। युवाओं को उनके भविष्य के लिए ठोस कदम चाहिए।
वर्तमान सरकार न केवल आर्थिक मुद्दों को सुलझाने में असफल रही है, बल्कि जनता का विश्वास भी खो चुकी है। Experts का कहना है कि सरकार के पास समय बहुत कम है। अगर वे जल्द ही ठोस निर्णय नहीं लेते, तो बांग्लादेश की स्थिति और बिगड़ सकती है।
Conclusion
तो दोस्तों, आज Bangladesh के युवाओं का भविष्य अनिश्चितता के अंधेरे में है। जिन सपनों के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वे टूट चुके हैं। बेरोजगारी, महंगाई, और सरकार की निष्क्रियता ने पूरे देश को गहरे संकट में डाल दिया है। यह क्रांति, जो कभी उम्मीद की किरण लगती थी, अब केवल अधूरी कहानी बनकर रह गई है।
सवाल यह है कि क्या बांग्लादेश इस संकट से उबर पाएगा? क्या सरकार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर पाएगी? या फिर यह क्रांति केवल इतिहास के पन्नों में खो जाएगी?
आपको बता दें कि Bangladesh की यह स्थिति केवल एक देश की समस्या नहीं है। यह उन सभी जगहों के लिए एक चेतावनी है, जहां युवा पीढ़ी अपनी उम्मीदों और सपनों के साथ संघर्ष कर रही है।
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