Yoga and Ayurveda की महाशक्ति: आचार्य बालकृष्ण का वैश्विक मिशन और भारत की नई पहचान! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति और आध्यात्मिक विज्ञान, आज के आधुनिक युग में इतनी ताकतवर बन सकती है कि पूरी दुनिया इसकी ओर आकर्षित होने लगे? कभी जिसे केवल भारत की पारंपरिक धरोहर समझा जाता था, वह आज लाखों-करोड़ों लोगों की सेहत और जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या यह सब अपने आप हो गया? नहीं! इसके पीछे है एक लंबी यात्रा, एक संघर्ष, और एक ऐसा प्रयास जिसने Yoga and Ayurveda को सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे global पहचान दिलाने की ठानी। इस महान कार्य के पीछे जो नाम सबसे ज्यादा चमकता है, वह है आचार्य बालकृष्ण।

हाल ही में दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में उन्होंने न केवल Yoga and Ayurveda का महत्व बताया, बल्कि यह भी बताया कि पतंजलि कैसे इस प्राचीन धरोहर को पूरी दुनिया में स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह केवल एक व्याख्यान नहीं था, बल्कि एक मिशन था—भारत की प्राचीन विद्या को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर इसे हर इंसान तक पहुंचाने का मिशन! आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

योग केवल शारीरिक व्यायाम है, या यह एक संपूर्ण जीवन शैली का हिस्सा है?

आचार्य बालकृष्ण ने अपनी बात की शुरुआत योग के महत्व से की। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में ‘योग’ शब्द एक यूनिवर्सल टर्म बन चुका है। चाहे कोई भारतीय हो या विदेशी, चाहे उसे इस शब्द का गहरा अर्थ पता हो या न हो, लेकिन वह इसके प्रभाव से जरूर परिचित है। योग सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने की एक पद्धति है। यह एक संपूर्ण जीवनशैली है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास भी प्रदान करती है।

उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता देना इस बात का प्रमाण है कि यह भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता की धरोहर है। योग आज के दौर में एक ऐसा माध्यम बन चुका है जो न केवल बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, बल्कि लोगों के जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।

आयुर्वेद global मेडिकल सिस्टम में एक नई क्रांति ला सकता है?

योग के बाद उन्होंने आयुर्वेद पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि यह केवल जड़ी-बूटियों पर आधारित उपचार प्रणाली नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण विज्ञान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयुर्वेद केवल बीमारियों के इलाज का माध्यम नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है।

उन्होंने कहा कि जहां एलोपैथी आधुनिक जीवन की जरूरत है, वहीं आयुर्वेद शरीर और मन को प्रकृति के साथ सामंजस्य में रखने की विधा है। लेकिन इसके बावजूद, आयुर्वेद को Global Level पर वह पहचान नहीं मिल सकी, जिसका यह हकदार था। यही वजह है कि पतंजलि इस दिशा में काम कर रहा है, ताकि आयुर्वेद को पूरी दुनिया में स्थापित किया जा सके और इसे एक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति के रूप में स्वीकार किया जाए।

इस विषय पर चर्चा करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि के कुछ ऐतिहासिक कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने World Herbal Encyclopedia नामक एक पुस्तक प्रकाशित की है, जिसमें 32,000 से अधिक औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन किया गया है।

इसके अलावा, उन्होंने ‘सौमित्र निदानम’ का भी उल्लेख किया, जो एक आयुर्वेदिक पुस्तक है, जिसमें 500 से अधिक बीमारियों और उनके लक्षणों का विस्तृत विवरण दिया गया है। यह ग्रंथ 6,821 श्लोकों में लिखा गया है और इसमें 2,500 से अधिक Clinical Conditions का उल्लेख किया गया है। इस जानकारी को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक ग्रंथों को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रचारित करने की जरूरत है, ताकि आयुर्वेद को पूरी दुनिया एक प्रमाणित चिकित्सा पद्धति के रूप में स्वीकार कर सके।

इसके अलावा, इवेंट के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने स्वदेशी उत्पादों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि पतंजलि केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि यह स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पतंजलि का मकसद सिर्फ व्यापार करना नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान, विज्ञान और चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है।

उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि पतंजलि ने योग, आयुर्वेद, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शोध और प्राचीन पांडुलिपियों के प्रकाशन जैसे कई क्षेत्रों में बड़े योगदान दिए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी का उद्देश्य न केवल भारतीयों को स्वदेशी उत्पादों की ओर आकर्षित  करना है, बल्कि पूरी दुनिया में इन उत्पादों की गुणवत्ता और उपयोगिता को साबित करना भी है।

भारत की शिक्षा प्रणाली में पतंजलि का क्या योगदान है, और इससे शिक्षा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है?

इवेंट के दौरान उन्होंने शिक्षा प्रणाली में पतंजलि के योगदान की चर्चा भी की। उन्होंने बताया कि कंपनी कक्षा 1 से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में सक्रिय रूप से शामिल रही है। इन पाठ्यपुस्तकों का उद्देश्य छात्रों को एक मजबूत और स्वदेशी शिक्षा प्रणाली से जोड़ना है, ताकि वे भारतीय संस्कृति, विज्ञान और परंपराओं से अवगत हो सकें।

उन्होंने बताया कि पतंजलि केवल व्यावसायिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और शैक्षिक विरासत को संरक्षित करने में भी योगदान दे रहा है।

इवेंट के अंत में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयुर्वेद और योग आने वाले समय में दुनिया की प्रमुख चिकित्सा प्रणालियां बन सकती हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब दुनिया में एलोपैथी के दुष्प्रभाव और महंगी चिकित्सा प्रणाली एक बड़ी समस्या बन गई है, ऐसे में आयुर्वेद और योग एक सस्ता, प्रभावी और दीर्घकालिक समाधान बन सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यदि हम आयुर्वेद और योग को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर प्रस्तुत करें, तो यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।

Conclusion

तो दोस्तों, आचार्य बालकृष्ण के इस व्याख्यान ने यह साफ कर दिया कि पतंजलि सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि एक global आंदोलन बन चुका है। यह आंदोलन केवल स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं, बल्कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली, शिक्षा, संस्कृति और आध्यात्मिकता को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा मिशन है। अब सवाल यह है कि क्या यह मिशन सफल होगा? क्या आने वाले वर्षों में आयुर्वेद और योग को वही सम्मान मिलेगा जो पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों को मिला है? यदि हां, तो यह भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी, और पतंजलि इस दिशा में सबसे आगे खड़ा दिख रहा है।

आज, पूरी दुनिया Yoga and Ayurveda की ओर देख रही है, लेकिन क्या हम खुद अपनी इस विरासत को सही तरीके से समझ पाए हैं? शायद अब समय आ गया है कि हम अपनी परंपराओं को आधुनिक विज्ञान से जोड़ें और दुनिया को दिखाएं कि, भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली केवल अतीत की बात नहीं, बल्कि भविष्य का समाधान है!

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love

Leave a Comment