Women Policy से बदल रही तस्वीर! टेक सेक्टर में महिलाओं की बढ़ती ताकत और 1 करोड़ की नौकरियों का राज I

सिर्फ 10 से 15 साल पहले तक, जब हम टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट वर्ल्ड की बात करते थे, तो ज़हन में अधिकतर मर्दों की तस्वीर आती थी—आईटी कंपनियों के बोर्ड रूम, डाटा लैब्स, और स्टार्टअप मीटिंग्स में शायद ही कोई Women दिखती थी। लेकिन आज तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है।

अब जब आप किसी टेक इवेंट में जाएं, तो हर कोने में टैलेंटेड, कॉन्फिडेंट और पावरफुल महिलाएं दिखती हैं—जो न सिर्फ तकनीक की दुनिया में आगे बढ़ रही हैं, बल्कि करोड़ों की सैलरी भी कमा रही हैं। और अब तो रिपोर्ट्स यह भी कहती हैं कि women के लिए यह सेक्टर सबसे बड़े अवसरों में से एक बनता जा रहा है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

टीमलीज डिजिटल की एक ताजा रिपोर्ट ने इस बदलाव पर मुहर लगा दी है। इस रिपोर्ट ने साबित कर दिया है कि भारत की टेक इंडस्ट्री अब सिर्फ पुरुषों की नहीं रही। महिलाएं भी यहां न सिर्फ तेजी से प्रवेश कर रही हैं, बल्कि वे ऊंचे पदों और मोटी सैलरी तक पहुंच रही हैं। रिपोर्ट में फ्रेशर्स से लेकर अनुभवी प्रोफेशनल्स तक women की बढ़ती भागीदारी का पूरा डाटा सामने आया है—और सबसे खास बात ये कि कुछ पदों पर तो महिलाएं 1 करोड़ रुपये सालाना से भी ज्यादा कमा रही हैं।

अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसे कौन से पद हैं जहां women की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ी है, तो आपको जानकर खुशी होगी कि आज के जमाने की सबसे इन-डिमांड स्किल्स—जैसे डेटा साइंस, प्रोडक्ट मैनेजमेंट, क्लाउड इंजीनियरिंग और साइबर सुरक्षा—में महिलाएं बड़ी संख्या में आगे आ रही हैं। यही नहीं, इन क्षेत्रों में अब पुरुषों और women की सैलरी में भी फर्क कम होता जा रहा है। यानी ये सेक्टर अब ना सिर्फ रोजगार दे रहा है, बल्कि जेंडर इक्विटी की मिसाल भी बनता जा रहा है।

सबसे पहले बात करते हैं प्रोडक्ट मैनेजर की भूमिका की। ये एक ऐसा पद है जो किसी भी कंपनी के टेक्निकल और बिजनेस के बीच की कड़ी होता है। प्रोडक्ट मैनेजर सुनिश्चित करता है कि जो प्रोडक्ट डेवलप हो रहा है, वो ग्राहक की ज़रूरतें पूरी करे और कंपनी के मुनाफे को भी बढ़ाए।

इस पद पर महिलाएं आज बहुत मजबूती से आगे आ रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 0 से 3 साल का अनुभव रखने वाली महिला प्रोडक्ट मैनेजर्स को 22 लाख रुपये सालाना तक की सैलरी मिल रही है। और जब बात 8 साल से ज्यादा अनुभव वाली सीनियर मैनेजर या डायरेक्टर की होती है, तो यह सैलरी 1.6 करोड़ रुपये प्रति वर्ष तक जा सकती है। यह साबित करता है कि महिलाएं अब सिर्फ एंट्री लेवल पर नहीं, बल्कि रणनीतिक निर्णय लेने वाली कुर्सियों तक पहुंच रही हैं।

अब अगर हम डेटा साइंटिस्ट की बात करें, तो यह फील्ड पिछले एक दशक में सबसे तेजी से ग्रो करने वाला सेक्टर बन चुका है। आज हर बिजनेस डेटा पर चलता है—कस्टमर बिहेवियर, मार्केट ट्रेंड्स, इंटरनल प्रोसेस—सब कुछ डेटा से तय होता है।

और इस डेटा को इनसाइट में बदलने वाले प्रोफेशनल्स हैं—डेटा साइंटिस्ट्स। इस क्षेत्र में महिलाएं बड़ी तेज़ी से कदम रख रही हैं। शुरुआती स्तर पर ही महिलाओं को 18 लाख रुपये सालाना तक सैलरी मिल रही है। और जिन women को 8 साल से ज्यादा का अनुभव है, उनकी सैलरी 1.5 करोड़ रुपये सालाना तक जाती है। यानी अब women के लिए यह न सिर्फ टेक्नोलॉजिकल, बल्कि फाइनेंशियल फ्रीडम का रास्ता भी बन गया है।

बात अगर क्लाउड आर्किटेक्ट और क्लाउड इंजीनियर की करें, तो यह रोल आज के डिजिटल युग में रीढ़ की हड्डी की तरह है। कंपनियां अपने डेटा, इंफ्रास्ट्रक्चर और एप्लिकेशन्स को क्लाउड पर माइग्रेट कर रही हैं। और इसमें जो एक्सपर्ट गाइड करता है, वही होता है क्लाउड इंजीनियर।

इस सेक्टर में भी women की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। फ्रेशर्स को 14 लाख रुपये सालाना तक की सैलरी मिल रही है, और जैसे-जैसे उनका अनुभव बढ़ता है, ये आंकड़ा सीधे 1 करोड़ रुपये सालाना तक पहुंच सकता है। खासकर ऐसे समय में जब भारत के सरकारी और निजी संस्थान क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रहे हैं, तो women के लिए यह करियर एक गोल्डन चांस से कम नहीं है।

प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ऑफिस—या PMO—का रोल भी कॉर्पोरेट दुनिया में बेहद अहम होता जा रहा है। जब एक कंपनी कई प्रोजेक्ट्स एकसाथ हैंडल करती है, तो PMO यह सुनिश्चित करता है कि सब कुछ समय पर, बजट में और सही दिशा में पूरा हो। women को इस रोल में भी बड़ी सफलता मिल रही है। 3 साल तक के अनुभव पर ही 15 लाख रुपये तक सैलरी दी जा रही है, और अनुभवी सीनियर PMO एक्सपर्ट्स 80 लाख रुपये सालाना तक कमा रही हैं। आज PMO सिर्फ प्रोजेक्ट मैनेजमेंट नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिक प्लानिंग का भी बड़ा केंद्र बन चुका है।

और अब बात करते हैं उस सेक्टर की, जिसकी डिमांड आज हर दिन बढ़ रही है—साइबर सुरक्षा। डिजिटल इंडिया के दौर में जब हर चीज़ ऑनलाइन हो रही है, तो उसके साथ रिस्क भी बढ़ रहा है—डेटा चोरी, हैकिंग, रैंसमवेयर अटैक जैसे खतरे हर रोज़ सामने आ रहे हैं। ऐसे में जो एक्सपर्ट्स इन सब से बचाते हैं, वो हैं साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स।

women ने इस फील्ड में भी मजबूती से एंट्री ली है। शुरुआती स्तर पर 12 लाख रुपये तक की सैलरी मिल रही है और अनुभवी एक्सपर्ट्स 90 लाख रुपये सालाना तक कमा रही हैं। खास बात यह है कि यह फील्ड लंबे समय तक रहने वाला है, यानी women के लिए यह एक स्थायी, सुरक्षित और भविष्यप्रमाण करियर बन चुका है।

इन सारे सेक्टर्स का विश्लेषण करने पर साफ दिखता है कि भारत का टेक और डिजिटल सेक्टर अब एक नई दिशा में बढ़ चला है—जहां प्रतिभा को प्राथमिकता मिल रही है, ना कि सिर्फ लिंग को। और जब महिलाएं इन लीडरशिप रोल्स में आती हैं, तो वे केवल खुद को नहीं, बल्कि अपने आसपास की पूरी व्यवस्था को सशक्त बनाती हैं। वे रोल मॉडल बनती हैं, प्रेरणा का स्रोत बनती हैं और अगली पीढ़ी की लड़कियों के लिए रास्ते खोलती हैं।

यह परिवर्तन केवल कंपनियों या इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बदलाव ला रहा है। अब वह समय नहीं रहा जब women के लिए सीमित करियर ऑप्शन्स होते थे। अब उन्हें भी वही मौके, वही वेतन और वही सम्मान मिल रहा है, जो पुरुषों को मिलता है—और कई बार तो उनसे भी ज्यादा। कंपनियां अब डाइवर्सिटी को अपनाने के लिए एक्टिव स्टेप्स ले रही हैं—स्पेशल हायरिंग ड्राइव्स, डाइवर्सिटी ट्रेनिंग, फ्लेक्सिबल वर्क कल्चर, मेंटरशिप प्रोग्राम और रिटर्न-टू-वर्क जैसी योजनाएं women की सफलता में बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

अगर यह रफ्तार बनी रही, तो आने वाले कुछ वर्षों में हमें न सिर्फ अधिक women को लीडरशिप में देखने को मिलेगा, बल्कि शायद भारत की अगली बड़ी यूनिकॉर्न स्टार्टअप किसी महिला की अगुआई में बनेगी। और तब कोई यह नहीं कहेगा कि टेक इंडस्ट्री ‘मेल डोमिनेटेड’ है। वह दिन दूर नहीं जब हम कहेंगे—“भारत की डिजिटल क्रांति में women का सबसे बड़ा योगदान है।”

Conclusion

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