नमस्कार दोस्तों, कभी आपने सोचा है कि सिर्फ 2500 रुपये से शुरू किया गया एक छोटा-सा व्यापार कैसे 1.3 लाख करोड़ रुपये के साम्राज्य में बदल सकता है? यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसी हकीकत है जिसने इतिहास रच दिया है। यह कहानी है एक भारतीय व्यापारी की, जिसने अपनी मेहनत, दूरदर्शिता और न कभी हार मानने वाले जज़्बे से पूरे ऑटोमोबाइल उद्योग में अपनी धाक जमा दी।
यह कहानी है Vivek Chand Sehgal की, जो आज ऑस्ट्रेलिया के सबसे अमीर भारतीयों में से एक हैं। लेकिन उनका यह सफर इतना भी आसान नहीं था। इसमें संघर्ष था, असफलताएँ थीं, लेकिन हर मुश्किल के बाद सफलता की नई ऊँचाइयाँ भी थीं। यह कहानी यह सिखाती है कि यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते हैं, तो कोई भी चुनौती आपको रोक नहीं सकती।
यह सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो एक छोटे से सपने के साथ बड़ा साम्राज्य खड़ा करने का जज़्बा रखता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले, अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं, तो कृपया चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि हमारी हर नई वीडियो की अपडेट सबसे पहले आपको मिलती रहे। तो चलिए, बिना किसी देरी के आज की चर्चा शुरू करते हैं!
Vivek Chand Sehgal का जन्म 28 सितंबर 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनका परिवार एक प्रतिष्ठित जौहरी परिवार था, इसलिए आर्थिक तंगी जैसी कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पिलानी के बिरला पब्लिक स्कूल से पूरी की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से Graduate की डिग्री प्राप्त की। बचपन से ही उनका रुझान व्यापार की ओर था और पारिवारिक व्यवसाय से वे काफ़ी कुछ सीख चुके थे।
लेकिन उन्होंने यह तय कर लिया था कि वे सिर्फ पारिवारिक व्यवसाय तक सीमित नहीं रहेंगे। उनके दिमाग में हमेशा कुछ बड़ा और अनोखा करने का सपना था। चांदी का व्यापार उन्हें सही लगा, क्योंकि इसमें मुनाफ़े की अच्छी संभावनाएँ थीं। लेकिन व्यापार की दुनिया उतनी आसान नहीं थी, जितनी वह दिखती थी। उनकी असली परीक्षा तो तब शुरू हुई जब परिस्थितियाँ विपरीत होने लगीं।
कहते हैं, व्यापार में Risk उठाने वाले ही आगे बढ़ते हैं। Vivek Chand Sehgal ने भी Risk उठाया और अपनी माँ स्वर्ण लता सहगल के साथ मिलकर 1975 में मदरसन कंपनी की स्थापना की। शुरू में यह कंपनी चांदी के व्यापार से जुड़ी हुई थी। व्यापार ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन कुछ समय बाद चांदी के दामों में भारी गिरावट आई, जिससे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ। एक समय ऐसा भी आया जब कंपनी दिवालिया होने की कगार पर खड़ी थी।
यह किसी भी व्यापारी के लिए बहुत बड़ा झटका होता, लेकिन यही वो मोड़ था जिसने Vivek Chand Sehgal को एक नई राह दिखाई। उन्होंने इस असफलता को अपने व्यापारिक जीवन की सबसे महत्वपूर्ण सीख के रूप में लिया, और इसे सुधारने के लिए नई रणनीतियाँ अपनाने का निश्चय किया। वे जानते थे कि केवल वही व्यापारी सफल होते हैं, जो समय के साथ बदलने और नए अवसरों को अपनाने के लिए तैयार रहते हैं
सफलता उन्हीं को मिलती है, जो गिरकर भी उठते हैं। Vivek Chand Sehgal ने चांदी के व्यापार में नुकसान होने के बावजूद हार नहीं मानी। उन्होंने नए अवसरों की तलाश शुरू की और अपनी कंपनी को एक अलग दिशा में ले जाने का फैसला किया। उन्होंने ऑटोमोबाइल उद्योग को समझा और देखा कि कारों के लिए स्पेयर पार्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखने का साहसिक निर्णय लिया।
यह एक बड़ा Risk था, क्योंकि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में Competition बहुत अधिक थी। लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और पूरे समर्पण के साथ इस नए उद्योग में प्रवेश किया। उन्होंने खुद को लगातार शिक्षित किया, नए-नए बिजनेस मॉडल को अपनाया और बाजार की हर हलचल पर नज़र रखी। उनका यही जज़्बा उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करता गया।
मदरसन कंपनी ने धीरे-धीरे ऑटोमोबाइल पार्ट्स के निर्माण में कदम रखा। उन्होंने अपनी तकनीक को विकसित किया, नई-नई फैक्ट्रियाँ लगाईं और बड़े ग्राहकों को आकर्षित किया। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता रंग लाने लगी। कंपनी ने जल्द ही अपने Products की Quality और डिलीवरी के समय पर विशेष ध्यान दिया, जिससे उन्हें बड़े Global ऑटोमोबाइल निर्माताओं के साथ व्यापार करने का अवसर मिला।
धीरे-धीरे, कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाई और दुनिया के विभिन्न देशों में विस्तार करना शुरू किया। उनका उद्देश्य केवल व्यापार बढ़ाना ही नहीं था, बल्कि अपने Products की Quality को सर्वोच्च स्तर पर ले जाना भी था। यही कारण था कि उन्होंने उद्योग में सबसे बेहतरीन टेक्नोलॉजी अपनाई और अपने कर्मचारियों को World class training दी। आज मदरसन ग्रुप दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल पार्ट्स सप्लायर कंपनियों में से एक है।
कंपनी दुनिया भर में फैली हुई है और इसके ग्राहक दुनिया के कई बड़े ऑटोमोबाइल ब्रांड्स हैं। मदरसन ग्रुप की Annual sales एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुँच चुकी है। यह सबकुछ संभव हुआ Vivek Chand Sehgal के नेतृत्व और उनके समर्पण के कारण। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बस उसे पूरा करने के लिए सही रणनीति और अथक मेहनत की जरूरत होती है। उनकी सफलता सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सोचने का साहस रखता है।
इसके अलावा, Vivek Chand Sehgal की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और लगातार सीखने की इच्छा है। उन्होंने हर असफलता से सबक लिया और आगे बढ़ते रहे। उनका मानना है कि व्यापार में Risk से घबराने के बजाय उसे सही तरीके से प्रबंधित करना चाहिए। उन्होंने कभी भी चुनौतियों से पीछे हटना नहीं सीखा। हर समस्या को उन्होंने एक अवसर की तरह लिया और उसका समाधान निकालने में लग गए। उनकी नेतृत्व क्षमता और उनकी टीम को आगे बढ़ाने की कुशलता ने मदरसन ग्रुप को आज इस मुकाम तक पहुँचाया है।
फोर्ब्स के अनुसार, 2025 तक Vivek Chand Sehgal की कुल संपत्ति 550 करोड़ डॉलर से भी अधिक हो चुकी है। वे भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल हो चुके हैं और ऑस्ट्रेलिया के सबसे धनी भारतीयों में से एक बन गए हैं। व्यापार में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2016 में प्रतिष्ठित EY एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड से भी नवाजा गया। यह पुरस्कार उनकी कड़ी मेहनत और उनकी कंपनी की सफलता का प्रमाण है।
उनकी सफलता की कहानी यह साबित करती है कि अगर आप सच्ची मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। 2,500 रुपये से शुरू हुआ उनका यह सफर आज 1.3 लाख करोड़ रुपये के साम्राज्य तक पहुँच चुका है।
यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करना चाहता है। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। अगर हम किसी भी कठिनाई से हार मानकर बैठ जाएँ, तो सफलता कभी हमारा हाथ नहीं थामेगी। लेकिन अगर हम हर कठिनाई से लड़ते हुए आगे बढ़ें, तो कोई भी लक्ष्य हमारे लिए दूर नहीं रहेगा।
Conclusion
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