Tuhin Kant Pandey: IAS से SEBI चेयरमैन तक, एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी! 2025

नमस्कार दोस्तों, अगर कोई कहे कि एक आईएएस अधिकारी जिसने सरकारी प्रशासन में 38 साल बिताए, अब भारत के शेयर बाजार की सबसे बड़ी regulatory body, सेबी (Securities and Exchange Board of India) की कमान संभालेगा, तो क्या आप यकीन करेंगे? लेकिन यह सच है। Tuhin Kant Pandey, जो एक financial expert, एक Skilled Administrator और वित्तीय मामलों में गहरी पकड़ रखने वाले अधिकारी हैं, अब भारत के शेयर बाजार की निगरानी करेंगे। उनकी यह यात्रा साधारण नहीं है, बल्कि संघर्ष, कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता से भरी एक प्रेरणादायक कहानी है।

पंजाब के एक साधारण परिवार में जन्मे पांडेय ने अपनी पढ़ाई भारत और विदेश में पूरी की और फिर, 1986 में UPSC परीक्षा पास करके Indian Administrative Service (IAS) में शामिल हुए। लेकिन उनकी यह सफलता यहीं तक सीमित नहीं रही। उन्होंने Administrative services में बड़े-बड़े निर्णय लिए और अब वह सेबी के चेयरमैन के रूप में भारत के capital market को एक नई दिशा देने जा रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर Tuhin Kant Pandey में ऐसी क्या खास बात है, जिसने उन्हें इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचाया? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Tuhin Kant Pandey का जन्म 8 जुलाई 1965 को पंजाब में हुआ। वह एक पढ़े-लिखे परिवार से थे और बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा पंजाब में पूरी की और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की। उनके अंदर हमेशा से ही Finance और economy को गहराई से समझने की इच्छा थी।

इसलिए उन्होंने अपनी शिक्षा को और आगे बढ़ाने के लिए यूनाइटेड किंगडम के बर्मिंघम विश्वविद्यालय से एमबीए किया। यह उनके करियर में एक बड़ा मोड़ था। एक आम भारतीय छात्र से लेकर लंदन में पढ़ाई करने तक का सफर आसान नहीं था, लेकिन Tuhin Kant Pandey ने यह कर दिखाया।

लंदन से एमबीए करने के बाद उनके पास कई शानदार करियर विकल्प थे, लेकिन उन्होंने Administrative Services को चुना। उन्होंने Union Public Service Commission (UPSC) की परीक्षा दी और 1986 में IAS में चयनित हुए। उनकी रैंक इतनी अच्छी थी कि उन्हें ओडिशा कैडर मिला, जहां से उन्होंने अपने Administrative करियर की शुरुआत की। यह वह दौर था I

जब ओडिशा में Administrative reforms की जरूरत थी। उन्होंने अपनी पहली पोस्टिंग संभलपुर जिले में District Magistrate (DM) के रूप में की, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया। उनकी कार्यशैली ऐसी थी कि वह सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहते थे, बल्कि जमीन पर जाकर हालात को सुधारने में विश्वास रखते थे।

जिलाधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के बाद Tuhin Kant Pandey ने ओडिशा सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों में सेवा दी। उन्होंने Health, transport, commerce tax और Finance Departments में Administrative प्रमुख के रूप में काम किया। वह ओडिशा राज्य Finance Corporation के Executive Director और ओडिशा स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन के Managing Director भी रहे। 2016 तक, वह ओडिशा सरकार के Department of Finance के Finance Secretary के रूप में कार्यरत थे। यह पद किसी भी राज्य सरकार के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था और वित्तीय फैसले इसी विभाग से संचालित होते हैं।

लेकिन उनका सफर यहीं खत्म नहीं हुआ। ओडिशा में शानदार काम करने के बाद उन्हें केंद्र सरकार में डेप्युटेशन पर बुलाया गया। यहां उन्होंने Ministry of Commerce, Niti Aayog, Department of Personnel and Training (DoPT), और Department of Public Enterprises (DPE) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी विशेषज्ञता की वजह से 2019 में उन्हें Investment, और Department of Public Assets Management (DIPAM) का सचिव नियुक्त किया गया।

DIPAM में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए। उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को शेयर बाजार में लाने में अहम भूमिका निभाई। LIC का IPO भारत का सबसे बड़ा Public Offering था और यह उनकी कुशल रणनीति का ही परिणाम था। इसके अलावा, उन्होंने एयर इंडिया की लंबित बिक्री को भी सफलतापूर्वक पूरा किया। यह वह एयरलाइन थी, जो लगातार घाटे में थी और सरकार इससे छुटकारा पाना चाहती थी। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था। कई वर्षों से सरकार कोशिश कर रही थी, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे थे। Tuhin Kant Pandey की नीतियों और समझदारी से एयर इंडिया को सफलतापूर्वक टाटा समूह को बेचा गया, और यह एक ऐतिहासिक सौदा साबित हुआ।

38 साल तक Administrative Services में रहने के बाद अब उन्हें, Securities and Exchange Board of India (सेबी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सेबी का कार्यभार संभालना कोई आसान जिम्मेदारी नहीं है। यह संस्था भारतीय capital market की निगरानी करती है, Investors की सुरक्षा सुनिश्चित करती है और बाजार में Transparency बनाए रखने के लिए समय-समय पर नए नियम लागू करती है।

सेबी के चेयरमैन के रूप में Tuhin Kant Pandey की नियुक्ति कैबिनेट की मंजूरी के बाद हुई है। वह तीन साल तक या अगले आदेश तक इस पद पर बने रहेंगे। इस पद पर रहते हुए वह भारत के Financial markets को पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में काम करेंगे। सेबी के चेयरमैन को सरकार के सचिव के बराबर सैलरी मिलती है। इसके अलावा, वह 5,62,500 रुपए मंथली की फिक्स्ड सैलरी चुन सकते हैं, जिसमें उन्हें सरकारी वाहन और घर की सुविधा नहीं दी जाएगी।

सेबी के चेयरमैन के रूप में Tuhin Kant Pandey की नियुक्ति इसलिए भी खास है क्योंकि वह माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे, जो सेबी की पहली महिला अध्यक्ष थीं। माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में सेबी ने कई बड़े सुधार किए, जिससे शेयर बाजार में Transparency बढ़ी और Investors का भरोसा मजबूत हुआ। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Tuhin Kant Pandey अपने Administrative experience, और Financial understanding का इस्तेमाल सेबी को और अधिक प्रभावी बनाने में कैसे करते हैं।

सेबी का मुख्य कार्यभार Indian stock market और capital market की निगरानी करना है। यह संस्था Investors की सुरक्षा सुनिश्चित करती है और यह देखती है कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति, बाजार में धोखाधड़ी या अनियमितताओं में लिप्त न हो। सेबी के नियम और दिशानिर्देश यह तय करते हैं कि बाजार में Transparency बनी रहे और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके।

अब सवाल यह है कि Tuhin Kant Pandey सेबी में क्या बदलाव ला सकते हैं? उनके पिछले कार्यकाल को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह सेबी में डिजिटल सुधार, IPO प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और foreign investors के लिए नियमों को और मजबूत करने पर ध्यान दे सकते हैं। इसके अलावा, वह भारतीय कंपनियों के कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार और स्टार्टअप्स को शेयर बाजार में लाने के लिए नए दिशा-निर्देश भी जारी कर सकते हैं।

भारत का capital market तेजी से बढ़ रहा है और सेबी की भूमिका इसमें सबसे अहम है। अब जब तुहिन कांत पांडेय ने इस संस्था की जिम्मेदारी संभाल ली है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने अनुभव और Skilled administrative ability का उपयोग कर, सेबी को और प्रभावी कैसे बनाते हैं। उनकी यह यात्रा यह साबित करती है कि मेहनत, दूरदर्शिता और सही फैसले किसी भी व्यक्ति को ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। अब यह देखना होगा कि वह सेबी में कौन-कौन से नए बदलाव लाते हैं और भारतीय Financial markets को कितना मजबूत बना पाते हैं।

Conclusion

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