Tariff पर मोदी सरकार का बड़ा दांव! क्या ट्रंप लेंगे भारत के पक्ष में फैसला? 2025

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए, आप एक व्यापारी हैं और आपका व्यापार वर्षों से स्थिर रूप से चल रहा है। अचानक, आपके सबसे बड़े ग्राहक ने यह घोषणा कर दी कि अब से वह आपको उतनी ही कीमत पर माल बेचेगा, जितनी कीमत पर आप उसे बेचते हैं। यह फैसला सुनकर आप असमंजस में पड़ जाते हैं। यह आपकी लागत बढ़ा सकता है, आपकी व्यापारिक रणनीति को प्रभावित कर सकता है और आपके मुनाफे पर सीधा असर डाल सकता है। अब अगर इस फैसले को सिर्फ एक व्यापारी के स्तर से उठाकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार तक पहुंचा दें, तो यह वही स्थिति बनती है जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित “Reciprocal Tariff” के बाद पैदा हुई।

अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब वह किसी भी देश को व्यापार में विशेष छूट नहीं देगा। अगर भारत किसी अमेरिकी product पर 25% का Tariff लगाता है, तो अमेरिका भी भारत से आने वाले product पर 25% शुल्क लगाएगा। इस नीति के बाद से पूरी दुनिया में हलचल मच गई, खासकर उन देशों में जो अमेरिका के साथ बड़े स्तर पर व्यापार करते हैं। भारत, जो अमेरिका का महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है, अब इस नीति के सामने खड़ा है और यह सवाल उठ रहा है कि क्या मोदी सरकार इस नई चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है?

भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार से गहराई से जुड़ी हुई है और अमेरिका इसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में से एक है। भारत हर साल अरबों डॉलर का सामान अमेरिका को Export करता है, जिसमें प्रमुख रूप से टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल्स, आईटी सेवाएं, ऑटोमोबाइल्स और इंजीनियरिंग गुड्स शामिल हैं। अगर ट्रंप प्रशासन भारत के खिलाफ यह Tariff नीति लागू करता है, तो इससे भारतीय उद्योगों और व्यापारियों पर सीधा असर पड़ेगा। लेकिन मोदी सरकार ने भी इस चुनौती का सामना करने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Reciprocal Tariff क्या है, और यह वैश्विक व्यापार के लिए संकट क्यों बन रहा है?

Reciprocal Tariff को सबसे आसान भाषा में समझने के लिए इसे एक “व्यापारिक जवाबी हमला” कह सकते हैं। यह नीति कहती है कि अगर कोई देश अमेरिका से सामान Import करता है और उस पर कुछ प्रतिशत टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी उसी दर से उस देश से Import होने वाले सामान पर टैक्स लगाएगा। इस नीति का सीधा असर उन देशों पर पड़ेगा जो अमेरिका के बाजार का फायदा उठाते हुए, वहां अपने Products का Export कर रहे हैं।

भारत के लिए यह नीति इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि, अभी तक अमेरिका के लिए भारत के Export पर 9.5% का औसत Tariff लागू था, जबकि अमेरिका भारत से होने वाले Import पर सिर्फ 3% का टैरिफ लगाता था। इस असंतुलन को समाप्त करने के लिए अमेरिका ने अब यह कदम उठाया है, जिससे भारत के लिए व्यापार के समीकरण बदल सकते हैं।

क्या भारत इस नीति के कारण अपने Export में कमी देखेगा?

क्या भारतीय उद्योगों को इससे नुकसान होगा? या फिर भारत इसे एक मौके के रूप में बदलकर अपनी व्यापारिक नीतियों में बदलाव करेगा?

अमेरिकी फैसले के बाद भारत की सरकार ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मुंबई में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत सरकार, इस मुद्दे पर पूरी तरह सतर्क है और इसके लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने पहले से ही कई Products पर Tariff rationalisation बनाया है और anti dumping duties की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सीमा शुल्क में सुधार के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है कि, भारत व्यापार और Investment के लिए एक आकर्षक Destination बना रहे।

भारत सरकार का यह रुख बताता है कि वह अमेरिका के इस फैसले को सीधे तौर पर टकराव के रूप में नहीं देख रही, बल्कि इसे “एक व्यापारिक अवसर” की तरह संभाल रही है। भारत ने पहले ही कई अमेरिकी Products पर Tariff कम करने का निर्णय लिया है, ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक संतुलन बनाया जा सके और अनावश्यक व्यापारिक तनाव को रोका जा सके।

भारत ने किन अमेरिकी Products पर Tariff घटाया है?

मोदी सरकार की ओर से लिए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है कि, बर्बन व्हिस्की पर Import duty 150% से घटाकर 100% कर दिया गया है। इसके अलावा, वाइन, वर्माउथ और अन्य फरमेंटेड बेवरेजेज पर भी Tariff को 100% तक सीमित कर दिया गया है। इसके अलावा, सरकार ने अपने हालिया बजट में टेक्सटाइल, टेक्नोलॉजी और केमिकल इंडस्ट्री से संबंधित Products पर इंपोर्ट ड्यूटी को कम करने का फैसला लिया है। यह संकेत देता है कि भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कुछ समझौतों के लिए तैयार है, लेकिन यह देखना होगा कि अमेरिका इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है।

हालांकि, भारत के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर अमेरिका अपने Tariff बढ़ाता है, तो इसका भारतीय उद्योगों पर क्या असर होगा? Experts का मानना है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिका में व्यापार करने में थोड़ी मुश्किलें आ सकती हैं, लेकिन भारत के पास इसका समाधान भी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अमेरिका हाई Tariff लागू भी करता है, तो भारत अपनी Export नीतियों में विविधता लाकर और सप्लाई चेन में सुधार करके इस प्रभाव को कम कर सकता है। भारत को अब अन्य वैश्विक बाजारों की ओर देखना होगा और अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी।

भारत की व्यापारिक रणनीति क्या होगी?

मोदी सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए तीन प्रमुख रणनीतियां बनाई हैं। पहली रणनीति यह है कि भारत अब यूरोपीय संघ, यूके, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार समझौतों को और मजबूत करेगा, ताकि अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कम हो सके। दूसरी रणनीति यह है कि भारत “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” के तहत अपने स्थानीय उद्योगों को और मजबूत करेगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा domestic production किया जा सके और Import पर निर्भरता कम हो। तीसरी रणनीति यह है कि भारत एफडीआई (foreign direct investment) को आकर्षित करने के लिए और अधिक आकर्षक व्यापारिक नीतियां अपनाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपने प्रोडक्शन हब स्थापित करें।

हालांकि, यह कहना मुश्किल होगा कि अमेरिका भारत द्वारा उठाए गए इन कदमों से पूरी तरह संतुष्ट होगा या नहीं। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संतुलन को लेकर आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण बातचीत होंगी। अमेरिका के लिए भी भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। अगर ट्रंप प्रशासन इस नीति को आगे बढ़ाता है, तो यह अमेरिका के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। भारत एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है और अमेरिका के लिए एक बड़ा बाजार भी।

Conclusion

तो दोस्तों, भारत के सामने यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत न केवल अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को संतुलित करने की दिशा में काम कर रहा है, बल्कि वह अपनी अर्थव्यवस्था को भी इस नई स्थिति के अनुकूल बना रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले महीनों में अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या होगी और क्या यह व्यापारिक संघर्ष किसी समझौते पर पहुंच सकता है? कमेंट में बताएं कि क्या आपको लगता है कि भारत इस व्यापारिक चुनौती का डटकर सामना करेगा?

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