Shubhanshu Shukla की स्पेस से शानदार वापसी: करोड़ों का मिशन, मगर सैलरी जानकर रह जाएंगे दंग! 2025

कल्पना कीजिए… आप लाखों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में हैं। चारों ओर बस अंधकार है, धरती एक नीली गेंद की तरह दिख रही है और आपके आगे है अंतरिक्ष का असीम विस्तार। आप 18 दिनों से अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहां जहां पहुंचने का सपना करोड़ों लोग देखते हैं, पर कर पाते हैं सिर्फ गिने-चुने।

लेकिन जब आप धरती पर लौटते हैं… तो सबसे ज़्यादा सवाल यही होता है—“आपको इसके बदले कितनी सैलरी मिली?” सोचिए, ऐसा ही कुछ हुआ है ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla के साथ… जो अंतरिक्ष से सकुशल लौट आए हैं, और अब सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों तक यही गूंज है—“कितनी मिलती है सैलरी एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को?” आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि भारत ने इतिहास रच दिया है। पहली बार किसी भारतीय ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक पहुंचकर न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है, बल्कि भारत की अंतरिक्ष शक्ति को पूरी दुनिया के सामने एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla ने जिस साहस और दृढ़ निश्चय के साथ ये 18 दिन बिताए, वो सिर्फ एक मिशन नहीं, एक राष्ट्रीय उपलब्धि बन गई है। लेकिन जैसे ही उन्होंने धरती पर कदम रखा, सवाल उड़ते हुए आए—क्या उन्हें इसके लिए करोड़ों का बोनस मिला होगा? क्या उन्हें अलग से सम्मानजनक भुगतान दिया गया?

इस सवाल का जवाब सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। क्योंकि जितनी बड़ी यह अंतरिक्ष यात्रा थी, उतनी ही साधारण रही इसकी सैलरी। जी हां, Shubhanshu Shukla को उनके इस इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन मिशन के लिए कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं मिला। कोई बोनस नहीं, कोई स्पेशल अलाउंस नहीं, सिर्फ वही नियमित वेतन जो उन्हें ISRO के पे-ग्रेड सिस्टम के तहत पहले से मिलता आ रहा था।

अब ज़रा सोचिए… सरकार ने इस मिशन पर 548 करोड़ रुपये खर्च किए। ट्रेनिंग, रिसर्च, टेक्नोलॉजी, अंतरिक्ष कैप्सूल की व्यवस्था और सुरक्षा उपकरणों के लिए ये राशि इस्तेमाल हुई। लेकिन इन करोड़ों में से एक रुपया भी Shubhanshu Shukla की सैलरी में इज़ाफा नहीं बन सका। क्यों? क्योंकि ISRO के अंतरिक्ष यात्री सरकारी पे-ग्रेड नियमों के दायरे में आते हैं। उनके लिए मिशन कोई कमाई का ज़रिया नहीं, बल्कि एक सेवा है—देश के लिए, विज्ञान के लिए।

अब सवाल ये है कि फिर ISRO कितनी सैलरी देता है अपने अंतरिक्ष यात्रियों को? आंकड़े बताते हैं कि ISRO के स्पेस पायलट्स और एस्ट्रोनॉट्स को सालाना 12 लाख से 20 लाख रुपये के बीच सैलरी मिलती है। इसमें बेसिक पे, डीए (महंगाई भत्ता), और कुछ अन्य सरकारी लाभ शामिल होते हैं। लेकिन अगर आप उम्मीद कर रहे थे कि अंतरिक्ष में जाने पर उन्हें किसी बॉलीवुड सुपरस्टार जैसी मोटी रकम मिलती होगी… तो अफसोस, ऐसा बिल्कुल नहीं है।

अब इसी तुलना में अगर हम नज़र डालें NASA पर, तो वहां के एस्ट्रोनॉट्स को सालाना 56 लाख से 90 लाख तक की सैलरी मिलती है। यूके की स्पेस एजेंसी 46 लाख से 99 लाख तक देती है, और ESA यानी यूरोपियन स्पेस एजेंसी हर महीने 6 लाख से 9 लाख देती है। मतलब वहां एक अंतरिक्ष यात्री जितना एक महीने में कमाता है, भारत में वो साल भर में मुश्किल से मिलता है।

ये अंतर केवल संख्याओं का नहीं, सोच का भी है। Shubhanshu Shukla जैसे एस्ट्रोनॉट्स के लिए ये मिशन केवल कैरियर ग्रोथ नहीं, बल्कि देश सेवा का माध्यम है। ये उन लोगों में से हैं जो कहते हैं—”हम पैसों के लिए नहीं उड़ते, हम देश के लिए उड़ते हैं।”

Shubhanshu Shukla की ये यात्रा एक गहरी प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो स्पेस रिसर्च में अपना करियर देख रहे हैं। इस मिशन ने बता दिया कि अंतरिक्ष में जाना सिर्फ रॉकेट के बल पर नहीं होता, इसके पीछे होती है—असंख्य रातों की मेहनत, अनुशासन, बलिदान और वो जज़्बा जो सिर्फ देशभक्तों में होता है। Shubhanshu Shukla आज एक मिशन से लौटे हैं, लेकिन साथ लाए हैं—हज़ारों सपनों की उड़ान।

इस मिशन का हिस्सा बनना कोई आसान बात नहीं थी। इसरो और भारत सरकार ने Axiom-4 मिशन के लिए पूरी ताकत झोंक दी। अमेरिका में ट्रेनिंग, मेडिकल टेस्ट, माइक्रोग्रैविटी सिम्युलेशन, स्पेसवॉक प्रैक्टिस—ये सब सिर्फ फिजिकल टेस्ट नहीं थे, ये मानसिक परीक्षा भी थी। और Shubhanshu Shukla ने हर कसौटी पर खुद को साबित किया।

आप सोच रहे होंगे कि जब विदेशों में इतना ज़्यादा वेतन मिलता है, तो भारतीय एस्ट्रोनॉट्स क्यों काम करते हैं कम सैलरी में? जवाब बहुत सरल है—मिशन पहले, मनी बाद में। जब आप भारत का झंडा लेकर अंतरिक्ष में निकलते हैं, तो उस वक्त न डॉलर दिखते हैं, न यूरो… बस सुनाई देती है तो अपने देश की धड़कन। यही भावना Shubhanshu Shukla जैसे लोगों को भारत का गर्व बनाती है।

ISRO का सिस्टम पूरी तरह से सरकारी है। वहां नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी भले ही प्राइवेट कंपनियों जितनी न हो, लेकिन जो आत्मसंतोष, जो गर्व, जो देशभक्ति उन्हें मिलती है—वो किसी भी रकम से बड़ी होती है। Shubhanshu Shukla ने ISS में रहते हुए अपने देश के वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया, जो आने वाले समय में भारत के लिए नई तकनीकों की राह खोलेंगे।

अंतरिक्ष से जब उनका संपर्क इसरो से हुआ करता था, तो हर मैसेज के पीछे एक भरोसा होता था—कि ये मिशन सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, एक देश का सपना है। और अब जब वो धरती पर लौटे हैं, तो न सिर्फ एक मिशन सफल हुआ है, बल्कि एक इतिहास लिखा गया है। भारत अब अंतरिक्ष में केवल “सुनने वाला” देश नहीं, “बोलने वाला” और “कर दिखाने वाला” देश बन चुका है।

लेकिन सवाल फिर वही है—क्या इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद भी Shubhanshu Shukla को कोई आर्थिक सम्मान नहीं मिला? नहीं। लेकिन शायद ज़रूरत भी नहीं थी। क्योंकि इस उड़ान का पुरस्कार न सैलरी है, न इनाम… यह आत्मगौरव है। और आत्मगौरव की कोई कीमत नहीं होती।

सोचिए, जिस देश में एक क्रिकेटर एक IPL सीज़न में 15 करोड़ से ज़्यादा कमा लेता है, वहीं एक अंतरिक्ष यात्री, जो 18 दिन तक धरती से दूर अपनी जान जोखिम में डालकर देश के लिए मिशन पूरा करता है—उसे बस 1.5 लाख महीना मिलता है। लेकिन फिर भी वो खुश हैं, संतुष्ट हैं, और शायद यही हमारी असली ताकत है।

अब जब अंतरिक्ष की दुनिया में भारत नए कदम बढ़ा रहा है, तो ये सवाल हम सबको खुद से पूछना चाहिए—क्या हमें केवल इसरो की तारीफ करनी है या उन नायकों को पहचान देना है जो इस मिशन के असली हीरो हैं? Shubhanshu Shukla एक नाम नहीं, एक प्रेरणा हैं। और उनकी कहानी उन लाखों बच्चों तक पहुँचना ज़रूरी है जो रात में तारे देखकर एक सपना देखते हैं—”मैं भी एक दिन स्पेस में जाऊंगा।”

तो अगली बार जब आप आसमान की ओर देखें, तो सिर्फ तारे न गिनिए। सोचिए कि वहां ऊपर एक भारतीय ने भारत का नाम रोशन किया है… बिना किसी अतिरिक्त वेतन, बिना किसी बड़े इनाम के। सिर्फ अपने सपनों और देशभक्ति के बल पर।

Shubhanshu Shukla की वापसी ने यह जता दिया है कि भारत अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं। अब अंतरिक्ष की कहानी में सिर्फ NASA या रूस का नाम नहीं चलेगा। अब जब भी स्पेस मिशन की बात होगी, वहां एक नाम और गूंजेगा—भारत… और उसके नायक Shubhanshu Shukla।

Conclusion

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love

Leave a Comment