Sahil Barua ने छोड़ा Swiggy का बोर्ड – नए सपनों की उड़ान या बड़ी रणनीति? 2025

एक ऐसा नाम जिसने लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया—Sahil Barua। एक ऐसा चेहरा, जिसे डेल्हीवरी के साथ जोड़कर देखा जाता है। लेकिन हाल ही में जब ये खबर सामने आई कि उन्होंने स्विगी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है, तो हर कोई हैरान रह गया। आखिर क्यों एक तेजी से उभरती टेक कंपनी के बोर्ड से इतना बड़ा नाम अचानक हट गया? क्या वजह सिर्फ वर्कलोड है या इसके पीछे कोई और बड़ा कारण छुपा है? आज की इस कहानी में हम सिर्फ खबर नहीं, उस पूरी पृष्ठभूमि को समझेंगे जिसने इस फैसले को जन्म दिया।

Sahil Barua, जो डेल्हीवरी के को-फाउंडर और सीईओ हैं, उन्होंने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस बार कारण था उनका इस्तीफा—स्विगी के बोर्ड से। शुक्रवार को उन्होंने इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया, और इसकी जानकारी खुद स्विगी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी। बरुआ ने इस इस्तीफे के पीछे जो वजह बताई, वो जितनी सीधी लगती है, उतनी शायद है नहीं।

बरुआ ने अपने इस्तीफे में लिखा कि डेल्हीवरी में उनकी बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण, अब वो स्विगी के बोर्ड में शामिल रहकर अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभा नहीं पा रहे। उनके शब्दों में, “मैं आपके बोर्ड में एक इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अहम वक्त और ध्यान देने में खुद को असमर्थ पाता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि किसी और को यह जिम्मेदारी देना कंपनी के लिए बेहतर होगा।

सुनने में यह एक साधारण प्रोफेशनल स्टेटमेंट लगता है। लेकिन जब आप टेक इंडस्ट्री को करीब से देखते हैं, तो समझ आता है कि यह निर्णय उतना सीधा नहीं जितना दिखता है। खासकर तब, जब डेल्हीवरी खुद तेजी से ग्रोथ और Acquisition की राह पर है। हाल ही में डेल्हीवरी ने ईकॉम एक्सप्रेस को 1,407 करोड़ में खरीदने का बड़ा सौदा किया है। इस सौदे के बाद डेल्हीवरी के पास ईकॉम एक्सप्रेस में लगभग 99% हिस्सेदारी आ गई है। यह डील सिर्फ एक एक्सपेंशन नहीं, बल्कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी है।

एक तरफ कंपनी में इतना बड़ा Acquisition हो रहा है, दूसरी तरफ उसके सीईओ का बोर्ड से इस्तीफा देना बताता है कि समय और ध्यान की मांग कितनी ज़्यादा हो गई है। डेल्हीवरी एक ऐसा स्टार्टअप है जिसने भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर को पूरी तरह से डिजिटल बना दिया। और Sahil Barua इसकी रीढ़ माने जाते हैं। जाहिर है, इस वक्त जब कंपनी आगे बढ़ रही है, वह हर निर्णय में खुद को पूरी तरह झोंक देना चाहते हैं।

लेकिन क्या सिर्फ यही कारण था? क्या साहिल का स्विगी से कोई मतभेद हुआ था? इस पर उन्होंने साफ-साफ कुछ नहीं कहा, बल्कि इसके उलट उन्होंने स्विगी के लिए अपना सम्मान जाहिर किया। उन्होंने लिखा, “मैं बोर्ड के हिस्से के रूप में सेवा करने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए स्विगी को धन्यवाद देना चाहता हूं। स्विगी बेहतरीन इंडियन इंटरनेट कंपनियों में से एक है जिसके फाउंडर और मैनेजमेंट भी शानदार हैं। मैं एक यूजर और शुभचिंतक के रूप में खुश हूं।”

यह बात साफ हो जाती है कि उनके और स्विगी के बीच कोई टकराव नहीं था। बल्कि दोनों पक्षों ने इस फैसले को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया है। स्विगी बोर्ड के चेयरपर्सन आनंद कृपालु ने भी अपने बयान में साहिल की भूमिका की सराहना की और कहा, “साहिल स्विगी के बोर्ड के पहले इंडिपेंडेंट मेंबर्स में से एक थे। उन्होंने कंपनी की जर्नी में एक सार्थक भूमिका निभाई है।” यह एक दुर्लभ उदाहरण है जब कोई टॉप एग्जीक्यूटिव दूसरे ब्रांड के साथ जुड़कर फिर उसी गरिमा के साथ अलग हो जाता है। इसमें कोई विवाद नहीं, कोई आरोप नहीं। सिर्फ एक व्यावसायिक प्राथमिकता, जिसे पूरी शालीनता से हैंडल किया गया।

Sahil Barua की प्रोफेशनल जर्नी खुद में एक मिसाल है। IIM बेंगलुरु से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैकेंजी जैसे कंसल्टिंग फर्म से की थी। लेकिन जल्द ही उन्होंने भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की कमियों को समझा और डेल्हीवरी की नींव रखी। आज यह कंपनी न केवल भारत में, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है।

स्विगी में उनका रोल एक इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में था। इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स का काम होता है कंपनी की कार्यप्रणाली की निगरानी करना और स्ट्रैटजिक सलाह देना। यह पद कोई आम जिम्मेदारी नहीं होती। खासकर जब कंपनी पब्लिक होने की राह पर हो या बड़े इन्वेस्टमेंट्स प्लान कर रही हो। ऐसे में साहिल का यह फैसला बताता है कि वह अपनी ऊर्जा अब पूरी तरह डेल्हीवरी पर केंद्रित करना चाहते हैं।

आज जब टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप की दुनिया तेजी से बदल रही है, तब एक लीडर का अपने समय को लेकर इतना सजग होना असाधारण है। आमतौर पर बोर्ड मेंबरशिप को प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। लेकिन जब वही प्रतिष्ठा जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बिगाड़ने लगे, तो उससे अलग हो जाना ही समझदारी है।

Sahil Barua का यह कदम आज की युवा पीढ़ी के लिए एक सीख भी है। काम को प्राथमिकता देना, लेकिन दूसरों के साथ सम्मानजनक रिश्ते भी बनाए रखना—यही एक सच्चे प्रोफेशनल की पहचान है। उन्होंने यह भी दिखा दिया कि सफलता का मतलब सिर्फ ज्यादा जिम्मेदारियां लेना नहीं होता, बल्कि सही समय पर सही जिम्मेदारी छोड़ना भी एक आर्ट है।

अब सवाल यह उठता है कि स्विगी आगे कैसे चलेगा? जाहिर है, कंपनी किसी नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर को बोर्ड में लाएगी जो आने वाले समय में स्विगी के लिए नई रणनीतियां बनाने में मदद करेगा। लेकिन साहिल की जगह लेना आसान नहीं होगा। उन्होंने जो रणनीतिक सोच, अनुभव और इंडस्ट्री अंडरस्टैंडिंग दी है, वह किसी भी कंपनी के लिए बेशकीमती होती है।

वहीं डेल्हीवरी के लिए यह एक फोकस का समय है। ईकॉम एक्सप्रेस के साथ मर्जर के बाद कंपनी को ढेरों ऑपरेशनल बदलावों से गुजरना पड़ेगा। ग्राहकों की अपेक्षाएं, डेटा इंटेग्रेशन, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन—हर फ्रंट पर तेजी से काम होगा। ऐसे में Sahil Barua का हर निर्णय, हर रणनीति अब सीधे-सीधे कंपनी के भविष्य को प्रभावित करेगी।

यह बात भी दिलचस्प है कि डेल्हीवरी और स्विगी दोनों ही कंपनियां लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी के इकोसिस्टम में काम करती हैं। एक रिटेल डिलीवरी पर केंद्रित है, तो दूसरी फूड डिलीवरी पर। ऐसे में साहिल का अनुभव स्विगी के लिए बेहद उपयोगी रहा होगा। वहीं अब वो पूरा अनुभव डेल्हीवरी के अगले फेज में ट्रांसफर होगा।

हमारे समय के लीडर्स सिर्फ कंपनियां नहीं बनाते, वो एक सोच बनाते हैं। और Sahil Barua उस सोच के प्रतीक हैं, जो काम को सिर्फ एक टास्क नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी मानते हैं। उन्होंने यह दिखाया है कि एक लीडर वह नहीं जो सब कुछ कर ले, बल्कि वह है जो सही समय पर सही चीज़ को ‘नहीं’ कह सके।

आज के इस दौर में जहां हर कोई और ज़्यादा हासिल करना चाहता है, वहां Sahil Barua का यह ‘स्टेप बैक’ लेना कई मायनों में एक ‘स्टेप फॉरवर्ड’ है। यह हमें सिखाता है कि असली नेतृत्व वही है जो न सिर्फ सफलता को संभाले, बल्कि सीमाओं को भी समझे।

तो अगली बार जब हम किसी कंपनी के बोर्ड में किसी नाम को देखें, तो उसके पीछे के वक्त, जिम्मेदारी और प्राथमिकताओं को भी ज़रूर सोचें। क्योंकि हर इस्तीफा एक अंत नहीं होता… कभी-कभी यह एक नई शुरुआत का संकेत भी होता है।

Conclusion:-

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