कल्पना कीजिए कि एक बुजुर्ग दंपती अपने घर के कोने में बैठकर लैपटॉप स्क्रीन पर दस्तखत कर रहे हैं। बाहर बारिश हो रही है, उम्र के साथ चलने में दिक्कत है, लेकिन आज उन्हें तहसील के चक्कर नहीं काटने पड़े। वे सिर्फ एक क्लिक में अपना सपना पूरा कर रहे हैं—अपने मकान की रजिस्ट्री करवा रहे हैं। बिना किसी दलाल, बिना किसी धक्कामुक्की के।
ये किसी काल्पनिक दुनिया की बात नहीं है। ये भारत की बदलती हकीकत है। एक ऐसा बदलाव जो 117 साल पुरानी व्यवस्था को डिजिटल युग में लाकर खड़ा कर रहा है। और यही बदलाव अब लाखों भारतीयों की ज़िंदगी बदलने वाला है, जहां हर दस्तावेज़ की गवाही अब कंप्यूटर स्क्रीन पर मिलेगी, और हर मालिकाना हक़ अब डिजिटल दस्तावेज़ों में दर्ज होगा। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
भारत में Property रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया हमेशा से ही जटिल और समय खपाने वाली रही है। फिजिकली दस्तावेज लेकर जाना, लंबी कतारें, वकीलों और दलालों की फौज, और फिर भी दिल में यह डर बना रहता था कि कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए। इन सब झंझटों ने आम आदमी को एक छोटी-सी ज़मीन या मकान के रजिस्ट्रेशन के लिए कई दिनों तक परेशान किया है।
लेकिन अब केंद्र सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो इस पूरे सिस्टम को सिर से पैर तक बदल सकता है। 117 साल पुराने ‘रजिस्ट्रेशन एक्ट’ को हटाकर एक नया डिजिटल कानून लाया जा रहा है। अब Property रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया घर बैठे ऑनलाइन हो सकेगी, और यह प्रक्रिया सिर्फ शहरी ही नहीं, ग्रामीण भारत में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है।
यह नया विधेयक केवल जमीन और मकान की रजिस्ट्री को डिजिटल करने का ही नहीं, बल्कि विक्रय अनुबंध, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट और यहां तक कि इक्विटेबल मॉर्गेज जैसे दस्तावेजों को भी अनिवार्य रूप से ऑनलाइन रजिस्टर करने की बात करता है।
यानी अब कोई कागज़ का टुकड़ा छुपाया नहीं जा सकेगा। हर दस्तावेज डिजिटल रूप में सरकार के सिस्टम में दर्ज होगा और रिकॉर्ड के रूप में सुरक्षित रहेगा। यह पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देगा, और एक राष्ट्रव्यापी डेटा सिस्टम को मजबूती देगा, जिससे किसी भी Property की जानकारी एक क्लिक में मिल सकेगी।
इस विधेयक को ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने तैयार किया है और 25 जून तक आम जनता से इस पर राय मांगी गई है। यह सिर्फ एक कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है।
अब रजिस्ट्री की प्रक्रिया तेज होगी, पारदर्शी होगी और सबसे बड़ी बात—लोगों के लिए सुविधाजनक होगी। खासकर ऐसे लोग जो बड़े शहरों से दूर रहते हैं, जिनके पास सीमित संसाधन हैं, उनके लिए यह प्रणाली बेहद मददगार होगी। यह बदलाव उन्हें सशक्त बनाएगा, आत्मनिर्भर बनाएगा और सरकारी दफ्तरों की निर्भरता को खत्म करेगा।
अभी तक देशभर में रजिस्ट्रेशन एक्ट लागू था, लेकिन राज्य सरकारों को इसमें बदलाव करने का अधिकार प्राप्त था। कई राज्य जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली पहले ही डिजिटल सिस्टम अपना चुके हैं। अब केंद्र सरकार एक ऐसा एकीकृत कानून ला रही है जो पूरे देश में एक समान व्यवस्था लागू करेगा। न उत्तर भारत अलग, न दक्षिण भारत अलग—एक ही कानून, एक ही प्रोसेस। यह कदम न सिर्फ प्रशासनिक एकरूपता लाएगा, बल्कि नागरिकों को भी समान अधिकार और प्रक्रियाओं के तहत लाभ मिलेगा।
सरकार का यह फैसला सिर्फ आधुनिकता की तरफ कदम नहीं है, बल्कि धोखाधड़ी को रोकने की भी एक बड़ी योजना है। अब सभी रजिस्ट्री प्रक्रियाओं में आधार से वेरिफिकेशन किया जाएगा। हालांकि यह आधार अनिवार्य नहीं होगा, लेकिन जो लोग इसे देना नहीं चाहते उनके लिए भी अन्य वैकल्पिक तरीके होंगे। यानी नागरिक की सहमति को पूरी तरह महत्व दिया जाएगा। इससे उन लोगों को भी सुविधा मिलेगी जो किसी कारणवश आधार नहीं देना चाहते, और साथ ही सिस्टम की सुरक्षा और सत्यता भी बनी रहेगी।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन सिस्टम में दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में अपलोड किया जाएगा और डिजिटल सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इससे न सिर्फ दस्तावेज खोने का डर खत्म होगा, बल्कि Property के मालिकाना हक पर किसी प्रकार की शंका भी नहीं रहेगी। पूरी प्रक्रिया पेपरलेस, फास्ट और ट्रैक करने योग्य होगी। यह परिवर्तन न केवल समय बचाएगा बल्कि लाखों लोगों को सरकारी प्रक्रियाओं के चक्कर से मुक्त करेगा, और उनकी ऊर्जा को और महत्वपूर्ण कार्यों में लगाने का अवसर देगा।
एक और बड़ा फायदा होगा कि यह सिस्टम अन्य सरकारी एजेंसियों से भी जुड़ा रहेगा। यानी अगर कोई व्यक्ति रजिस्ट्री करवा रहा है, तो संबंधित विभाग—जैसे टैक्स डिपार्टमेंट या स्थानीय नगर निगम—सीधे इस डेटा तक पहुंच पाएंगे। इससे रिकॉर्ड में पारदर्शिता आएगी और फर्जीवाड़े के केस काफी हद तक कम हो जाएंगे। यह कदम प्रशासन को स्मार्ट और जवाबदेह बनाएगा, और भ्रष्टाचार पर बड़ा वार करेगा।
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा का कहना है कि यह बदलाव आम आदमी के लिए वरदान साबित हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो बीमार हैं, बुजुर्ग हैं, या जो नौकरी के कारण किसी अन्य राज्य में रहते हैं और रजिस्ट्री के लिए सफर नहीं कर सकते। अब उनके लिए यह प्रक्रिया एक क्लिक की दूरी पर होगी। यह सिस्टम घर बैठे कामकाज करने की स्वतंत्रता देगा, जिससे लोग अपने स्वास्थ्य, काम और परिवार को प्राथमिकता दे सकेंगे।
मगर साथ ही प्रदीप मिश्रा यह भी कहते हैं कि जब भी कोई बड़ा बदलाव आता है, तो उसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह जमीनी स्तर पर कैसे लागू होता है। सिस्टम कितना यूजर फ्रेंडली होता है, कितनी तकनीकी सहायता उपलब्ध होती है, और लोगों को कितना मार्गदर्शन दिया जाता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि नागरिकों को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे इस सिस्टम का सही उपयोग कर सकें।
ड्राफ्ट बिल में यह भी प्रस्ताव है कि सिस्टम को उन एजेंसियों से जोड़ा जाए जो पहले से दस्तावेजों का रिकॉर्ड रखती हैं, ताकि एक यूनिफाइड सिस्टम तैयार हो सके। इससे डेटा में डुप्लिकेशन नहीं होगा और एक व्यक्ति की Property की पूरी जानकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर मौजूद होगी। इससे समय, संसाधन और श्रम की बचत होगी और सरकारी Data management में अभूतपूर्व सुधार आएगा।

इसके अलावा सरकार डिजिटल दस्तावेजों को मेंटेन करने की भी योजना बना रही है। यानी फिजिकल रिकॉर्ड की जगह अब डिजिटल फोल्डर होंगे, जिन्हें कभी भी, कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा। इससे भविष्य में कानूनी विवादों को हल करना भी आसान हो जाएगा। यह परिवर्तन ना केवल प्रक्रिया को आसान बनाएगा बल्कि नागरिकों को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और सतर्क बनाएगा।
डिजिटल इंडिया के इस युग में जब बैंकिंग, ट्रैफिक चालान, स्कूल एडमिशन सब कुछ ऑनलाइन हो चुका है, तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन जैसी बड़ी और जटिल प्रक्रिया को भी ऑनलाइन लाना एक बेहद जरूरी कदम था। इससे न केवल नागरिकों को सुविधा मिलेगी, बल्कि सरकारी विभागों का काम भी तेज और पारदर्शी होगा। यह पहल भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर और मजबूत बनाएगी।
इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए यह जरूरी होगा कि राज्य सरकारें भी केंद्र के साथ समन्वय बनाएं। एक सशक्त और सुरक्षित ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए, जिसमें साइबर सिक्योरिटी का विशेष ध्यान रखा जाए। और सबसे बड़ी बात, आम नागरिक को सरल भाषा में यह समझाया जाए कि इस नए सिस्टम में उन्हें क्या करना होगा। तभी यह पहल वास्तव में जन-जन की योजना बन पाएगी।
सोचिए, जब हर राज्य, हर गांव, हर कस्बे में लोग अपने मोबाइल से अपनी जमीन की रजिस्ट्री कर सकेंगे। जब एक क्लिक पर पावर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर होगी, जब फर्जीवाड़ा करने वाले सिस्टम में घुस भी नहीं पाएंगे, तब भारत में Property रजिस्ट्रेशन की परिभाषा ही बदल जाएगी। यह परिवर्तन सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक आज़ादी का प्रतीक होगा।
Conclusion
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