Preity Zinta की वापसी! पंजाब किंग्स पर मालिकाना हक की जंग ने फिर दिलाया सुर्खियों में मुकाम I 2025

क्या कोई क्रिकेट टीम सिर्फ मैदान पर नहीं, बल्कि कोर्ट रूम में भी मैच खेल सकती है? क्या एक ग्लैमरस बॉलीवुड स्टार, जो अपने जुनून और प्रोफेशनलिज्म के लिए जानी जाती है, अब अपनी ही टीम के अंदरूनी खेल का शिकार बन रही है? और क्या IPL की चमक-धमक के पीछे छिपा है ऐसा विवाद, जो टीम के भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा कर सकता है? ये कोई स्क्रिप्टेड फिल्म नहीं, बल्कि हकीकत है—Preity Zinta की हकीकत।

एक ऐसी अभिनेत्री, जिसने क्रिकेट की दुनिया में सिर्फ शोपीस बनकर एंट्री नहीं की, बल्कि एक जिम्मेदार Co-owner बनकर अपनी पहचान बनाई। लेकिन अब वही प्रीति कोर्ट में है… और निशाने पर हैं—उनके पुराने बॉयफ्रेंड नेस वाडिया और बिजनेस पार्टनर मोहित बर्मन। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि यह पूरा मामला पंजाब किंग्स टीम की मालिकाना कंपनी KPH ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है। यह कंपनी तीन मुख्य चेहरों से बनी है—Preity Zinta, मोहित बर्मन और नेस वाडिया। तीनों कंपनी के Director हैं और आईपीएल टीम की रणनीतियों, फैसलों और फाइनेंशियल प्लानिंग में बराबर की भूमिका निभाते हैं। लेकिन अब इस तिकड़ी में कुछ ऐसा दरार आ गया है, जिसने टीम को कोर्ट तक पहुंचा दिया।

Preity Zinta
Preity Zinta की वापसी

Preity Zinta ने चंडीगढ़ की जिला अदालत में एक सिविल केस दायर किया है, जिसमें उन्होंने कंपनी द्वारा 21 अप्रैल 2025 को बुलाई गई एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग को गैरकानूनी करार देने की मांग की है। उनकी दलील है कि इस मीटिंग को Companies Act, 2013 और Secretarial Standards के कई प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बुलाया गया और अंजाम तक पहुंचाया गया। उनके मुताबिक, यह मीटिंग न सिर्फ प्रक्रियागत रूप से गलत थी, बल्कि इसका उद्देश्य उन्हें और उनके समर्थन करने वाले Director को दरकिनार करना था।

इस मीटिंग में जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ, वह था चेयरपर्सन की नियुक्ति। Preity Zinta का आरोप है कि बैठक में नेस वाडिया को बिना आपसी सहमति के चेयरपर्सन नियुक्त कर दिया गया, जबकि नियमानुसार ऐसा फैसला तभी लिया जा सकता है जब Directors के बीच सहमति हो। उन्होंने इस मुद्दे पर Secretarial Standards के Principle 5.1 का हवाला दिया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि यदि चेयरपर्सन तय न हो, तो Directors को आपसी सहमति से किसी एक को चुनना चाहिए।

चेयरपर्सन की नियुक्ति

बैठक में जब यह मुद्दा उठा, तो Preity Zinta और करण पॉल ने खुद को चेयरपर्सन पद के लिए नामित किया, जिससे Directors के बीच 2 2 का मत विभाजन बन गया। ऐसे में नियम यही कहते हैं कि निर्णय को रोक देना चाहिए और बैठक को स्थगित कर देना चाहिए। लेकिन इसके उलट, मोहित बर्मन और नेस वाडिया ने बैठक को जारी रखा और एक नया Director—मुनीश खन्ना—को Additional Non-Executive Director के रूप में नियुक्त कर दिया।

यहीं से मामला और उलझ गया। Preity Zinta का आरोप है कि मुनीश खन्ना की नियुक्ति न सिर्फ कंपनी के Articles of Association के खिलाफ है, बल्कि यह कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उस मूल ढांचे को भी तोड़ता है जिस पर एक कंपनी की पारदर्शिता और विश्वसनीयता टिकी होती है। उन्होंने अदालत से मांग की है कि इस नियुक्ति को रद्द किया जाए और कंपनी को निर्देश दिया जाए कि जब तक यह मामला अदालत में लंबित है, कोई भी बोर्ड या जनरल मीटिंग उनकी और करण पॉल की उपस्थिति के बिना न हो।

Preity Zinta इस कंपनी में 23 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती हैं। यानी वे सिर्फ एक चेहरा नहीं, एक मजबूत हिस्सेदार भी हैं, जिनका निर्णय लेने में कानूनी और व्यावसायिक अधिकार है। ऐसे में अगर उन्हें सूचना दिए बिना या उनकी सहमति के बगैर ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं, तो यह न सिर्फ उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि एक बड़े कॉर्पोरेट टकराव की ओर इशारा करता है।

कंपनी के Articles of Association

दिलचस्प बात यह है कि प्रीति ने इस बैठक पर आपत्ति 10 अप्रैल को ही ईमेल के ज़रिए जताई थी। लेकिन इसके बावजूद बैठक बुलाई गई, और सारे निर्णय उसी दिशा में लिए गए, जो पहले से तय लग रहे थे। क्या यह पूर्व-नियोजित साजिश थी? क्या Preity Zinta को कंपनी के फैसलों से अलग करने की कोशिश की जा रही है? और अगर हां, तो क्यों?

यह विवाद सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है। Preity Zinta और नेस वाडिया का अतीत एक निजी रिश्ते से भी जुड़ा रहा है। दोनों ने एक समय एक-दूसरे को डेट किया था। लेकिन रिश्तों के टूटने के बाद भी वे एक ही टीम के साझेदार बने रहे। ऐसा लगता है कि अब व्यक्तिगत मतभेद ने व्यावसायिक रिश्तों को भी जटिल बना दिया है।

मामले की सुनवाई कोर्ट मे होनी है। अब कोर्ट यह तय करेगा कि क्या EGM को रद्द किया जाए, और क्या मुनीश खन्ना की नियुक्ति अस्थायी रूप से रोकी जाए। अगर कोर्ट ने प्रीति के पक्ष में फैसला सुनाया, तो यह न सिर्फ कंपनी के अंदर समीकरणों को बदल देगा, बल्कि भविष्य में अन्य IPL टीमों और उनके मालिकाना ढांचे पर भी असर डाल सकता है।

वहीं दूसरी ओर, मोहित बर्मन और नेस वाडिया का पक्ष क्या होगा, यह अगली सुनवाई में साफ होगा। हो सकता है वे यह तर्क दें कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह वैध थी और उन्होंने कंपनी के हित में ही यह निर्णय लिया। लेकिन यहां सवाल सिर्फ कानूनी वैधता का नहीं, नैतिकता और कॉर्पोरेट प्रक्रिया के सम्मान का भी है।

कंपनियों की दुनिया में अक्सर ऐसा होता है कि पावर स्ट्रगल, हिस्सेदारी, और कंट्रोल को लेकर अंदरूनी झगड़े बाहर आ जाते हैं। लेकिन जब मामला IPL जैसी हाई-विजिबिलिटी और हाई-इन्वेस्टमेंट लीग का हो, और उसमें एक लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेत्री शामिल हो, तो यह महज़ एक विवाद नहीं रह जाता—यह एक पब्लिक इमेज, एक ब्रांड वैल्यू, और एक खेल भावना की कहानी बन जाता है।

EGM को रद्द

Preity Zinta ने इस केस के ज़रिए एक बात तो साफ कर दी है—वो सिर्फ नाम की मालिक नहीं, बल्कि हर फैसले में अपनी भागीदारी और अधिकार चाहती हैं। चाहे वह बोर्ड मीटिंग हो या खिलाड़ी की नीलामी, वे हर उस प्रक्रिया में शामिल होना चाहती हैं जो टीम की दिशा तय करती है।

और यही कारण है कि इस बार की लड़ाई सिर्फ हिस्सेदारी की नहीं, बल्कि हिस्सेदारी की आवाज़ की है। ट्रॉफी चाहे मैदान पर जीती जाती है, लेकिन उसकी नींव बोर्डरूम में रखी जाती है। और अगर उस बोर्डरूम में ही मतभेद, अविश्वास और सत्ता संघर्ष हो, तो टीम चाहे कितनी भी बड़ी हो, उसकी नींव कमजोर हो जाती है।

IPL केवल क्रिकेट नहीं, एक उद्योग है—बिलियन्स की वैल्यू वाला, ब्रांड्स और इमोशन्स से भरा हुआ। और जब इसमें दरारें आती हैं, तो उनका असर सिर्फ एक टीम तक सीमित नहीं रहता, वह पूरे लीग के तंत्र को झकझोर सकता है।

यह केस एक मिसाल बन सकता है—कि कैसे एक महिला उद्यमी, एक फिल्मी सितारा होने के बावजूद, कॉर्पोरेट दुनिया में अपने हक के लिए डटकर खड़ी हो सकती है। Preity Zinta का यह साहस उन लाखों महिलाओं के लिए भी प्रेरणा है, जो अपने अधिकार के लिए लड़ना चाहती हैं, चाहे वो बॉलीवुड हो, बिज़नेस हो या क्रिकेट।

और शायद यही इस कहानी की सबसे बड़ी सीख है—अगर आपकी आवाज़ दबाई जा रही है, तो उसे और ऊंचा उठाना ज़रूरी है। क्योंकि जहां साझेदारी है, वहां सम्मान भी होना चाहिए।

Conclusion

एक फिल्मी सितारा

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