Passive Mutual Fund: क्या होते हैं और क्यों बढ़ रहा है इनका बोलबाला? जानिए इसके फायदे! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एक ऐसा बदलाव हो रहा है जिसने Investors के बीच खलबली मचा दी है? जी हां, हम बात कर रहे हैं Passive Mutual Funds की, जो तेजी से Investors के बीच अपनी जगह बना रहे हैं। इन फंड्स ने साल 2024 में न केवल लाखों नए Investors को आकर्षित किया, बल्कि उनकी एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) भी 24% बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

इतना ही नहीं, Investors के पोर्टफोलियो में 37% की वृद्धि देखी गई है। सवाल यह है कि ऐसा क्या खास है इन फंड्स में जो इतने कम समय में इतने बड़े पैमाने पर लोकप्रिय हो गए? क्या यह Investment का अगला बड़ा ट्रेंड बनने वाला है? आइए, इस रोमांचक और तेजी से बढ़ते Investment विकल्प के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं।

Passive Mutual Funds का ट्रेंड क्यों बढ़ रहा है, और इसमें निप्पॉन इंडिया और अन्य प्रमुख फंड हाउसों की क्या भूमिका है?

Passive Mutual Funds, जिनमें इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) शामिल हैं, ने 2024 में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल म्यूचुअल फंड हाउसों ने 122 नई पैसिव फंड योजनाएं लॉन्च कीं। निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड, जिसके पास अब 1.46 करोड़ पोर्टफोलियो हैं और जिसका एयूएम 1.65 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, इस Category में सबसे बड़ा खिलाड़ी है।

यह कंपनी ETF ट्रेडिंग वॉल्यूम का 55% हिस्सा रखती है। इसके अलावा, कोटक, एक्सिस, और मोतीलाल ओसवाल जैसे प्रमुख फंड हाउसों ने भी इस Category में शानदार वृद्धि दर्ज की है। यह ट्रेंड इस बात का प्रमाण है कि Investors अब पारंपरिक Investment विकल्पों से हटकर सरल, सस्ते और स्थिर विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।

आखिर क्या होते हैं Passive Mutual Funds?

Passive Mutual Funds वह फंड हैं जो किसी खास इंडेक्स, जैसे कि Nifty 50 या Sensex, को ट्रैक करते हैं। इन फंड्स का मुख्य उद्देश्य इंडेक्स के प्रदर्शन को दोहराना होता है। उदाहरण के लिए, अगर Nifty 50 इंडेक्स में 50 कंपनियां शामिल हैं, तो पैसिव फंड उसी अनुपात में इन कंपनियों में Investment करता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह Automatic होती है, जिससे फंड मैनेजर्स को अलग-अलग स्टॉक्स चुनने की जरूरत नहीं होती।

यह Investment का सबसे सरल और पारदर्शी तरीका है। पैसिव फंड्स की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह बाजार के प्रदर्शन के अनुसार काम करते हैं, जिससे Investors को स्थिर और भरोसेमंद रिटर्न मिलता है। यह उन Investors के लिए आदर्श है जो लंबी अवधि के लिए Investment करना चाहते हैं और बाजार की जटिलताओं से बचना चाहते हैं।

आखिर क्यों बढ़ रहा है पैसिव फंड्स का बोलबाला?

Passive Mutual Funds की लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहला कारण है इनकी कम लागत। चूंकि इन फंड्स को सक्रिय रूप से प्रबंधित करने की जरूरत नहीं होती, इसलिए इनका एक्सपेंस रेशियो काफी कम होता है। इसके अलावा, इन फंड्स को समझना और इनका प्रदर्शन ट्रैक करना बेहद आसान है।

निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के ईटीएफ प्रमुख अरुण सुंदरेसन के अनुसार, ये फंड बाजार के विभिन्न हिस्सों में शुद्ध एक्सपोजर प्रदान करते हैं और Investors को डाइवर्सिफिकेशन का लाभ देते हैं। यही कारण है कि Investors को यह फंड कम Risk वाले विकल्प के रूप में पसंद आ रहे हैं। इसके अलावा, ये फंड उन Investors के लिए भी फायदेमंद हैं जो समय या विशेषज्ञता की कमी के कारण जटिल Investment रणनीतियों से बचना चाहते हैं।

Passive Mutual Funds में निवेश करने से निवेशकों को क्या फायदे मिलते हैं, और कंपाउंडिंग का जादू इसमें कैसे काम करता है?

Passive Mutual Funds का एक और बड़ा फायदा है इनका कंपाउंडिंग इफेक्ट। जब Investors नियमित रूप से इन फंड्स में Investment करते हैं और लंबे समय तक Invested रहते हैं, तो उनका पैसा तेजी से बढ़ता है। उदाहरण के लिए, अगर आप हर महीने 10,000 रुपये एक पैसिव फंड में Investment करते हैं और यह फंड सालाना 10% का रिटर्न देता है, तो कुछ ही सालों में यह राशि लाखों में बदल सकती है।

इसके अलावा, ये फंड उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हैं जो कम Risk के साथ अपने Financial लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं। चाहे वह बच्चों की शिक्षा का खर्च हो, रिटायरमेंट के लिए बचत हो, या एक बड़ा घर खरीदने का सपना—पैसिव फंड्स आपको हर लक्ष्य के लिए स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

Passive Mutual Funds में कम लागत और पारदर्शिता कैसे निवेशकों को आकर्षित करती है?

पैसिव फंड्स की एक और खासियत है इनकी पारदर्शिता। जब आप एक पैसिव फंड में Investment करते हैं, तो आपको हमेशा पता होता है कि आपका पैसा कहां Invest किया जा रहा है। यह Investors को भरोसा देता है और उन्हें अपने Investment पर पूरा नियंत्रण बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, इन फंड्स की लागत एक्टिव फंड्स की तुलना में काफी कम होती है, जिससे Investors को अपने रिटर्न का बड़ा हिस्सा बचाने का मौका मिलता है। इन फंड्स की पारदर्शिता और कम लागत उन्हें उन Investors के लिए आदर्श बनाती है, जो High Fees और जटिल Investment Process से बचना चाहते हैं।

सही पैसिव फंड का चयन कैसे करें?

पैसिव फंड्स में Investment करने से पहले सही फंड का चयन करना बेहद जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले यह समझना चाहिए कि आपका Investment लक्ष्य क्या है। अगर आप भारतीय बाजार में Investment करना चाहते हैं, तो Nifty 50 या Sensex को ट्रैक करने वाले फंड्स आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। वहीं, अगर आप अंतरराष्ट्रीय बाजारों में Investment करना चाहते हैं, तो विदेशी इंडेक्स फंड्स को चुन सकते हैं।

इसके अलावा, फंड का ट्रैकिंग एरर यानी इंडेक्स और फंड के प्रदर्शन में अंतर भी देखना चाहिए। कम ट्रैकिंग एरर वाले फंड्स आमतौर पर बेहतर माने जाते हैं। साथ ही, फंड के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) और उसकी लागत संरचना पर भी ध्यान दें।

Conclusion

आने वाले सालों में और भी मजबूत होने वाला है। इन फंड्स की सरलता, स्थिरता, और कम लागत ने उन्हें Investors के लिए आकर्षक बना दिया है। अगर आप भी अपने Investment पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं और लंबी अवधि के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प तलाश रहे हैं, तो Passive Mutual Funds एक आदर्श समाधान हैं। यह न केवल आपके पैसे को तेजी से बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि आपके Financial लक्ष्यों को समय पर पूरा करने में भी सहायक होंगे।

Passive Mutual Funds ने Investors को एक सरल, पारदर्शी और स्थिर Investment विकल्प प्रदान किया है। इन फंड्स की बढ़ती लोकप्रियता यह साबित करती है कि आने वाले समय में यह म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेंगे। अगर आप भी अपने Investment को लेकर एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प तलाश रहे हैं, तो पैसिव फंड्स को अपने पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाना एक समझदारी भरा कदम होगा। अपने आर्थिक लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए आज ही इस नए Investment विकल्प को अपनाएं और एक बेहतर भविष्य की नींव रखें।

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