नमस्कार दोस्तों, सोचिए, एक ऐसी शख्सियत जो अपने देश के सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय से होने के बावजूद, दौलत और शोहरत के शिखर पर विराजमान है। एक ऐसी महिला, जिसने न केवल फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया, बल्कि अपनी काबिलियत और मेहनत से पूरे देश की सबसे अमीर महिलाओं में अपनी पहचान बनाई।
ये कहानी है पाकिस्तान की सबसे अमीर हिंदू महिला संगीता की, जिन्हें Parveen Rizvi के नाम से भी जाना जाता है। Parveen Rizvi की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक ऐसी लड़की, जिसने बाल कलाकार के रूप में अपने सफर की शुरुआत की और फिर एक अभिनेत्री, फिल्म निर्माता और Director के रूप में न सिर्फ खुद को साबित किया, बल्कि पूरे देश में अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए।
लेकिन सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तान जैसे देश में, जहां हिंदू समुदाय आबादी का महज 2.17 प्रतिशत है और ज्यादातर हिंदू आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं, वहां एक हिंदू महिला ने कैसे दौलत और शोहरत का इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
Parveen Rizvi का जन्म 14 जून, 1958 को कराची में हुआ था। उनका असली नाम संगीता है। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जो पहले से ही शो बिजनेस से जुड़ा हुआ था। परवीन की मां मेहताब रिजवी भी एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। इसी वजह से संगीता का झुकाव बचपन से ही फिल्मी दुनिया की ओर था।
उन्होंने महज 11 साल की उम्र में, 1969 में, फिल्म ‘कोह-ए-नूर’ से अपने Acting करियर की शुरुआत की थी। बचपन से ही संगीता में Acting का ऐसा हुनर था कि उनकी पहली ही फिल्म ने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिला दी। लेकिन असली पहचान उन्हें 1971 में मिली, जब उन्होंने रियाज शाहिद की फिल्म ‘ये अमन’ में सपोर्टिंग रोल किया। इस फिल्म के बाद संगीता का करियर तेजी से आगे बढ़ने लगा।
संगीता ने अपने शुरुआती करियर में कई फिल्मों में Acting की, लेकिन उनके दिल में Director बनने की चाहत थी। उन्होंने 1976 में बतौर Director अपनी पहली फिल्म ‘सोसाइटी गर्ल’ बनाई। ये फिल्म सुपरहिट रही और इसने संगीता को बतौर निर्माता और Director इंडस्ट्री में एक नई पहचान दिलाई।
इसके बाद संगीता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। Parveen Rizvi एक के बाद एक हिट फिल्में दीं। ‘निकाह’, ‘मुट्ठी भर चावल’, ‘ये अमन’ और ‘नाम मेरा बदनाम’ जैसी फिल्मों ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि संगीता को पाकिस्तान की टॉप Directors की लिस्ट में शामिल कर दिया।
संगीता का करियर 45 सालों से भी ज्यादा का रहा है। इस दौरान उन्होंने 120 से भी ज्यादा फिल्मों में Acting और निर्देशन किया है। उनके निर्देशन में बनी फिल्में सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई हैं।
संगीता की फिल्मों में सामाजिक मुद्दों, महिलाओं की स्थिति और पारिवारिक मूल्यों को प्रमुखता से दिखाया गया है। उनकी फिल्में न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रहीं, बल्कि उन्होंने दर्शकों के दिलों में भी खास जगह बनाई। संगीता की खासियत ये रही कि Parveen Rizvi हर दौर के दर्शकों को समझा और उनके लिए ऐसी फिल्में बनाई, जो उनके दिलों को छू गईं।
सिर्फ फिल्मी दुनिया में ही नहीं, संगीता ने आर्थिक स्तर पर भी खुद को साबित किया है। विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, संगीता पाकिस्तान की सबसे अमीर हिंदू महिला हैं। उनकी सालाना कमाई करीब 39 करोड़ रुपये बताई जाती है। इसका मतलब है कि उनकी कुल संपत्ति भारत की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल से भी ज्यादा है। सावित्री जिंदल की नेटवर्थ 34 बिलियन डॉलर है, जबकि संगीता की कुल संपत्ति इससे भी ज्यादा आंकी गई है। ये बात वाकई चौंकाने वाली है कि पाकिस्तान जैसे देश में, जहां हिंदू समुदाय अक्सर संघर्ष करता नजर आता है, वहां एक हिंदू महिला ने आर्थिक रूप से इतनी बड़ी ऊंचाइयों को कैसे छुआ।
हालांकि, Parveen Rizvi की सफलता की कहानी सिर्फ उनकी मेहनत तक सीमित नहीं है। उनका पारिवारिक बैकग्राउंड भी इसमें एक अहम भूमिका निभाता है। उनकी छोटी बहन नसरीन रिजवी भी पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हैं, जिन्हें पेशेवर रूप से कविता के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, Parveen Rizvi ब्रिटिश-अमेरिकी बॉलीवुड अभिनेत्री जिया खान की मौसी भी थीं। जिया खान की दुखद आत्महत्या ने पूरी इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया था। लेकिन परवीन रिजवी ने इस दर्द से उबरते हुए खुद को फिर से खड़ा किया और अपने काम से नई मिसाल कायम की।
Parveen Rizvi के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उन्होंने कभी भी धर्म या जाति को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने अपनी पहचान एक कलाकार और Director के रूप में बनाई। पाकिस्तान में जहां हिंदू समुदाय को अक्सर भेदभाव और संघर्ष का सामना करना पड़ता है, वहां Parveen Rizvi ने अपनी काबिलियत के दम पर अपनी पहचान बनाई और खुद को एक शक्तिशाली महिला के रूप में स्थापित किया। उनके बारे में कहा जाता है कि वे बेहद सख्त अनुशासन का पालन करती हैं और अपने काम को लेकर बहुत गंभीर रहती हैं। यही वजह है कि उनकी फिल्में इतनी प्रभावशाली होती हैं।
साल 2022 में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर, संगीता को उनके काम के लिए ‘प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। ये पाकिस्तान में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है, जो किसी व्यक्ति के विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। इस सम्मान के बाद संगीता की पहचान सिर्फ एक फिल्म निर्माता तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्हें पाकिस्तान की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी देखा जाने लगा।
Parveen Rizvi की सफलता की कहानी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने हालात से हार मान लेते हैं। संगीता ने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और अपने टैलेंट के दम पर दुनिया के सामने खुद को साबित किया। उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि अगर इंसान के अंदर हौसला और लगन हो, तो कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती।
आज संगीता सिर्फ पाकिस्तान की सबसे अमीर हिंदू महिला ही नहीं हैं, बल्कि वे पाकिस्तान की सबसे ताकतवर महिलाओं में भी शामिल हैं। उनकी सफलता इस बात का सबूत है कि अगर इंसान अपनी मंजिल तय कर ले, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती। संगीता की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो हालात से हार मानकर अपने सपनों से समझौता करने लगते हैं।
Parveen Rizvi की जिंदगी हमें ये सिखाती है कि सफलता के लिए सिर्फ टैलेंट और मेहनत जरूरी नहीं है, बल्कि अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी और जुनून भी होना चाहिए। संगीता ने अपने काम के प्रति जो समर्पण दिखाया, वही उन्हें इस मुकाम तक ले गया। आज वे सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की महिलाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं। उनकी कहानी हमें यही सिखाती है कि असली दौलत सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का साहस और हौसला होता है।
Conclusion
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