नमस्कार दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि एक ऐसा देश भी है जहां रहने की कोई शर्त नहीं है, जहां कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता और जहां बस एक करोड़ रुपये देकर आप उस देश के नागरिक बन सकते हैं? क्या आप यकीन करेंगे कि दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां के नागरिकों को न तो इनकम टैक्स देना पड़ता है, न ही Property tax और न ही कोई कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है?
ये सुनने में किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है, लेकिन यह सच है। इस देश का नाम है वानुअतु! South Pacific Ocean का एक छोटा सा आइलैंड देश, जो आज दुनिया भर के अमीरों के लिए एक नया ठिकाना बनता जा रहा है। हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व अध्यक्ष और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के संस्थापक Lalit Modi ने इसी देश की नागरिकता हासिल की है।
Lalit Modi ने भारतीय पासपोर्ट को सरेंडर करने के लिए लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में आवेदन किया है। भारत के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि ललित मोदी कई मामलों में भारतीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। लेकिन अब जब Lalit Modi वानुअतु के नागरिक बन गए हैं, तो उन्हें भारत वापस लाना सरकार के लिए और भी मुश्किल हो सकता है। सवाल यह है कि आखिर Lalit Modi ने वानुअतु को ही क्यों चुना? वानुअतु की नागरिकता के क्या फायदे हैं और क्या यह देश सच में एक टैक्स हेवन है?आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
वानुअतु एक ऐसा देश है, जो अपनी नागरिकता को बेचता है। इस देश की नागरिकता खरीदने के लिए आपको न तो वहां बसना जरूरी है और न ही वहां कोई विशेष योगदान देना जरूरी है। बस एक करोड़ रुपये खर्च कीजिए और आप इस देश के नागरिक बन सकते हैं। अगर आप अपने पूरे परिवार के लिए वानुअतु की नागरिकता लेना चाहते हैं, तो आपको करीब 1.5 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
वानुअतु की नागरिकता पाने के लिए एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है, जिसे “सिटीजनशिप बाय इनवेस्टमेंट प्रोग्राम” कहा जाता है। इस प्रोग्राम के तहत अगर आप वानुअतु सरकार के फंड में पैसा जमा करते हैं, तो सात हफ्ते के अंदर आपको इस देश की नागरिकता मिल जाएगी। यही वजह है कि Lalit Modi जैसे बड़े बिजनेसमैन और करोड़पति इस देश को अपने लिए स्वर्ग मान रहे हैं।
वानुअतु की नागरिकता का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यहां के नागरिकों पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता। यानी अगर आप वानुअतु के नागरिक बन जाते हैं, तो आपकी किसी भी तरह की income – चाहे वह salary हो, व्यापार से मिलने वाली इनकम हो, रियल एस्टेट से होने वाली कमाई हो या स्टॉक्स से होने वाला मुनाफा हो – इस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इसके अलावा वानुअतु सरकार कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाती। इसका मतलब यह है कि अगर आपने किसी संपत्ति को बेचा और उस पर मुनाफा कमाया, तो वानुअतु सरकार आपसे इस पर टैक्स नहीं वसूलेगी।
वानुअतु का टैक्स सिस्टम इतना लचीला है कि यहां (Inheritance Tax) और (Gift Tax) भी नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप वानुअतु के नागरिक हैं और अपनी संपत्ति को अपनी अगली पीढ़ी को देना चाहते हैं, तो इस पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगेगा। यही वजह है कि दुनिया के सबसे अमीर लोग वानुअतु की नागरिकता लेने की होड़ में लगे हुए हैं।
अब सवाल यह है कि Lalit Modi ने वानुअतु को ही क्यों चुना? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वानुअतु के नागरिकों को 55 देशों में बिना वीजा के एंट्री मिलती है और 34 देशों में वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है। इसमें यूनाइटेड किंगडम, रूस, हांगकांग और सिंगापुर जैसे बड़े देश भी शामिल हैं। यानी अगर Lalit Modi अब वानुअतु के नागरिक हैं, तो उन्हें इन देशों की यात्रा के लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी। इससे उनकी ग्लोबल मूवमेंट आसान हो जाएगी।
इसके अलावा, वानुअतु की नागरिकता हासिल करने के लिए वहां रहना भी जरूरी नहीं है। यानी अगर आप वानुअतु की नागरिकता लेते हैं, तो आपको वहां शिफ्ट होने की जरूरत नहीं है। आप चाहें तो लंदन, दुबई, सिंगापुर या दुनिया के किसी भी हिस्से में रह सकते हैं और फिर भी वानुअतु के नागरिक बने रह सकते हैं। यही वजह है कि अमीर बिजनेसमैन और इंटरनेशनल इनवेस्टर्स वानुअतु की नागरिकता को प्रीमियम स्टेटस मानते हैं।
वानुअतु एक “टैक्स हेवन” देश है। इसका मतलब यह है कि यहां के नागरिकों से टैक्स नहीं लिया जाता और उनकी फाइनेंशियल डिटेल्स को किसी भी देश के साथ साझा नहीं किया जाता। साल 2008 तक वानुअतु पूरी तरह से एक सीक्रेट टैक्स हेवन था। उस समय तक वानुअतु सरकार अपने नागरिकों के बैंक डिटेल्स और फाइनेंशियल लेनदेन की जानकारी किसी भी देश को नहीं देती थी। बाद में इंटरनेशनल प्रेशर के चलते वानुअतु सरकार को कुछ जानकारी साझा करनी पड़ी, लेकिन आज भी वानुअतु सरकार के टैक्स नियम बेहद लचीले हैं।
अब सवाल यह है कि क्या भारत सरकार Lalit Modi को वानुअतु से वापस ला सकती है? तकनीकी रूप से भारत सरकार के पास Lalit Modi के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार है।
लेकिन वानुअतु की सरकार इस मामले में भारत का सहयोग करेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। वानुअतु सरकार के पास अपने नागरिकों की सुरक्षा और उनके कानूनी अधिकारों की रक्षा करने का पूरा हक है। अगर Lalit Modi ने वानुअतु की नागरिकता ले ली है, तो भारत के लिए उन्हें प्रत्यर्पित करना आसान नहीं होगा।
इसका एक और पहलू है। वानुअतु में दोहरी नागरिकता की सुविधा दी जाती है। यानी अगर कोई भारतीय नागरिक वानुअतु की नागरिकता लेता है, तो उसे भारतीय नागरिकता छोड़नी नहीं पड़ती। लेकिन भारतीय कानून के अनुसार, दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। इसलिए अगर ललित मोदी ने वानुअतु की नागरिकता ले ली है, तो उन्हें भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ेगी।
हालांकि, ललित मोदी का यह कदम भारतीय कानून और विदेश मंत्रालय के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। अगर ललित मोदी अब पूरी तरह से वानुअतु के नागरिक बन गए हैं, तो भारत के लिए उनके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई आसान नहीं होगी। यही वजह है कि वानुअतु अब दुनिया के सबसे अमीर और ताकतवर लोगों के लिए एक “टैक्स हेवन” बन चुका है।
तो सवाल यह है कि क्या ललित मोदी ने कानूनी रास्ते से खुद को भारत की कानूनी प्रक्रिया से बचा लिया है? क्या भारत सरकार इस मामले में ललित मोदी के खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाएगी? या फिर ललित मोदी अब वानुअतु की नागरिकता के सहारे भारत के कानून से बचने में सफल हो जाएंगे? एक बात तो तय है कि ललित मोदी का यह कदम भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, और इसका असर आने वाले समय में भारत और वानुअतु के रिश्तों पर भी पड़ सकता है। इस पूरे मामले में वानुअतु की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
वानुअतु ने खुद को एक इंटरनेशनल टैक्स हेवन के रूप में स्थापित किया है और इस टैक्स फ्री सिस्टम का फायदा दुनिया के सबसे अमीर लोग उठा रहे हैं। ललित मोदी का यह कदम न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि इंटरनेशनल लॉ के लिए भी एक चुनौती बन सकता है।
Conclusion
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