30 हज़ार करोड़ की जंग! Karishma Kapoor के Ex पति की मौत के बाद संपत्ति पर मचा बवाल।

एक शानदार दोपहर… इंग्लैंड के एक पोलो मैदान में खेल के बीच अचानक सब कुछ थम जाता है। घोड़ों की टापें रुक जाती हैं, दर्शकों की साँसें थम जाती हैं, और ज़मीन पर गिरा वो इंसान—संजय कपूर—जिसने ज़िंदगी को दौलत, शौहरत और शोहरत से सजाया था, अब इस दुनिया को अलविदा कह चुका होता है।

लेकिन ये कहानी सिर्फ एक मौत की नहीं… ये कहानी है उस जंग की, जो मौत के बाद शुरू होती है। एक ऐसी जंग, जहां दांव पर है 30,000 करोड़ की साम्राज्य। बेटा जा चुका है, और अब मां और पत्नी के बीच जंग है विरासत की, इमोशन की, और उस ताक़त की, जो सिर्फ पैसों से नहीं, बल्कि रिश्तों की पेचीदगियों से उपजी है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

संजय कपूर—एक नाम, जो सिर्फ Karishma Kapoor के पूर्व पति तक सीमित नहीं था। वो एक सफल बिज़नेसमैन थे, जिनकी होल्डिंग कंपनी सोना कॉमस्टार की वैल्यू अकेले ही 31,000 करोड़ से ज़्यादा थी। लेकिन 12 जून को पोलो खेलते वक्त उनकी अचानक मौत ने एक भूचाल खड़ा कर दिया। उनकी तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव कपूर और मां रानी कपूर अब आमने-सामने हैं। मुद्दा है—संजय की संपत्ति, खासतौर पर सोना कॉमस्टार में उनकी हिस्सेदारी। ये सिर्फ पैसों की लड़ाई नहीं है, ये उस इमोशनल ट्रस्ट का टकराव है जो एक मां और एक पत्नी के बीच बिखर रहा है।

रानी कपूर का आरोप है कि उनके बेटे की मौत के बाद उनकी भावनात्मक हालत का फायदा उठाया गया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने मौके को भुनाया और उनसे कई दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करवा लिए। इतना ही नहीं, उन्हें अपने ही बैंक खातों तक एक्सेस नहीं मिल रहा है। रानी कपूर को लगता है कि यह सब एक प्लान के तहत किया गया ताकि वो इस बड़े साम्राज्य से बाहर कर दी जाएं। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि उनके बेटे की मृत्यु के सदमे में होने के कारण, उन्हें मजबूरी में ऐसे दस्तावेजों पर साइन करने के लिए कहा गया, जिनका असर उनकी हिस्सेदारी पर पड़ा।

दूसरी तरफ कंपनी का जवाब भी उतना ही स्पष्ट था। सोना कॉमस्टार ने रानी कपूर के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। कंपनी ने साफ कहा कि रानी कपूर साल 2019 से न तो शेयरहोल्डर हैं, न ही डायरेक्टर। उनके पास किसी भी तरह का कोई अधिकार नहीं है, और न ही उनसे संजय कपूर की मौत के बाद किसी दस्तावेज़ पर साइन कराया गया है। कंपनी ने अपने बचाव में कहा कि सालाना आम बैठक (AGM) सही प्रक्रिया के तहत हुई थी और इसमें कुछ भी गलत नहीं था।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जिस AGM की बात की जा रही थी, उसी मीटिंग में संजय कपूर की पत्नी प्रिया सचदेव कपूर को कंपनी की प्रमोटर इकाई, Aureus Investments private limited की ओर से नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त कर दिया गया। कंपनी का कहना है कि यह नियुक्ति सेबी की मंज़ूरी से की गई है, यानी अब कानूनी तौर पर प्रिया ही उस साम्राज्य की प्रतिनिधि बन चुकी हैं जिसकी कीमत 30,000 करोड़ से कम नहीं है।

अब जरा इस तस्वीर को थोड़ा और गहराई से समझते हैं। रानी कपूर के मुताबिक, प्रिया की नियुक्ति भी बिना उनके समर्थन के की गई। उनका कहना है कि कपूर परिवार की विरासत को कुछ लोग हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने SEBI से अपील भी की है ताकि इस मामले में न्याय मिल सके। लेकिन SEBI और कंपनी दोनों का रुख यह दिखाता है कि, कानूनी तौर पर रानी कपूर का इस कंपनी में कोई अधिकार नहीं बचा है। अब सवाल उठता है—क्या ये कहानी सिर्फ अधिकारों की है? या फिर एक मां को बेटे के जाने के बाद विरासत से भी बाहर किए जाने का दर्द है?

प्रिया सचदेव कपूर—इस कहानी की सबसे अहम किरदार बनकर सामने आई हैं। वो एक सफल बिजनेस वुमन हैं, जिन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उनका करियर क्रेडिट सुइस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शुरू हुआ, और भारत लौटकर उन्होंने लग्ज़री ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Rock N Shop की सह-स्थापना की। आज वो सोना कॉमस्टार की प्रमोटर कंपनी Aureus Investments की डायरेक्टर भी हैं। इस पृष्ठभूमि के साथ उनकी कंपनी में भूमिका को लेकर सवाल उठना लाज़मी था, लेकिन कानूनी तौर पर फिलहाल उनका कद अडिग नजर आता है।

अब अगर बात करें उस हिस्सेदारी की, जिस पर यह विवाद खड़ा हुआ है—तो वो भी कम चौंकाने वाली नहीं है। सोना कॉमस्टार में प्रमोटर की 28% हिस्सेदारी फिलहाल दांव पर है, जिसकी कीमत लगभग 8200 करोड़ रुपये है। यही वो हिस्सेदारी है, जिसे लेकर रानी कपूर और प्रिया के बीच यह खींचतान चल रही है। कंपनी का दावा है कि यह हिस्सा अब प्रिया के पास है, क्योंकि वह प्रमोटर यूनिट की ओर से अधिकृत हैं।

लेकिन इस सवाल पर भी सबकी नज़र है—क्या इस संपत्ति में करिश्मा कपूर या उनके बच्चों को कुछ मिलेगा? क्योंकि एक समय करिश्मा कपूर भी संजय कपूर की पत्नी रह चुकी थीं। दोनों के दो बच्चे भी हैं। लेकिन जब 2016 में तलाक हुआ, तो उस वक्त ही उनका सेटलमेंट हो गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय ने करिश्मा को एक घर और 70 करोड़ नकद दिए थे, साथ ही दोनों बच्चों के नाम 14 14 करोड़ के बॉन्ड्स जमा करवाए थे। इसीलिए, इस ताज़ा संपत्ति विवाद में करिश्मा को किसी हिस्से की संभावना नहीं दिखती।

लेकिन एक मां का दर्द, जो अपने बेटे को खो चुकी है, और अब उस बेटे की बनाई हुई विरासत से भी दूर हो चुकी है—क्या उसे केवल कानूनी कागज़ों से शांत किया जा सकता है? रानी कपूर ने जिन शब्दों में अपने आरोपों को सामने रखा, वो इस विवाद को सिर्फ प्रॉपर्टी से जुड़ा नहीं रहने देते। उन्होंने कहा कि जब उनका बेटा चला गया, तब कुछ लोगों ने उस मौके को सबसे उपयुक्त समझा ताकी नियंत्रण हासिल किया जा सके। और यही बात उन्हें सबसे ज़्यादा चुभती है—क्योंकि ये सिर्फ जायदाद की लड़ाई नहीं है, ये एक मां के विश्वास की टूटन है।

दूसरी तरफ, प्रिया सचदेव के लिए ये सिर्फ एक कानूनी अधिकार नहीं है। उनके लिए ये जिम्मेदारी है उस साम्राज्य को आगे बढ़ाने की, जिसे उनके पति ने खड़ा किया था। उनके पास बिज़नेस अनुभव भी है, और वो आधुनिक कॉर्पोरेट दुनिया की सोच भी रखती हैं। लेकिन समाज का एक वर्ग इस विरासत को लेकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर रहा है—शायद इसलिए भी क्योंकि वो ‘तीसरी पत्नी’ हैं। जबकि असल सवाल ये है—क्या किसी महिला को सिर्फ इसलिए दोषी ठहरा देना सही है क्योंकि वो एक संपत्ति के वारिस की ज़िम्मेदारी निभा रही है?

सोशल मीडिया पर बहस छिड़ चुकी है। कुछ लोग रानी कपूर के पक्ष में खड़े हैं, तो कुछ प्रिया सचदेव को सही ठहरा रहे हैं। इस बहस ने एक फैमिली विवाद को एक पब्लिक इमोशनल ड्रामा में तब्दील कर दिया है। और यही आज के समाज का आईना है—जहां पारिवारिक मामले भी अब सोशल मीडिया के कोर्ट में ट्रायल पाते हैं।

इस पूरे मामले में सेबी की भूमिका भी अब निर्णायक होगी। रानी कपूर की अपील पर सेबी क्या फैसला देती है, ये तय करेगा कि यह कानूनी लड़ाई किस दिशा में जाएगी। लेकिन तब तक यह कहानी उस सवाल से लड़ती रहेगी—कि विरासत का असली हकदार कौन है? वो जिसने जन्म दिया? या वो जिसने भविष्य का रास्ता चुना?

एक बेटा, जो अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके बाद छोड़ी गई विरासत एक परिवार को दो हिस्सों में बांट चुकी है। एक तरफ मां का दावा है, जो खून और रिश्ते के नाम पर है। दूसरी तरफ पत्नी का दावा है, जो कानून और सिस्टम के आधार पर है। और इस बीच—कहानी है 30,000 करोड़ की, लेकिन दर्द, रिश्तों और ज़ज्बातों की कीमत शायद इससे कहीं ज़्यादा है। क्योंकि विरासत सिर्फ पैसे की नहीं होती… कभी-कभी वो दिल की भी होती है।

Conclusion

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