Infosys War: नई कॉरपोरेट रणनीति या बदलाव की शुरुआत? युवा इंजीनियरों के लिए खुल सकते हैं नए अवसर! 2025

नमस्कार दोस्तों, सोचिए, आपने चार साल की मेहनत के बाद अपनी डिग्री हासिल की, रात-दिन एक कर अपने करियर को संवारने का सपना देखा, और आखिरकार जब एक नामी आईटी कंपनी से आपको ऑफर लेटर मिला, तो लगा कि अब आपका भविष्य सुरक्षित है। आपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ अपनी खुशी साझा की, अपने भविष्य की योजनाएं बनाई, और Infosys जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में काम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गए। लेकिन फिर अचानक आपको बुलाया जाता है, और एक झटके में आपका पूरा भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

आपको एक हॉल में इकट्ठा किया जाता है, बिना किसी पूर्व सूचना के आपको बताया जाता है कि आप अब इस कंपनी का हिस्सा नहीं हैं। आपकी नौकरी छीन ली जाती है, आपका फोन जब्त कर लिया जाता है, और आपको चेतावनी दी जाती है कि आप कोई विरोध न करें। सुरक्षा गार्ड और बाउंसर्स को तैनात कर दिया जाता है, ताकि कोई भी कर्मचारी अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत न कर सके। आपके पास कोई विकल्प नहीं बचता, न सवाल पूछने का अधिकार, न ही अपनी सफाई देने का मौका।

यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक वास्तविक घटना है, जो भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक, Infosys में हुई। 400 ट्रेनी इंजीनियरों को एक साथ निकाल दिया गया, बिना किसी मानवीय संवेदना के, और यह सब इतना योजनाबद्ध तरीके से किया गया कि, किसी को भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का अवसर तक नहीं दिया गया। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Infosys एक ऐसा नाम है, जो भारतीय IT Industry में एक मजबूत पहचान रखता है। यह कंपनी लाखों इंजीनियरों के करियर का सपना होती है। हर साल हजारों छात्र अपनी डिग्री पूरी करने के बाद Infosys में नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, और जब वे इस कंपनी का ऑफर लेटर पाते हैं, तो उन्हें लगता है कि उनका करियर अब सही दिशा में बढ़ रहा है।

लेकिन जब यही कंपनी अपने ही कर्मचारियों के साथ अन्याय करती है, तो सवाल उठता है कि क्या प्रतिष्ठित कंपनियां भी अब अपनी नैतिक जिम्मेदारियों से पीछे हट रही हैं?

इन 400 ट्रेनी इंजीनियरों की कहानी यही दर्शाती है। उन्हें साल 2022 में ऑफर लेटर दिए गए थे, लेकिन आईटी सेक्टर में मंदी का हवाला देकर कंपनी ने उनकी जॉइनिंग को टाल दिया। उन्होंने धैर्य रखा, इंतजार किया, और जब 2023 में उन्हें आखिरकार बुलाया गया, तो वे उत्साह से भर गए थे।

लेकिन यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी, क्योंकि कंपनी ने उन्हें एक अत्यधिक कठिन मूल्यांकन टेस्ट देने के लिए कहा।

मूल्यांकन टेस्ट वाकई कर्मचारियों की क्षमताओं को परखने के लिए है, या यह नौकरी से निकालने का एक बहाना है?

Infosys की नीति के अनुसार, हर नए कर्मचारी को एक ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, और इस ट्रेनिंग के बाद एक मूल्यांकन टेस्ट देना होता है। अगर कोई कर्मचारी यह टेस्ट तीन बार तक पास नहीं कर पाता, तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाता है।

Infosys का दावा है कि यह प्रक्रिया कंपनी में पिछले 20 सालों से चल रही है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह टेस्ट इतना कठिन बनाया गया था कि उम्मीदवारों को जानबूझकर फेल किया जाए?

निकाले गए कई इंजीनियरों का कहना है कि टेस्ट को इतना मुश्किल बनाया गया था कि उसे पास करना लगभग असंभव हो गया था। उनका आरोप है कि कंपनी पहले से ही तय कर चुकी थी कि इन्हें निकालना है, और यह टेस्ट सिर्फ एक औपचारिकता थी, जिससे इस फैसले को सही ठहराया जा सके।

इन 400 ट्रेनी इंजीनियरों ने अपने करियर को बचाने के लिए तीन बार टेस्ट दिया, लेकिन फिर भी उन्हें बाहर कर दिया गया। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी ज्यादा निराशाजनक थी, जिन्होंने अपने ऑफर लेटर को लेकर लगभग डेढ़ साल इंतजार किया था। एक झटके में उनके सपने चकनाचूर हो गए, और अब वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

कॉरपोरेट कठोरता की नई हदें पार हो गई हैं – बाउंसर्स और मोबाइल जब्ती का मामला कितना गंभीर है?

छंटनी की खबरें तो आईटी सेक्टर में आम होती जा रही हैं, लेकिन Infosys ने जो किया, वह शायद किसी भी बड़ी आईटी कंपनी द्वारा पहले कभी नहीं किया गया। कर्मचारियों को यह बताने के लिए कि उन्हें बाहर निकाला जा रहा है, कंपनी ने न सिर्फ बाउंसर्स और सिक्योरिटी गार्ड तैनात किए, बल्कि उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया गया।

यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि कोई भी ट्रेनी इंजीनियर इस अन्याय को रिकॉर्ड न कर सके, कोई भी वीडियो या तस्वीर सोशल मीडिया पर न डाल सके, और कोई भी आवाज़ उठाने की हिम्मत न करे।

एक प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा अपने ही कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार कई सवाल खड़े करता है। क्या कंपनी को यह डर था कि अगर यह वीडियो बाहर आ गया, तो उनकी साख पर बट्टा लग जाएगा? क्या यह किसी तानाशाही प्रशासन की तरह नहीं है, जहां कर्मचारियों को अपनी बात कहने तक की आज़ादी नहीं दी जाती?

हालांकि, Infosys ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि यह “कंपनी की नीति” का हिस्सा है और इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है। उनका कहना है कि यह मूल्यांकन प्रक्रिया पहले से तय थी और जो उम्मीदवार इसे पास नहीं कर पाए, वे इस नौकरी के योग्य नहीं थे। लेकिन क्या यह सफाई पर्याप्त है? अगर यह प्रक्रिया सही थी, तो कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने से पहले उन्हें उचित समय और अतिरिक्त ट्रेनिंग क्यों नहीं दी गई? अगर यह प्रक्रिया पारदर्शी थी, तो मोबाइल फोन जब्त करने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह मंदी का बहाना बनाकर पहले से तय की गई छंटनी नहीं थी?

आईटी इंडस्ट्री में छंटनी के नए दौर का युवा इंजीनियरों के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

Infosys की इस कार्रवाई ने भारत के आईटी सेक्टर में एक नई बहस को जन्म दिया है। मंदी की वजह से पहले से ही आईटी सेक्टर में नौकरियों की कमी देखी जा रही है। कंपनियां नए कर्मचारियों को नौकरी देने में झिझक रही हैं और जो पहले से नौकरी में हैं, वे भी सुरक्षित नहीं हैं। Infosys के इस कदम ने यह दिखाया है कि अब कंपनियां छंटनी करने के लिए नए-नए तरीके अपना रही हैं।

पहले ऑफर लेटर देकर कर्मचारियों को सालों तक इंतजार करवाया जाता है, फिर जब उनकी जरूरत खत्म हो जाती है, तो किसी मूल्यांकन टेस्ट के नाम पर उन्हें बाहर कर दिया जाता है। अगर सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह प्रवृत्ति और बढ़ सकती है और लाखों युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

इसके अलावा, इस मामले के बाद Nascent Information Technology Employees Senate, (NITES) ने Ministry of Labour में शिकायत दर्ज कर दी है। संगठन ने सरकार से मांग की है कि इस तरह की कॉरपोरेट शोषण नीतियों पर रोक लगाई जाए और Infosys के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

अगर सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाती है, तो यह भविष्य में आईटी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने में मददगार साबित हो सकता है।

Conclusion

तो दोस्तों, Infosys का यह कदम कानूनी रूप से सही हो सकता है, लेकिन नैतिक रूप से यह बेहद गलत है। अगर किसी कर्मचारी को बाहर निकालना ही था, तो इसे एक सम्मानजनक और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया जाना चाहिए था। बाउंसर्स तैनात करना, मोबाइल फोन जब्त करना और अचानक नौकरी से निकाल देना, यह सब एक प्रतिष्ठित कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाता है। आपको क्या लगता है? क्या Infosys सही कर रही है, या यह अन्याय है? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं !

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