DOGE ने फिर मचाई धूम! ट्रंप और मस्क की जोड़ी से क्रिप्टो मार्केट में नई हलचल! 2025

नमस्कार दोस्तों, अमेरिका को फिर से महान बनाने का वादा कर सत्ता में आए डोनाल्ड ट्रंप अब नई चालें चल रहे हैं। उनका दावा है कि उनकी सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती कर अरबों डॉलर बचाए हैं, लेकिन जब इसके आंकड़े सामने आए, तो तस्वीर कुछ और ही निकली। ट्रंप प्रशासन ने सरकारी खर्चों को कम करने और सरकारी बजट को व्यवस्थित करने के लिए, डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) नाम का एक नया विभाग बनाया, जिसकी कमान दुनिया के सबसे अमीर और विवादित शख्स एलन मस्क को सौंपी गई।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह विभाग वाकई में अमेरिका के विकास के लिए काम कर रहा है, या फिर यह सिर्फ प्रचार और दिखावे का एक और जरिया बनकर रह गया है? क्या ट्रंप और मस्क की यह जोड़ी जनता के हित में काम कर रही है या सिर्फ खुद को आगे बढ़ाने के लिए एक और खेल रच रही है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

DOGE का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में कटौती करना, अनावश्यक खर्चों को कम करना और धन की बचत सुनिश्चित करना बताया गया था। ट्रंप सरकार ने बड़े जोर-शोर से दावा किया कि इस विभाग ने अब तक 55 बिलियन डॉलर बचाए हैं, लेकिन जब इसकी वेबसाइट के आंकड़ों की गहन पड़ताल की गई, तो केवल 16.6 बिलियन डॉलर की बचत का ही सबूत मिला।

यानी लगभग 30 बिलियन डॉलर की राशि गायब थी, जिसका कोई स्पष्ट विवरण उपलब्ध नहीं था। यह सीधे-सीधे सरकार के आंकड़ों की Transparency पर सवाल खड़े करता है, और यह संदेह पैदा करता है कि क्या वास्तव में जनता को सही जानकारी दी जा रही है?

इसके अलावा, DOGE की वेबसाइट पर एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई। एक सरकारी Contract की कीमत को 8 बिलियन डॉलर बताया गया, जबकि उसकी असली कीमत मात्र 8 मिलियन डॉलर थी। जब इस गलती को ठीक किया गया, तो बचत की कुल राशि घटकर 8.6 बिलियन डॉलर ही रह गई।

यह गलती महज संयोग हो सकती है, लेकिन यह दर्शाता है कि इस विभाग में Transparency की गंभीर कमी है और गलत आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। क्या यह गलती सच में गलती थी, या फिर एक जानबूझकर किया गया प्रयास, यह सवाल अब जनता के मन में उठ रहा है।

हालांकि, एलन मस्क, जो इस योजना के प्रमुख हैं, ट्रंप के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने शुरू में दावा किया था कि यह योजना पूरी तरह Transparent होगी और जनता को हर जानकारी दी जाएगी। लेकिन जब इसकी गहराई से जांच की गई, तो पता चला कि यह न तो कोई स्वतंत्र विभाग है और न ही इस पर किसी सरकारी एजेंसी की निगरानी है।

यह सीधे व्हाइट हाउस के नियंत्रण में काम करता है, जिससे इसमें Favoritism, corruption और Conflict of Interest की संभावना बढ़ जाती है। सवाल उठता है कि एक ऐसा विभाग, जो जनता के tax के पैसों की बचत का दावा कर रहा है, अगर खुद Transparent नहीं है, तो क्या जनता इस पर भरोसा कर सकती है?

इसके अलावा, DOGE की Transparency पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि, एलन मस्क की कंपनी SpaceX को पहले ही अरबों डॉलर के सरकारी Contract मिले हैं। ट्रंप प्रशासन ने यह दावा किया कि यदि किसी प्रकार का हितों का टकराव होगा, तो मस्क खुद इसे संभाल लेंगे।

लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके वित्तीय दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे, जिससे यह जांचना मुश्किल हो जाएगा कि उनके निर्णय कितने निष्पक्ष हैं। अगर DOGE सच में अमेरिका के हित में काम कर रहा है, तो Transparency से डर कैसा?

आपको बता दें कि व्हाइट हाउस ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। जबकि DOGE की वेबसाइट पर लिखा है कि जल्द ही सभी आंकड़े अपलोड किए जाएंगे और Transparency बनाए रखी जाएगी। हालांकि, इस विभाग के कई फैसले गोपनीय रखे गए हैं और उनके पीछे की सच्चाई को जनता से छिपाया जा रहा है।

जब जनता के पैसे की बात आती है, तो क्या सरकार की यह गोपनीयता सही है? क्या जनता को यह जानने का अधिकार नहीं है कि उनके tax का पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है?

इसके अलावा, ओवल ऑफिस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एलन मस्क ने स्वीकार किया कि, कई बार उनके द्वारा दी गई जानकारी गलत हो सकती है और उन्हें इसे ठीक करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि DOGE जल्द से जल्द अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास करेगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर यह योजना इतनी Transparent है, तो फिर इतने बड़े आंकड़ों में गलतियां कैसे हो रही हैं?

और जब ये गलतियां पकड़ में आती हैं, तो सरकार उनका बचाव करने के बजाय उन्हें सही तरीके से स्वीकार क्यों नहीं कर रही? DOGE ने अपने कार्यकाल में हजारों कर्मचारियों की छंटनी की है, लेकिन इसके बाद उन्हीं कर्मचारियों को दोबारा नियुक्त भी किया गया। यह नीति कितनी कारगर है, इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस विभाग की गतिविधियों पर गहरा पर्दा पड़ा हुआ है, और यह स्पष्ट नहीं है कि इसके निर्णय कौन ले रहा है। क्या यह एलन मस्क का निर्णय है, या फिर ट्रंप प्रशासन के कुछ चुनिंदा लोग इसके पीछे हैं? जनता को Transparency चाहिए, न कि ढिंढोरा पीटने वाले खोखले दावे।

इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने अदालत में दलील दी है कि एलन मस्क आधिकारिक रूप से DOGE के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वे सीधे ट्रंप को रिपोर्ट करते हैं। इस तरह, वे कई सरकारी नियमों से बच सकते हैं और Transparency की अनदेखी कर सकते हैं।

लेकिन सवाल यह है कि जब मस्क सरकारी पैसे से जुड़ी योजनाओं को चला रहे हैं, तो उन्हें नियमों से छूट क्यों मिलनी चाहिए? क्या यह सिर्फ इसलिए कि वह ट्रंप के करीबी हैं? अगर किसी अन्य अमेरिकी नागरिक को सरकारी धन के गलत इस्तेमाल का दोषी पाया जाता है, तो उसे सजा दी जाती है, तो फिर मस्क और ट्रंप को विशेषाधिकार क्यों मिल रहा है?

अब सवाल यह है कि क्या यह विभाग वास्तव में अमेरिकी Taxpayers के पैसे की बचत कर रहा है, या फिर यह एक और राजनीतिक प्रचार का माध्यम बनकर रह गया है? ट्रंप और मस्क की यह जोड़ी दुनिया के सामने बड़े-बड़े दावे तो कर रही है, लेकिन जब असलियत सामने आती है, तो वे बैकफुट पर नजर आते हैं। क्या अमेरिका की जनता इस खेल को समझने के लिए तैयार है, या फिर वे इन प्रचार अभियानों का हिस्सा बनकर सिर्फ दर्शक बने रहेंगे?

हालांकि, DOGE के जरिए ट्रंप प्रशासन अपनी नीतियों को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। अमेरिका की जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उनके tax का पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है।

लेकिन जब सरकारी योजनाओं को लेकर Transparency नहीं होती, तो जनता का विश्वास भी कम हो जाता है। सवाल यही है कि क्या अमेरिकी जनता इन आंकड़ों के खेल को समझ पाएगी, या फिर इसे एक और राजनीतिक चाल मानकर नजरअंदाज कर देगी?

अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में यह मामला कितना तूल पकड़ता है। क्या अमेरिकी सरकार इस विभाग की गतिविधियों की जांच करेगी? क्या एलन मस्क इस योजना के पीछे की सच्चाई को सामने रखेंगे? या फिर यह एक और ऐसा मुद्दा बनकर रह जाएगा, जिसे प्रचारित किया जाएगा, लेकिन उसकी असलियत कभी सामने नहीं आएगी?

इस पूरे मामले में एक बात तो साफ है कि ट्रंप और मस्क की जोड़ी बड़े-बड़े वादे कर रही है, लेकिन जब उन वादों को परखा जाता है, तो हकीकत कुछ और ही निकलती है। अमेरिका की जनता को अब खुद तय करना होगा कि वे इस प्रचार तंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं, या फिर वे सरकार से Transparency की मांग करेंगे।

Conclusion

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