Warning: BRICS देशों की मजबूती पर सवाल ट्रंप के 150% टैरिफ के बाद क्या बदलेगा समीकरण!

क्या BRICS समूह बिखरने की कगार पर है? क्या 150% टैरिफ की धमकी से दुनिया का यह बड़ा गठबंधन कमजोर पड़ चुका है? यह एक चौंकाने वाला दावा है, जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया है। उनका यह बयान Global राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल BRICS देशों के लिए यह चेतावनी क्या एक बड़ा झटका साबित होगी? क्या यह सच में BRICS को कमजोर कर सकती है? इन सभी सवालों के जवाब तलाशते हैं इस रिपोर्ट में। लेकिन उससे पहले, अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं, तो कृपया चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि हमारी हर नई वीडियो की अपडेट सबसे पहले आपको मिलती रहे। तो चलिए, बिना किसी देरी के आज की चर्चा शुरू करते हैं!

ट्रंप ने अपने हालिया भाषण में कहा कि BRICS देश अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की साजिश रच रहे थे, लेकिन उनकी टैरिफ नीति ने इस गठबंधन को पूरी तरह बिखेर दिया है। उन्होंने दावा किया कि जब से उन्होंने 150% टैरिफ की चेतावनी दी है, BRICS देशों की तरफ से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी रणनीति काम कर गई है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS पर एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि, उनकी टैरिफ नीति की वजह से यह संगठन अब कमजोर पड़ गया है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि BRICS देश अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोशिश में लगे थे और एक नई करेंसी लाने की योजना बना रहे थे। लेकिन जब उन्होंने 150% टैरिफ की बात कही, तो BRICS की गतिविधियाँ धीमी पड़ गईं।

उनका कहना है कि BRICS को लेकर अब किसी भी तरह की चर्चाएं नहीं हो रही हैं, और इस खामोशी का सीधा मतलब यह है कि उनकी टैरिफ नीति सफल रही है। उन्होंने कहा, “जब से मैंने 150% टैरिफ की चेतावनी दी है, तब से BRICS के बारे में कुछ भी सुनने को नहीं मिला। BRICS अब टूट चुका है।” यह बयान ऐसे समय पर आया है जब Global economic balance तेजी से बदल रहा है, और कई देश अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने के नए रास्ते तलाश रहे हैं।

ट्रंप के अनुसार, अमेरिका को अब किसी भी देश के खिलाफ कठोर आर्थिक कदम उठाने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए, खासकर तब जब उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही हो।

इसके अलावा आपको बता दें कि BRICS एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक समूह है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2006 में हुई थी और 2010 में दक्षिण अफ्रीका इसके साथ जुड़ा। हाल के वर्षों में इस समूह का विस्तार हुआ है और इसमें मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे नए देश भी शामिल हो चुके हैं।

BRICS की अर्थव्यवस्था का Global GDP में महत्वपूर्ण योगदान है और यह 28% Global व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है। यही वजह है कि अमेरिका इस समूह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखता है। यदि यह संगठन अपने आर्थिक सहयोग को और अधिक मजबूत करता है, तो यह अमेरिकी डॉलर की स्थिति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

यही कारण है कि अमेरिका लगातार इस संगठन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। experts का मानना है कि BRICS की बढ़ती ताकत न केवल Global व्यापार संतुलन को बदल सकती है, बल्कि इससे अमेरिका की Global economic situation पर भी असर पड़ सकता है।

अमेरिका लंबे समय से BRICS के आर्थिक इरादों को संदेह की नजर से देखता रहा है। अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका में हुए BRICS सम्मेलन में एक नई common currency की बात सामने आई थी। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने प्रस्ताव रखा था कि BRICS देशों को एक कॉमन करेंसी अपनानी चाहिए, जिससे अमेरिकी डॉलर की निर्भरता को कम किया जा सके।

इस विचार ने अमेरिका की चिंता को बढ़ा दिया और उसने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद अक्टूबर 2024 में रूस में हुई BRICS बैठक में भी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की योजनाओं पर चर्चा हुई थी। इस दौरान BRICS की एक common currency का एक प्रतीकात्मक चित्र भी सामने आया था, जिसने अमेरिका की चिंता को और बढ़ा दिया।

ट्रंप ने इसे एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा और BRICS देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की। experts का कहना है कि यदि BRICS ने सच में अपनी मुद्रा लाने की कोशिश की, तो इससे अमेरिका की वित्तीय प्रणाली को गहरा झटका लग सकता है और Global बाजार में डॉलर की स्थिति कमजोर हो सकती है।

ट्रंप ने दावा किया है कि उनकी टैरिफ नीति की वजह से BRICS की गतिविधियाँ ठप हो गई हैं। उनका मानना है कि BRICS देश अब अपने व्यापार को लेकर पहले की तरह उत्साहित नहीं हैं और यह उनकी रणनीतिक जीत है। उन्होंने कहा कि BRICS देशों को अब अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने के लिए भारी कीमत चुकानी होगी। हालांकि, कई Expert इस दावे को पूरी तरह से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

उनका कहना है कि BRICS देशों में व्यापार अभी भी जारी है, लेकिन अमेरिकी टैरिफ के चलते कुछ व्यापारिक गतिविधियों में गिरावट आई हो सकती है। यह संभव है कि BRICS देश अब अपनी व्यापारिक नीतियों को फिर से परिभाषित कर रहे हों और नए विकल्पों की तलाश कर रहे हों। इस बीच, अमेरिका ने भी चीन और रूस की नीतियों को लेकर कड़ा रुख अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे Global व्यापार पर long term असर पड़ सकता है।

भारत BRICS का एक प्रमुख सदस्य है और उसकी स्थिति इस मुद्दे पर संतुलित रही है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि भारत ने कभी भी अमेरिकी डॉलर को हटाने या BRICS मुद्रा बनाने की वकालत नहीं की है। भारत का रुख साफ है कि वह BRICS को एक व्यापारिक मंच के रूप में देखता है, न कि किसी अन्य मुद्रा व्यवस्था को स्थापित करने के लिए।

इस बीच, ट्रंप ने PM नरेंद्र मोदी से भी इस विषय पर चर्चा की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से BRICS के बढ़ते प्रभाव को लेकर अपनी चिंताओं को साझा किया था, और भारत से यह सुनिश्चित करने की अपील की थी कि वह अमेरिकी डॉलर के खिलाफ कोई कदम न उठाए। भारत की इस तटस्थ नीति के बावजूद, BRICS में मुद्रा व्यवस्था को लेकर चर्चा जारी है और इसका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। कई experts का मानना है कि यदि BRICS का यह कदम सफल रहा, तो यह Global Financial System में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

Conclusion

तो दोस्तों, क्या BRICS वास्तव में ट्रंप की टैरिफ नीति की वजह से कमजोर पड़ गया है, या फिर यह केवल एक राजनीतिक बयानबाजी है? यह सवाल अभी भी बहस का विषय बना हुआ है। लेकिन एक बात तय है—अमेरिका और BRICS के बीच यह आर्थिक संघर्ष दुनिया की व्यापारिक व्यवस्था को नए मोड़ पर ले जा सकता है।

आगे क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी। इस मुद्दे पर दुनियाभर की सरकारें और आर्थिक संस्थाएं नजर बनाए हुए हैं, और निकट भविष्य में हमें इसके और भी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि BRICS वास्तव में अमेरिकी टैरिफ की वजह से कमजोर पड़ा है, या फिर यह संगठन एक नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है।

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