गर्मियों की तपिश में जब हर गली-नुक्कड़ पर Coca-Cola और Pepsi की बोतलें बिक रही हों, तभी अचानक बाजार में एक ऐसा नाम उभरता है, जो न केवल इतिहास से जुड़ा है बल्कि उसके पीछे खड़ा हो भारत का सबसे बड़ा उद्योगपति—मुकेश अंबानी।
जब भारत का सबसे अमीर आदमी तय कर ले कि वो कोल्ड ड्रिंक के खेल में उतर रहा है, तो यकीन मानिए, बात सिर्फ स्वाद की नहीं होती, रणनीति की होती है। और अब वह वक्त आ गया है जब Reliance Consumer Products Limited (RCPL) ने 8,000 करोड़ रुपये के Investment से इस लड़ाई का ऐलान कर दिया है। यह Investment सिर्फ बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का नहीं, बल्कि पूरे इंडस्ट्री के स्वरूप को दोबारा गढ़ने का ऐलान है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
रिलायंस ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब दुनिया की दो सबसे बड़ी बेवरेज कंपनियां—Coca-Cola और Pepsi—भारत के हर कोने में अपने ब्रांड की पकड़ बनाए हुए हैं। मगर अब अंबानी की नजर इस बादशाहत को तोड़ने पर है। RCPL ने तय किया है कि आने वाले 12 से 15 महीनों में 8,000 करोड़ रुपये का Investment अपने कोल्ड ड्रिंक ब्रांड्स और उत्पादन इकाइयों पर करेगी।
इसका उद्देश्य है—बाजार में मौजूद सिर्फ विदेशी दिग्गजों को चुनौती देना ही नहीं, बल्कि देशभर के छोटे-छोटे क्षेत्रीय ब्रांड्स को भी पीछे छोड़ देना। यह उस भारत की कहानी है, जो अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, निर्माता बनना चाहता है और आत्मनिर्भरता की राह पर एक और मजबूत कदम बढ़ा रहा है।
इस रणनीति के तहत RCPL लगभग 10 से 12 नए कारखाने खोलने की योजना बना रही है। कुछ यूनिट्स कंपनी खुद खड़ी करेगी और कुछ में वह पार्टनरशिप मॉडल अपनाएगी, जिसमें स्थानीय और क्षेत्रीय कंपनियों के साथ joint investment किया जाएगा।
इन प्लांट्स का उद्देश्य केवल पेय पदार्थ बनाना नहीं है, बल्कि एक ऐसा लॉजिस्टिक और डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क तैयार करना है, जो Coca-Cola और Pepsi जैसे ब्रांड्स के बराबर, और शायद उससे भी आगे, पहुंच सके। यह सिर्फ उत्पादन की बात नहीं, बल्कि एक नई उपभोक्ता संस्कृति तैयार करने की भी कोशिश है, जिसमें भारतीय स्वाद, किफायती मूल्य और तकनीकी दक्षता का मेल होगा।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह RCPL का अब तक का सबसे बड़ा Investment होगा। 2022 में जब RCPL की शुरुआत हुई थी, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि कुछ ही सालों में यह कंपनी इतना बड़ा दांव खेलेगी। लेकिन अब, जब 6,000 से 8,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई जा रही है, तो साफ है कि अंबानी का इरादा गंभीर है। यह Investment न केवल रिलायंस की अपनी पूंजी से आएगा, बल्कि कुछ हिस्सों में साझेदार भी योगदान देंगे। यानी ये एक बहुस्तरीय योजना है—पूंजी, उत्पादन, साझेदारी और वितरण—हर मोर्चे पर एक संगठित हमला जो बाजार की जड़ें हिला सकता है।
RCPL ने इस दिशा में पहले ही काम शुरू कर दिया है। फरवरी 2025 में गुवाहाटी में एक नया प्लांट शुरू किया गया, जो Jericho Foods and Beverages LLP के साथ मिलकर चलाया जा रहा है। यह प्लांट पूर्वोत्तर भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है, जहां अब तक Coca-Cola और Pepsi की गहरी जड़ें थीं।
लेकिन अब इन ब्रांड्स को स्थानीय स्तर पर बनी कैम्पा कोला और अन्य पेय पदार्थों से टक्कर मिलेगी। बिहार में भी एक नया प्लांट स्थापित करने की योजना है, जिससे देश के सबसे जनसंख्या घनत्व वाले इलाके में भी रिलायंस का वर्चस्व कायम हो सके। यह एक क्षेत्रीय रणनीति है, जो लोकल ज़रूरतों को ग्लोबल सोच के साथ जोड़ती है।
फिलहाल RCPL के पास 18 ऐसे प्लांट्स हैं, जहां Campa Cola, Orange, Lemon जैसे फ्लेवर तैयार होते हैं। ये सभी प्लांट्स Co-investment के तहत बने हैं, यानी रिलायंस अकेली नहीं है, बल्कि वह एक ऐसा इकोसिस्टम बना रही है जिसमें दूसरी कंपनियों के साथ साझेदारी के जरिए बड़ी उत्पादन क्षमता विकसित की जा रही है।
यह मॉडल देश के उन युवाओं और उद्यमियों के लिए भी मौका लेकर आ रहा है जो इस सेक्टर में जुड़ना चाहते हैं। यानी यह केवल रिलायंस का विस्तार नहीं है, बल्कि देशभर में MSME और छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को जोड़ने की एक नई पहल है।
RCPL के बेवरेज पोर्टफोलियो को देखकर साफ होता है कि यह केवल कैम्पा कोला तक सीमित नहीं है। इसमें सोस्यो सॉफ्ट ड्रिंक्स, स्पिनर स्पोर्ट्स ड्रिंक, सन क्रश जूस, फ्रूट-बेस्ड ब्रांड RasKik और इंडिपेंडेंस ब्रांड का पानी भी शामिल है। सबसे दिलचस्प साझेदारी मुथैया मुरलीधरन के साथ की गई है।
श्रीलंका के इस पूर्व क्रिकेटर के साथ मिलकर RCPL ने स्पिनर नाम की स्पोर्ट्स ड्रिंक लॉन्च की है, जिसकी कीमत महज 10 रुपए रखी गई है। यह Gatorade और Sting जैसे प्रीमियम स्पोर्ट्स ड्रिंक्स को सीधी चुनौती है। जब 10 रुपए की बोतल एक आम युवा के हाथ में होगी, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि महंगे इंटरनेशनल ब्रांड्स कैसे टिकते हैं। और यही कीमत और पहुंच की रणनीति इस गेम को पूरी तरह बदल सकती है।
यह रणनीति सिर्फ मूल्य की नहीं, पहुँच की भी है। भारत के ग्रामीण और कस्बाई बाजारों में जहां अब तक विदेशी ब्रांड्स का राज था, RCPL वहां अपने किफायती लेकिन गुणवत्तापूर्ण विकल्प लेकर आ रही है। यानी अब कोल्ड ड्रिंक सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह देश के हर गांव तक पहुंचेगी—और वह भी एक भारतीय ब्रांड के नाम से। यह न केवल स्वाद की लड़ाई है, बल्कि भावनाओं और गर्व की भी लड़ाई है। क्योंकि जब गांव का युवा कैम्पा पीकर कहेगा कि ये हमारा ब्रांड है, तब उसका भरोसा और गहरा होगा।
रिलायंस कंज्यूमर के पास अब एक विशाल पोर्टफोलियो है—सिर्फ कोल्ड ड्रिंक्स ही नहीं, बल्कि सिल जैम, स्प्रेड्स, Lotus Chocolate, Toffeeman, Ravalgaon जैसे कन्फेक्शनरी ब्रांड्स, एलनस बगल्स स्नैक्स, वेलवेट शैम्पू और इंडिपेंडेंस स्टेपल्स भी शामिल हैं। कुल मिलाकर 15 से ज्यादा ब्रांड्स RCPL के पास हैं, जिनमें से अधिकतर खरीदे गए हैं। हालांकि, इनमें से बहुत से ब्रांड अभी केवल कुछ ही बाजारों में उपलब्ध हैं। मगर RCPL का लक्ष्य है कि मार्च 2027 तक देश के हर हिस्से में उसके सभी प्रोडक्ट्स उपलब्ध हों। यानी एक ऐसा इकोसिस्टम जिसमें नाश्ता, पीना, सफाई, पोषण—हर ज़रूरत का एक भारतीय विकल्प हो।
अब सवाल ये नहीं है कि क्या अंबानी Coca-Cola और Pepsi को चुनौती दे सकते हैं—सवाल यह है कि कितनी जल्दी वे अपनी पकड़ बना लेते हैं। क्योंकि Investment हो चुका है, प्लांट्स खुल रहे हैं, ब्रांड्स लॉन्च हो चुके हैं और मार्केटिंग चालू है। बाकी बचा है सिर्फ उपभोक्ता का विश्वास, और वह भारत में तेजी से बदल रहा है। Made in India अब केवल टैग नहीं, गर्व का प्रतीक बन रहा है। और अगर उस टैग के पीछे मुकेश अंबानी जैसा नाम हो, तो विदेशी ब्रांड्स को वाकई चिंता करने की जरूरत है। यह प्रतिस्पर्धा अब स्वाद की नहीं, भरोसे और पहचान की भी है।
Conclusion
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