Stamp duty: प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में Stamp duty से लाखों बचाने का फॉर्मूला! जानिए ये 4 लीगल तरीके।

सोचिए… आप अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी डील करने जा रहे हैं। सपनों का घर, वह जगह जहाँ आप हर सुबह उठना चाहते हैं, हर शाम सुकून पाना चाहते हैं। सब कुछ तय हो गया है — लोकेशन, कीमत, बैंक लोन… लेकिन तभी एक ऐसा खर्च सामने आता है जो आपके सारे बजट को हिला कर रख देता है — Stamp Duty

लाखों रुपये का अतिरिक्त खर्च, जो घर खरीदने की खुशी में एक भारी बोझ बन जाता है। क्या आप जानते हैं कि इस Stamp Duty के खर्च को कानूनी तरीके से कम किया जा सकता है? हाँ, बिल्कुल सही सुना आपने। आज हम आपको बताएंगे वे चार लीगल रास्ते जिनकी मदद से आप अपनी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में हजारों, बल्कि लाखों रुपये बचा सकते हैं

भारत में प्रॉपर्टी खरीदते समय Stamp Duty एक बड़ा खर्च होता है। जमीन, मकान, दुकान, फ्लैट — कोई भी प्रॉपर्टी खरीदें, आपको सरकार को एक मोटी रकम स्टाम्प ड्यूटी के रूप में चुकानी पड़ती है। यह शुल्क हर राज्य सरकार तय करती है और इसकी दरें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं।

Stamp Duty आमतौर पर प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू या लेनदेन मूल्य — जो भी अधिक हो — के आधार पर वसूली जाती है। यानी अगर आपने प्रॉपर्टी महंगे दाम में खरीदी है तो स्टाम्प ड्यूटी भी उतनी ही ज्यादा होगी। यही कारण है कि कई बार घर खरीदने के बाद लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। लेकिन जानकारी और समझदारी से काम लिया जाए, तो इस खर्च को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

सबसे पहला तरीका है — प्रॉपर्टी में पत्नी को ज्वाइंट ओनरशिप देना। शायद आपको पता न हो, लेकिन भारत के कई राज्यों में महिला खरीदारों को स्टाम्प ड्यूटी में बड़ी छूट मिलती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में पुरुष खरीदारों के लिए Stamp Duty 6% है, जबकि महिलाओं के लिए यह सिर्फ 4% है। यानी अगर आप अपनी पत्नी को सह-मालिक बनाते हैं, तो स्टाम्प ड्यूटी में 2% की सीधी बचत होगी। महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में भी महिला खरीदारों को इसी तरह की रियायत दी जाती है। यही नहीं, अगर आप अपनी मां को ज्वाइंट ओनर बनाते हैं, तब भी आप इस छूट का फायदा ले सकते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि क्या इसमें कोई खतरा है? नहीं, अगर दोनों पार्टियों के बीच भरोसा है और कागजी कार्रवाई सही ढंग से होती है, तो यह एक शानदार तरीका है Stamp Duty बचाने का। साथ ही, भविष्य में प्रॉपर्टी ट्रांसफर में भी यह आसानियां पैदा करता है। इसलिए, जब भी अगली बार घर खरीदने जाएं, तो इस विकल्प पर जरूर विचार करें।

दूसरा तरीका है — प्रॉपर्टी की कीमत का सही तरीके से मूल्यांकन कराना। अक्सर ऐसा होता है कि प्रॉपर्टी का सौदा बाजार दर से अधिक पर होता है, लेकिन सरकारी सर्किल रेट यानी गाइडलाइन वैल्यू उससे कम होती है। कई बार इसका उल्टा भी होता है। ऐसे में Stamp Duty आमतौर पर अधिक कीमत पर ली जाती है। लेकिन अगर आप प्रॉपर्टी का सही मूल्यांकन कराएं और यह साबित कर सकें कि बाजार मूल्य सर्किल रेट से कम है, तो स्टाम्प ड्यूटी भी कम हो सकती है।

इसके लिए आपको मूल्यांकन रिपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं। संबंधित अधिकारी अगर संतुष्ट हो जाएं कि आपकी प्रॉपर्टी का बाजार मूल्य वास्तव में सर्किल रेट से कम है, तो वे Stamp Duty में रियायत दे सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया थोड़ी समय लेने वाली हो सकती है, लेकिन अगर प्रॉपर्टी महंगी है तो इससे लाखों रुपये की बचत संभव है।

तीसरा तरीका है — टैक्स छूट का सही दावा करना। बहुत कम लोगों को पता होता है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री पर दिया गया Stamp Duty, और रजिस्ट्रेशन शुल्क भी Income Tax Act की धारा 80 सी के तहत Tax benefit के योग्य है। आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं, जिसमें Stamp Duty और रजिस्ट्रेशन शुल्क शामिल हैं।

लेकिन इस लाभ को पाने के लिए दो शर्तें हैं — पहली, यह सिर्फ आवासीय संपत्ति के लिए मान्य है, व्यावसायिक संपत्ति के लिए नहीं। और दूसरी, यह छूट सिर्फ उस वर्ष में मिलती है जब आपने वास्तविक भुगतान किया हो। यानी अगर आपने इस साल Stamp Duty भरी है, तो उसी वित्तीय वर्ष के रिटर्न में इस कटौती का दावा करना होगा। यह सीधा-सीधा टैक्स सेविंग है, जो आपके सालाना टैक्स बिल को हल्का कर सकता है।

चौथा और बेहद प्रभावी तरीका है — अफोर्डेबल प्रॉपर्टी खरीदना। भारत सरकार और राज्य सरकारें मिलकर अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा दे रही हैं। इसके तहत सस्ती कीमत की प्रॉपर्टीज पर Stamp Duty में छूट दी जाती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली सरकार 45 लाख रुपये तक के फ्लैट पर पहली बार घर खरीदने वालों को स्टाम्प ड्यूटी में बड़ी राहत देती है।

इसी तरह, महाराष्ट्र सरकार भी मुंबई महानगर क्षेत्र में 35 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टी पर Stamp Duty माफ कर देती है। अन्य राज्यों में भी अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसलिए अगर आप बजट रेंज में कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो न सिर्फ घर खरीदना सस्ता पड़ेगा बल्कि Stamp Duty में भी बड़ी बचत होगी।

इन चार तरीकों को अपनाकर आप अपनी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में स्टाम्प ड्यूटी का भारी बोझ कम कर सकते हैं। लेकिन एक बात हमेशा याद रखें — जो भी तरीका अपनाएं, वह पूरी तरह कानूनी होना चाहिए। गलत जानकारी या दस्तावेजों से बचत करने की कोशिश बाद में भारी नुकसान या कानूनी परेशानियों में बदल सकती है।

अगर आप आज इन छोटी-छोटी जानकारियों को अपनाते हैं, तो भविष्य में जब भी कोई प्रॉपर्टी डील करेंगे, आप न केवल लाखों रुपये बचा पाएंगे बल्कि एक स्मार्ट Investor के रूप में खुद पर गर्व भी कर पाएंगे। भारत में रियल एस्टेट Investment करना हमेशा से एक सपना रहा है। लेकिन इस सपने को पूरा करते वक्त छोटी-छोटी सूचनाओं और विकल्पों को नजरअंदाज करना हमें भारी कीमत चुकाने पर मजबूर कर सकता है। इसीलिए जरूरी है कि हर कदम सोच-समझकर उठाया जाए।

एक छोटा-सा सही फैसला — जैसे पत्नी को ज्वाइंट ओनर बनाना या अफोर्डेबल प्रॉपर्टी चुनना — आपके पूरे बजट की दिशा बदल सकता है। और सबसे बड़ी बात — एक घर सिर्फ चार दीवारों का ढांचा नहीं होता, वह आपके सपनों का आशियाना होता है। ऐसे में अगर आप थोड़ी सी समझदारी दिखाकर उसकी लागत कम कर सकते हैं, तो क्यों न करें?

तो अगली बार जब भी आप अपने सपनों का घर खरीदने जाएं, इन चार लीगल रास्तों को जरूर याद रखें। हो सकता है, इन्हीं रास्तों से आप न सिर्फ अपनी जेब को राहत देंगे बल्कि अपने भविष्य को भी ज्यादा सुरक्षित बनाएंगे। क्योंकि बचत सिर्फ पैसे की नहीं होती, बचत होती है एक बेहतर जिंदगी की। और एक समझदार Investor वही है जो हर कदम पर अपने फैसलों से न सिर्फ अपना सपना पूरा करे, बल्कि उसमें खुशियों का इजाफा भी करे।

Conclusion

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