सोचिए… एक छोटा सा सपना, महज 5,000 रुपये का कर्ज, एक साधारण परिवार और एक अटूट जिद… क्या सिर्फ इतने से कोई इतिहास रच सकता है? क्या इतने छोटे से कदम से कोई शून्य से उठकर अरबपति बन सकता है? जब आप Nikhil Kamath की कहानी सुनेंगे, तो यकीन करना मुश्किल होगा कि भारत के सबसे युवा अरबपतियों में गिने जाने वाले, इस शख्स के पीछे एक ऐसी कहानी है जो फूलों की खुशबू से शुरू होती है, और आज दुनिया की सबसे बड़ी फाइनेंशियल क्रांति में तब्दील हो चुकी है।
लेकिन इस सफर में Nikhil Kamath अकेले नहीं थे। उनके साथ था एक परिवार — साधारण, लेकिन असाधारण सपनों वाला। आज हम जानेंगे निखिल कामथ के उस परिवार के बारे में जिसने न सिर्फ उनका हौसला बढ़ाया, बल्कि उनकी किस्मत बदलने की बुनियाद भी रखी।
Nikhil Kamath कामथ का जन्म 5 सितंबर 1986 को कर्नाटक में हुआ था। एक साधारण मिडिल क्लास परिवार में पले-बढ़े निखिल ने बचपन से ही संघर्ष का असली मतलब सीखा था। उनके पिता एन कृष्णमूर्ति, केनरा बैंक में कार्यरत थे। बैंक की नौकरी का मतलब था एक सधी हुई, स्थिर जिंदगी, लेकिन उसमें सीमित आय और सीमित सपने भी थे।
फिर भी, कृष्णमूर्ति साहब का मानना था कि जिंदगी में मानसिक मजबूती सबसे जरूरी है। शायद इसी सोच के चलते उन्होंने Nikhil Kamath और उनके भाई को शतरंज खेलने के लिए प्रेरित किया। “शतरंज से दिमाग तेज होता है,” वे अक्सर कहते थे। और यहीं से Nikhil Kamath ने सीखा — सोचने की गहराई, चाल चलने की चतुराई और धैर्य से परिस्थितियों को मात देने की कला।
लेकिन Nikhil Kamath के जीवन में असली प्रेरणा आई उनकी मां रेवती कामथ से। रेवती कामथ का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक साधारण गृहिणी से लेकर एक सफल बिजनेसवुमन बनने तक की उनकी यात्रा में जुनून, मेहनत और साहस की मिसाल छिपी है। रेवती कामथ को फूलों से बेहद प्यार था। उनके पति राघुराम कामथ अक्सर बैंक से लौटते समय उनके लिए फूल लाया करते थे। यही छोटी-सी आदत एक बड़े सपने की शुरुआत बन गई।
रेवती कामथ ने तय किया कि वे अपने इस प्यार को एक व्यवसाय का रूप देंगी। लेकिन हर सपना, खासकर छोटे शहरों में, पूंजी के अभाव से जूझता है। रेवती ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने एक दोस्त से महज 5,000 रुपये उधार लिए और विप्रो कंपनी में एक डेमो देने चली गईं। किस्मत ने भी मेहनत का साथ दिया। उनका डेमो विप्रो की टीम को इतना पसंद आया कि उन्हें तुरंत 50,000 रुपये का पहला प्रोजेक्ट मिल गया। बस, यहीं से कहानी ने रफ्तार पकड़ ली।
रेवती ने जयनगर में एक छोटी-सी दुकान ली, महज 500 रुपये महीने के किराए पर। फूलों की खुशबू, उनके जूनून और संघर्ष की महक के साथ धीरे-धीरे उनका व्यवसाय बढ़ने लगा। शुरूआत में बिक्री धीमी थी, लेकिन रेवती ने हार नहीं मानी। उन्होंने HP, Bosch जैसी बड़ी कंपनियों से संपर्क साधा और धीरे-धीरे अपने बिजनेस को शादियों और कॉर्पोरेट इवेंट्स तक फैला दिया। यही बिजनेस बाद में “कैलिक्स” के नाम से मशहूर हुआ। कैलिक्स सिर्फ एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी नहीं थी — यह उस सपने की गवाही थी जो एक साधारण महिला ने अपनी मेहनत से साकार किया था।
रेवती का संघर्ष और सफलता Nikhil Kamath के मन में गहरे उतर गए। उन्होंने अपनी मां से सीखा कि छोटे साधनों के साथ भी बड़े सपने कैसे पूरे किए जा सकते हैं। और शायद यही सीख थी जिसने उन्हें जिंदगी के हर मोड़ पर रिस्क लेने का हौसला दिया।
Nikhil Kamath ने बेहद कम उम्र में अपने सपनों की उड़ान शुरू कर दी थी। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने एक कॉल सेंटर में नौकरी पकड़ ली थी। कॉल सेंटर की नौकरी उनके लिए सिर्फ आय का जरिया नहीं थी, बल्कि एक खिड़की थी दुनिया को समझने की, पैसे की अहमियत जानने की, और सबसे बढ़कर — अपनी काबिलियत पर भरोसा करने की।
इसी कॉल सेंटर की पगार से निखिल ने स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत की। जहाँ दूसरे युवा पैसे बचाकर खर्च की प्लानिंग करते थे, वहीं Nikhil Kamath ने पैसे को काम पर लगाने का सपना देखा। शुरुआत में निखिल ने खूब गलतियाँ कीं, घाटे भी उठाए, लेकिन हर नुकसान से उन्होंने सीखा। एक-एक गलती से उनकी सोच और मजबूत होती गई।
2010 का साल Nikhil Kamath कामथ के जीवन में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। इसी साल उन्होंने अपने बड़े भाई नितिन कामथ के साथ मिलकर “जीरोधा” की स्थापना की। यानी बिना किसी बाधा के Investment की दुनिया में प्रवेश। उस वक्त जब पारंपरिक ब्रोकरेज कंपनियाँ भारी कमीशन वसूल रही थीं, जीरोधा ने Investors को एक सीधा, सस्ता और पारदर्शी प्लेटफॉर्म दिया।
लेकिन जीरोधा को वहां तक पहुंचने में रातों की नींद, अनगिनत असफल प्रयास और अनगिनत संघर्षों का योगदान था। कोई बड़ी फाइनेंशियल बैकिंग नहीं थी, न कोई ग्लैमरस ब्रांड। बस था तो एक सपना — आम आदमी के लिए शेयर बाजार को आसान और सस्ता बनाने का।
जीरोधा ने एक के बाद एक मील के पत्थर पार किए। आज यह भारत की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म है, जिसमें लाखों Investor जुड़े हैं। और Nikhil Kamath — जो कभी 5,000 रुपये उधार लेने वाले परिवार का हिस्सा थे — आज भारत के सबसे युवा अरबपतियों में गिने जाते हैं।लेकिन इस सफलता के पीछे जो सबसे बड़ी ताकत थी, वह था परिवार का साथ। रेवती कामथ का संघर्ष, एन कृष्णमूर्ति का अनुशासन, और नितिन कामथ का सहयोग — Nikhil Kamath की उड़ान को हर उस तूफान से बचाते रहे जो रास्ते में आया।
आज Nikhil Kamath सिर्फ एक नाम नहीं, एक प्रेरणा हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि संसाधनों की कमी कभी सपनों का रास्ता नहीं रोक सकती। अगर आपके पास हिम्मत है, अगर आपके परिवार का साथ है, और अगर आपके सपनों में सच्चाई है — तो आप भी अपनी किस्मत खुद लिख सकते हैं।
Nikhil Kamath के सफर से एक और बड़ा सबक मिलता है — Risk उठाना जरूरी है। लेकिन वह Risk समझदारी से लिया जाना चाहिए। कॉल सेंटर की नौकरी से स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखना, फिर जीरोधा जैसा Risk उठाना, यह सब बिना सोच-विचार के नहीं किया गया था। हर कदम पर Nikhil Kamath ने रणनीति बनाई, रिस्क को समझा, और तभी आगे बढ़े।अगर आप भी जिंदगी में कोई बड़ा सपना देख रहे हैं, अगर आपके भी हालात साधारण हैं, तो Nikhil Kamath की कहानी आपके लिए एक चिट्ठी है — जिसमें लिखा है, “तुम कर सकते हो।”
बस जरूरत है जुनून की, मेहनत की, धैर्य की और सबसे बढ़कर — उस परिवार के समर्थन की जो हर गिरावट में आपको संभाले और हर उड़ान में आपका हौसला बढ़ाए। निखिल कामथ की कहानी बताती है कि असली विरासत पैसों से नहीं, आदर्शों से बनती है। और यही आदर्श उनकी मां के संघर्ष, उनके पिता के अनुशासन और उनके भाई के विश्वास से निकले हैं।
तो अगली बार जब आप किसी संघर्ष से हार मानने का सोचें, तो एक बार Nikhil Kamath और उनके परिवार की कहानी को याद करिएगा। क्योंकि अगर एक छोटा सपना, 5,000 रुपये का कर्ज और एक साधारण परिवार मिलकर अरबों का इतिहास रच सकते हैं — तो आप भी कर सकते हैं। फर्क सिर्फ सपनों पर यकीन करने का है।
Conclusion
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