Inspiring: Leather Footwear Policy 2025 यूपी को मिलेगा बड़ा तोहफा, 20 हजार नई नौकरियों का वादा!

एक ऐसा शहर, जो कभी देश ही नहीं, पूरी दुनिया में चमड़े और फुटवियर के लिए मशहूर था। जहां हर गली से Export के पैकेट निकलते थे, जहां हर कारखाने से विदेशों के ऑर्डर पूरे किए जाते थे। फिर वक्त बदला। नीतियों में सख्ती आई, गंगा नदी को बचाने के लिए टेनरियों पर ताले लगे, और देखते ही देखते कानपुर का चमकता ताज फीका पड़ने लगा। कई उद्यमी मजबूरी में बांग्लादेश चले गए, और यूपी का एक ऐतिहासिक उद्योग दम तोड़ने लगा।

लेकिन अब योगी सरकार एक नई उम्मीद लेकर आई है। नई Leather Footwear Policy 2025, जो न केवल उद्योग को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि 20 हजार नए रोजगार भी पैदा करेगी। सवाल सिर्फ एक है—क्या यूपी एक बार फिर चमड़े के व्यापार का सम्राट बन पाएगा? क्या वो चमक फिर लौटेगी जिसने कभी कानपुर को एशिया का मैनचेस्टर कहा जाता था? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

बीते छह वर्षों में जब दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही थी, यूपी का लेदर और फुटवेयर उद्योग पिछड़ रहा था। global competition, पर्यावरणीय कानूनों का दबाव और Investment में कमी ने इस क्षेत्र को धीरे-धीरे संकट में डाल दिया था। लेकिन अब प्रदेश सरकार को यह एहसास हो चुका है कि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। खासकर तब, जब बांग्लादेश जैसी Competitive अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है।

यही वजह है कि अब यूपी सरकार नई लेदर और फुटवेयर नीति के जरिए न केवल अपने पुराने वैभव को लौटाना चाहती है, बल्कि Global बाजार में फिर से अपनी पहचान मजबूत करना चाहती है। नई पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है और जल्दी ही कैबिनेट से इसकी मंजूरी मिल जाएगी, जिससे यूपी में Investment और रोजगार की एक नई लहर दौड़ सकती है।

सरकार का दावा है कि यूपी पहले से ही देश के कुल लेदर एक्सपोर्ट में 46% का योगदान देता है। आगरा, कानपुर और उन्नाव इस उद्योग के सबसे बड़े केंद्र हैं। आगरा को दुनिया भर में फुटवियर कैपिटल के तौर पर पहचान मिली है, वहीं कानपुर को सेफ्टी फुटवियर और लेदर एक्सेसरीज़ का ग्लोबल हब माना जाता है।

इन दोनों शहरों के अलावा लखनऊ और बरेली भी नए लेदर-फुटवेयर हब के रूप में उभर रहे हैं। कुल मिलाकर 200 से ज्यादा टेनरीज़ आज भी यूपी की मिट्टी में सांस ले रही हैं, बस उन्हें एक नई उड़ान चाहिए, जो अब नई नीति देने जा रही है। यह उड़ान न केवल पुराने कारोबारियों के लिए नई आशा बनेगी, बल्कि युवाओं के लिए भी एक सुनहरा करियर विकल्प लेकर आएगी।

नई नीति सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि इसमें ठोस योजनाएं शामिल हैं। इसके तहत निजी औद्योगिक पार्कों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा। डेवलपर्स को सब्सिडी मिलेगी, स्टांप ड्यूटी में पूरी छूट दी जाएगी। छोटे-बड़े उद्यमियों को Investment करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। स्टैंडअलोन यूनिट्स, लेदर मशीनरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और मेगा एंकर यूनिट्स को 50 से 150 करोड़ रुपये तक के Investment की अनुमति होगी।

क्लस्टर विकसित करने के लिए कम से कम 200 करोड़ रुपये का Investment अनिवार्य होगा। इससे एक ही यूनिट से 1000 से 3000 रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है। यानी समग्र रूप से 20 हजार लोगों को नई नौकरियां मिलने का रास्ता खुलेगा। इसका प्रभाव केवल रोजगार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे पूरे सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।

कानपुर, जो कभी एशिया का सबसे बड़ा लेदर मार्केट था, अब फिर से अपनी खोई हुई पहचान पाने की दिशा में बढ़ रहा है। सरकार के मुताबिक, इस पॉलिसी के जरिए प्राइवेट डेवलपर्स 25 से 100 एकड़ में इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित कर सकते हैं, और अधिकतम 45 करोड़ रुपये तक की पूंजीगत सब्सिडी पा सकते हैं।

अगर कोई डेवलपर 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में पार्क बनाता है, तो यह सब्सिडी 80 करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगी। इसके अलावा, जमीन की खरीद पर पूरी स्टांप ड्यूटी माफ कर दी जाएगी। यानी Investors के लिए अब यूपी किसी सपने से कम नहीं रहेगा। कानपुर से लेकर बरेली तक एक औद्योगिक क्रांति का माहौल तैयार हो सकता है, जो उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नक्शे को बदल सकता है।

लेकिन सिर्फ Investment की बात नहीं है, पर्यावरण का भी ध्यान रखा गया है। नई नीति के तहत इंडस्ट्रियल परिसर के 25% क्षेत्र को खुले और हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि उद्योग और प्रकृति साथ-साथ आगे बढ़ेंगे। यूपी सरकार इस पहल से दिखाना चाहती है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। स्वच्छ उत्पादन तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि पर्यावरण पर न्यूनतम असर हो, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यूपी के उत्पाद (Sustainable) और जिम्मेदार माने जाएं।

नई नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू है—समयबद्धता। जो भी Investor यूपी में उद्योग स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें पांच वर्षों के भीतर निर्माण और संचालन शुरू करना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि परियोजनाएं केवल कागज पर न रहें, बल्कि ज़मीन पर उतरें और जल्दी से जल्दी रोजगार और Revenue उत्पन्न करें। यही विजन यूपी को दूसरे राज्यों से अलग बनाएगा। यह समयबद्धता Investors में भरोसा पैदा करेगी और सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक बनेगी, जो आने वाले वर्षों में यूपी को Investment का पहला Destination बना सकती है।

फुटवेयर और लेदर सेक्टर का इतिहास बताता है कि जब भी सही नीति, सही दिशा और सही प्रोत्साहन मिला है, इस उद्योग ने चमत्कार किए हैं। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े फुटवियर उपभोक्ताओं में से एक है और Global फुटवियर बाजार में भी भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। अगर यूपी इस मौके को सही तरीके से भुनाता है, तो वह न केवल तमिलनाडु को चुनौती दे सकता है, बल्कि दक्षिण एशिया में लेदर और फुटवेयर उद्योग का नया नेतृत्वकर्ता बन सकता है। यूपी के उद्यमियों और कारीगरों के लिए यह स्वर्णिम अवसर है कि वे अपनी प्रतिभा और परंपरा को Global पहचान दिला सकें।

नई नीति में केवल बड़े Investors को ही नहीं, बल्कि छोटे और मध्यम उद्यमियों को भी ध्यान में रखा गया है। सरकार चाहती है कि कारीगरों, डिजाइनरों और स्थानीय उद्यमियों को भी इस विकास यात्रा का हिस्सा बनाया जाए। इससे न केवल शहरों, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। महिलाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जाएंगी ताकि वे भी इस उद्योग में सक्रिय भागीदारी कर सकें। इससे सामाजिक समावेशन को भी बढ़ावा मिलेगा और उत्तर प्रदेश समग्र विकास की ओर कदम बढ़ाएगा।

अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो आने वाले पांच वर्षों में यूपी न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अपने लेदर और फुटवेयर उत्पादों के लिए एक नई पहचान बना सकता है। कानपुर, आगरा, उन्नाव, लखनऊ और बरेली—ये सभी शहर फिर से अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर चमक सकते हैं। हर फैक्ट्री, हर वर्कशॉप, हर डिजाइन स्टूडियो से निकलेगा एक नया सपना—’मेक इन यूपी, फॉर द वर्ल्ड’। इस बदलाव का असर न केवल उद्योगों पर, बल्कि प्रदेश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक छवि पर भी पड़ेगा।

अब गेंद सरकार और उद्यमियों दोनों के पाले में है। अगर सरकार ने वादे निभाए और उद्यमियों ने Risk उठाया, तो यूपी की चमड़ी और जूतों की चमक एक बार फिर पूरी दुनिया में बिखर सकती है। और इस बार यह चमक सिर्फ आर्थिक सफलता नहीं, बल्कि रोजगार, सम्मान और गौरव की नई कहानी भी लिखेगी। यह कहानी होगी उस उत्तर प्रदेश की, जिसने अपने अतीत से सबक लिया, अपने वर्तमान को संवारा और अपने भविष्य को सुनहरे अक्षरों में लिखा।

Conclusion

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