Vijay Mallya का बड़ा खुलासा: “मैं चोर नहीं हूँ” — किंगफिशर की डूबती कहानी में प्रणब मुखर्जी की चुप्पी का रहस्य! 2025

एक ऐसा व्यक्ति, जिसे कभी भारत का सबसे रंगीन, सबसे अमीर और सबसे ग्लैमरस कारोबारी कहा जाता था। जिसके पास प्राइवेट जेट थे, F1 रेसिंग टीम थी, IPL की टीम RCB थी, और जिसकी एयरलाइन किंगफिशर भारत के आसमान में लग्ज़री का पर्याय मानी जाती थी।

लेकिन वही व्यक्ति आज लंदन की गलियों में निर्वासित जीवन जी रहा है, एक भगोड़े का टैग झेल रहा है और कह रहा है—“मैं माफी मांगता हूं कि किंगफिशर फेल हुई, लेकिन मैं चोर नहीं हूं।” जी हां, ये हैं Vijay Mallya, जिनका नया खुलासा भारत के बैंकिंग सिस्टम, राजनीति और मीडिया ट्रायल पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

लंदन में रह रहे भगोड़े कारोबारी Vijay Mallya ने पहली बार खुलकर स्वीकार किया है कि किंगफिशर एयरलाइंस को बचाया जा सकता था, अगर उस वक्त भारत सरकार ने साथ दिया होता। उन्होंने सीधे तौर पर प्रणब मुखर्जी का नाम लिया और कहा कि जब वे वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने मदद के लिए हाथ बढ़ाने से इनकार कर दिया।

माल्या का दावा है कि उस वक्त उन्होंने खुद जाकर प्रणब दा से मुलाकात की थी, आर्थिक संकट की स्थिति समझाई थी और कहा था कि किंगफिशर की फ्लाइट्स कम करनी होंगी, कर्मचारियों को हटाना पड़ेगा। लेकिन सरकार ने जवाब दिया—”काम जारी रखिए, बैंक आपकी मदद करेंगे।” नतीजा क्या हुआ? न बैंक ने मदद की, न सरकार ने रास्ता दिखाया, और अंत में पूरी एयरलाइन डूब गई।

Vijay Mallya ने अपने बयान में यह भी कहा कि मीडिया ने उन्हें ‘किंग ऑफ गुड टाइम्स’ कहकर मशहूर किया, लेकिन असली काम तो उन्होंने किया था—बिजनेस खड़ा किया, यूबी ग्रुप को ग्लोबल ब्रांड बनाया, शराब, पेंट, फार्मा, रेसिंग और एयरलाइंस जैसे सेक्टर्स में भारत को दुनिया से जोड़ने का काम किया। 1988 में जब भारत में ग्लोबलाइजेशन का नाम भी नहीं था, तब माल्या बर्गर पेंट्स का Acquisition कर चुके थे। 2005 में उन्होंने भारत की पहली प्रीमियम एयरलाइन शुरू की, जिसने इंडियन एविएशन की परिभाषा बदल दी।

लेकिन कहते हैं ना, ग्लैमर जितना चमकदार होता है, उसकी परछाई उतनी ही लंबी होती है। 2008 की global recession ने किंगफिशर की रीढ़ तोड़ दी। Vijay Mallya कहते हैं, “क्या आपने लेहमन ब्रदर्स का नाम सुना है? वो गिरा, दुनिया की अर्थव्यवस्था हिल गई। उसका असर भारत पर भी पड़ा। पैसा आना रुक गया, हर सेक्टर प्रभावित हुआ, और हमारी एयरलाइन भी।” उन्होंने कहा कि उस समय अगर सिस्टम साथ देता, तो एयरलाइन को बचाया जा सकता था। लेकिन उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया। न संवाद हुआ, न समाधान।

Vijay Mallya का कहना है कि उन्होंने हर लोन पर व्यक्तिगत गारंटी दी थी। फिर भी, उन पर 9,000 करोड़ से ज़्यादा की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया। उन्होंने दावा किया कि बैंकों ने उनसे 6,203 करोड़ का कर्ज लिया था, जबकि अब तक सरकार 14,100 करोड़ की वसूली कर चुकी है। सवाल उठता है कि अगर वो चोर हैं, तो पैसा वसूल कैसे हो गया? उन्होंने पॉडकास्ट में साफ कहा, “अगर मैंने चोरी की होती, तो पैसा कहां से वसूल होता? मैंने चार बार सेटलमेंट ऑफर दिया, लेकिन बैंकों ने CBI के डर से इंकार कर दिया।”

F1 टीम और RCB को लेकर भी उन्होंने सफाई दी। Vijay Mallya का कहना है कि इन दोनों में से किसी में भी एयरलाइन का पैसा नहीं गया। बल्कि उल्टा F1 टीम ने किंगफिशर को फंड ट्रांसफर किया था। उन्होंने निजी खर्चों को लेकर लगाए गए आरोपों को भी बेबुनियाद बताया और कहा कि, उनका हर कदम बिजनेस विस्तार और ब्रांड बिल्डिंग की रणनीति का हिस्सा था, ना कि किसी घोटाले का।

पॉडकास्ट में Vijay Mallya ने यह भी कहा कि अगर भारत सरकार निष्पक्ष ट्रायल की गारंटी देती है, तो वे भारत लौटने के लिए तैयार हैं। लेकिन मौजूदा सिस्टम में उन्हें भरोसा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में किसी भी सिस्टम पर भ्रष्टाचार का साया है, और मीडिया ट्रायल ने उन्हें पहले ही दोषी बना दिया है। उन्होंने कहा कि मार्च 2016 के बाद वह भारत नहीं लौटे, लेकिन वह भागे नहीं थे। यह पहले से तय यात्रा थी, और जब उन्होंने देखा कि उन्हें बिना सुने ही दोषी ठहराया जा रहा है, तो उन्होंने लौटने का फैसला टाल दिया।

उनके मुताबिक, अगर सरकार और बैंकिंग सिस्टम ने उस समय उनका पक्ष सुना होता, और राजनीतिक दखल से बचा गया होता, तो न केवल किंगफिशर एयरलाइंस चलती रहती, बल्कि हजारों कर्मचारियों की नौकरी भी बच सकती थी। Vijay Mallya ने साफ कहा, “किंगफिशर को सिस्टम ने मारा है, मैंने नहीं।” उनका यह बयान सिर्फ एक कारोबारी की सफाई नहीं, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था पर टिप्पणी है जो कभी सुनने को तैयार नहीं होती।

प्रणब मुखर्जी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए Vijay Mallya ने कहा कि जब वो उनके पास मदद के लिए गए थे, तो उन्होंने न कोई जवाब दिया और न कोई कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने तब थोड़ी सी नरमी दिखाई होती, तो शायद एयरलाइन को नया जीवन मिल सकता था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें ‘काम जारी रखने’ की सलाह दी गई, लेकिन जब बैंक मदद नहीं कर रहे थे, तो काम कैसे चलता?

आज जब Vijay Mallya लंदन में हैं, और भारत सरकार उन्हें वापस लाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है, तो ये बयान एक नई बहस छेड़ सकता है। क्या माल्या का पक्ष भी सुना जाना चाहिए? क्या वो वाकई सिर्फ सिस्टम के शिकार हैं? या ये भी एक कारोबारी का शातिर बचाव है? एक ओर जहां उन्हें भगोड़ा और चोर कहा जा रहा है, वहीं उनकी बातों में एक पीड़ा भी झलकती है—एक ऐसा कारोबारी जिसने देश के लिए कुछ अलग करने की कोशिश की, लेकिन सिस्टम की दीवारों से टकरा कर गिर पड़ा।

अब सवाल ये नहीं है कि Vijay Mallya ने लोन लिया या नहीं, सवाल ये है कि उस लोन को चुकाने की जब वह कोशिश कर रहे थे, तो क्या बैंकों ने राजनीति के डर से रास्ता बंद कर दिया? सवाल ये भी है कि क्या प्रणब मुखर्जी जैसे अनुभवी नेता ने उस समय चुप रहकर एक बड़ी आर्थिक त्रासदी को जन्म दिया? और सबसे बड़ा सवाल—क्या Vijay Mallya वाकई चोर हैं या वो सिर्फ एक ‘ग्लैमरस सिस्टम फेलियर’ का चेहरा बन गए हैं?

आज जब आप इस कहानी को सुनते हैं, तो फैसला आपका है। Vijay Mallya का कहना है—“मैं भागा नहीं, लेकिन जब मुझे न्याय की गारंटी नहीं मिली, तो मैंने लौटने से मना कर दिया।” उन्होंने कहा—“अगर निष्पक्ष ट्रायल मिला, तो मैं आज भी भारत लौटने को तैयार हूं।”

इस कहानी के दोनों पहलू हैं। एक तरफ एक चकाचौंध भरा कारोबारी जो अचानक सब कुछ खो बैठा, और दूसरी ओर एक सिस्टम जो केवल दिखावे में निष्पक्ष है। बीच में हैं वो हजारों कर्मचारी जिनकी नौकरी चली गई, और वो करोड़ों भारतीय जिनकी टैक्स की रकम इस सिस्टम में फंस गई। Vijay Mallya की ये आवाज़ अब सिर्फ लंदन से नहीं, बल्कि हर उस भारतीय से सवाल पूछ रही है जो इस व्यवस्था में इंसाफ चाहता है। तो अगली बार जब कोई कहे “Vijay Mallya चोर है”—रुकिए, सोचिए, और खुद से पूछिए—क्या सच में? या फिर वो सिर्फ एक और चेहरा है, जिसे हमने सुना ही नहीं?

Conclusion

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