अमेरिकी राजनीति और टेक्नोलॉजी की दुनिया में हलचल तब मच गई जब एलन मस्क ने अचानक ट्रंप से अपना नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। वो एलन मस्क, जिन्हें ट्रंप का समर्थक माना जाता था, जिनके ट्वीट अक्सर रिपब्लिकन एजेंडा को हवा देते थे, जिन्होंने खुद को कई बार अमेरिका के भविष्य का मार्गदर्शक बताया—अब वही एलन मस्क इस एक फैसले से अलग राह पर निकल पड़े।
लेकिन सवाल है, आखिर ऐसा क्या हुआ जो दुनिया के सबसे अमीर और प्रभावशाली उद्यमी को ट्रंप जैसे शक्तिशाली नेता से किनारा करना पड़ा? जवाब है—’वन बिग ब्यूटीफुल बिल’, यानी OBBB। एक ऐसा विधेयक जो दिखने में ‘सुधार’ जैसा लगता है लेकिन जिसकी जड़ें अमेरिकी अर्थव्यवस्था में एक बड़ी दरार पैदा कर सकती हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
आपको बता दें कि मस्क की नाराज़गी अचानक नहीं आई है। पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी फेडरल घाटे को लेकर उनका रुख कड़ा होता जा रहा था। और जब ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए OBBB नामक भारी-भरकम खर्च वाला बिल प्रस्तावित किया, तब एलन मस्क की आर्थिक सोच को गहरा झटका लगा।
उन्होंने साफ कहा, “यह बिल बजट घाटे को घटाने के बजाय और बढ़ाता है और गवर्नमेंट एफिशिएंसी डिपार्टमेंट यानी DOGE की सोच को कमजोर करता है।” यानी एक तरह से यह बिल न केवल अमेरिका के आर्थिक संतुलन को बिगाड़ता है बल्कि Administrative efficiency को भी चोट पहुंचाता है।

OBBB को रिपब्लिकन पार्टी ने प्रतिनिधि सभा में पारित करवाया है और राष्ट्रपति ट्रंप ने इसका खुलकर समर्थन किया है। लेकिन यह बिल अभी सीनेट से पास नहीं हुआ है। इसके ज़रिए ट्रंप 2017 की कर कटौती की नीतियों को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। बिल की प्रमुख बातें हैं—टैक्स में और कटौती, सीमा सुरक्षा पर बढ़ा खर्च, सामाजिक योजनाओं में बदलाव, और स्वच्छ ऊर्जा से जुड़े टैक्स क्रेडिट्स को समाप्त करना। एक तरह से यह बिल ट्रंप के पूरे राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे को कानून के रूप में सामने लाने की कोशिश है।
एलन मस्क जैसे टेक टाइकून को इस बिल में जो सबसे ज्यादा खटक रहा है वह है इसकी ‘Fiscal irresponsibility’। अमेरिका का फेडरल घाटा पहले से ही 1.9 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है—जो देश की जीडीपी का लगभग 6.4% है। मस्क का तर्क है कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था कर्ज के बोझ से दबी हो, वहां इस तरह का खर्चीला बिल केवल और अस्थिरता लाएगा। और यह अस्थिरता केवल आंकड़ों की नहीं होगी—बल्कि डॉलर की साख, Investors के भरोसे और Global financial markets में अमेरिका की स्थिति को सीधा प्रभावित करेगी।
OBBB के पाँच प्रमुख स्तंभ हैं। पहला—2017 में की गई इनकम टैक्स और प्रॉपर्टी टैक्स में कटौती को स्थायी बनाना। ट्रंप का दावा है कि यह मध्यम वर्ग के लिए राहत का काम करेगा। दूसरा—टिप्स, ओवरटाइम और सोशल सिक्योरिटी इनकम जैसे क्षेत्रों में नई टैक्स कटौतियाँ लागू करना, जिससे 30,000 से 80,000 डॉलर कमाने वाले अमेरिकियों को टैक्स में 15% तक की राहत मिलेगी। तीसरा—सीमा सुरक्षा और सैन्य खर्च में भारी इज़ाफा। चौथा—सरकारी धोखाधड़ी और वेस्ट को कम करने की योजना। और पाँचवां—सरकारी कर्ज की सीमा बढ़ाना ताकि बढ़ते खर्च को कवर किया जा सके।
इनमें से कई प्रस्ताव सुनने में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन इनकी कीमत क्या होगी? यही सवाल एलन मस्क और उनके जैसे Financial expert उठा रहे हैं। यदि सरकार टैक्स कम कर रही है और खर्च बढ़ा रही है, तो पैसा आएगा कहां से? जवाब है—कर्ज। और यही वह बिंदु है जहां मस्क जैसे Investor चिंतित हो जाते हैं। उनका मानना है कि अगर अमेरिका इसी गति से कर्ज लेता रहा, तो जल्द ही वह स्थिति आ जाएगी जहां ब्याज भुगतान ही सरकार के Total revenue का बड़ा हिस्सा निगल जाएगा।
इस बिल का दूसरा बड़ा विवादास्पद हिस्सा है सीमा सुरक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं में बदलाव। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इससे अवैध प्रवास पर लगाम लगेगी और मेडिकऐड जैसी योजनाओं में पारदर्शिता आएगी। लेकिन मस्क की चिंता यह है कि ऐसे फैसले अल्पसंख्यकों और गरीब वर्गों पर अतिरिक्त बोझ डालेंगे। टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में विश्वास रखने वाले मस्क को लगता है कि इन वर्गों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के बजाय, उनसे सुविधाएं छीनना भविष्य की मानव पूंजी को कमजोर करेगा।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प बात यह है कि एलन मस्क ने जिस DOGE डिपार्टमेंट की शुरुआत की थी—जिसका उद्देश्य था सरकारी कामकाज को डिजिटल बनाना, खर्च घटाना और कार्यक्षमता बढ़ाना—उसी विभाग की आत्मा पर यह बिल चोट करता है। यानी एक ओर जहां मस्क तकनीक के माध्यम से सरकार को lean और efficient बनाना चाहते हैं, वहीं ट्रंप की यह नीति एक ऐसी सरकार को जन्म दे रही है जो और ज्यादा खर्चीली और जटिल हो।
यह साफ है कि ट्रंप का OBBB जहां राजनीतिक लाभ की ओर देखता है, वहीं मस्क की दृष्टि भविष्य की आर्थिक स्थिरता पर है। ट्रंप चाहते हैं कि आम अमेरिकियों को टैक्स में राहत मिले, बॉर्डर मजबूत हो और अमेरिका फिर से ‘ग्रेट’ बने। मस्क चाहते हैं कि अमेरिका टेक्नोलॉजी में सबसे आगे रहे, सरकारी कामकाज पारदर्शी हो और बजट संतुलित रहे। इन दो विज़नों के टकराव ने ही इन दोनों प्रभावशाली शख्सियतों को एक दूसरे से दूर कर दिया है।
एलन मस्क के इस स्टैंड का प्रभाव सिर्फ राजनैतिक नहीं, कारोबारी स्तर पर भी महसूस किया जाएगा। अब तक मस्क को ट्रंप समर्थक माना जाता था, और उनके कई उद्यमों को अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी नीतियों का लाभ भी मिलता रहा। लेकिन इस दूरी के बाद आने वाले महीनों में मस्क की कंपनियों—चाहे वह टेस्ला हो, स्पेसएक्स हो या XAI—पर प्रशासनिक और नीति-निर्धारण स्तर पर कुछ बदलाव संभव हैं।
‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ का भविष्य अभी सीनेट के फैसले पर निर्भर है। लेकिन इससे पहले ही यह बिल अमेरिकी राजनीतिक विमर्श में हलचल मचा चुका है। और एलन मस्क जैसे शख्स की मुखर आलोचना ने इसे एक नया आयाम दे दिया है। यह सिर्फ एक आर्थिक नीति का मुद्दा नहीं रहा—अब यह अमेरिका के आर्थिक भविष्य, राजनैतिक दिशा और नेतृत्व की प्राथमिकताओं का मामला बन चुका है।
इस पूरी कहानी का संदेश साफ है—आर्थिक ताकत और राजनीतिक सत्ता जब एक-दूसरे से टकराते हैं, तो नतीजे दूरगामी होते हैं। एलन मस्क का ट्रंप से अलग होना सिर्फ दो लोगों का मतभेद नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं का संघर्ष है—एक ओर टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबिलिटी की दुनिया, और दूसरी ओर पारंपरिक राष्ट्रवादी राजनीति। और अब देखना ये है कि इस संघर्ष में जीत किसकी होगी—राजनीति की या दूरदृष्टि की?
Conclusion
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