Anil Ambani की जबरदस्त वापसी! पुराने सबक और नई रणनीति से फिर बनाई सफलता की राह I 2025

कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति की गिनती में आने वाला कारोबारी अचानक ऐसे मोड़ पर पहुंच जाता है, जहां उसे अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने भाई की मदद लेनी पड़ती है। उसके व्यापारिक साम्राज्य का पतन इतना तेजी से होता है कि कभी जो नाम अरबों के सौदों का पर्याय था, वो दिवालिया घोषित किए जाने की दहलीज़ पर खड़ा होता है।

हम बात कर रहे हैं Anil Ambani की, जिनकी कहानी भारत के कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे रोमांचक और उतार-चढ़ाव से भरी गाथाओं में से एक है। लेकिन अब यह गाथा फिर से करवट ले रही है। Anil Ambani दोबारा उठ खड़े हुए हैं और इस बार वो वही गलतियां नहीं दोहरा रहे हैं जिन्होंने उन्हें गिराया था। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद 2005 में जब अंबानी साम्राज्य दो हिस्सों में बंटा, तब Anil Ambani को टेलीकॉम, पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियां मिलीं। आरंभ में सबकुछ शानदार लग रहा था। Anil Ambani तेजी से आगे बढ़ रहे थे और उनके पास करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी। लेकिन अति-आक्रामक विस्तार, कर्ज पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता, और रणनीतिक गलतियों ने उनके साम्राज्य को नीचे ला पटका।

पिछले कुछ वर्षों में स्थिति इतनी खराब हो गई कि Anil Ambani को कोर्ट में खुद को दिवालिया घोषित करना पड़ा। रिलायंस कम्युनिकेशंस के दिवालिया हो जाने के बाद, उन्हें एरिक्सन को भुगतान न कर पाने की स्थिति में जेल की चेतावनी भी मिली, जिससे उन्हें उनके भाई मुकेश अंबानी ने बचाया। लेकिन आज तस्वीर बदल रही है। अब Anil Ambani की कंपनियां फिर से मुनाफा कमाने लगी हैं। वो गलतियां जिनकी वजह से उन्होंने सब कुछ खो दिया था, अब उनके लिए सीख बन गई हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार उनकी वापसी की कहानी उन गलतियों को न दोहराने की गवाही दे रही है।

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा इस वापसी की कहानी के दो सबसे चमकदार सितारे बन गए हैं। रिलायंस पावर ने जब अपनी चौथी तिमाही के नतीजे घोषित किए तो सबको चौंकाते हुए, 199 प्रतिशत की बढ़त के साथ 125.57 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाया। इतना ही नहीं, कंपनी ने यह भी घोषणा की कि उसने पिछले 12 महीनों में 5,338 करोड़ रुपये का कर्ज चुका दिया है और अब उस पर कोई डिफॉल्ट नहीं है। इसी तरह, रिलायंस इंफ्रा ने भी घोषणा की कि उसने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 3,298 करोड़ रुपये का लोन चुका दिया और तिमाही के दौरान 4,387 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट दर्ज किया।

लेकिन यह सब अचानक नहीं हुआ। Anil Ambani ने अब उन क्षेत्रों में Investment कम किया है जहां रिटर्न की संभावना कम होती है। उन्होंने अंधाधुंध विस्तार की नीति को छोड़कर अब स्थिर और मुनाफे वाले क्षेत्रों पर ध्यान देना शुरू किया है। पहले उन्होंने टेलीकॉम, पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर में इतना तेजी से Investment किया कि उन परियोजनाओं को पूरा करना भी मुश्किल हो गया। सासन पावर प्रोजेक्ट का उदाहरण लें, जिसकी लागत 1.45 लाख डॉलर अनुमान से ज्यादा बढ़ गई और कंपनी पर 31,700 करोड़ रुपये का बोझ चढ़ गया।

इसी तरह टेलीकॉम सेक्टर में Anil Ambani ने R Com के जरिए CDMA तकनीक को अपनाया, जबकि बाजार GSM की ओर तेजी से बढ़ रहा था। इसका नतीजा यह हुआ कि R Com की Average revenue per user (ARPU) इंडस्ट्री के मुकाबले बहुत कम रही, और कंपनी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूब गई। जब 2019 में R Com दिवालिया प्रक्रिया में गई और एरिक्सन का 550 करोड़ रुपये बकाया रहा, तब अनिल अंबानी को जेल की चेतावनी तक मिल गई। लेकिन आज वह उन गलतियों से बचते हुए नए अवसरों की ओर बढ़ रहे हैं।

Anil Ambani के ग्रुप ने जब विदेशी मुद्रा में अधिक कर्ज लेना शुरू किया, तब उन्हें यह नहीं पता था कि रुपये की कीमत में गिरावट और ब्याज दरों में बढ़ोतरी उन्हें किस संकट की ओर ले जाएगी। विदेशी कर्ज के कारण जब देनदारियां बढ़ने लगीं, तब उनके पास विकल्प सीमित हो गए। इसके साथ ही सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर, Anil Ambani और उनकी कंपनियों पर 5 साल का प्रतिबंध और 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस पूरी स्थिति ने उन्हें कॉर्पोरेट गवर्नेंस के महत्व का पाठ पढ़ाया।

लेकिन अब वो दौर खत्म हो रहा है। Anil Ambani की दोनों प्रमुख कंपनियां न केवल कर्ज मुक्त हो गई हैं, बल्कि उन्होंने पूंजी जुटाकर आगे की योजना भी तैयार की है। रिलायंस पावर ने 1,525 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है, जिसे अब रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स और नए बिजनेस वेंचर्स में लगाया जाएगा। इसी दिशा में एक बड़ी सफलता तब मिली जब कंपनी को भूटान में 2,000 मेगावॉट का सोलर प्रोजेक्ट मिला। यह प्रोजेक्ट भूटान का अब तक का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट है और इससे कंपनी की आय और प्रतिष्ठा दोनों में इजाफा होगा।

Anil Ambani की वापसी की एक और अहम कड़ी है रिलायंस डिफेंस का पुनर्जीवन। पहले जब उन्होंने रिलायंस नेवल शुरू की थी तो वह परियोजना असफल रही थी। लेकिन अब वह रिलायंस इंफ्रा के तहत रिलायंस डिफेंस को एक नई पहचान देने में जुटे हैं। कंपनी ने जर्मनी की हथियार निर्माता कंपनी राइनमेटल एजी के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत वे मिलकर तोपखाने के गोले, विस्फोटक और प्रोपेलेंट्स बनाएंगे। महाराष्ट्र के रत्नागिरी में वटद औद्योगिक क्षेत्र में एक ग्रीनफील्ड फैक्ट्री स्थापित की जा रही है, जिसकी उत्पादन क्षमता दक्षिण एशिया में सबसे अधिक होगी।

यह रणनीतिक बदलाव यह दर्शाता है कि Anil Ambani ने अब Risk भरे निर्णयों की बजाय, साझेदारी और विशेषज्ञता आधारित मॉडल को अपनाया है। और शायद यही कारण है कि इस बार उनका ध्यान लाभ कमाने के साथ-साथ अपने व्यवसाय को स्थिरता देने पर भी है। वे अब पूंजी जुटाने के नए साधनों, कम Risk वाली परियोजनाओं और पारदर्शी कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर ज़ोर दे रहे हैं।

एक और रोचक पहलू यह है कि अब उनके परिवार के युवा सदस्य—जय अनमोल और जय अंशुल अंबानी—इस रिवाइवल की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जय अनमोल ने रिलायंस कैपिटल को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई है, जबकि जय अंशुल नई परियोजनाओं और Investment अवसरों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। समूह ने ‘विजन 2030’ के तहत एक कॉर्पोरेट सेंटर भी बनाया है जिसका उद्देश्य है—विस्तार, Innovation और अगली पीढ़ी के कॉर्पोरेट नेतृत्व को तैयार करना।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि Anil Ambani की यह वापसी एक नई सोच, नई रणनीति और पुरानी गलतियों से सीखी गई सीख का परिणाम है। उन्होंने अब उस संयम और समझदारी के साथ अपने व्यापार को आकार देना शुरू किया है जो कभी उनके सबसे बड़े अभाव बन गए थे। अब जबकि उन्होंने पारदर्शिता, तकनीकी साझेदारी और मजबूत नेतृत्व की ओर रुख किया है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि Anil Ambani न केवल वापसी कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसी वापसी जो शायद पहले से अधिक स्थायित्व और संतुलन लेकर आई है।

Conclusion

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