Bitcoin की नई ऊर्जा: पाकिस्तान की रणनीति और भारत के लिए संभावित अवसर! 2025

एक ऐसा देश, जो आर्थिक कर्ज में बुरी तरह डूब चुका है, जिसके लिए IMF की शर्तें जीवनरेखा बन चुकी हैं, और जिसकी मुद्रा हर साल गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रही है। इसी पाकिस्तान ने अब एक चौंकाने वाला दांव खेला है। जिस देश की अर्थव्यवस्था हांफ रही है, वही देश अब Bitcoin माइनिंग के लिए 2000 मेगावॉट बिजली झोंकने को तैयार है। यह फैसला केवल एक आर्थिक रणनीति नहीं, बल्कि पाकिस्तान की एक नई डिजिटल क्रांति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

इसके जरिए पाकिस्तान अपने कर्ज से उबरना चाहता है, ग्लोबल इन्वेस्टर्स को लुभाना चाहता है और तकनीकी दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दांव वाकई कारगर होगा या फिर यह भी पाकिस्तान की बाकी असफल नीतियों की तरह धुंध में खो जाएगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

पाकिस्तान सरकार की इस नई रणनीति का नेतृत्व पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल कर रही है, और यह योजना देश की अतिरिक्त बिजली को income के रूप में बदलने का प्रयास है। पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में बिजली उत्पादन की क्षमता में काफी इज़ाफा किया है, लेकिन मांग की कमी और सिस्टम की अक्षमता के चलते यह बिजली पूरी तरह उपयोग नहीं हो पाती। ऐसे में सरकार ने तय किया कि इस ‘सर्प्लस पावर’ को ऐसे क्षेत्रों में लगाया जाए जहां इसका आर्थिक लाभ सीधा मिल सके—और Bitcoin माइनिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेटा सेंटर्स इसके लिए सबसे आकर्षक विकल्प बने। इस सोच के पीछे एक ही मकसद है—कम संसाधनों में ज्यादा लाभ कमाया जाए।

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि Bitcoin माइनिंग आखिर होती क्या है। Bitcoin माइनिंग एक डिजिटल प्रक्रिया है जिसमें High capacity वाले कंप्यूटरों की सहायता से, ब्लॉकचेन नेटवर्क पर किए गए ट्रांजैक्शनों को सत्यापित किया जाता है। यह सत्यापन गणितीय पहेलियों को हल करके होता है। जैसे ही कोई माइनर यह पहेली हल करता है, उसे एक नया ब्लॉक बनाने का अधिकार मिलता है और बदले में उसे Bitcoin इनाम में मिलता है। यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से जटिल है और अत्यधिक बिजली की खपत करती है, लेकिन इसका इनाम भी उतना ही बड़ा होता है—माइनिंग करने वाला व्यक्ति या संस्था न केवल Bitcoin अर्जित करती है, बल्कि ट्रांजैक्शन फीस भी उसकी income का हिस्सा बनती है।

इस पूरी प्रक्रिया के पीछे का गणित बड़ा दिलचस्प है। वर्तमान में एक ब्लॉक की माइनिंग पर 3.125 Bitcoin मिलते हैं। हालांकि हर चार साल में यह इनाम घटता जाता है, जिसे ‘हॉल्विंग’ कहा जाता है। फिर भी, जिस रफ्तार से Bitcoin की कीमत बढ़ रही है, उसमें यह कमाई अत्यधिक आकर्षक बन जाती है। अब कल्पना कीजिए कि पाकिस्तान जैसे देश के पास बिजली तो है लेकिन उसका उपभोग नहीं हो रहा, और वहीं पर इनाम में मिलने वाले Bitcoin की कीमत लाखों में है—तो सरकार को यह मुनाफे का सौदा क्यों न लगेगा?

पाकिस्तान के पास वाकई अतिरिक्त बिजली है, लेकिन वह उसे व्यावसायिक रूप से प्रयोग नहीं कर पा रहा। साहीवाल, पोर्ट कासिम और चाइना हब जैसे कोयला आधारित बिजलीघरों को केवल 15% क्षमता पर चलाया जा रहा है। अब योजना है कि इन बिजलीघरों से सीधे क्रिप्टो माइनिंग और डेटा सेंटर को बिजली दी जाएगी। यह बिजली न केवल कंप्यूटरों को लगातार चालू रखने के लिए इस्तेमाल होगी, बल्कि इससे पाकिस्तान के टेक सेक्टर में एक नई ऊर्जा का संचार भी होगा।

डॉन अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर पाकिस्तान 10,000 मेगावॉट की अतिरिक्त बिजली को एस19 प्रो एंटमाइनर जैसी तकनीक के साथ उपयोग करता है, तो वह सालाना लगभग 35 अरब डॉलर का Bitcoin कमा सकता है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, क्योंकि पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज लगभग 125 अरब डॉलर के करीब है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर यह योजना सफल होती है तो पाकिस्तान महज़ तीन साल में अपने पूरे विदेशी कर्ज से मुक्त हो सकता है।

और अगर जेपी मॉर्गन की भविष्यवाणी सही साबित होती है, जिसमें उन्होंने Bitcoin की कीमत को 1,46,000 डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई है, तो यह कमाई 100 अरब डॉलर से भी ऊपर जा सकती है। यानी यह योजना न केवल पाकिस्तान की मौजूदा वित्तीय समस्या का समाधान बन सकती है, बल्कि उसे क्रिप्टो स्पेस में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में भी स्थापित कर सकती है।

पाकिस्तान सरकार इस योजना के जरिए न केवल आर्थिक फायदा उठाना चाहती है, बल्कि वह ग्लोबल इन्वेस्टर्स को भी लुभाना चाहती है। इसी उद्देश्य से अप्रैल 2025 में पाकिस्तान ने दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज Binance के को-फाउंडर चांगपेंग झाओ को आमंत्रित किया, और उनसे पाकिस्तान में एक डिजिटल फाइनेंस प्लेटफॉर्म स्थापित करने की बात की। इसके अलावा, पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़े एक क्रिप्टो प्रोजेक्ट के साथ भी समझौता किया है। हालांकि इस समझौते की पूरी जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन इतना तय है कि पाकिस्तान इस तकनीकी क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ बनाना चाहता है।

अब अगर भारत की बात करें तो यहां क्रिप्टो को लेकर तस्वीर थोड़ी धुंधली है। भारत में क्रिप्टो माइनिंग को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन यह अवैध भी नहीं है। इसका मतलब है कि भारत में कोई भी व्यक्ति या संस्था Bitcoin माइनिंग कर सकती है, बशर्ते वह उससे होने वाली income को टैक्स नियमों के तहत घोषित करे। भारत सरकार ने साल 2022 में क्रिप्टो income पर 30% टैक्स और हर ट्रांजैक्शन पर 1% TDS लागू किया था।

हालांकि भारत में बिजली की लागत अपेक्षाकृत अधिक है, जिससे माइनिंग की लागत भी ज्यादा हो जाती है। लेकिन भारत के पास जो तकनीकी टैलेंट और युवा जनसंख्या है, वह इस क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है—बशर्ते सरकार स्पष्ट और स्थिर नीतियां बनाए। पाकिस्तान की इस आक्रामक रणनीति के बीच भारत को यह तय करना होगा कि वह सिर्फ नीतियों पर विचार करेगा, या एक मजबूत क्रिप्टो इकोसिस्टम की ओर सक्रियता से बढ़ेगा।

पाकिस्तान में फिलहाल 1.5 से 2 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में क्रिप्टो से जुड़े हुए हैं। यह संख्या दर्शाती है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी के प्रति रुचि बहुत ज्यादा है। अगर पाकिस्तान इस रुचि को एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत लाता है, तो यह देश को क्रिप्टो के फ्रंटलाइन देशों में शामिल कर सकता है।

इस पूरी योजना की रीढ़ बनते हैं—चाइना हब, साहीवाल और पोर्ट कासिम जैसे पावर प्लांट, जिनकी लोकेशन रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है। ये प्लांट पहले से ही चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के अधीन आते हैं और अब जब इनका उपयोग Bitcoin माइनिंग के लिए होगा, तो यह चीन को पाकिस्तान के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में और भी गहरी घुसपैठ का अवसर देगा।

यही वह बिंदु है जहां भारत के लिए खतरे की घंटी बजती है। पाकिस्तान का यह माइनिंग मॉडल, अगर चीन की तकनीक और निगरानी के अधीन रहेगा, तो यह केवल आर्थिक प्रोजेक्ट नहीं रहेगा बल्कि एक डिजिटल ट्रोजन हॉर्स बन सकता है—एक ऐसा उपकरण जो पाकिस्तान के डेटा तक चीन को सीधी पहुंच देगा। भारत के लिए यह सिर्फ सीमा सुरक्षा नहीं, बल्कि साइबर स्पेस की सुरक्षा का भी सवाल बन जाता है। अब वक्त है कि भारत केवल रक्षा नहीं, बल्कि डिजिटल आक्रमण की नीति पर भी विचार करे, ताकि वह हर मोर्चे पर मजबूत बनकर उभरे।

Conclusion

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