नमस्कार दोस्तों, भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। रिलायंस की Jio Platforms और भारती एयरटेल ने एलन मस्क की कंपनी SpaceX के साथ साझेदारी का ऐलान किया है। यह साझेदारी भारत में Starlink के सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं को लॉन्च करने के लिए की गई है। यह खबर भारतीय टेलीकॉम बाजार के लिए बहुत बड़ी है क्योंकि Jio और Airtel कभी स्टारलिंक के भारत में प्रवेश के विरोध में थे।
लेकिन अब वही कंपनियां स्टारलिंक के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि कभी Elon Musk की कंपनी का विरोध करने वाली ये कंपनियां, अब उसके साथ व्यापार करने को तैयार हो गई हैं? क्या यह भारत के टेलीकॉम सेक्टर में नई Competition की शुरुआत है? या फिर इसके पीछे कोई बड़ा आर्थिक और रणनीतिक मकसद छिपा हुआ है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
स्टारलिंक का भारत में प्रवेश आसान नहीं था। अक्टूबर 2022 से ही Starlink भारत में अपनी सर्विसेज लॉन्च करने की तैयारी कर रही थी। Starlink की योजना थी कि भारत के ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट सर्विस पहुंचाई जाए। Starlink के पास लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से यह दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी दे सकती है।
लेकिन Jio और Airtel जैसी टेलीकॉम कंपनियों ने शुरू में इसका विरोध किया था। उनका कहना था कि भारत में स्पेक्ट्रम का Allocation (Auction) के जरिए होना चाहिए, न कि प्रशासनिक तरीके से। Jio और Airtel का तर्क था कि स्टारलिंक बिना Auction के, सीधे भारत में प्रवेश करके Unethical competition को बढ़ावा दे रही है।
सरकार ने इस मामले में स्टारलिंक का पक्ष लिया था। सरकार ने कहा था कि सैटेलाइट सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम का Allocation, Auction के बजाय प्रशासनिक तरीके से ही किया जाएगा। Jio और Airtel इस फैसले के खिलाफ थे।
Airtel के चेयरमैन सुनील मित्तल ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि Starlink और अन्य सैटेलाइट कंपनियों को भी, स्पेक्ट्रम खरीदना चाहिए और लाइसेंस फीस देनी चाहिए। Jio ने भी इस बात का समर्थन किया था। इस पर Elon Musk ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत में ऑपरेट करने की अनुमति लेना Starlink के लिए “बहुत मुश्किल” होगा।
हालात तब बदले जब भारत सरकार ने स्टारलिंक को भारत में ऑपरेशन शुरू करने के लिए जरूरी अनुमति देने के संकेत दिए। इससे पहले 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था और वहां Elon Musk से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद स्टारलिंक के भारत में प्रवेश की राह आसान हो गई।
सरकार ने Starlink को भारत में लाइसेंस देने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसी बीच Jio और Airtel को यह एहसास हुआ कि स्टारलिंकका भारत में प्रवेश अब तय है। ऐसे में अगर वे Starlink के साथ Competition में पड़ते हैं, तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही कारण था कि Jio और Airtel ने स्टारलिंक के साथ साझेदारी करने का फैसला किया।
इसके अलावा, Jio और Airtel के लिए स्टारलिंक के साथ यह साझेदारी क्यों जरूरी थी, इसे समझने के लिए भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को समझना जरूरी है। भारत के टेलीकॉम बाजार में डेटा की खपत दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत में प्रति व्यक्ति डेटा की खपत 2024 में 19 GB प्रति माह तक पहुंच चुकी है।
लेकिन भारत में अब भी कई ऐसे इलाके हैं जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है। खासकर ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में इंटरनेट की स्पीड बहुत कम है। ऐसे में स्टारलिंक की LEO (Low Earth Orbit) सैटेलाइट टेक्नोलॉजी इस समस्या को हल कर सकती है।
LEO सैटेलाइट, पृथ्वी की सतह से करीब 500 से 2,000 किलोमीटर ऊपर तैनात होते हैं। ये पारंपरिक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट के मुकाबले बहुत करीब होते हैं। इससे सिग्नल की स्पीड तेज होती है और लेटेंसी कम होती है। लेटेंसी वह समय होता है, जिसमें डेटा भेजा और रिसीव किया जाता है। पारंपरिक सैटेलाइट सिस्टम में लेटेंसी 600 मिलीसेकंड तक होती है, जबकि LEO सैटेलाइट में यह घटकर 20 से 40 मिलीसेकंड रह जाती है। इससे इंटरनेट की स्पीड बहुत तेज हो जाती है।
Starlink की इस टेक्नोलॉजी से Jio और Airtel को अपने नेटवर्क कवरेज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। भारत में Jio और Airtel का टेलीकॉम नेटवर्क four G पर आधारित है। अब दोनों कंपनियां five G नेटवर्क पर भी काम कर रही हैं। लेकिन five G नेटवर्क को हर जगह पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है। Starlink के सैटेलाइट इंटरनेट से Jio और Airtel उन इलाकों में भी इंटरनेट पहुंचा सकते हैं, जहां परंपरागत मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच सकते।
Jio के मैनेजिंग डायरेक्टर आकाश अंबानी ने इस साझेदारी पर कहा है कि, Starlink के साथ मिलकर भारत के डिजिटल परिदृश्य को बदलने की तैयारी हो रही है। उन्होंने कहा कि Starlink की टेक्नोलॉजी से Jio के ग्राहकों को तेज और विश्वसनीय इंटरनेट मिलेगा। वहीं Airtel के मैनेजिंग डायरेक्टर गोपाल विट्ठल ने कहा है कि यह साझेदारी Airtel के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि Airtel पहले से OneWeb के साथ काम कर रही है, और अब Starlink के साथ साझेदारी से Airtel के नेटवर्क कवरेज में बड़ा सुधार होगा।
हालांकि, Starlink के भारत में प्रवेश से Competition भी बढ़ेगी। अभी तक भारत के टेलीकॉम बाजार में Jio और Airtel का दबदबा है। लेकिन Starlink के आने से ग्राहकों के पास एक नया विकल्प होगा। Starlink की सर्विस अभी महंगी हो सकती है, लेकिन अगर Starlink का नेटवर्क कवरेज अच्छा हुआ, तो Jio और Airtel को अपने टैरिफ प्लान को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इससे ग्राहकों को सीधा फायदा मिलेगा।

इसके अलावा, भारत सरकार भी सैटेलाइट इंटरनेट को लेकर काफी उत्साहित है। भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत देश के हर गांव और दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। Starlink की साझेदारी से यह लक्ष्य जल्दी पूरा हो सकता है। ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग, शिक्षा, टेलीमेडिसिन और ई-कॉमर्स जैसी सेवाओं के लिए इंटरनेट जरूरी है। Starlink के जरिए यह संभव हो सकेगा।
अब सवाल यह है कि Starlink की सर्विस भारत में कब शुरू होगी? फिलहाल SpaceX को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए Department of Telecommunications (DoT) से अंतिम मंजूरी का इंतजार है। जैसे ही यह मंजूरी मिलेगी, Starlink भारत में अपने सैटेलाइट इंटरनेट प्लान लॉन्च कर देगी। शुरुआती दौर में Starlink की सेवाएं महंगी हो सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, Starlink की मंथली सब्सक्रिप्शन कीमत करीब 7,500 रुपये हो सकती है। हालांकि, बाद में Competition बढ़ने पर कीमतें कम हो सकती हैं।
Jio और Airtel ने Starlink के साथ हाथ मिलाकर एक बड़ा कदम उठाया है। इससे भारतीय टेलीकॉम बाजार में Competition बढ़ेगी और ग्राहकों को फायदा होगा। इससे भारत के डिजिटल परिदृश्य में बड़ा बदलाव आएगा। Jio और Airtel के लिए Starlink के साथ साझेदारी एक रणनीतिक फैसला है, जिससे भारत के डिजिटल फ्यूचर को नई दिशा मिलेगी। अब देखना होगा कि Starlink की सर्विस भारत में कब शुरू होती है और Jio और Airtel इससे किस तरह का फायदा उठाते हैं।
Conclusion

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