ज़रा सोचिए… आपकी आँखों के सामने एक ऐसा इंसान खड़ा हो, जिसने बचपन में गरीबी के ताने सुने हों, जिसने रोज़ की रोटी जुटाने के लिए अपने परिवार को संघर्ष करते देखा हो, लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी। उसने दिन-रात खून-पसीना बहाकर काम किया, हर अवसर का फायदा उठाया, व्यापार खड़ा किया, और धीरे-धीरे समाज में इज्ज़त और पैसा दोनों कमाया। ऐसे इंसान की कहानी सुनकर अक्सर लोग कहते हैं—“देखो मेहनत रंग लाती है।”
लेकिन अब ज़रा सोचिए, यही आदमी अचानक कंगाल हो जाए, लोग उसके घर का दरवाज़ा खटखटाकर कर्ज़ की मांग करने लगें, और जिस मोहल्ले में कभी उसकी इज्ज़त थी, वहीं लोग फुसफुसाकर कहने लगें—“सब बर्बाद हो गया।” क्या यह सुनना किसी डरावने सपने से कम है? मगर हकीकत यही है। यह कोई कल्पना नहीं बल्कि मुंबई के एक व्यवसायी अजीत त्रिपाठी (ये एक काल्पनिक नाम) की असली जिंदगी है, जिसने Real Money Games यानी RMG के चक्कर में सब कुछ गंवा दिया। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
अजीत त्रिपाठी की कहानी सिर्फ एक इंसान की कहानी नहीं है, बल्कि यह चेतावनी है उन लाखों भारतीयों के लिए जो मोबाइल स्क्रीन पर चमकते रंग-बिरंगे विज्ञापनों को देखकर, यह सोच लेते हैं कि कुछ क्लिक करके वो करोड़पति बन सकते हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में जो Online Gaming Bill 2025 पास किया है, उसका असली उद्देश्य भी यही है—लोगों को इस जाल से बचाना। यह कानून इस बात की गवाही देता है कि अब सरकार मान चुकी है कि RMG यानी Real Money Games महज गेम्स नहीं, बल्कि एक छिपा हुआ जुआ है, जिसने असंख्य परिवारों की नींव हिला दी है।
लेकिन अजीत की कहानी समझने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि कैसे वह शख्स, जिसने गरीबी से अमीरी तक का सफर तय किया था, अचानक ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में इतना डूब गया कि उसके पास अपने बच्चों की पढ़ाई तक के पैसे नहीं बचे। बचपन में अजीत के पिता एक छोटी सी दुकान चलाते थे। घर में कभी इतना पैसा नहीं होता था कि त्योहार पर नए कपड़े सबको मिलें।
लेकिन अजीत ने ठान लिया था कि वो इस गरीबी से बाहर निकलेगा। उसने पढ़ाई भी की, छोटे-मोटे काम भी किए, और फिर धीरे-धीरे कारोबार खड़ा किया। कई सालों की मेहनत के बाद वह अपने परिवार के साथ मुंबई के एक पॉश इलाके में रहने लगा। जो इंसान कभी ऑटो से सफर करता था, वही बाद में अपनी खुद की कार से घूमने लगा।
लेकिन फिर आया साल 2021, जब कोरोना महामारी ने पूरे देश की रफ्तार रोक दी। अजीत का व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। लॉकडाउन में घर बैठा-बैठा वह इंटरनेट पर वक्त बिताने लगा। एक दिन उसकी नज़र एक ऐसे विज्ञापन पर पड़ी जिसने उसकी जिंदगी बदल दी। विज्ञापन में एक नामचीन फिल्म अभिनेत्री मुस्कुराते हुए कह रही थी—“बस खेलो और घर बैठे पैसा कमाओ।” ये लाइन अजीत को ऐसी लगी जैसे किसी डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो। उस वक्त व्यापार में घाटा हो रहा था, कर्ज़ का डर सता रहा था, और ऐसे में यह ऑफर उसे सुनहरे भविष्य का रास्ता लगा।
अजीत ने बिना देर किए उस लिंक पर क्लिक किया और पहुँच गया Parimatch Gaming-Betting App पर। शुरूआती अनुभव तो किसी सपने जैसा था। थोड़े से Investment पर उसे इतना ज्यादा रिटर्न मिला कि वह खुद भी हैरान रह गया। पाँच हज़ार रुपये लगाए तो पचास हज़ार बन गए, लाख लगाए तो दस लाख लौट आए। सोचिए, जो इंसान सालों तक मेहनत करके पैसा कमाता रहा, वही जब एक क्लिक से इतनी बड़ी रकम कमाने लगे तो उसके दिमाग में क्या चलेगा? अजीत को लगा कि उसने कोई जादुई चाबी पा ली है।
धीरे-धीरे वह और गहराई में उतरने लगा। ऐप से जुड़े लोग लगातार उससे संपर्क में रहते। वे कॉल करके कहते—“सर, अगर आप थोड़ा और पैसा लगाएंगे तो आपको बोनस भी मिलेगा और रिटर्न भी पहले से ज्यादा होगा।” शुरुआत में ऐसा ही हुआ। अजीत को हर बार पहले से ज्यादा मुनाफा दिखने लगा। उसका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि उसने लाखों की रकम करोड़ों में लगाने का फैसला कर लिया। लालच और भरोसा, दोनों ने उसे पूरी तरह घेर लिया।
तीन साल के अंदर अजीत ने कुल 27 करोड़ रुपये से ज्यादा इस प्लेटफॉर्म में लगा दिए। लेकिन जब हिसाब लगाया गया, तो पाया कि उसमें से सिर्फ 15 करोड़ रुपये ही वापिस मिले। बाकी 12 करोड़ रुपये हवा हो गए। यह रकम कोई छोटी बात नहीं थी। इतनी रकम में कोई इंसान जिंदगी भर का भविष्य सुरक्षित कर सकता है—बच्चों की पढ़ाई, घर की सिक्योरिटी, बुढ़ापे की तैयारी सब कुछ। लेकिन अजीत के लिए यह रकम सिर्फ एक डिजिटल स्क्रीन पर नंबर बनकर रह गई।
सबसे बड़ी चोट तब लगी जब उसने अपनी कमाई निकालने की कोशिश की। उसने देखा कि उसका पैसा अटका हुआ है। कई अकाउंट्स में उसने ट्रांजैक्शन किया था, लेकिन जब वापस लेने की बारी आई, तो बैंक और ऐप दोनों ने उसे टरका दिया। पहले जो लोग हर वक्त कॉल और मैसेज करते थे, वही अब उसके मैसेज तक का जवाब नहीं दे रहे थे।
व्यापार में पहले ही घाटा चल रहा था, ऊपर से यह भारी नुकसान। अजीत को मजबूरी में कर्ज़ लेना पड़ा। दोस्तों और रिश्तेदारों से मदद मांगी, बैंकों से लोन लिया। लेकिन पैसा वापिस नहीं आया। उल्टा कर्ज़ का बोझ और बढ़ गया। कभी जो इंसान करोड़ों रुपये का मालिक था, अब वह लाखों रुपये के लिए तरसने लगा।
आख़िरकार, टूटकर अजीत ने पुलिस से मदद मांगी। मुंबई पुलिस के साइबर थाने में उसने शिकायत दर्ज कराई। मामला बड़ा था, इसलिए ED यानी Directorate of Enforcement ने जांच शुरू की। देश के कई बड़े शहरों—मुंबई, दिल्ली, नोएडा, जयपुर, सूरत, मदुरै, हैदराबाद और कानपुर—में छापेमारी हुई। ED ने 110 करोड़ रुपये की आपराधिक आय जब्त की। लेकिन सोचिए, उसमें से अजीत जैसे हजारों लोगों का नुकसान कितना था? सबको बराबरी से पैसा लौटाना लगभग नामुमकिन था।
जांच में और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए। Parimatch का पूरा नेटवर्क भारत से नहीं, बल्कि साइप्रस से ऑपरेट हो रहा था। एक यूक्रेनी नागरिक इसे कंट्रोल कर रहा था। कंपनी टैक्स-फ्री (Curacao) में रजिस्टर्ड थी। मतलब यह एक अंतरराष्ट्रीय जाल था, जिसका लक्ष्य भारतीय आम नागरिक थे। तलाशी के दौरान 1200 क्रेडिट कार्ड्स बरामद हुए, जिनसे लोगों का पैसा siphon किया जा रहा था।
ED की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ एक फाइनेंशियल ईयर में Parimatch ने भारतीय नागरिकों से 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए। सोचिए, ये वही पैसा था जो मिडिल क्लास परिवार अपनी बचत के तौर पर रखते हैं—किसी की FD, किसी की बच्चों की फीस, किसी का शादी का खर्च। यह सब धीरे-धीरे ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर लूटा जा रहा था।
अजीत की जिंदगी इस हादसे के बाद कभी वैसी नहीं रही। कर्ज़दार रोज़ दरवाज़ा खटखटाते थे, फोन पर धमकी भरे मैसेज आते थे। परिवार और रिश्तेदारों में इज्ज़त खत्म हो गई। जो लोग कभी उनकी सफलता की मिसाल देते थे, वही अब उन्हें चेतावनी की मिसाल बना चुके थे। अजीत कहते हैं कि यह सिर्फ पैसों का नुकसान नहीं था, बल्कि आत्मसम्मान और रिश्तों का पतन था।
यही वजह है कि सरकार ने Online Gaming Bill 2025 लाकर यह ठान लिया है कि अब इस तरह का जाल भारत में नहीं चल पाएगा। IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ कहा है कि करोड़ों परिवार बर्बाद हो चुके हैं, मिडिल क्लास की सेविंग खत्म हो गई है, और ऐसे में परिवारों की सुरक्षा किसी भी और चीज़ से ज्यादा ज़रूरी है।
लेकिन सवाल यह भी है—क्या यह कानून अगर कुछ साल पहले आ गया होता, तो अजीत जैसे लोगों को बचाया जा सकता था? कितने घर तबाह हो चुके हैं? और क्या आने वाले वक्त में ऑनलाइन दुनिया के ठग कोई और रास्ता नहीं निकालेंगे?
Conclusion
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