Paytm की शुरुआत कैसे हुई? Vijay Shekhar Sharma ने खोले ऐसे राज़ जो किसी को नहीं पता! 2025

ज़रा सोचिए… आप किसी अनजान देश की उड़ान में बैठे हैं। हाथ में सिर्फ़ मोबाइल है, लेकिन आपका वॉलेट, आपके सारे क्रेडिट कार्ड, आपकी पहचान—सब दिल्ली के एयरपोर्ट के लाउंज में छूट चुके हैं। आपके पास न नकदी है, न ही कोई कार्ड, सिर्फ़ एक फोन। आप सोचते हैं, “काश, इस फोन के अंदर ही मेरा वॉलेट होता, तो मुझे किसी चीज़ की चिंता नहीं होती।” यही वह पल था जिसने एक साधारण-से युवक को ऐसा विचार दिया, जिसने भारत के करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बदल दी। इस एक हादसे ने जन्म दिया Paytm को। और इसके पीछे थे उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे के बेटे—विजय शेखर शर्मा। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

विजय शेखर शर्मा का जन्म 7 जून 1978 को यूपी के अलीगढ़ ज़िले के हरदुआगंज कस्बे में हुआ। उनके पिता एक साधारण स्कूल शिक्षक थे और मां गृहिणी। यह घर किसी राजघराने जैसा नहीं था, न ही करोड़पति व्यापारी परिवार जैसा। बल्कि यह वही घर था जहां हर महीने की तनख्वाह से घर का बजट बनता था, और कभी-कभी महीने खत्म होने से पहले ही खर्चे पूरे करने की चिंता छा जाती थी। लेकिन इन्हीं तंग हालातों के बीच से निकला एक लड़का, जिसने सपनों को इतना बड़ा कर लिया कि आज उसका नाम दुनिया भर में लिया जाता है।

बचपन से ही विजय पढ़ाई में तेज़ थे। लेकिन उनका संघर्ष किसी साधारण विद्यार्थी जैसा नहीं था। जिस वक्त उनके आसपास के बच्चे अपने खेल-खिलौनों में मग्न थे, विजय तकनीक और किताबों की दुनिया में डूबे रहते थे। पर उनकी असली चुनौती तब शुरू हुई जब उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। गाँव के हिंदी मीडियम स्कूल से आए विजय अंग्रेज़ी में निपुण नहीं थे। कक्षाओं में जब शिक्षक अंग्रेज़ी में पढ़ाते, तो वे खुद को अलग-थलग महसूस करते। कई बार आगे की बेंच पर बैठने वाला यह लड़का, धीरे-धीरे पीछे की बेंच पर चला गया, क्योंकि अंग्रेज़ी न बोल पाने की शर्मिंदगी उसे सालने लगी।

कपिल शर्मा शो में विजय ने खुद स्वीकार किया कि कॉलेज का वह दौर उनके जीवन का सबसे कठिन समय था। होनहार छात्र होने के बावजूद उनके अंक गिरने लगे। उन्हें सप्लीमेंट्री परीक्षाएं देनी पड़ीं। उन्होंने कहा—“मैंने उस वक्त सचमुच भगवान से प्रार्थना की कि मुझे पास कर दो, मैं दोबारा इस कॉलेज में लौटना नहीं चाहता।” यह वह दौर था जब उनका आत्मविश्वास टूट रहा था। लेकिन इसी अंधेरे से रोशनी निकली। विजय ने महसूस किया कि अंग्रेज़ी भाषा केवल एक माध्यम है, लक्ष्य नहीं। सफलता अपने हुनर से मिलती है, भाषा से नहीं। यही सोच उन्हें जीवन की नई दिशा देने वाली बनी।

1997 में, जब वह कॉलेज में ही थे, उन्होंने India site नाम की एक वेबसाइट बनाई। उस समय भारत में इंटरनेट नया-नया आया था। लोगों के पास जिज्ञासा तो थी, लेकिन जानकारी के साधन नहीं। विजय ने इस अवसर को भुनाया और वेबसाइट को मात्र दो साल बाद 10 लाख अमेरिकी डॉलर में बेच दिया। एक छोटे कस्बे के शिक्षक का बेटा, जिसने कॉलेज में अंग्रेज़ी बोलने में कठिनाई झेली थी, अब करोड़ों की डील कर चुका था।

इस सफलता ने विजय को और बड़े सपने देखने का हौसला दिया। साल 2000 में उन्होंने One 97 Communications Ltd की नींव रखी। यह कंपनी मोबाइल कंटेंट देती थी—रिंगटोन, क्रिकेट स्कोर, चुटकुले और परीक्षा परिणाम। धीरे-धीरे कंपनी बढ़ती रही, लेकिन विजय की सोच यहीं तक सीमित नहीं थी। उनके दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था—वह भारत को ऐसा डिजिटल टूल देना चाहते थे, जिससे हर आम आदमी अपने पैसों को खुद संभाल सके।

2010 में उन्होंने वह कदम उठाया जिसने भारत की वित्तीय दुनिया की तस्वीर बदल दी। उन्होंने Paytm लॉन्च किया। शुरुआत में यह सिर्फ़ प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज का प्लेटफ़ॉर्म था। लेकिन जैसे-जैसे स्मार्टफोन भारत में फैलने लगे, विजय ने इसे डिजिटल वॉलेट में बदल दिया। 2016 की नोटबंदी वह टर्निंग प्वाइंट थी जब Paytm का नाम हर घर में पहुंच गया। लोग जब एटीएम की लाइन में खड़े थे, तब विजय शेखर शर्मा का Paytm उनके फोन में खड़ा था।

लेकिन विजय का सपना सिर्फ़ एक पेमेंट ऐप बनाने का नहीं था। वह एक ऐसी वित्तीय सेवाओं की कंपनी बनाना चाहते थे जो लोगों को आसानी से लोन दिला सके, बीमा दिला सके, Investment करने का रास्ता दिखा सके। Paytm सिर्फ़ शुरुआत थी, असली लक्ष्य था भारत को डिजिटल फाइनेंस से जोड़ना। और इसके लिए उन्होंने 40,000 करोड़ रुपये लगाए। सोचिए, इतना बड़ा Investment सिर्फ़ लोगों को यह सिखाने के लिए कि आप बिना नकदी के भी लेन-देन कर सकते हैं। विजय कहते हैं—“हमने दुनिया को दिखा दिया कि भारत में भी टेक्नोलॉजी को अपनाने की ताक़त है। आज विदेश में कहीं भी जाओ, लोग कहते हैं कि भारत ने डिजिटल पेमेंट्स में कमाल कर दिया।”

नेटफ्लिक्स के शो “द ग्रेट इंडियन कपिल शो” में विजय ने यही खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उनका वॉलेट एयरपोर्ट पर छूट गया था और कैसे फोन को वॉलेट बनाने का विचार आया। शो में उनके साथ OYO के रितेश अग्रवाल, boAt के अमन गुप्ता और Mamaearth की ग़ज़ल अलघ भी मौजूद थे। चारों ने अपनी-अपनी कहानियाँ सुनाईं, लेकिन विजय की कहानी सबसे अलग थी। क्योंकि वह सिर्फ़ एक स्टार्टअप की नहीं, बल्कि एक विचार की कहानी थी जिसने पूरे देश की आदत बदल दी।

विजय शेखर शर्मा अलीबाबा के जैक मा और सॉफ्टबैंक के मासायोशी सन को अपनी प्रेरणा मानते हैं। और सच भी यही है। जिस तरह जैक मा ने चीन को ई-कॉमर्स की ताक़त दिखाई और मासायोशी सन ने टेक्नोलॉजी में बड़े दांव लगाए, उसी तरह विजय ने भारत में डिजिटल पेमेंट्स का इकोसिस्टम खड़ा कर दिया।

आज Paytm सिर्फ़ एक ऐप नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। गाँव से लेकर शहर तक, छोटे दुकानदार से लेकर बड़े मॉल तक, हर जगह “Paytm करो” का नारा सुनाई देता है। विजय की कहानी ने यह साबित किया है कि असली Innovation वही है जो आम आदमी की ज़िंदगी को आसान बनाए।

फोर्ब्स के मुताबिक़ विजय शेखर शर्मा की नेटवर्थ आज 1.4 बिलियन डॉलर यानी करीब 12,000 करोड़ रुपये है। उनकी कंपनी One 97 Communications का मार्केट कैप 80,000 करोड़ रुपये से ऊपर है। लेकिन यह कहानी सिर्फ़ पैसों की नहीं है। यह कहानी उस बच्चे की है जो कॉलेज में अंग्रेज़ी न बोल पाने की वजह से शर्मिंदा होता था, लेकिन आज दुनिया भर में भारतीय डिजिटल पेमेंट्स का ब्रांड एंबेसडर बन चुका है।

विजय ने खुद कहा—“अगर आप हार मान लें, तो वही असली हार है। लेकिन अगर आप डटे रहें, तो हर कठिनाई आपको और मज़बूत बनाती है।” यही वजह है कि Paytm ने उतार-चढ़ाव झेले, IPO आया, आलोचना हुई, शेयर गिरे, लेकिन आज भी Paytm मजबूती से खड़ा है।

भारत के करोड़ों लोग हर दिन Vijay Shekhar Sharma के उस एक विचार का इस्तेमाल करते हैं, जो उन्हें एक हादसे से आया था। एक भूला हुआ वॉलेट, और एक फोन—यही था वह पल जिसने भारत को डिजिटल भविष्य दिया।

Conclusion

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