ज़रा सोचिए… आप रोज़ रात को ऑफिस से लौटने के बाद अपना मोबाइल उठाते हैं, लॉगिन करते हैं किसी पॉपुलर गेमिंग ऐप पर—MPL, Zupee या Dream-11। दोस्त भी ऑनलाइन हैं, चैट में मज़ाक हो रहा है, और एक क्लिक में आप ‘कैश गेम’ में एंट्री ले लेते हैं। अगले कुछ मिनटों में खेल का रोमांच आपको पूरी तरह अपनी पकड़ में ले लेता है। जीतने पर न सिर्फ़ गेम में मज़ा आता है बल्कि आपके अकाउंट में पैसे भी जुड़ते हैं।
लेकिन अब अचानक सोचिए कि उसी गेम पर जब आप लॉगिन करें, तो स्क्रीन पर एक मैसेज चमक उठे—“सभी पैसे वाले गेम अब बंद हैं।” और अगर आपका पैसा उसी वॉलेट में फँसा रह जाए तो? दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, माथे पर पसीना आ जाता है और एक ही सवाल दिमाग में घूमता है—अब अपने पैसे कैसे निकालूँ? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
भारत का Online gaming सेक्टर पिछले कुछ सालों में रॉकेट की तरह ऊपर गया। लाखों युवाओं के लिए ये गेम्स सिर्फ़ टाइम पास नहीं थे बल्कि पैसे कमाने का जरिया बन गए थे। क्रिकेट का जुनून हो, लूडो का पुराना खेल या फिर नए फैंटेसी स्पोर्ट्स—हर जगह असली पैसे की बाज़ी लग रही थी। कंपनियों ने करोड़ों का Investment किया, विज्ञापनों में बड़े-बड़े सितारे आए और लोग समझने लगे कि गेम खेलना अब सिर्फ़ शौक नहीं, बल्कि करियर भी हो सकता है। लेकिन अब अचानक संसद ने ऐसा क़ानून पास कर दिया है जिसने इस पूरी इंडस्ट्री की नींव हिला दी है।
21 अगस्त 2025 को संसद में पास हुआ ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल 2025। इस कानून ने साफ़ कह दिया—भारत में अब कोई भी पैसे-आधारित ऑनलाइन गेम नहीं चलेगा। यानी वो सारे गेम्स जहाँ आप कैश लगाते थे और जीतने पर पैसे निकालते थे, अब पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। सिर्फ़ यही नहीं, अगर कोई कंपनी या व्यक्ति इस नियम को तोड़ेगा, तो उस पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना और जेल तक की सज़ा हो सकती है। एक झटके में ये खबर हर गेमिंग कंपनी और करोड़ों यूजर्स के लिए भूचाल बनकर आई।
सबसे पहले बड़ी प्रतिक्रिया आई MPL की तरफ़ से—यानी मोबाइल प्रीमियर लीग। ये वही कंपनी है जिसने करोड़ों यूज़र्स को क्रिकेट, कैरम, शतरंज और तमाम गेम्स में कैश जीतने का मौका दिया। MPL ने तुरंत घोषणा की कि वे भारत में पैसे वाले सभी गेम बंद कर रहे हैं। कंपनी ने कहा—“हमारे लिए सबसे अहम हमारे यूजर्स हैं। आपकी जमा राशि सुरक्षित है, आप उसे निकाल सकते हैं, लेकिन अब नई डिपॉजिट नहीं होगी और न ही कोई रियल मनी गेम चलेगा।” MPL के 12 करोड़ से ज़्यादा यूज़र्स इस फैसले से प्रभावित हुए। सोचिए, जिनके लिए ये ऐप रोज़ाना की कमाई का साधन था, उनके लिए ये खबर कितनी चौंकाने वाली रही होगी।
इसी तरह Zupee ने भी घोषणा की कि वह अपने सभी पेड गेम्स बंद कर देगा। Zupee पर लाखों लोग रोज़ लूडो और कार्ड गेम्स खेलते थे। कंपनी ने कहा कि उनके प्लेटफ़ॉर्म पर अभी भी फ्री गेम्स चलते रहेंगे—जैसे लूडो सुप्रीम, स्नेक्स एंड लैडर्स और ट्रम्प कार्ड मेनिया। लेकिन जहाँ लोग पैसे लगाकर खेलते थे, वो सारे दरवाज़े अब बंद कर दिए गए हैं। 15 करोड़ से ज़्यादा यूज़र्स रखने वाली इस कंपनी ने वादा किया कि वे मुफ्त गेम्स के ज़रिए मनोरंजन जारी रखेंगे, लेकिन असली सवाल है—जिन्होंने लाखों-करोड़ों रुपये इस प्लेटफ़ॉर्म पर लगाए थे, वो पैसा वापस कैसे आएगा?
इसके बाद बारी आई फैंटेसी स्पोर्ट्स के सबसे बड़े नाम Dream Sports की, यानी Dream-11 की मूल कंपनी। क्रिकेट और फैंटेसी लीग के नाम पर करोड़ों का बिज़नेस करने वाली इस कंपनी ने अपने दो नए ऐप्स—Dream Pix और Dream Play—को बंद कर दिया। Dream Pix पर यूज़र्स छोटी टीम बनाकर खेलते थे और पैसे लगाकर इनाम जीत सकते थे। लेकिन अब कंपनी ने साफ कह दिया कि Pay-to-Play प्रतियोगिताएं अब पूरी तरह से बंद हैं। हां, उनका नोटिस कहता है कि यूजर्स का बैलेंस सुरक्षित रहेगा और Dream-11 ऐप से पैसा निकाला जा सकता है। Dream Sports अब अपने दूसरे उपक्रमों जैसे FanCode, Cricbuzz और Willow TV पर ध्यान देगी।
इतना ही नहीं, बेंगलुरु की Gameskraft कंपनी, जो RummyCulture जैसे ऐप्स चलाती थी, उसने भी Add Cash और Gameplay सेवाएं बंद कर दीं। कंपनी ने कहा—“हम कानून का पूरा पालन करेंगे। लेकिन चिंता मत कीजिए, जमा पैसे निकालने की सुविधा बनी रहेगी।” इस तरह रमी जैसे पुराने कार्ड गेम्स, जिन्हें लोग असली पैसे के लिए खेलते थे, अब इतिहास बन गए हैं।
फिर आया Probo का नाम। Probo ने अपने सभी Real Money Gaming ऑपरेशन्स तुरंत बंद कर दिए। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा—“ये दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन हम भारत सरकार के नए बिल का सम्मान करते हैं।” Probo ने यह भी कहा कि वे आगे इनोवेशन पर ध्यान देंगे और एक नया इंफॉर्मेशन मार्केट बनाने की कोशिश करेंगे।
अब सवाल ये है कि इस प्रतिबंध से आम लोगों पर क्या असर होगा? लाखों खिलाड़ी जो रोज़ाना MPL, Zupee, Dream-11 या Probo पर खेलते थे, उनके लिए ये प्लेटफॉर्म अचानक बंद हो गए। बहुतों ने तो अपनी पढ़ाई, नौकरी या छोटे-मोटे खर्चों के लिए इस गेमिंग इनकम पर भरोसा किया था। अब ये कमाई का ज़रिया छिन गया। वहीं, कंपनियों के लिए ये झटका और भी बड़ा है। अरबों का Investment, हज़ारों नौकरियों का भविष्य और देश का गेमिंग इकोसिस्टम—सब कुछ खतरे में आ गया है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाले दिनों में इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है। कई कंपनियों ने पहले से ही अपनी भर्ती रोक दी है और कुछ ने तो कर्मचारियों की छंटनी शुरू भी कर दी है। Investors के लिए भी यह बड़ा झटका है, क्योंकि उन्होंने उम्मीद की थी कि भारत का गेमिंग सेक्टर आने वाले सालों में अरबों डॉलर का उद्योग बनेगा। लेकिन सरकार का मानना है कि यह क़दम ज़रूरी था।
सरकार का कहना है कि असली भविष्य ई-स्पोर्ट्स और Non-monetary skill based गेम्स में है। यानी आप PUBG, Free Fire, BGMI जैसे ई-स्पोर्ट्स खेल सकते हैं और टूर्नामेंट जीतकर नाम कमा सकते हैं। लेकिन वो गेम्स, जहाँ आप पैसे लगाते हैं, वो अब नहीं चलेंगे। इसका कारण सरकार बताती है—लोग इन खेलों में नशे की तरह डूब रहे थे, कर्ज़ में फँस रहे थे और परिवार बर्बाद हो रहे थे।
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल वही है जो हर खिलाड़ी पूछ रहा है—फँसा हुआ पैसा कैसे निकलेगा? कंपनियों ने भले ही बयान जारी कर दिया हो कि “आपका पैसा सुरक्षित है,” लेकिन लाखों यूजर्स अभी भी कंफ्यूज हैं। कहीं साइट स्लो हो रही है, कहीं विड्रॉल प्रोसेस क्लियर नहीं है। छोटे-छोटे शहरों और कस्बों के यूजर्स तो यह भी नहीं जानते कि उनका अकाउंट बैलेंस कहाँ दिखाई देगा और कैसे निकलेगा।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि जिन कंपनियों ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है, उन्हें अपने वॉलेट्स से Withdrawal सुविधा चालू रखनी ही होगी। अगर कोई कंपनी इसमें धोखाधड़ी करती है, तो यूजर्स सीधे उपभोक्ता अदालत या साइबर क्राइम सेल में शिकायत कर सकते हैं। लेकिन डर यही है कि इतनी बड़ी संख्या में खिलाड़ियों का पैसा वापस लौटाना कंपनियों के लिए कितना आसान होगा?
भारत के लिए ये फैसला ऐतिहासिक है। एक तरफ़ तो सरकार का कहना है कि इससे लोगों को जुए की लत से छुटकारा मिलेगा और ई-स्पोर्ट्स जैसी साफ-सुथरी इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन दूसरी तरफ़ लाखों लोगों की मेहनत की कमाई अटकी हुई है और हजारों लोगों की नौकरी दांव पर है।
शायद आने वाले सालों में भारत का गेमिंग सेक्टर एक नई दिशा ले। हो सकता है ई-स्पोर्ट्स लीग्स, AR और VR गेमिंग या फिर मेटावर्स पर बेस्ड इंटरैक्टिव गेम्स नए ट्रेंड बनें। लेकिन आज की हकीकत यही है कि MPL, Zupee, Dream-11 जैसे बड़े नामों ने अपने रियल मनी गेम्स हमेशा के लिए बंद कर दिए हैं। और आप सोचिए… एक रात पहले तक जो ऐप्स आपको “खेलो और कमाओ” का सपना दिखा रहे थे, वही आज आपके फोन की स्क्रीन पर सिर्फ़ “फ्री गेम्स” का वादा छोड़कर चले गए हैं।
Conclusion
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