ज़रा सोचिए… आप हर दिन सुबह-सुबह अपने ऑफिस की तरफ निकलते हैं। वही केबिन, वही मीटिंग रूम, वही चेहरे—लेकिन उन चेहरों में से एक चेहरा धीरे-धीरे आपकी ज़िंदगी में अलग जगह बनाने लगता है। पहले लंच टाइम में छोटी-सी बातचीत, फिर देर रात प्रोजेक्ट पर साथ काम करना और फिर कब वह रिश्ता ऑफिस से बाहर भी आपकी पर्सनल लाइफ में दाखिल हो गया, आपको खुद भी पता नहीं चलता। यह रिश्ता दिल से जुड़ा हुआ होता है, मगर कॉर्पोरेट वर्ल्ड में दिल की नहीं, नियमों की चलती है।
कल्पना कीजिए—आपने सालों मेहनत करके जो नौकरी बनाई, प्रमोशंस और मेहनत से जो पोजीशन पाई, वो सब एक ही झटके में सिर्फ इसलिए छिन जाए कि आपने ऑफिस में किसी से रिश्ता बना लिया। यह सोचकर ही मन कांप उठता है कि प्यार जैसी प्राकृतिक भावना भी करियर के लिए खतरा बन सकती है। सवाल सीधा है—क्या वाकई Office Romance नौकरी ले सकता है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
आपको बता दें कि आज के कॉर्पोरेट वर्ल्ड में Office Romance कोई नया शब्द नहीं है। दुनिया भर की रिसर्च बताती है कि हर चार में से एक कर्मचारी अपने करियर में कभी न कभी ऑफिस में किसी के साथ पर्सनल रिलेशनशिप में जरूर जुड़ता है।
लंबे समय तक साथ काम करना, एक-दूसरे की आदतों को जानना, साथ मिलकर मुश्किल प्रोजेक्ट्स पूरा करना—ये सब इंसानों को करीब ले आते हैं। दिक्कत तब होती है जब यही करीबियां प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ की उस पतली लाइन को मिटा देती हैं, जिसे कॉर्पोरेट कंपनियाँ बहुत अहम मानती हैं। कंपनी का नजरिया साफ होता है—ऑफिस काम की जगह है, यहाँ हर रिश्ते को प्रोफेशनल फ्रेम में रहना चाहिए। जैसे ही वह दायरा टूटता है, खतरे की घंटी बज जाती है।
नेस्ले का मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है। हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी FMCG कंपनियों में से एक, नेस्ले ने अपने CEO लॉरेंट फ्रीक्स को पद से हटा दिया। लॉरेंट ने करीब 40 साल कंपनी में बिताए, हर विभाग में काम किया और अंत में CEO की कुर्सी तक पहुँचे।
लेकिन एक निजी रिश्ता उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती बन गया। उनकी पर्सनल असिस्टेंट के साथ अफेयर की जानकारी जब कंपनी को मिली, तो यह सीधा “कोड ऑफ बिज़नेस कंडक्ट” का उल्लंघन माना गया। लॉरेंट ने यह रिश्ता HR या बोर्ड को कभी रिपोर्ट नहीं किया था, और यही चूक उनकी नौकरी छीन ले गई। सोचिए, चार दशकों की मेहनत और एक झटके में सब खत्म।
यह सिर्फ नेस्ले तक सीमित नहीं है। जुलाई 2025 में अमेरिका की टेक कंपनी एस्ट्रोनॉमर के CEO एंडी बायरन और HR हेड क्रिस्टीन कैबोट का मामला सामने आया। दोनों को एक कॉन्सर्ट में रोमांस करते देखा गया और अगले ही दिन दोनों ने इस्तीफा दे दिया। कंपनी को यह हितों का टकराव यानी Conflict of Interest लगा। 2019 में मैकडॉनल्ड्स के CEO स्टीव ईस्टरब्रुक का रिश्ता उनकी ही एक एम्प्लॉई के साथ सामने आया और उन्हें भी तत्काल पद छोड़ना पड़ा। इन सभी घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि चाहे आप कितनी भी ऊँची कुर्सी पर क्यों न बैठे हों, नियमों से ऊपर कोई नहीं।
अब असली सवाल यह है कि आखिर कंपनियाँ इतनी सख्ती क्यों बरतती हैं? एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कंपनियों का सबसे बड़ा मकसद प्रोडक्टिविटी और प्रोफेशनल माहौल बनाए रखना है। अगर दो कर्मचारी रिश्ते में हैं और उसमें किसी तरह का फेवरिटिज्म दिखाई देता है, तो बाकी टीम के लोग निराश और असुरक्षित महसूस करते हैं।
टीमवर्क टूटता है और काम की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। अगर रिश्ता बॉस और सबॉर्डिनेट के बीच है, तो यह पावर डायनामिक्स को पूरी तरह गड़बड़ा देता है। ऐसे मामलों में बाकी कर्मचारियों को लगता है कि फैसले मेरिट के बजाय पर्सनल रिलेशन पर लिए जा रहे हैं। और अगर कभी यह रिश्ता टूट जाए, तो टीम का माहौल और भी जहरीला हो जाता है।
इसीलिए कंपनियों ने HR पॉलिसी में स्पष्ट नियम बना रखे हैं। पहला और सबसे अहम नियम—अगर आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं, तो HR को इसकी जानकारी देना जरूरी है। यह पारदर्शिता के लिए जरूरी है और इससे कंपनी यह तय कर सकती है कि कहीं Conflict of Interest तो नहीं हो रहा। दूसरा नियम—सीनियर-जूनियर या बॉस-सबॉर्डिनेट रिश्ते को सीधे तौर पर मना किया जाता है।
ऐसे रिश्तों को पॉलिसी वायलेशन माना जाता है और तुरंत कार्रवाई होती है। तीसरा, ऑफिस में प्रोफेशनल बिहेवियर बनाए रखना अनिवार्य है। मतलब यह कि पब्लिकली अफेक्शन दिखाना, कपल बिहेवियर ऑफिस में करना, मीटिंग्स या वर्कस्टेशन को निजी जिंदगी का हिस्सा बना देना—ये सब अनुशासनहीनता मानी जाती है। चौथा नियम—गोपनीयता और प्रोडक्टिविटी की सुरक्षा। अगर रिश्ता किसी तरह से कंपनी के प्रोजेक्ट्स की गोपनीय जानकारी तक पहुँचने का खतरा पैदा करता है, तो यह सीधा कानूनी अपराध बन सकता है।
अब सोचिए, अगर कोई इन नियमों को तोड़ता है तो कंपनी क्या कदम उठा सकती है? पहली बार पर अक्सर लिखित चेतावनी दी जाती है ताकि कर्मचारी समझ सकें कि उन्होंने गलती की है। लेकिन अगर मामला गंभीर हो, तो अस्थायी निलंबन यानी Temporary Suspension दिया जा सकता है।
और अगर यह रिश्ता सीधे सीनियर-जूनियर या CEO और HR के बीच हो, तो नौकरी तुरंत जाती है—सीधे टर्मिनेशन। इतना ही नहीं, अगर कंपनी को सीधा नुकसान हुआ है, तो मामला कोर्ट तक भी पहुँच सकता है। कई देशों में कंपनियाँ कर्मचारियों पर जुर्माना तक लगा सकती हैं। यानी प्यार अगर दफ्तर में गलत तरीके से किया गया, तो इसकी कीमत सिर्फ नौकरी से ही नहीं बल्कि कानूनी लड़ाई से भी चुकानी पड़ सकती है।
तो क्या इसका मतलब यह है कि ऑफिस में कभी रिश्ते नहीं बनाने चाहिए? इसका जवाब है- ऐसा नहीं है। इंसान हैं और इंसानों के बीच रिश्ते बनेंगे ही। लेकिन उन्हें संभालने का तरीका ही आपके करियर का भविष्य तय करता है। अगर रिश्ता गंभीर है, तो इसे छिपाने के बजाय HR को बताना हमेशा बेहतर है। अगर लगे कि यह रिश्ता Conflict of Interest बन सकता है, तो विभाग बदलने का विकल्प चुनें। ऑफिस में कभी भी पर्सनल बिहेवियर न दिखाएँ। और सबसे अहम, अपनी कंपनी की HR पॉलिसी को ध्यान से पढ़ें। हर कंपनी की अपनी गाइडलाइंस होती हैं, और उन्हीं के हिसाब से चलना सबसे सुरक्षित है।
कॉर्पोरेट दुनिया में “प्रोफेशनल और पर्सनल” के बीच की लाइन बेहद पतली होती है। यही कारण है कि जब कोई उस लाइन को पार करता है, तो न सिर्फ उसका करियर बल्कि कंपनी की साख भी खतरे में पड़ जाती है। इतिहास गवाह है कि ऑफिस रोमांस से जुड़ी घटनाओं ने कई दिग्गज कंपनियों को संकट में डाल दिया। Investors का भरोसा डगमगाया, शेयर प्राइस गिरे और मीडिया में विवाद छा गया। इसलिए कंपनियाँ अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गई हैं।
तो अगली बार जब आप ऑफिस में किसी के साथ रिश्ते के बारे में सोचें, तो यह याद रखिए—यह सिर्फ दिल का मामला नहीं है, यह करियर का भी है। एक गलत कदम आपकी मेहनत पर पानी फेर सकता है, आपकी नौकरी छीन सकता है और आपकी प्रोफेशनल पहचान को हमेशा के लिए धूमिल कर सकता है। प्यार खूबसूरत है, लेकिन कॉर्पोरेट दुनिया में इसे संभालने के लिए नियमों और समझदारी दोनों की जरूरत है।
Conclusion
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