Nehal Modi: कैसे उठाया सबक और बदली ज़िंदगी? काले धन की अंधेरी गुफा से उजाले की ओर! 2025

सोचिए, एक ऐसा शख्स जो कैमरे के सामने कभी नहीं आया, मगर परदे के पीछे से अरबों रुपये का खेल खेलता रहा। एक ऐसा नाम, जो नीरव मोदी की चमकती हुई दुनिया का छाया-पात्र था। और अब, उसी छाया से निकलकर Nehal Modi सुर्खियों में है। अमेरिका में गिरफ्तार, भारत के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक का गुमनाम लेकिन अहम किरदार—नेहल मोदी।

क्या वो सिर्फ एक छोटा सा मोहरा था, या असली चालाकी उसी के हाथ में थी? इस कहानी की परतें जब खुलती हैं, तो हर परत के नीचे छुपी होती है एक नई साजिश, एक नया रहस्य। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि भारत के बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले के असली किरदार की दास्तान है। आइए जानते हैं, कौन है Nehal Modi और कैसे वो बना काले धन की दुनिया का एक अंधेरा चेहरा।

Nehal Modi का जन्म बेल्जियम के एंटवर्प शहर में हुआ था। वहीं पले-बढ़े, और अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती भाषाओं में पारंगत हुए। हीरों के कारोबार का यह शहर वर्षों से वैश्विक व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। परिवार हीरों के व्यापार से जुड़ा था और नीरव मोदी के सौतेले भाई होने के नाते नेहल भी उसी दुनिया में कूद गए। अमेरिका में फायरस्टार डायमंड्स यूएसए के डायरेक्टर बने, जो नीरव मोदी की ही कंपनी थी और अब बंद हो चुकी है। लेकिन उनके कार्यकाल में इस कंपनी के जरिए कई ऐसे वित्तीय लेनदेन हुए, जो बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जड़ बन गए।

वर्ष 2018 में जब पीएनबी घोटाले का पर्दाफाश हुआ, तो सामने आया कि करीब 13,500 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। और इसके पीछे सिर्फ नीरव मोदी या मेहुल चोकसी ही नहीं, बल्कि Nehal Modi भी है। ईडी और सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि Nehal Modi न केवल इस घोटाले से जुड़े काले धन को छिपाने में लगा था, बल्कि उसने उसे वैध दिखाने की भी कोशिश की। उसने इस काम के लिए फर्जी कंपनियों का सहारा लिया और एक जटिल ट्रांजैक्शन नेटवर्क तैयार किया, जिससे करोड़ों रुपये की ब्लैक मनी को वैध बिजनेस के रूप में पेश किया जा सके।

Nehal Modi पर दो बड़े आरोप लगे हैं—मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश। भारत के कानून के तहत प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3, और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी व 201 के तहत कार्यवाही की जा रही है। इन धाराओं के तहत वह आरोपित हैं कि उन्होंने साजिश रचकर न केवल काले धन को सफेद करने की कोशिश की, बल्कि सबूतों को भी मिटाने में सक्रिय भूमिका निभाई। इन आरोपों के पीछे की कहानी यह बताती है कि कैसे Nehal Modi ने अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन, और कानूनी खामियों का फायदा उठाकर एक बेहद संगठित आर्थिक अपराध को अंजाम दिया।

ईडी और सीबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि नेहल ने शेल कंपनियों का जाल तैयार किया, जिसके जरिए उसने और नीरव ने करोड़ों रुपये विदेशों में ट्रांसफर किए। दुबई इस पूरे ऑपरेशन का सेंटर बन चुका था। रिपोर्ट के अनुसार, पीएनबी घोटाले के सामने आने के बाद Nehal Modi ने मिहिर भंसाली के साथ मिलकर, दुबई से 50 किलो सोना और भारी मात्रा में नकदी मंगवाई। ये सारी संपत्ति शेल कंपनियों के जरिए अलग-अलग हिस्सों में बंट गई। इतना ही नहीं, इन ट्रांजैक्शनों को इतने परिपक्व तरीके से छिपाया गया कि अगर जांच एजेंसियों की नजर न जाती, तो शायद ये सब हमेशा के लिए दफन हो जाता।

जांच में यह भी पाया गया कि Nehal Modi ने सभी डमी कंपनियों के डायरेक्टर्स को चुप रहने का निर्देश दिया। न सिर्फ निर्देश, बल्कि इन लोगों के मोबाइल फोन और रिकॉर्ड भी नष्ट कर दिए गए। जब डमी डायरेक्टर्स भारत लौटना चाहते थे, तब उन्हें रोका गया, और Nehal Modi ने स्वयं दुबई जाकर सारा प्रबंध संभाला। यही नहीं, उसने यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी हाल में भारतीय एजेंसियों के हाथ कोई सबूत न लगे। उसके दुबई दौरे के दौरान उसने कर्मचारियों को धमकी दी, पैसे दिए और रिकॉर्ड को खत्म करने का पूरा ऑपरेशन चलाया।

ईडी की चार्जशीट में दर्ज है कि नेहल ने नीरव मोदी की दुबई स्थित कंपनी से 50 किलो सोना, हांगकांग से भारी नकदी और 150 बक्से मोती हटा लिए थे। इतना ही नहीं, उसने दो कंपनियों के डायरेक्टर पद पर रहते हुए करीब 336 करोड़ रुपये भी प्राप्त किए थे, जो नीरव की फर्जी कंपनियों से ट्रांसफर हुए थे। ये कंपनियां और ट्रांजैक्शन न केवल जांच एजेंसियों की नजर से बचाए जा रहे थे, बल्कि तकनीकी रूप से उन्हें वैध दिखाने की भी कोशिश की जा रही थी। नेहल का मकसद सिर्फ पैसे को छिपाना नहीं, बल्कि पूरी धोखाधड़ी को वैध बिजनेस में ढालना था।

इन कंपनियों के निदेशक ऐसे लोग थे जो वास्तव में उसकी कंपनियों के कर्मचारी थे और मामूली वेतन पर काम करते थे। इन कर्मचारियों को मोहरा बनाकर उसने वैश्विक नेटवर्क खड़ा किया, जिसमें नेहल की भूमिका उस इंजीनियर जैसी थी जो हर पाइपलाइन को नियंत्रित कर रहा था।

Nehal Modi ने इन डमी निदेशकों को चुप रखने के लिए दबाव डाला, उन्हें भारत लौटने से रोका और उनके मोबाइल तक नष्ट कर दिए। वो खुद दुबई जाकर सबूतों को मिटाने की कोशिश में जुट गया। उसने हर उस सूत्र को खत्म करना चाहा जो उसकी या नीरव की ओर इशारा कर सकता था। यही नहीं, उसने जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए नकली दस्तावेज़ और झूठी कहानियों का सहारा भी लिया।

इन कार्रवाइयों से साफ है कि Nehal Modi सिर्फ एक सहयोगी नहीं, बल्कि घोटाले का एक महत्वपूर्ण मास्टरमाइंड भी था। उसने न केवल आर्थिक घोटाले को अंजाम दिया, बल्कि जांच को भटकाने और सबूत मिटाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। उसकी गिरफ्तारी घोटाले की सिर्फ शुरुआत है, क्योंकि इस गिरोह की जड़ें अभी और गहराई में हैं।

इस पूरी साजिश में दुबई एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। यह वह जगह थी जहां से सोना, नकदी और बेशकीमती पत्थरों को इधर-उधर किया गया। इंटरपोल ने पहले ही नीरव और उसकी बहन पूर्वी मोदी मेहता के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था। अब Nehal Modi की गिरफ्तारी के बाद इस कड़ी में एक और मोहरा गिर गया है। जल्द ही शायद इस पूरी चेन को तोड़ा जा सके, जो वर्षों से हमारी बैंकिंग व्यवस्था को खोखला करती आई है।

यह पहली बार नहीं है कि Nehal Modi घोटाले में फंसे हैं। साल 2020 में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने उन्हें 2.6 मिलियन डॉलर के हीरे धोखाधड़ी से हासिल करने के मामले में दोषी ठहराया था। यह साबित करता है कि घोटाला और फर्जीवाड़ा उनके कारोबारी मॉडल का हिस्सा बन चुका था। उन्होंने व्यापार को एक अपराध प्रणाली की तरह चलाया, जहां नियमों का पालन नहीं, बल्कि उन्हें तोड़ना ही नियम था। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि Nehal Modi की सोच में पारदर्शिता और नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं थी।

अब सवाल है कि क्या Nehal Modi भारत आएंगे? अमेरिका में उन्हें सीबीआई और ईडी के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया है। अगली सुनवाई 17 जुलाई को होनी है, जिसमें वे बेल के लिए अर्जी देंगे। लेकिन अमेरिकी वकील उनकी जमानत का विरोध करेंगे। प्रत्यर्पण की प्रक्रिया लंबी और जटिल है, पर भारत सरकार और जांच एजेंसियां इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं। भारत की न्याय प्रणाली इस मुकदमे को एक उदाहरण के रूप में देख रही है, जो यह दर्शाता है कि आर्थिक अपराधों के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं रह गया है।

नेहल की गिरफ्तारी भारत के लिए एक मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक जीत मानी जा रही है। यह संकेत है कि चाहे आरोपी कहीं भी छिपा हो, कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। नीरव मोदी पहले ही लंदन की जेल में है और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया से गुजर रहा है। अब Nehal Modi भी उसी राह पर है। यह गिरफ्तारी उन तमाम पीड़ितों के लिए आशा की किरण है, जिनके पैसे इस घोटाले में डूब गए। यह उन लाखों बैंक ग्राहकों की न्यायिक जीत हो सकती है जो बैंकिंग व्यवस्था पर फिर से भरोसा करना चाहते हैं।

और तब तक, हमें याद रखना होगा कि हर बार जब कोई बैंक लोन की लाइन में खड़ा होता है, हर बार जब किसी मध्यमवर्गीय व्यक्ति की फाइल ‘रीजेक्टेड’ होती है, तो कहीं न कहीं इन अरबों के घोटालों का काला असर भी जिम्मेदार होता है। Nehal Modi जैसे चेहरे सिर्फ नाम नहीं हैं—ये उस व्यवस्था की कमज़ोर कड़ियाँ हैं, जिन्हें अब सुधारना होगा। अब वक्त है कि हम केवल चर्चा न करें, बल्कि कार्रवाई करें—और इस घोटाले से सबक लें ताकि भविष्य में कोई और Nehal Modi जन्म न ले।

Conclusion

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