Mutual Funds Day 3: Mutual Funds के प्रकार! जानिए Equity, Debt, Hybrid और सही Investment Options I

याद कीजिए… पिछली वीडियो में हमने Mutual Fund की उस मशीनरी का ताला खोला था, जहाँ आपका पैसा एक investor के तौर पर AMC के पास जाता है, Trustees उस पर नज़र रखते हैं, Fund Manager उसे अलग-अलग शेयर और बॉन्ड्स में लगाता है और आपको बदले में Units मिलती हैं।

यानी आपने समझ लिया कि Mutual Fund असल में काम कैसे करता है। लेकिन आज सवाल और भी बड़ा है—अगर यह गाड़ी चल रही है तो चलने के कितने रास्ते हैं? या कहें कि Mutual Fund के कितने “स्वाद” हैं? क्योंकि हर Investor का स्वाद अलग होता है—किसी को तड़का तीखा चाहिए, किसी को हल्का और किसी को बिल्कुल बैलेंस्ड। Mutual Fund की categories भी कुछ ऐसी ही हैं, जो अलग-अलग ज़रूरतों और Risk लेने की क्षमता के हिसाब से बनाई गई हैं।

Mutual Funds के प्रकारों को समझना ऐसे ही है जैसे आप किसी बड़े रेस्तरां में मेन्यू कार्ड खोलें। वहाँ Starter भी है, Main Course भी और Dessert भी। लेकिन सबके अपने-अपने दाम, स्वाद और फायदे-नुकसान हैं। अगर आपने सोचे-समझे बिना ऑर्डर कर दिया, तो शायद खाने का मज़ा खराब हो जाए। ठीक यही हाल Mutual Funds का भी है।

सबसे पहले आते हैं Equity Funds। नाम से ही साफ है कि यह वो फंड है जो ज़्यादातर पैसा शेयर बाज़ार यानी Equity में लगाता है। मान लीजिए आपने 100 रुपए डाले और उसमें से 70 रुपए से ज़्यादा पैसा कंपनियों के शेयर ख़रीदने में लगाया गया—तो यह Equity Fund है। Equity Funds उन्हें सूट करते हैं जो लंबी अवधि के लिए Investment करना चाहते हैं और थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव झेल सकते हैं। क्योंकि शेयर मार्केट हमेशा सीधी रेखा में नहीं चलता। कभी ऊपर जाता है, कभी नीचे। लेकिन लंबे समय में यह दौड़ सबसे तेज़ होती है। यही वजह है कि Equity Funds को wealth creation का सबसे मजबूत साधन माना जाता है।

Equity Funds के अंदर भी कई sub-categories होती हैं—जैसे Large Cap Funds जो बड़ी कंपनियों में Investment करते हैं; Mid Cap Funds जो मध्यम आकार की कंपनियों में जाते हैं; और Small Cap Funds जो छोटी कंपनियों पर दांव लगाते हैं। बड़ी कंपनियाँ सुरक्षित मानी जाती हैं लेकिन रिटर्न मध्यम होता है। छोटे और मंझोले कंपनियों में रिस्क ज़्यादा होता है लेकिन अगर सबकुछ ठीक रहा तो रिटर्न भी कहीं ज़्यादा हो सकता है।

अब आते हैं Debt Funds पर। इन्हें आप Equity के उलट समझ सकते हैं। Debt Fund ज़्यादातर पैसा शेयर मार्केट की जगह Fixed Income इंस्ट्रूमेंट्स जैसे Bonds, Debentures, Government Securities और Corporate Papers में लगाता है। इनका मक़सद होता है—सुरक्षित और स्थिर रिटर्न। यानी अगर आप वो Investor हैं जो ज़्यादा Risk नहीं लेना चाहते, तो Debt Fund आपके लिए है। यह आपके लिए उस steady interest की तरह काम करता है जो पहले लोग बैंक FD से पाते थे। फर्क बस इतना है कि Debt Fund थोड़ा बेहतर tax-efficient और diversified होता है।

हालांकि, Debt Funds भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। जैसे Liquid Funds जो बहुत कम समय यानी कुछ दिनों या हफ़्तों के लिए Investment का विकल्प देते हैं। यह आपके पैसों के लिए Savings Account से कहीं बेहतर विकल्प हो सकते हैं। फिर हैं Short Duration Funds, Long Duration Funds, और Dynamic Bond Funds, जो समय और ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव के हिसाब से चलते हैं। Debt Funds की खूबी यह है कि Equity के मुकाबले यह कम झूलते हैं, लेकिन इनका रिटर्न भी Equity जितना आक्रामक नहीं होता।

तीसरे नंबर पर आते हैं Hybrid Funds। नाम से ही पता चलता है कि ये Equity और Debt का मिश्रण हैं। यानी आपकी प्लेट में सलाद भी है और मिठाई भी। Hybrid Funds उन लोगों के लिए बनाए गए हैं जो संतुलन चाहते हैं। न बहुत रिस्क, न बहुत कम। जैसे अगर किसी Hybrid Fund में 60% पैसा शेयर में और 40% बॉन्ड्स में है, तो आपको दोनों का स्वाद मिलेगा। Equity का growth और Debt की stability। Hybrid Funds को अक्सर “balanced funds” भी कहा जाता है।

अब बात करते हैं एक और category की—Solution-Oriented Funds। ये Funds किसी खास मकसद के लिए बनाए गए हैं। जैसे अगर आप अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए Investment कर रहे हैं तो Education Fund, अगर रिटायरमेंट के लिए पैसा जोड़ रहे हैं तो Retirement Fund। इनकी खासियत यह है कि ये लंबे समय की योजना के लिए होते हैं और इनसे आप अनुशासित होकर धीरे-धीरे एक बड़ा corpus बना सकते हैं। लेकिन एक नियम यह भी है कि इनमें lock-in period होता है। यानी जब तक आपका मकसद पूरा नहीं होता, आप आसानी से पैसा नहीं निकाल सकते।

इसके अलावा Mutual Fund की दुनिया में और भी categories हैं। जैसे Index Funds, जो किसी Index जैसे Nifty 50 या Sensex को ही follow करते हैं। ये passive होते हैं यानी Fund Manager ज़्यादा दिमाग नहीं लगाता, बस Index जैसा portfolio बना देता है। इनकी फीस कम होती है और यह लंबे समय के Investors को काफ़ी पसंद आते हैं। फिर हैं Sectoral Funds, जो किसी एक sector जैसे Banking, Pharma, या IT में पैसा लगाते हैं। इनका रिटर्न बहुत ऊँचा हो सकता है अगर sector अच्छा करे, लेकिन रिस्क भी उतना ही होता है।

इसके अलावा, Mutual Funds में ELSS (Equity Linked Savings Scheme) भी आते हैं, जो Tax बचाने का मौका देते हैं। इनमें तीन साल का lock-in होता है, लेकिन Section 80C के तहत आप 1.5 लाख तक टैक्स में छूट ले सकते हैं। यही वजह है कि ELSS उन लोगों के लिए सबसे अच्छा होता है जो Tax भी बचाना चाहते हैं और साथ में Wealth भी बनाना चाहते हैं।

अब सवाल यह है कि किसे कौन सा Fund चुनना चाहिए? इसका जवाब आसान है—यह आपके financial goal, समय और risk-taking capacity पर निर्भर करता है। अगर आप 25 साल के हैं और रिटायरमेंट के लिए Investment कर रहे हैं, तो Equity Fund सही होगा। अगर आप 50 साल के हैं और स्थिरता चाहते हैं, तो Debt Fund बेहतर है। अगर आप बैलेंस चाहते हैं तो Hybrid Fund, और अगर आपको किसी खास मकसद के लिए बचत करनी है तो Solution-Oriented Fund।

लेकिन दोस्तों, यह समझना ज़रूरी है कि हर Fund का अपना फायदा है और अपनी कमजोरी। Equity Fund लंबे समय में सबसे ज़्यादा returns दे सकता है लेकिन short term में गिरावट से घबराहट होती है। Debt Fund सुरक्षित है लेकिन Wealth creation में Equity जितना तेज़ नहीं है। Hybrid Fund संतुलित है लेकिन कभी-कभी दोनों ही तरफ़ से कमजोर साबित हो सकता है। Index Fund सस्ता है लेकिन market जैसा ही चलेगा। Sectoral Fund ज़ोरदार return दे सकता है लेकिन risk बहुत ऊँचा है।

लेकिन दोस्तों, यह समझना ज़रूरी है कि हर Fund का अपना फायदा है और अपनी कमजोरी। Equity Fund लंबे समय में सबसे ज़्यादा returns दे सकता है लेकिन short term में गिरावट से घबराहट होती है। Debt Fund सुरक्षित है लेकिन Wealth creation में Equity जितना तेज़ नहीं है। Hybrid Fund संतुलित है लेकिन कभी-कभी दोनों ही तरफ़ से कमजोर साबित हो सकता है। Index Fund सस्ता है लेकिन market जैसा ही चलेगा। Sectoral Fund ज़ोरदार return दे सकता है लेकिन risk बहुत ऊँचा है।

यानी Mutual Fund चुनना ऐसा है जैसे आप अपने लिए कपड़ा चुनते हैं। अगर कपड़ा आपकी personality और ज़रूरत के हिसाब से फिट है, तो आप अच्छे लगेंगे। वरना चाहे कितना भी महँगा हो, बेकार लगेगा। आज आपने Mutual Fund के अलग-अलग प्रकार देखे—Equity, Debt, Hybrid, Solution-Oriented और बाकी categories। अब आपके सामने मेन्यू कार्ड खुल चुका है।

लेकिन एक बात अभी भी रहस्य है—जब हमने Day 2 में Units और N A V की बात की थी, तो आपने सिर्फ़ झलक देखी थी। असल में यह N A V (Net Asset Value) क्या है? कैसे तय होती है? और यह क्यों इतना ज़रूरी है? यही राज़ हम खोलेंगे Day 4 की वीडियो में—जहाँ हम गहराई से समझेंगे कि N A V असल में Mutual Fund की heartbeat क्यों कहलाती है। और जब आप इसे समझेंगे, तो Mutual Fund की असली धड़कन महसूस करेंगे।

Conclusion

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