Breaking Point: Manufacturing से आगे की राह क्यों भारत को अपनी साख बचाने के लिए अब नए विकल्प सोचने होंगे? 2025

ज़रा सोचिए… एक विशाल सभागार में रोशनी झिलमिला रही है। मंच पर भारत का झंडा फहर रहा है, और सामने बैठे हैं दुनिया के बड़े-बड़े नेता। सबकी निगाहें भारत पर टिकी हैं। लेकिन इस बार तालियाँ नहीं बज रहीं, आँखें तरेरी जा रही हैं। कोई अमेरिका की तरफ़ से सवाल उठा रहा है, कोई यूरोप की ओर से उलाहना दे रहा है, और कोई पड़ोस से ताना कस रहा है।

यह दृश्य चौंकाने वाला है—क्योंकि वही भारत, जिसे कभी उसकी नैतिक ताक़त और मूल्यों के लिए सम्मान मिलता था, अब अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद सवालों के घेरे में खड़ा है। तो क्या भारत अपनी साख खो रहा है? और अगर हाँ, तो इसका इलाज कहाँ है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि दुनिया बड़ी तेज़ी से बदल रही है। अब अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में दोस्ती या नैतिकता की जगह नहीं रही। यहाँ केवल ताक़त मायने रखती है। ताक़त सिर्फ़ सैन्य बल की नहीं, बल्कि आर्थिक और तकनीकी ताक़त की। global level पर अब सौदेबाज़ी “ब्लैकमेलिंग” जैसी हो गई है। कोई देश आपका सहयोगी तब तक है, जब तक आपके पास देने के लिए कुछ अनोखा है। और अगर आपके पास ऐसा कुछ नहीं, तो आप कभी भी बलि का बकरा बनाए जा सकते हैं। अमेरिका ने हाल ही में यही दिखाया।

अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ा दिए। वजह बताई गई—भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। लेकिन यही अमेरिका चीन पर खामोश रहा, जबकि चीन रूस से भारत से कहीं ज़्यादा तेल खरीद रहा है। यह विरोधाभास क्यों? वजह साफ़ है—भारत के पास ऐसा कोई प्रोडक्ट या संसाधन नहीं, जिसे अमेरिका या दुनिया ब्लैकमेलिंग के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से डरें। चीन के पास रेयर अर्थ मिनरल्स हैं, दुनिया की सप्लाई चेन उसके हाथ में है। लेकिन भारत? भारत अभी भी मुख्यतः सेवाओं का देश है।

यही वजह है कि Expert लगातार कह रहे हैं—भारत को सिर्फ़ “सर्विस नेशन” बनकर संतोष नहीं करना चाहिए। उसे एक “प्रोडक्ट नेशन” बनना होगा। यानी भारत को ऐसे प्रोडक्ट बनाने होंगे जिनकी मांग पूरी दुनिया करे, जिन्हें रोकना या जिन पर नियंत्रण करना वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दे। यही असली ताक़त है। यही वह चीज़ है जो भारत को नज़रअंदाज़ होने से बचा सकती है।

AICTE के चेयरमैन टीजी सीतारामन ने साफ़ कहा है कि भारत को अब सिर्फ़ सर्विस देने वाली अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ना होगा। इनोवेशन को बढ़ावा देना होगा, और आईपी-ड्रिवन सॉल्यूशन्स बनाने होंगे। मतलब, भारत को न सिर्फ़ प्रोडक्ट डिज़ाइन करने होंगे, बल्कि उन पर पेटेंट लेकर दुनिया भर में एक्सपोर्ट भी करना होगा। इसके लिए शिक्षा जगत में सुधार किए जा रहे हैं। हायर एजुकेशन सिस्टम में रिसर्च और डेवलपमेंट को केंद्र में लाया जा रहा है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद का कहना है कि पॉलिसी मेकर्स अब “डीप टेक स्टार्टअप्स” पर ज़ोर दे रहे हैं। उनका तर्क है—भारत डिज़ाइनिंग में बहुत अच्छा है। दुनिया में पाँच में से एक सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इंजीनियर भारत में है। लेकिन ग्लोबल चिप डिज़ाइन में भारत का योगदान 10% से भी कम है। क्यों? क्योंकि यहाँ के इंजीनियर ज़्यादातर विदेश की कंपनियों के स्पेसिफिकेशन पर काम करते हैं। भारत को अपनी स्पेसिफिकेशन और अपनी सोच से डिज़ाइनिंग करनी होगी। तभी असली ताक़त आएगी।

सूद कहते हैं—“सिर्फ़ मैन्यूफैक्चरिंग काफी नहीं है।” यह बात बेहद महत्वपूर्ण है। मैन्यूफैक्चरिंग ज़रूरी है, लेकिन अगर आप केवल उसी में उलझ गए, तो आप “मिडल-इनकम ट्रैप” में फँस जाएंगे। उदाहरण के लिए, मोबाइल फ़ोन असेंबली या चिप मैन्यूफैक्चरिंग में असली मुनाफ़ा उत्पादन से पहले और बाद के चरणों में होता है—डिज़ाइनिंग, पेटेंट, और मार्केटिंग में। अगर भारत केवल मैन्यूफैक्चरिंग करेगा, तो मुनाफ़ा कहीं और चला जाएगा।

अब ज़रा इतिहास की ओर लौटें। कुछ दशक पहले भारत की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी नहीं थी। लेकिन भारत की कूटनीतिक साख थी। गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की आवाज़ गूंजती थी। नैतिक आदर्शों पर खड़े होने के कारण भारत को सम्मान मिलता था। लेकिन आज, जब भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, सवाल यह उठता है—क्या हम अपनी वही कूटनीतिक साख खो बैठे हैं?

अमेरिका के टैरिफ इस सवाल को और गंभीर बना देते हैं। बैंक ऑफ़ अमेरिका के विश्लेषक डेविड वू का कहना है कि भारत पर टैरिफ इसलिए लगाए गए, ताकि रूस को कमजोर किया जा सके और यूक्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बने। अमेरिका जानता है कि चीन पर दबाव डालना मुश्किल है। इसलिए भारत को आसान निशाना बनाया गया। मतलब, भारत किसी और की राजनीति का मोहरा बन गया। और यही सबसे बड़ा खतरा है।

तो अब भारत के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ़ अपनी विदेश नीति को मज़बूत करना, ताकि वह किसी का मोहरा न बने। और दूसरी तरफ़ अपनी आर्थिक और तकनीकी ताक़त को इस स्तर पर ले जाना कि कोई भी भारत को नज़रअंदाज़ करने की हिम्मत न करे।

यहाँ पर शिक्षा और रिसर्च का महत्व और बढ़ जाता है। भारत की ताक़त उसकी युवा आबादी है। दुनिया की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या भारत के पास है। अगर इन युवाओं को सही दिशा और अवसर मिले, तो वे ऐसे प्रोडक्ट बना सकते हैं जो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया का चेहरा बदल दें। लेकिन अगर यही युवा केवल सर्विस सेक्टर में अटक गए, तो भारत हमेशा पीछे रहेगा।

भारत को अब ऐसे प्रोडक्ट बनाने होंगे जो वैश्विक समस्याओं का हल हों। जलवायु परिवर्तन, गरीबी, स्वास्थ्य संकट, ऊर्जा संकट—इन सबके समाधान में भारत योगदान दे सकता है। अगर भारत सस्ते, टिकाऊ और प्रभावी प्रोडक्ट बनाता है, तो उसकी साख अपने आप बढ़ेगी। दुनिया उसे सिर्फ़ सेवा देने वाला नहीं, बल्कि समस्याओं का हल देने वाला देश मानेगी।

स्टार्टअप इकोसिस्टम इस दिशा में भारत का हथियार हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत यूनिकॉर्न कंपनियों का केंद्र बना है। लेकिन ज़्यादातर यूनिकॉर्न सर्विस-बेस्ड हैं। ज़रूरत है प्रोडक्ट-बेस्ड यूनिकॉर्न की—जो पेटेंट करें, ग्लोबल ब्रांड बनें, और भारत को तकनीकी ताक़त दें।

विदेश नीति का भी इसमें बड़ा रोल है। अगर भारत को प्रोडक्ट नेशन बनना है, तो उसे अपनी डिप्लोमैटिक साख को फिर से जगाना होगा। दुनिया में भारत की बात सुनी जाए, इसके लिए भारत को न सिर्फ़ आर्थिक ताक़त, बल्कि वैल्यू-ड्रिवन लीडरशिप दिखानी होगी।

युवाओं को अवसर, शिक्षा में रिसर्च, उद्योगों को इनोवेशन और सरकार की दूरदृष्टि—यही चार स्तंभ भारत को “प्रोडक्ट नेशन” बना सकते हैं। तभी भारत पर तरेरी जाने वाली निगाहें बदलेंगी। तभी तालियाँ फिर से गूंजेंगी। तभी दुनिया कहेगी—भारत ने अपनी साख वापस पा ली है।

और यही वह रास्ता है, जिस पर चलकर भारत केवल एक बड़ी अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि एक ऐसी ताक़त बन सकता है जिसके प्रोडक्ट्स और इनोवेशन पर पूरी दुनिया निर्भर होगी। यही वह ताक़त होगी जो भारत को ब्लैकमेलिंग से बचाएगी, और यही वह ताक़त होगी जो भारत को वह सम्मान वापस दिलाएगी जिसके लिए कभी पूरी दुनिया उसकी तरफ़ देखती थी।

Conclusion

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love

Leave a Comment