ज़रा सोचिए… एक ऐसा वारिस, जिसके नाम के साथ अरबों की दौलत और सैकड़ों करोड़ लोगों की उम्मीदें जुड़ी हों। एक ऐसा नाम, जिसके पीछे दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक की विरासत खड़ी हो। लेकिन वही वारिस जब अपने सपनों के लिए आगे बढ़े और बार-बार नाकाम हो जाए, तो सवाल उठना लाज़मी है।
क्या सिर्फ पैसा और परिवार का नाम ही किसी को सफल बना सकता है? या असली सफलता उन्हीं की होती है जो मैदान में टिककर हर चुनौती का सामना करना जानते हैं? यही कहानी है Kavin Bharti मित्तल की—एक ऐसे युवा कारोबारी की, जिनके पास सबकुछ होते हुए भी मंज़िल उनके हाथ से फिसल गई। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
कविन का जन्म 1987 में हुआ। वह भारती समूह के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल के बेटे हैं, जिन्हें भारत का “टेलीकॉम किंग” कहा जाता है। Kavin Bharti ने बचपन से ही देखा कि उनके पिता ने किस तरह एयरटेल को खड़ा किया—एक छोटे बिजनेस से शुरू करके दुनिया की चौथी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बनाने तक का सफर। लेकिन Kavin Bharti के लिए यह आसान नहीं था। सुनील मित्तल हमेशा कहते थे—“बिजनेस में तुम्हारा नाम दरवाज़ा तो खोल सकता है, लेकिन उस दरवाज़े के अंदर कदम तुम्हें खुद ही रखना होगा।” शायद यही वजह थी कि कविन को बचपन से ही खुद को साबित करने की ज़िम्मेदारी का अहसास था।
उनकी पढ़ाई भी बेहद शानदार रही। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भारत में पूरी करने के बाद इंग्लैंड के प्रतिष्ठित इम्पीरियल कॉलेज लंदन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और कंट्रैक्ट लॉ में पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। इतनी उच्च शिक्षा का मकसद सिर्फ डिग्रियाँ हासिल करना नहीं था, बल्कि दुनिया के बेहतरीन दिमागों के साथ बैठकर यह समझना था कि टेक्नोलॉजी और बिजनेस का भविष्य किस दिशा में बढ़ रहा है। Kavin Bharti ने खुद कहा था—“अगर मुझे पिता की छाया से बाहर निकलकर कुछ बनना है, तो मुझे अपनी पहचान खुद गढ़नी होगी।”
2012 में जब भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा था, Kavin Bharti ने सोचा कि भारत को अपना मैसेजिंग ऐप चाहिए। उस दौर में व्हाट्सएप और फेसबुक मैसेंजर जैसे विदेशी ऐप्स की धूम थी। कविन ने ‘हाइक’ नाम से ऐप लॉन्च किया। शुरुआत में इसे सिर्फ एक चैटिंग ऐप माना गया, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अनोखे फीचर्स जुड़ते गए—स्टिकर्स, ऑफलाइन मैसेजिंग, हिडन मोड, थीम्स और लोकल भाषाओं का सपोर्ट। ये फीचर्स उस वक्त व्हाट्सएप में नहीं थे, और युवाओं को हाइक तुरंत पसंद आया।
साल 2016 आते-आते हाइक ने जबरदस्त सफलता हासिल की। 10 करोड़ से ज़्यादा यूज़र्स जुड़ चुके थे। कॉलेज कैंपस से लेकर छोटे कस्बों तक, हर जगह युवाओं के मोबाइल में हाइक दिखाई देता था। उस समय मीडिया ने Kavin Bharti को भारत का अगला “मार्क ज़ुकरबर्ग” कहना शुरू कर दिया था। Investors ने भी इसमें पैसा लगाना शुरू किया। सॉफ्टबैंक, टेनसेंट और टाइगर ग्लोबल जैसे बड़े नाम इसमें हिस्सेदार बने। हाइक का वैल्यूएशन अरबों डॉलर तक पहुंच गया।
लेकिन टेक्नोलॉजी की दुनिया जितनी चमकदार दिखती है, उतनी ही बेरहम भी होती है। हाइक का सितारा जितनी तेज़ी से चमका था, उतनी ही तेजी से उसका असर कम भी होने लगा। व्हाट्सएप ने नए फीचर्स लॉन्च किए, फेसबुक ने अपनी पकड़ और मजबूत की, और जियो के सस्ते इंटरनेट आने के बाद गूगल व फेसबुक ने भारत पर ध्यान और बढ़ा दिया। धीरे-धीरे लोग हाइक को छोड़कर वापस व्हाट्सएप की तरफ लौटने लगे। Kavin Bharti ने कई बार नए फीचर्स जोड़कर वापसी की कोशिश की, लेकिन 2021 में उन्होंने हार मान ली और हाइक को बंद करने का ऐलान कर दिया।
यह फैसला भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए किसी सदमे से कम नहीं था। करोड़ों खर्च करने और अरबों का Investment जुटाने के बावजूद हाइक का सफर अधूरा रह गया। लेकिन Kavin Bharti ने हार मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा—“जब एक दरवाज़ा बंद होता है, तो दूसरा खुलता है।” इसी सोच के साथ उन्होंने गेमिंग की दुनिया में कदम रखा और “रश” नामक प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया।
रश एक रियल मनी गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म था, जिसमें स्किल-बेस्ड मोबाइल गेम्स शामिल थे। खिलाड़ी गेम खेलकर असली पैसे जीत सकते थे। इसमें वेब3 टेक्नोलॉजी और प्ले-टू-अर्न मॉडल भी शामिल था। भारत में ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज़ बढ़ रहा था, और रश ने तेजी से अपनी जगह बनाई। सिर्फ चार सालों में 1 करोड़ से ज़्यादा यूज़र्स जुड़ गए। कंपनी का Revenue 50 करोड़ डॉलर से ऊपर चला गया। Kavin Bharti को लगा कि उन्होंने आखिरकार अपनी मंज़िल पा ली है।
लेकिन किस्मत एक बार फिर उनके साथ नहीं थी। 2023 में भारतीय सरकार ने रियल मनी गेमिंग पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। अचानक रश का बिजनेस डगमगा गया। Investors और टीम से सलाह के बाद Kavin Bharti ने फैसला किया कि भारत से पूरी तरह बाहर निकलकर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में फोकस करेंगे। और इसी साल उन्होंने सबस्टैक पर लिखा—“मैंने हाइक को पूरी तरह बंद करने का कठिन निर्णय लिया है। भारत में प्रतिबंध के बाद विस्तार करना पूंजी और समय का सही इस्तेमाल नहीं होगा।”
Kavin Bharti की यह पोस्ट भारतीय स्टार्टअप दुनिया के लिए झटका थी। एक वारिस, जिसने कभी भारत का पहला ‘यूनिकॉर्न मैसेजिंग ऐप’ बनाने का सपना देखा था, अब पूरी तरह भारत छोड़ रहा था। सवाल यह है—क्यों Kavin Bharti भारती मित्तल बार-बार असफल हो रहे थे?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे कई कारण हैं। पहला, हाइक ने भारतीय यूज़र्स को आकर्षित किया लेकिन उनकी निष्ठा नहीं जीत पाई। व्हाट्सएप का नेटवर्क और इंटरफेस इतना मजबूत था कि हाइक उसकी बराबरी नहीं कर पाया। दूसरा, रियल मनी गेमिंग जैसे सेक्टर में भारतीय नीतियां स्थिर नहीं थीं। आज यह कानूनी है, कल बैन हो सकता है। Kavin Bharti ने जिस क्षेत्र को चुना, उसमें अनिश्चितता हमेशा बनी रही।
लेकिन क्या यह सिर्फ नीतियों और प्रतियोगिता की वजह से था? या इसमें खुद Kavin Bharti की रणनीति की भी खामियां थीं? कई विश्लेषक कहते हैं कि Kavin Bharti ने बार-बार बिजनेस मॉडल बदला—कभी मैसेजिंग, कभी गेमिंग, कभी वेब3। इससे Investors और यूज़र्स दोनों को भरोसा नहीं हो पाया। बिजनेस की दुनिया में धैर्य और निरंतरता भी उतनी ही ज़रूरी होती है जितनी इनोवेशन।
दूसरी तरफ, उनके पिता सुनील भारती मित्तल का उदाहरण हमारे सामने है। उन्होंने एयरटेल को बनाने में तीन दशक लगाए। उतार-चढ़ाव झेले, प्रतिस्पर्धा झेली, लेकिन धैर्य नहीं खोया। इसी का नतीजा है कि आज उनकी नेटवर्थ 31 बिलियन डॉलर है और भारती समूह भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट हाउस में गिना जाता है।
Kavin Bharti की कहानी हमें एक अहम सबक देती है—वारिस होना और सफल उद्यमी होना दो अलग बातें हैं। विरासत दौलत दे सकती है, लेकिन सम्मान और सफलता अपनी मेहनत से ही बनती है। कविन के पास सबकुछ था—पैसा, नाम, Investor, सपोर्ट—लेकिन शायद वह धैर्य और लगातार संघर्ष करने की ताकत अभी उन्हें ढूँढनी बाकी है।
फिर भी, यह अंत नहीं है। दुनिया के बड़े उद्यमियों ने असफलताओं से ही अपनी सबसे बड़ी जीतें पाई हैं। स्टीव जॉब्स को भी कभी अपनी ही कंपनी से निकाला गया था, लेकिन उन्होंने वापसी की और दुनिया को iPhone दिया। एलन मस्क ने भी कई असफलताओं का सामना किया, लेकिन आज वह दुनिया के सबसे चर्चित उद्यमियों में गिने जाते हैं। शायद कविन भारती मित्तल भी किसी दिन फिर लौटेंगे, और शायद उनकी अगली कोशिश ही उनकी सबसे बड़ी जीत होगी।
Conclusion
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