कल्पना कीजिए, एक कंपनी जो कभी भारत के हर घर की पहचान थी… धीरे-धीरे इतिहास बनने लगी थी। फिर अचानक एक खबर आती है—वाडिया ग्रुप का बेटा, चार साल बाद घर लौट रहा है। और उसकी वापसी के अगले ही दिन, कंपनी के शेयर आसमान छूने लगते हैं। ऐसा क्या है उस इंसान में, जिसकी मौजूदगी भर से बॉम्बे डाइंग की किस्मत बदलने लगी? वो कौन है जिसकी वापसी सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि परिवार के सम्मान की वापसी मानी जा रही है? वो हैं—जहांगीर वाडिया… यानी Jeh Wadia।
एक ऐसा नाम जो कभी अपने पिता नुस्ली वाडिया की छाया में था, लेकिन अब खुद अपने पिता का सहारा बनने जा रहा है। एक ऐसा बेटा जिसने लंदन में बसने का फैसला लिया था, लेकिन जब परिवार पुकारे, तो सब कुछ छोड़कर वापस लौट आया। ये कहानी है बिजनेस, भरोसे और वापसी की। ये कहानी है एक परपोते की, जिसने जिन्ना का खून जरूर पाया है, लेकिन उसका दिल आज भी हिंदुस्तान में बसता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।!
जहांगीर वाडिया—नाम जितना शाही है, सफर उतना ही जमीनी। उनका जन्म 6 जुलाई 1973 को एक प्रभावशाली पारसी परिवार में हुआ। भारत की सबसे पुरानी बिजनेस फैमिली ‘वाडिया ग्रुप’ के चेयरमैन नुस्ली वाडिया के छोटे बेटे हैं। लेकिन उनका परिचय यहीं खत्म नहीं होता—वे पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के परपोते भी हैं। पर हैरत की बात यह है कि उन्होंने हमेशा भारत को ही अपना घर माना। देशभक्ति और व्यवसाय—दोनों को दिल से जिया।
शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने वही ठहराव और समझदारी दिखाई। शुरुआती पढ़ाई लॉरेंस स्कूल से की और फिर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। वहीं उन्हें विज्ञान में दिलचस्पी हुई और उन्होंने मास्टर्स डिग्री भी वहीं से ली। वहीं लंदन में उनकी मुलाकात हुई सेलिना से—एक सशक्त और स्वतंत्र महिला, जो खुद ‘सी फेम’ नाम की फैशन कंपनी की मालकिन हैं। 2003 में दोनों ने शादी की और दो बच्चे हुए—जूनियर जहांगीर और एला। परिवार की तस्वीर परफेक्ट थी… लेकिन जेह के भीतर अभी भी अधूरा कुछ बाकी था।
बिजनेस की दुनिया में जेह वाडिया कोई नए खिलाड़ी नहीं हैं। उन्होंने Go First (पहले गो एयर), Bombay Realty, और खुद Bombay Dyeing को अलग-अलग रूपों में संभाला है। जब उन्होंने Go Air शुरू किया था, तो कोई नहीं जानता था कि एक नया एयरलाइन ब्रांड इतनी जल्दी जनता का भरोसा जीत लेगा। लेकिन जेह ने इसे किफायती उड्डयन का पर्याय बना दिया। यह उनकी सोच थी—आसान, व्यावहारिक और ग्राहकों के दिल को छूने वाली।
फिर साल 2021 आया। कोविड का कहर, पारिवारिक जिम्मेदारियां और जिंदगी की प्राथमिकताएं बदलने लगीं। उन्होंने एक निजी फैसला लिया—लंदन चले गए, ताकि पत्नी और बच्चों के साथ ज्यादा समय बिता सकें। लेकिन जैसे-जैसे वाडिया ग्रुप में चुनौतियां बढ़ने लगीं, जैसे ही बॉम्बे डाइंग का कद छोटा पड़ने लगा… पिता नुस्ली वाडिया की आंखें बेटे की ओर मुड़ गईं।
एक बाप ने बेटे को पुकारा, और बेटे ने वो पुकार सुनी। जेह ने फिर से अपने जूते बांधे, और वापसी की। ये कोई आम वापसी नहीं थी—ये एक मिशन था। एक पिता के 81 साल के कंधों का सहारा बनने का मिशन। और सिर्फ सहारा नहीं, बल्कि वाडिया ग्रुप को फिर से भारत के टॉप बिजनेस घरानों की कतार में लाने का सपना।
23 जुलाई 2025—जेह वाडिया की वापसी की खबर जैसे ही शेयर मार्केट में पहुंची, बॉम्बे डाइंग के शेयरों में 13% तक की छलांग लग गई। Investors ने इस फैसले का ज़ोरदार स्वागत किया। ऐसा लगा मानो कंपनी में एक नई जान आ गई हो।
अब सवाल यह है—जेह का अगला कदम क्या है? तो इसका जवाब है—रियल एस्टेट। जेह वाडिया बॉम्बे डाइंग को एक टेक्सटाइल ब्रांड से कंज्यूमर-ओरिएंटेड रियल एस्टेट कंपनी में बदलना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अब समय आ गया है कि पुराने बिजनेस को नए नजरिए से देखा जाए। जहां इमोशन्स नहीं, लॉजिक काम करेगा। जहां पारिवारिक लगाव नहीं, शेयरहोल्डर्स की वैल्यू सबसे ऊपर होगी।
उनका प्लान तीन हिस्सों में बंटा है—रणनीतिक, वित्तीय और एग्जिट प्लान। वो ग्रुप और परिवार की उन जमीनों को ‘अनलॉक’ करना चाहते हैं, जो सालों से बिना उपयोग के पड़ी थीं। वो इन जमीनों पर रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स के लिए थर्ड पार्टी डेवलपर्स के साथ जॉइंट वेंचर तलाशेंगे। उनका कहना है कि ग्रुप के पास पहले से रियल एस्टेट का अनुभव है, लेकिन अब इसे एक ब्रांड के रूप में पेश किया जाएगा—Bombay Realty के नाम से।
शुरुआत मुंबई से होगी। जेह वर्ली और सिवरी जैसे इलाकों को महत्वपूर्ण मानते हैं—नवी मुंबई एयरपोर्ट, बेहतर मेट्रो कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर इन इलाकों को रियल एस्टेट का हॉटस्पॉट बना रहे हैं। लेकिन जेह को पता है कि बिल्डर्स और ग्राहकों के बीच भरोसे की दीवार खड़ी है, जिसे बॉम्बे डाइंग जैसी साख वाली कंपनी ही गिरा सकती है।
जल्द ही वे Island City Center यानी ICC प्रोजेक्ट को रेजिडेंशियल सेगमेंट में लॉन्च करने जा रहे हैं। वहीं ऑफिस सेंटर और हाई स्ट्रीट मॉल जैसे कमर्शियल प्रोजेक्ट्स पर भी योजना बन रही है। उनका कहना है कि बॉम्बे डाइंग की विश्वसनीयता इस नई शुरुआत को एक मजबूत नींव देगी।
अब बात करें सबसे बड़ी उपलब्धि की—वर्ली में 22 एकड़ जमीन का सौदा। सितंबर 2024 में बॉम्बे डाइंग ने जापान की सुमितोमो रियल्टी को यह जमीन 5,200 करोड़ रुपये में बेची थी। यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी लैंड डील मानी जाती है। यह सौदा न सिर्फ कंपनी के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से गेम चेंजर था, बल्कि यह दिखाता है कि वाडिया ग्रुप अभी भी मौके भांप सकता है।
लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं था। Go First की कहानी आज भी दिल दुखा देती है। इंजन की समस्याओं और ऑपरेशनल झटकों के चलते यह एयरलाइन दिवालिया हो गई। इसके बाद परिवार और कंपनी दोनों के भीतर निराशा का माहौल था। लेकिन जेह ने इन अनुभवों से सीखा। उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि वापसी का रास्ता चुना।
अब उनके सामने चुनौती है—पिता के जीवन भर के बिजनेस को एक नई दिशा देना, एक नई पहचान दिलाना। यह सिर्फ बॉम्बे डाइंग का नहीं, एक बेटे का सपना है। एक बेटे का संकल्प, जो अपने 81 साल के पिता के सपनों को फिर से संजीवनी देना चाहता है।
वाडिया ग्रुप की चार प्रमुख कंपनियां—ब्रिटानिया, बॉम्बे डाइंग, नेशनल पेरोक्साइड और बॉम्बे बर्मा—आज भी शेयर बाजार में मजबूती से खड़ी हैं। लेकिन ग्रोथ की रफ्तार थमने लगी थी। जेह ने यह जिम्मेदारी ली है कि वो इस ब्रांड को नए जमाने के Investors, ग्राहकों और उपभोक्ताओं के लिए फिर से आकर्षक बनाएं।
उनका मानना है कि आज का युवा टेक्नोलॉजी और भरोसे दोनों चाहता है। इसलिए बॉम्बे डाइंग की परंपरा को बनाए रखते हुए, उसे नवाचार और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के साथ जोड़ना होगा। उनका फोकस है—बिजनेस को सिर्फ प्रोफिट से नहीं, बल्कि लोगों की जरूरतों और भावनाओं से जोड़ना।
इस वीडियो का मकसद सिर्फ यह बताना नहीं है कि एक बिजनेस टायकून वापसी कर रहा है… बल्कि यह दिखाना है कि जब इरादे मजबूत हों, तो वापसी भी नई शुरुआत बन जाती है। जब बेटा पिता की थकती हुई आंखों में फिर से चमक भर दे, तो वो व्यापार नहीं, श्रद्धा होती है।
जहांगीर वाडिया की वापसी सिर्फ बॉम्बे डाइंग के लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो कभी असफलता से डर गए थे। जिनके फैसलों पर सवाल उठे थे। और जो अपने अपनों के लिए फिर से खड़े होना चाहते हैं। क्योंकि जब परिवार, फर्ज और भविष्य तीनों एक साथ आवाज़ दें, तो जेह जैसे बेटे जवाब देते हैं—”मैं आ गया हूं पापा!”
Conclusion
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