Ambuja की ग्रीन क्रांति! ACC के साथ मिलकर पर्यावरण बचाने में रचा ग्लोबल इतिहास! 2025

अडानी की दो कंपनियों ने वो कर दिखाया है, जो आज की दुनिया में शायद ही कोई कर पाता—ग्रोथ और ग्रीन एनवायरनमेंट को साथ-साथ लेकर चलना। ये कहानी है Ambuja सीमेंट्स और एसीसी की, जिन्होंने न केवल भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत किया है, बल्कि पर्यावरण बचाने की दिशा में ऐसा रिकॉर्ड बना डाला है, जिसे साइंस बेस्ड टारगेट्स इनिशिएटिव (SBTi) जैसी वैश्विक संस्था ने भी मान्यता दे दी।

एक ऐसे दौर में जब दुनिया जलवायु संकट की चपेट में है, और हर कंपनी सिर्फ मुनाफे की होड़ में दौड़ रही है, उस समय इन दोनों भारतीय कंपनियों ने यह दिखा दिया है कि जिम्मेदारी और मुनाफा एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि सही सोच से साथी बन सकते हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि अडानी ग्रुप की ये दोनों कंपनियां—Ambuja और एसीसी—अब भारत की इको-फ्रेंडली लीडरशिप का चेहरा बन गई हैं। साइंस बेस्ड टारगेट्स इनिशिएटिव (SBTi) की मान्यता सिर्फ एक सर्टिफिकेट नहीं, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय मोहर है कि ये कंपनियां वास्तव में Environmental protection की दिशा में काम कर रही हैं।

जब दुनिया की तमाम कंपनियां सिर्फ वादे कर रही हैं, तब अंबुजा और एसीसी ने अपने वादों को योजनाओं और फिर कार्यों में बदलकर दिखा दिया है। यह मान्यता उन्हें कार्बन क्रेडिट स्कीम में भाग लेने की अनुमति देती है, जिससे उन्हें भारत और ग्लोबल कार्बन मार्केट्स में नई ऊंचाइयां मिलेंगी।

इन कंपनियों ने बड़ा कमिटमेंट लिया है—2030 तक अपने Carbon emissions को बड़े स्तर पर घटाना, और 2050 तक पूरी तरह नेट-जीरो यानी कार्बन फ्री बन जाना। भारत ने 2070 तक नेट-जीरो का लक्ष्य रखा है, और ऐसे में Ambuja व एसीसी का यह प्लान न केवल सराहनीय है बल्कि राष्ट्रीय लक्ष्य को पाने में एक मजबूत कदम भी है। अडानी सीमेंट पहले से ही दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है, और अब इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठाना उन्हें उस पायदान पर ले जा रहा है जहां ग्रोथ और पर्यावरण सुरक्षा एक साथ कदमताल करते हैं।

पर्यावरण बचाने के लिए इन कंपनियों ने जो कदम उठाए हैं, वे केवल प्लानिंग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जमीन पर कार्यान्वित किए जा रहे हैं। Ambuja का लक्ष्य है कि 2028 तक उसकी 60% बिजली ग्रीन सोर्सेज से आए—सोलर, विंड और वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम (WHRS)।

इसमें कंपनी 1 गीगावाट सोलर-विंड पावर और 376 मेगावाट WHRS इंस्टॉल करना चाहती है, जिसमें से अब तक 299 मेगावाट सोलर-विंड और 186 मेगावाट WHRS कैपेसिटी हासिल कर चुकी है। यह दिखाता है कि कंपनी की योजनाएं केवल कागज पर नहीं, बल्कि हर रोज़ धरती पर अमल में लाई जा रही हैं।

इसके अलावा, अडानी ग्रुप ग्रीन हाइड्रोजन पर भी फोकस कर रहा है—एक ऐसी तकनीक जो फ्यूचर में एनर्जी की परिभाषा ही बदल देगी। अगर यह योजना सफल होती है तो अंबुजा और एसीसी को कोयले जैसे प्रदूषणकारी फ्यूल्स से मुक्ति मिल सकती है। दोनों कंपनियां लगातार ग्रीन एनर्जी, अल्टरनेटिव फ्यूल्स, एनर्जी सेविंग टेक्नोलॉजी और स्मार्ट इनोवेशन को अपनाकर एक नई क्रांति की दिशा में बढ़ रही हैं।

Ambuja सीमेंट्स अब सिर्फ एक कंपनी नहीं रही, बल्कि एक ग्लोबल रोल मॉडल बन चुकी है। यह पहली भारतीय सीमेंट कंपनी है जो इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (IRENA) के, एलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकार्बनाइजेशन (AFID) का हिस्सा बनी है।

इसके अलावा, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के एक विशेष प्रोजेक्ट में भी Ambuja की सक्रिय भागीदारी है जो ग्लोबल इंडस्ट्री को इको-फ्रेंडली बनाने पर केंद्रित है। जब एक भारतीय कंपनी ग्लोबल फोरम्स पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है, तो वो सिर्फ व्यापार नहीं, देश की सोच और संस्कृति को भी अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर लेकर आती है।

विनोद बाहेती, जो अडानी सीमेंट के बिजनेस हेड हैं, उन्होंने इस सफलता को लेकर जो बात कही वो केवल एक बयान नहीं, बल्कि एक विज़न है। उन्होंने कहा—”हमें गर्व है कि Ambuja और एसीसी पर्यावरण को बचाने के लिए इतना बड़ा कदम उठा रही हैं। हमारा मिशन है कि ग्रोथ हो, लेकिन नेचर को कोई नुकसान न पहुंचे।” इस सोच में भविष्य छिपा है—एक ऐसा भविष्य जहां मुनाफा केवल बैंक बैलेंस नहीं, बल्कि पृथ्वी की सेहत से भी जुड़ा होगा।

अडानी ग्रुप का यह विज़न केवल सीमेंट इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। ग्रुप ने भारत को ग्रीन बनाने के लिए 100 बिलियन डॉलर का Investment करने का वादा किया है। इसका उद्देश्य है 2030 तक ग्रीन एनर्जी कैपेसिटी को 14.2 गीगावाट से बढ़ाकर 50 गीगावाट तक ले जाना। इतना ही नहीं, ग्रुप एक ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम भी तैयार कर रहा है, जिससे फ्यूचर की एनर्जी नीड्स को क्लीन और सस्टेनेबल बनाया जा सकेगा।

क्लाइमेट क्राइसिस से लड़ने में जहां अधिकतर कंपनियां सोच में ही उलझी रहती हैं, वहीं Ambuja और एसीसी ने एक्ट करके दिखाया है। ये अप्रूवल उनके लिए केवल एक अचीवमेंट नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। यह एक बेंचमार्क है, जो साबित करता है कि क्लाइमेट चैलेंज का जवाब केवल चिंता नहीं, एक्शन भी हो सकता है। उनके इन इनोवेशन और इनीशिएटिव्स से साफ है कि ग्रोथ और ग्रीन साथ-साथ चल सकते हैं।

इन दोनों कंपनियों की ताकत केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि सोच में है। इनका फोकस है ‘इनोवेशन विद रिस्पॉन्सिबिलिटी’। चाहे बात हो नए इको-फ्रेंडली सीमेंट प्रोडक्ट्स की, या फिर Energy efficiency की दिशा में नए प्रयोगों की—अंबुजा और एसीसी, दोनों कंपनियां सीमेंट इंडस्ट्री के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं।

अडानी सीमेंट का दायरा बेहद व्यापक है। इसके अंतर्गत Ambuja सीमेंट्स और एसीसी जैसे ट्रस्टेड ब्रांड्स आते हैं, जो न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में इन्फ्रास्ट्रक्चर की रीढ़ बने हुए हैं। इनकी कुल प्रोडक्शन कैपेसिटी 100 मिलियन टन से अधिक है, और भारत के लगभग 30% निर्माण प्रोजेक्ट्स को ये सपोर्ट कर रहे हैं।

इन कंपनियों का लक्ष्य केवल निर्माण नहीं, बल्कि ‘स्मार्ट निर्माण’ है। Ambuja द्वारा विकसित प्रोडक्ट ‘ईकोमैक्सX’ इसका उदाहरण है, जो कंस्ट्रक्शन में कार्बन फुटप्रिंट को घटाता है। रिसर्च और टेक्नोलॉजी के दम पर ये कंपनियां न केवल भारत के भविष्य को मजबूत बना रही हैं, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दे रही हैं कि जब इच्छाशक्ति हो, तो इंडस्ट्री और एनवायरनमेंट दोनों को साथ लेकर चला जा सकता है।

और अंत में यही कहना सही होगा—Ambuja और एसीसी अब सिर्फ सीमेंट कंपनियां नहीं हैं, बल्कि यह भारत की ग्रीन क्रांति की अग्रदूत बन चुकी हैं। आने वाले वक्त में जब दुनिया पीछे मुड़कर देखेगी कि क्लाइमेट क्राइसिस से किसने लड़ाई लड़ी और कैसे जीती—तो इन कंपनियों का नाम उस सूची में सबसे ऊपर होगा। क्योंकि इन्होंने साबित किया है कि ‘ग्रोथ’ अगर सोच-समझकर हो, तो वह केवल निर्माण नहीं, बल्कि संरक्षण भी कर सकती है।

Conclusion:-

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