Scam: Front-running घोटाला केतन पारेख पर कार्रवाई, 65.77 करोड़ जब्त, जानिए पूरा मामला I

नमस्कार दोस्तों, भारत के शेयर बाजार में एक बार फिर हड़कंप मच गया है। एक ऐसा घोटाला सामने आया है जिसने देशभर के Investors का भरोसा तोड़ दिया है। यह मामला न केवल Investors के विश्वास को झकझोरता है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि क्या देश का Financial Markets बड़े खिलाड़ियों के हाथों में एक खेल बनकर रह गया है? इस बार एक ऐसा नाम सुर्खियों में है, जिसे Indian financial world कभी भुला नहीं सका—केतन पारेख। वही केतन पारेख, जो साल 2000 के कुख्यात शेयर बाजार घोटाले में दोषी पाए गए थे। उनके नाम पर पहले भी स्टॉक मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लग चुके हैं। अब एक बार फिर वह Front-running जैसे Organized घोटाले में पकड़े गए हैं। सेबी ने हाल ही में इस मामले का पर्दाफाश किया है, जिसमें केतन पारेख और सिंगापुर स्थित ट्रेडर रोहित सालगांवकर ने मिलकर 65.77 करोड़ रुपये का Illegal मुनाफा कमाया। लेकिन यह Front-running घोटाला है क्या? आखिर केतन पारेख और रोहित सालगांवकर ने किस तरह इस घोटाले को अंजाम दिया? और इससे आम Investors को क्या सीख मिलती है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

Front-running घोटाला क्या होता है?

Front-running एक Illegal और अनैतिक व्यापारिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी ब्रोकरेज फर्म, म्यूचुअल फंड या अन्य बड़े Investors के गोपनीय ट्रेडिंग आदेश का दुरुपयोग करके व्यक्तिगत मुनाफा कमाया जाता है। इसमें कोई ब्रोकर, ट्रेडर या Financial Institutions किसी बड़े क्लाइंट के ऑर्डर की गोपनीय जानकारी पहले ही हासिल कर लेता है, और उस जानकारी का उपयोग करके बाजार में पहले से पोजीशन ले लेता है। यह प्रक्रिया बाजार की Transparency और निष्पक्षता के खिलाफ होती है, क्योंकि इसमें एक छोटे समूह को इनसाइड इंफॉर्मेशन के आधार पर मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। मान लीजिए, एक म्यूचुअल फंड XYZ कंपनी के 1 लाख शेयर खरीदना चाहता है। इससे पहले कि यह ऑर्डर बाजार में execute हो, एक ब्रोकर या ट्रेडर को इस जानकारी का पता चल जाता है। वह पहले ही बाजार में उसी स्टॉक को खरीद लेता है। जब म्यूचुअल फंड का बड़ा ऑर्डर बाजार में execute होता है, तो Demand बढ़ने के कारण स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है। इसके बाद वह ट्रेडर बढ़ी हुई कीमत पर स्टॉक बेचकर मुनाफा कमा लेता है। यह एक Illegal प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें बाजार की Transparency का उल्लंघन होता है। आम Investors को इसके कारण नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि बाजार में किसी को भी किसी भी गोपनीय जानकारी के आधार पर लाभ कमाने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

केतन पारेख और रोहित सालगांवकर ने कैसे किया ये घोटाला?

केतन पारेख और रोहित सालगांवकर द्वारा किया गया Front-running घोटाला अत्यंत Organized और योजनाबद्ध था। SEBI की जांच रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर स्थित ट्रेडर रोहित सालगांवकर का एक फंड हाउस के साथ करीबी रिश्ता था। इस फंड हाउस से जुड़े किसी भी बड़े ट्रेडिंग ऑर्डर की जानकारी पहले रोहित को मिल जाती थी। रोहित ने इस इनसाइड इंफॉर्मेशन को केतन पारेख के साथ साझा किया। जब भी फंड हाउस कोई बड़ा ट्रेड करने वाला होता, रोहित सालगांवकर उसे पहले ही सूचित कर देते थे। इसके बाद केतन पारेख अलग-अलग फर्जी ट्रेडिंग अकाउंट्स का इस्तेमाल करके उन्हीं शेयरों में अपनी पोजीशन बना लेते थे। जैसे ही फंड हाउस के ऑर्डर को execute किया जाता, उस शेयर की Demand बढ़ने लगती और कीमतें चढ़ जातीं। इस प्रक्रिया में केतन पारेख और उनके नेटवर्क ने करोड़ों रुपये का Illegal मुनाफा कमाया। SEBI ने इस घोटाले की परतें खोलते हुए पाया कि पारेख ने अपने पुराने नेटवर्क का उपयोग करते हुए, कोलकाता स्थित कई संस्थाओं को इस योजना में शामिल किया था। इससे साबित हुआ कि कैसे एक बार फिर भारत के Financial Markets को हेरफेर किया गया।

SEBI ने कैसे पकड़ा यह घोटाला?

Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने इस घोटाले को उजागर करने के लिए एक विस्तृत जांच प्रक्रिया अपनाई। SEBI ने 2 जनवरी 2024 को जारी अपने आदेश में बताया कि 22 Institutions को इस Front-running स्कैम में दोषी पाया गया है। इन संस्थाओं पर कुल 65.77 करोड़ रुपये की Illegal कमाई जब्त की गई है। जांच के दौरान, SEBI ने पाया कि ट्रेडिंग पैटर्न में एक असामान्य समानता देखी जा रही थी। बड़े ऑर्डर्स के Execution से पहले ही कुछ विशेष अकाउंट्स में भारी मात्रा में ट्रेडिंग हो रही थी। इसके बाद, जब बड़ी फंड हाउस ने अपने ऑर्डर्स execute किए, तो उन्हीं अकाउंट्स ने भारी मुनाफा दर्ज किया। SEBI ने पाया कि केतन पारेख और रोहित सालगांवकर के बीच लगातार Communication हुआ था, जिसमें गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान किया गया था। यह सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह एक Organized घोटाला था।

केतन पारेख का वित्तीय घोटालों का इतिहास क्या है?

केतन पारेख का नाम भारतीय Financial History में कुख्यात घोटालों के लिए जाना जाता है। वह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रसिद्ध स्टॉकब्रोकर हर्षद मेहता के साथ की थी। 1999 से 2000 के दौरान, केतन पारेख ने भारतीय शेयर बाजार में भारी मैनिपुलेशन किया। उन्होंने छोटे और मिड-कैप कंपनियों के शेयरों को चुनकर उनमें बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग की। उनकी रणनीति थी—किसी स्टॉक को प्रमोट करो, कीमतें बढ़ाओ और फिर मुनाफा कमाओ। हालांकि, 2001 में जब शेयर बाजार का बुलबुला फूटा, तो उनकी मैनिपुलेशन रणनीति उजागर हो गई। उन्हें दोषी ठहराया गया और 14 साल के लिए भारतीय शेयर बाजार से प्रतिबंधित कर दिया गया।

Front-running घोटाले का Investors पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Front-running घोटाला Financial Markets में बड़े पैमाने पर विश्वास की कमी पैदा करता है। इससे आम Investors को भारी नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि जब बड़े खिलाड़ी इनसाइडर ट्रेडिंग के जरिए मुनाफा कमाते हैं, तो आम Investors को मैनिपुलेटेड प्राइस पर खरीदारी करनी पड़ती है। इस तरह के घोटाले बाजार की स्थिरता को कमजोर करते हैं और इससे छोटे Investors का बाजार में विश्वास कम हो जाता है।

Conclusion

तो दोस्तों, केतन पारेख और रोहित सालगांवकर द्वारा किए गए इस Front-running घोटाले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि, Financial Markets में Transparency और निष्पक्षता कितनी महत्वपूर्ण है। सेबी द्वारा उठाए गए सख्त कदम एक सकारात्मक संकेत हैं कि, अब बाजार में इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। Investors को चाहिए कि वे अपने Investment में सतर्क रहें, और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी होने पर तुरंत regulatory agencies से संपर्क करें। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

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