Friendship ने रचा इतिहास! 5 दोस्तों ने खड़ी की अरबों की कंपनी — India की True Startup कहानी।

एक स्टार्टअप मीटिंग में, दो दोस्त टेबल पर बैठे थे—न नौकरी की चिंता, न पैसे का भरोसा। बस एक सपना था—कुछ ऐसा करने का, जो पूरे देश को हिला दे। किसी ने उन्हें कहा, “बिना फंडिंग के स्टार्टअप नहीं चलता।” किसी ने ताना मारा, “तुम लोग सिर्फ Friendship निभा सकते हो, कंपनी नहीं चला सकते।” लेकिन शायद वो लोग नहीं जानते थे कि जब Friendship जुनून से मिलती है, तो इतिहास लिखा जाता है। और आज हम आपको ऐसी ही पांच कहानियाँ सुनाने जा रहे हैं—जहाँ Friendship सिर्फ हाथ में बंधी पीली रिबन नहीं, बल्कि अरबों का कारोबार बन गई।

पहली कहानी है दो बंसल्स की। नहीं, ये कोई खून के रिश्ते वाले बंधन की बात नहीं, ये Friendship की बात है। सचिन बंसल और बिन्नी बंसल, दो दोस्त जो एक ही कंपनी—Amazon में काम करते थे। लेकिन नौकरी करते-करते एक दिन उन्होंने महसूस किया कि अगर किताबें ऑनलाइन बेची जा सकती हैं तो बहुत कुछ और भी बदला जा सकता है। और यहीं से जन्म हुआ—Flipkart का।

2007 में जब भारत में इंटरनेट की स्पीड 2G हुआ करती थी, इन दोनों ने ऑनलाइन बुकस्टोर शुरू किया। लोग हँसे—“कौन किताब ऑनलाइन खरीदेगा?” लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी। उन्होंने ‘कैश ऑन डिलीवरी’ जैसा आइडिया लाया, जिससे आम इंसान भी भरोसे से ऑनलाइन खरीददारी करने लगा। और देखते ही देखते, फ्लिपकार्ट एक ऐसा ईकॉमर्स ब्रांड बन गया, जिसे 2018 में वॉलमार्ट ने 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा में खरीद लिया। एक Friendship, जिसने भारत को डिजिटल शॉपिंग से जोड़ा, और बता दिया कि Friendship सिर्फ टाइम पास नहीं—टाइम चेंजर होती है।

अब चलते हैं एक ऐसे जोड़ी की तरफ, जिन्हें आप भाई कह सकते हैं, लेकिन वो खुद को पहले दोस्त मानते हैं। नितिन कामथ और निखिल कामथ—जी हाँ, Zerodha के फाउंडर्स। 2010 में, जब लोग शेयर बाजार को सिर्फ “बड़ों का खेल” मानते थे, इन भाइयों ने कुछ अलग सोचा। उन्होंने देखा कि महंगी ब्रोकर फीस और तकनीक की कमी से युवा Investors का भरोसा टूट रहा है।

और वहीं से शुरू हुई Zerodha की क्रांतिकारी यात्रा। बिना किसी बाहरी Investment, बिना किसी फैंसी ऑफिस या बड़े विज्ञापनों के, Zerodha ने लाखों लोगों को कम लागत में शेयर बाजार से जोड़ा। कामथ ब्रदर्स की Friendship, भरोसे और टेक्नोलॉजी पर खड़ी थी—जिसे भारत ने सिर आंखों पर बैठाया। और आज, Zerodha न केवल भारत की सबसे बड़ी रिटेल ब्रोकिंग कंपनी है, बल्कि स्टार्टअप दुनिया में “बूटस्ट्रैपिंग” का सबसे बड़ा उदाहरण भी।

अब बात करते हैं दो ऐसे दोस्तों की, जिन्होंने Friendship की शुरुआत अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में की—but they didn’t stay there long. क्योंकि आदित पलिचा और कैवल्य वोहरा ने कुछ बड़ा सोचा था।

साल 2021—जब देश कोविड की दूसरी लहर से जूझ रहा था, इन दोनों ने शुरू किया—Zepto। एक ऐसा स्टार्टअप, जो कहता था—“ग्रोसरी सिर्फ 10 मिनट में आपके दरवाजे पर।” उस समय लोग बोले, “ये नामुमकिन है।” लेकिन आदित और कैवल्य ने टेक्नोलॉजी, डेटा और मैपिंग के दम पर जो कर दिखाया, उसने पूरे फूड डिलीवरी इंडस्ट्री को झकझोर दिया। आज Zepto भारत के सबसे तेज़ ग्रो करने वाले स्टार्टअप्स में से एक है। और ये सिर्फ एक आइडिया नहीं था, ये Friendship का विश्वास था—कि अगर दो लोग मिलकर सोचें, तो समय को भी झुका सकते हैं।

अब आते हैं उस Friendship पर, जो सिर्फ दिल से नहीं, बल्कि जीवनभर के साथ की तरह बनी। वरुण अलघ और ग़ज़ल अलघ—पति-पत्नी ज़रूर हैं, लेकिन उनकी कहानी की शुरुआत भी दोस्ती से ही हुई। जब उनका बच्चा हुआ, तो उन्होंने देखा कि बाज़ार में बच्चों के लिए सेफ स्किनकेयर प्रोडक्ट्स की भारी कमी है। और यहीं से जन्म हुआ—Mamaearth का।

2016 में, जब direct to customer मॉडल भारत में नया था, तब इस कपल ने अपने भरोसे और Friendship के बलबूते एक ब्रांड खड़ा किया जो आज हर घर में दिखता है। नेचुरल इंग्रीडिएंट्स, पारदर्शिता और डिजिटल रणनीति के सहारे, Mamaearth आज एक अरबों की कंपनी है। ग़ज़ल और वरुण की जोड़ी ने साबित किया कि Friendship और समझदारी अगर एक साथ चले, तो व्यापार सिर्फ सफल नहीं—ट्रेंडसेटर बन सकता है।

अब बात उस कंपनी की, जिसने भारत की टियर-2 और टियर-3 महिलाओं को घर बैठे बिज़नेस करना सिखा दिया—Meesho। और इसके पीछे थे दो कॉलेज फ्रेंड्स—विदित आत्रे और संजीव बरनवाल। 2015 में, इन दोनों दोस्तों ने देखा कि छोटे व्यापारी और गृहिणियाँ सोशल मीडिया पर बिजनेस तो करना चाहती हैं, लेकिन उनके पास सही प्लेटफॉर्म नहीं है।

और बस, Meesho आ गया—एक ऐसा सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जो हर छोटे व्यापारी को डिजिटल बना सकता है। जहां सिर्फ बड़े ब्रांड नहीं, बल्कि हर आम आदमी अपने सामान को बेच सकता है। और आज Meesho लाखों छोटे बिजनेस, खासकर महिलाओं को सशक्त बना रहा है। ये सिर्फ एक ऐप नहीं—ये दो दोस्तों की सोच है, जिन्होंने बड़े-बड़े MBA ग्रेजुएट्स को दिखा दिया कि ज़मीन से जुड़कर भी स्काई टच किया जा सकता है।

तो दोस्तों, इन पाँच कहानियों में क्या समानता है? एक गहरा रिश्ता—Friendship का। कोई बचपन का दोस्त था, कोई कॉलेज का। कोई सहकर्मी बना, कोई जीवन साथी। लेकिन हर कहानी में एक चीज़ कॉमन थी—आपसी भरोसा, सम्मान और यह यकीन कि मिलकर कुछ बड़ा किया जा सकता है।

ये सिर्फ बिज़नेस नहीं थे—ये सपनों की दुकानें थीं, जहाँ ग्राहक नहीं, अपने जैसे लोग खड़े थे। Flipkart ने हमें डिजिटल शॉपिंग दी, Zerodha ने फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस दी, Zepto ने समय की अहमियत सिखाई, Mamaearth ने किचन से केमिस्ट्री तक सफर तय किया और Meesho ने हर माँ को CEO बनने का सपना दिखाया।

आज जब आप अपने सबसे अच्छे दोस्त को देखो, तो ये सोचो—क्या तुम दोनों के बीच कोई ऐसा आइडिया है जो दुनिया बदल सकता है? क्या वो Friendship सिर्फ मूवी टिकट शेयर करने तक सीमित है, या फिर उसमें वो चिंगारी है जो करोड़ों का ब्रांड बन सकती है?

फ्रेंडशिप डे का मतलब सिर्फ गिफ्ट और बैंड नहीं है। असली Friendship वो होती है जो मुश्किल वक्त में एक-दूसरे की ताकत बने। और इन पाँच कहानियों ने यही सिखाया—जब दोस्त साथ हों, तो पूँजी नहीं, जज़्बा मायने रखता है।

इन कहानियों में कोई बड़ा Investor नहीं था, कोई गारंटी नहीं थी, कोई बैकअप प्लान नहीं था। सिर्फ सपने थे, भरोसा था, और एक ऐसा दोस्त था, जिसने कहा—“चलो, ट्राय करते हैं।” और बस, वही एक “चलो” अरबों का सफर बन गया।

तो अगली बार जब कोई कहे कि “Friendship में बिजनेस मत करो,” तो उन्हें ये आर्टिकल दिखाना। क्योंकि भारत के ये पाँच यार साबित कर चुके हैं—अगर Friendship में सच्चाई, समझ और सपोर्ट हो, तो उससे बड़ा स्टार्टअप कोई नहीं। आज के दिन, अगर आपके पास ऐसा कोई दोस्त है, तो उसे गले लगाइए। क्योंकि हो सकता है, अगला Flipkart, Zerodha या Meesho आप ही दोनों की जेब में छुपा हो।

Conclusion

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