Frida, बचपन की मीठी यादों के साथ: ब्रेस्ट मिल्क फ्लेवर वाली आइसक्रीम का अनोखा Experiment! 2025

ज़रा सोचिए… किसी गर्मी की दोपहर आप अपने दोस्तों के साथ आइसक्रीम पार्लर में जाते हैं। काउंटर पर एक लंबी लिस्ट लगी है—चॉकलेट, वनीला, स्ट्रॉबेरी, मिंट, कैरामेल, ब्लूबेरी… और तभी अचानक आपकी नज़र ठिठक जाती है एक नाम पर—“Breast Milk Ice Cream”! आपके दिमाग में एक हल्की सी सनसनी दौड़ जाती है। दिल कहता है, “ये नाम तो मजाक जैसा लग रहा है!” आँखें चौड़ी हो जाती हैं, दिमाग में सवाल उठता है—“क्या वाकई में? कोई आइसक्रीम मां के दूध जैसी भी हो सकती है?” कुछ सेकंड तक आप उसी शब्द पर अटके रहते हैं।

दोस्तों की हँसी, दुकान का शोर, और चारों तरफ़ बच्चों की चिल्लाहट सब धुंधली हो जाती है। उस पल सिर्फ यही ख्याल दिमाग में घूमता है कि आखिर इंसान कहां-कहां तक पहुंच गया है। यही रहस्यमय और अजीबोगरीब आकर्षण आज अमेरिका में एक नई चर्चा का विषय बन चुका है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि इस अनोखे फ्लेवर के पीछे दो कंपनियों की सोच और मेहनत छिपी है। Frida नाम की एक कंपनी, जो पेरेंटिंग से जुड़े प्रोडक्ट्स बनाने के लिए जानी जाती है और लाखों नए माता-पिता की जिंदगी आसान करने में मदद करती है, और दूसरी है Odd Fellows Ice Cream Company, जो हमेशा ही हटके फ्लेवर्स के लिए मशहूर है।

Odd Fellows का नाम सुनते ही दिमाग में ऐसे फ्लेवर्स आते हैं जो परंपरागत सोच से बिल्कुल अलग हों। जब ये दोनों कंपनियाँ साथ आईं, तो उन्होंने सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं बनाया, बल्कि एक ऐसा कॉन्सेप्ट जन्म दिया जिसने हर किसी को हैरान कर दिया—Breast Milk Flavor Ice Cream।

अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें आखिर है क्या? कंपनी ने साफ-साफ कह दिया है कि इसमें असली मां का दूध इस्तेमाल नहीं हुआ है। बल्कि उन्होंने दूध, हेवी क्रीम, स्किम मिल्क पाउडर, अंडे की जर्दी, डेक्सट्रोज़, इनवर्टेड शुगर, गुआर गम, नमकीन कैरामेल फ्लेवर, शहद का सिरप और एक खास तत्व—लिपोसोमल बोवाइन कोलोस्ट्रम डाला है।

यह गाय के पहले दूध से निकाला गया एक पदार्थ है, जिसमें प्रोटीन और पोषण भरपूर होता है। इन सभी चीज़ों को मिलाकर ऐसा स्वाद तैयार किया गया जो न पूरी तरह मीठा है, न ही पूरी तरह नमकीन। इसका टेक्सचर स्मूद है और इसमें शहद जैसी हल्की झलक मिलती है। कंपनी का दावा है कि जैसे ही कोई इसे चखेगा, उसे बचपन के शुरुआती दिनों की याद आ जाएगी—वो समय जब दुनिया मासूमियत से भरी थी और बच्चे की सबसे पहली पहचान उसकी मां के दूध से थी।

लेकिन सवाल यह है कि किसी कंपनी को ऐसा करने की ज़रूरत क्यों पड़ी? इसका जवाब है—जिज्ञासा और ट्रेंड। पिछले कुछ सालों में ब्रेस्ट मिल्क को लेकर लोगों की सोच और चर्चा अचानक बढ़ गई है। हॉलीवुड की कई नामी हस्तियों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने मां के दूध का स्वाद चखा है।

कर्टनी कार्दशियन, मॉडल एश्ले ग्राहम और कोको ऑस्टिन जैसी शख्सियतों ने जब यह बातें इंटरव्यू और सोशल मीडिया पर कही, तो इंटरनेट पर हड़कंप मच गया। लोग इस विषय पर बहस करने लगे। कहीं इसे अजीब बताया गया, तो कहीं इसे प्राकृतिक और सामान्य। इसी जिज्ञासा ने कंपनियों को सोचने पर मजबूर किया कि क्यों न इस बढ़ती रुचि को एक प्रोडक्ट में ढालकर दुनिया के सामने पेश किया जाए।

Frida और Odd Fellows ने यही किया। उन्होंने समझा कि आज की दुनिया में जो चीज़ अलग है, जो चीज़ चौंकाती है, वही तेजी से वायरल होती है। मार्केटिंग की दुनिया अब सिर्फ स्वाद या क्वालिटी पर नहीं टिकती, बल्कि क्यूरियोसिटी और चर्चा पर टिकी होती है।

आपने देखा होगा—कभी ब्लैक बर्गर सुर्खियों में आ जाते हैं, कभी गोल्ड से सजी मिठाइयाँ चर्चा का विषय बनती हैं, कभी चारकोल ड्रिंक या स्क्विड इंक पास्ता वायरल हो जाता है। यह आइसक्रीम भी उसी कड़ी का हिस्सा है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसने दुनिया के सबसे भावनात्मक और संवेदनशील विषय—“मां का दूध”—को चुना।

कीमत की बात करें तो यह भी कोई मामूली आइसक्रीम नहीं है। एक पैकेट की कीमत रखी गई है लगभग 1080 रुपये। यानी यह फ्लेवर किसी बच्चे की जेब खर्च से खरीदी जाने वाली सस्ती आइसक्रीम नहीं, बल्कि एक प्रीमियम प्रोडक्ट है। अभी इसे बहुत सीमित मात्रा में ही बनाया गया है और सिर्फ Frida की वेबसाइट से खरीदा जा सकता है। यह बात भी इसे और ज्यादा एक्सक्लूसिव बनाती है, क्योंकि लोग जानते हैं कि यह आम दुकानों पर नहीं मिलेगा। जब कोई चीज़ मुश्किल से मिले, तो उसकी चाहत और बढ़ जाती है।

लॉन्च के बाद इंटरनेट पर इसकी प्रतिक्रियाएं तूफ़ान की तरह फैलीं। कुछ लोगों ने इसे एक क्रिएटिव कदम बताया। उनका कहना था कि यह आइसक्रीम बचपन की मासूमियत की याद दिलाती है। उनके लिए यह फ्लेवर सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि भावनाओं का अनुभव है। लेकिन वहीं दूसरी ओर, कई लोगों ने इसे अजीब और असहज करार दिया। उनका कहना था कि जब इसमें असली दूध है ही नहीं, तो आखिर इसकी जरूरत क्या थी? सोशल मीडिया पर लोग इसे weird, gross और unnecessary जैसे शब्दों से नवाज़ने लगे। लेकिन जैसा अक्सर होता है, जितना विरोध होता है, उतनी ही चर्चा भी बढ़ती है।

Frida ने इसके प्रचार का तरीका भी कुछ ऐसा चुना कि लोग बिना देखे रह ही न सकें। इंस्टाग्राम पर उन्होंने एक वीडियो डाला जिसमें एक बड़े दूध के टैंकर पर लिखा था—“Breast Milk Ice Cream”। यह टैंकर शहर की सड़कों पर घूम रहा था और लोग हैरानी से उसकी तस्वीरें और वीडियो बनाने लगे। इंटरनेट पर यह वीडियो आग की तरह फैला। देखते ही देखते लाखों लोगों ने इसे शेयर किया और कंपनी का नाम हर किसी की ज़ुबान पर आ गया।

अब ज़रा सोचिए, अगर भारत में ऐसा कोई फ्लेवर लॉन्च होता, तो क्या हाल होता? यहां लोग खाने-पीने में एक्सपेरिमेंट ज़रूर करते हैं, लेकिन मां के दूध जैसे फ्लेवर को लेकर शायद माहौल बिल्कुल अलग होता। कुछ लोग इसे मजाक उड़ाकर सोशल मीडिया पर मीम्स बना देते, कुछ लोग धार्मिक या सांस्कृतिक भावनाओं से जोड़कर विरोध करते और कुछ लोग सिर्फ क्यूरियोसिटी से एक बार खरीदकर देख लेते। लेकिन यह तय है कि चर्चा तो गारंटी के साथ होती।

असल में, इस आइसक्रीम की असली ताकत स्वाद से ज्यादा कहानी में है। यह कहानी है बचपन की, मासूमियत की, और उस पहले अनुभव की जिसे हर इंसान साझा करता है। और यही कारण है कि यह प्रोडक्ट मार्केटिंग की दुनिया में नॉस्टेल्जिया का नया उदाहरण बन गया है। जब कोई चीज़ पुरानी यादें ताज़ा करती है, तो लोग उससे जुड़ जाते हैं। चाहे वो कोई खिलौना हो, कोई टीवी शो हो, या कोई खाना। इंसान का दिल नॉस्टेल्जिया के सामने जल्दी पिघल जाता है। यही रणनीति यहां भी अपनाई गई।

लेकिन साथ ही, यह भी एक सवाल खड़ा करता है—क्या खाने-पीने की चीज़ें सिर्फ स्वाद के लिए बनाई जानी चाहिए, या अब वो एक अनुभव बन चुकी हैं? आज की दुनिया में खाने-पीने की इंडस्ट्री सिर्फ पेट भरने तक सीमित नहीं रह गई। अब यह “स्टोरी” बेचती है। जब आप कोई अनोखा फ्लेवर खाते हैं, तो आप सिर्फ उसका स्वाद नहीं लेते, बल्कि आप उस अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं। और यही उस ब्रांड की सबसे बड़ी जीत होती है।

इस आइसक्रीम को चखने वालों का कहना है कि इसका स्वाद हल्का मीठा है, हल्का नमकीन है, और स्मूद टेक्सचर इसे खास बनाता है। इसमें शहद जैसा एहसास भी आता है। यानी यह आइसक्रीम आपके ज़ुबान पर आते ही एक नर्म और अजीब-सी याद ताज़ा कर देती है। लेकिन असली सवाल अब भी वही है—क्या लोग बार-बार इसे खाना चाहेंगे, या यह सिर्फ एक बार की जिज्ञासा तक ही सीमित रह जाएगी?

इंटरनेट पर इस फ्लेवर को लेकर मीम्स और जोक्स की बाढ़ आ चुकी है। कोई कह रहा है—“कृपया इसे मेरी सास को मत दिखाना, वरना वो भी बनवा लेंगी।” कोई मजाक करता है—“अगर यह फ्लेवर बिक गया तो अगला होगा—Father’s Sweat Flavor।” कोई लिखता है—“यह इंसानियत का अंत है, अब और क्या बाकी रह गया?” यह सब सुनकर हँसी भी आती है और हैरानी भी होती है। लेकिन एक बात साफ है—जितना यह मजाक बन रहा है, उतनी ही तेजी से यह वायरल हो रहा है।

अगर हम दुनिया भर के अजीब फ्लेवर देखें, तो यह अकेला उदाहरण नहीं है। जापान में स्क्विड इंक आइसक्रीम बिकती है, चीन में ग्रीन पी टी आइसक्रीम बहुत पॉपुलर है, इटली में पिज्ज़ा फ्लेवर जेलाटो तक बनाया गया है। यानी दुनिया भर में खाने के नाम पर अजीबोगरीब एक्सपेरिमेंट होते रहे हैं। लेकिन फर्क यह है कि बाकी फ्लेवर किसी खाने-पीने की चीज़ से जुड़े हैं, जबकि यह इंसान की सबसे निजी और भावनात्मक चीज़—“मां का दूध”—से जुड़ा है। यही कारण है कि इसमें जिज्ञासा भी है और असहजता भी।

तो सवाल यही उठता है—क्या यह फ्लेवर लंबे समय तक टिकेगा? या यह सिर्फ एक इंटरनेट ट्रेंड बनकर कुछ हफ़्तों बाद गुम हो जाएगा? समय ही इसका जवाब देगा। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि इसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।

Conclusion

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